भारत बना दुनिया का सबसे बड़ा प्रवासी भेजने वाला देश
भारत दुनिया का सबसे बड़ा प्रवासी भेजने वाला देश बन चुका है जिसमें संयुक्त राष्ट्र की अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन रिपोर्ट 2024 के मुताबिक, भारत इस सूची में पहले स्थान पर है। हर साल करीब 2 लाख भारतीय नागरिकता त्याग रहे हैं। पिछले 5 वर्षों में लगभग 9 लाख भारतीय अपने देश की नागरिकता छोड़ चुके हैं।

आज की दुनिया में लोगों का अपने देश को छोड़कर दूसरे देशों में बसना एक आम बात हो गई है। बेहतर नौकरी, उच्च शिक्षा, सुरक्षित जीवन, अधिक आय और बेहतर सुविधाएँ पाने की चाह में लोग अपने जन्मस्थान से दूर जाने को मजबूर हैं। इस प्रक्रिया को प्रवासन कहा जाता है, और जिन लोगों को यह निर्देशित करता है, उन्हें प्रवासी कहा जाता है। बता दें कि हर साल 18 दिसंबर को पूरी दुनिया में 'अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस' मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य प्रवासियों के योगदान को सम्मानित करना और उनके सामने आने वाली चुनौतियों पर जागरूकता फैलाना है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, आज दुनिया में लगभग 27 करोड़ 20 लाख यानी 272 मिलियन लोग अपने देश से बाहर रह रहे हैं। इनमें से कई मजबूरी में विस्थापित भी हैं, जो रोज नई परेशानियों का सामना कर रहे हैं।
किस देश के लोग सबसे अधिक छोड़ रहे हैं अपना मुल्क?
संयुक्त राष्ट्र की 'अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन रिपोर्ट 2024' के अनुसार, भारत दुनिया का सबसे बड़ा प्रवासी भेजने वाला देश बन गया है। पिछले कुछ वर्षों में, भारत से लगभग 1 करोड़ 81 लाख लोग विदेशों में बस चुके हैं। भारतीय पेशेवरों, विद्यार्थियों और मजदूरों की विश्वभर में जबरदस्त मांग के कारण यह संख्या लगातार बढ़ रही है। दूसरे स्थान पर मेक्सिको है, जहां करीब 1 करोड़ 12 लाख नागरिक विदेशों में रहते हैं। रूस (1 करोड़ 8 लाख), चीन (1 करोड़ 5 लाख), बांग्लादेश (78 लाख), फिलीपींस (65 लाख), यूक्रेन (61 लाख), पाकिस्तान (60 लाख), इंडोनेशिया (45 लाख) और नाइजीरिया (20 लाख) भी प्रमुख देश हैं, जहां से बड़ी संख्या में लोग बेहतर जीवन, आर्थिक अवसर और शिक्षा के लिए विदेशों का रुख करते हैं।
भारत किस पायदान पर है?
बता दें कि भारत में नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। हर साल करीब 2 लाख भारतीय नागरिकता त्याग रहे हैं। पिछले 5 वर्षों में लगभग 9 लाख भारतीय अपने देश की नागरिकता छोड़ चुके हैं। इसका मुख्य कारण विदेशों में बेहतर जीवन स्तर, अधिक वेतन वाली नौकरियों, उच्च शिक्षा और रिसर्च के अवसर हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2011 से 2024 तक, भारत से 20 लाख से अधिक नागरिक विदेश जाकर बस चुके हैं। 2022 में रिकॉर्ड 2.25 लाख लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ी, तो 2023 में यह संख्या 2.16 लाख पहुंच गई। 2024 के आंकड़े अभी आना बाकी हैं, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि यह संख्या और भी बढ़ सकती है।
आज की दुनिया में लोगों का अपने देश को छोड़कर दूसरे देशों में बसना एक आम बात हो गई है। बेहतर नौकरी, उच्च शिक्षा, सुरक्षित जीवन, अधिक आय और बेहतर सुविधाएँ पाने की चाह में लोग अपने जन्मस्थान से दूर जाने को मजबूर हैं। इस प्रक्रिया को प्रवासन कहा जाता है, और जिन लोगों को यह निर्देशित करता है, उन्हें प्रवासी कहा जाता है। बता दें कि हर साल 18 दिसंबर को पूरी दुनिया में 'अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस' मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य प्रवासियों के योगदान को सम्मानित करना और उनके सामने आने वाली चुनौतियों पर जागरूकता फैलाना है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, आज दुनिया में लगभग 27 करोड़ 20 लाख यानी 272 मिलियन लोग अपने देश से बाहर रह रहे हैं। इनमें से कई मजबूरी में विस्थापित भी हैं, जो रोज नई परेशानियों का सामना कर रहे हैं।
किस देश के लोग सबसे अधिक छोड़ रहे हैं अपना मुल्क?
संयुक्त राष्ट्र की 'अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन रिपोर्ट 2024' के अनुसार, भारत दुनिया का सबसे बड़ा प्रवासी भेजने वाला देश बन गया है। पिछले कुछ वर्षों में, भारत से लगभग 1 करोड़ 81 लाख लोग विदेशों में बस चुके हैं। भारतीय पेशेवरों, विद्यार्थियों और मजदूरों की विश्वभर में जबरदस्त मांग के कारण यह संख्या लगातार बढ़ रही है। दूसरे स्थान पर मेक्सिको है, जहां करीब 1 करोड़ 12 लाख नागरिक विदेशों में रहते हैं। रूस (1 करोड़ 8 लाख), चीन (1 करोड़ 5 लाख), बांग्लादेश (78 लाख), फिलीपींस (65 लाख), यूक्रेन (61 लाख), पाकिस्तान (60 लाख), इंडोनेशिया (45 लाख) और नाइजीरिया (20 लाख) भी प्रमुख देश हैं, जहां से बड़ी संख्या में लोग बेहतर जीवन, आर्थिक अवसर और शिक्षा के लिए विदेशों का रुख करते हैं।
भारत किस पायदान पर है?
बता दें कि भारत में नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। हर साल करीब 2 लाख भारतीय नागरिकता त्याग रहे हैं। पिछले 5 वर्षों में लगभग 9 लाख भारतीय अपने देश की नागरिकता छोड़ चुके हैं। इसका मुख्य कारण विदेशों में बेहतर जीवन स्तर, अधिक वेतन वाली नौकरियों, उच्च शिक्षा और रिसर्च के अवसर हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2011 से 2024 तक, भारत से 20 लाख से अधिक नागरिक विदेश जाकर बस चुके हैं। 2022 में रिकॉर्ड 2.25 लाख लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ी, तो 2023 में यह संख्या 2.16 लाख पहुंच गई। 2024 के आंकड़े अभी आना बाकी हैं, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि यह संख्या और भी बढ़ सकती है।












