‘अब चिंता क्यों?’ पीएम मोदी के बयान पर अखिलेश ने साधा निशाना

‘अब चिंता क्यों?’ पीएम मोदी के बयान पर अखिलेश ने साधा निशाना
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 07:32 PM
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अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया बयान पर अब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सरकार की विदेश नीति, कृषि नीति और आर्थिक दिशा को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि बीजेपी को ये बातें आज से नहीं, दस साल पहले सोचनी चाहिए थीं। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 अगस्त को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान स्पष्ट शब्दों में कहा था कि भारत कभी भी अपने किसानों, मछुआरों और डेयरी सेक्टर के हितों के साथ समझौता नहीं करेगा — चाहे इसके लिए कितनी भी बड़ी कीमत क्यों न चुकानी पड़े। इस बयान को अमेरिका के साथ संभावित व्यापार डील के संदर्भ में देखा जा रहा है, जिसे लेकर हाल के दिनों में चर्चा तेज़ हुई है।  Akhilesh Yadav

इस पर पलटवार करते हुए अखिलेश यादव ने कहा - भाजपा को एक दशक पहले ही यह समझ लेना चाहिए था कि देश के किसानों, कृषि और डेयरी उत्पादकों की चिंता प्राथमिकता होनी चाहिए। अब जाकर ऐसे बयान देना यह दिखाता है कि सरकार ने बीते वर्षों में इन मूलभूत मुद्दों को गंभीरता से नहीं लिया।

भारत की विदेश नीति पूरी तरह विफल रही है

सपा प्रमुख ने सरकार की विदेश नीति पर भी सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा - हमारी विदेश नीति पूरी तरह नाकाम साबित हुई है। जिन देशों से अच्छे रिश्तों के बड़े-बड़े दावे किए गए, आज उन्हीं देशों के साथ व्यापारिक खटास बढ़ती जा रही है। देश का युवा बेरोजगारी से जूझ रहा है, किसान बदहाल हैं, और अर्थव्यवस्था दबाव में है। ऐसे में ये सवाल लाज़मी हैं कि देश आखिर किस दिशा में जा रहा है ?

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अमेरिका से रिश्तों पर भी उठाए सवाल

अखिलेश यादव ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ की चेतावनी को लेकर भी सरकार से जवाब मांगा। उन्होंने कहा - सरकार आज यह क्यों कह रही है कि वह किसानों के पक्ष में खड़ी है? जब 11 साल हो चुके हैं, तो पहले क्यों नहीं किया गया? अमेरिका के साथ हमारे ऐतिहासिक संबंध रहे हैं, उन्हें मज़बूत करने की ज़रूरत थी, न कि इस स्तर पर लाकर खड़ा करने की।

क्या था पीएम मोदी का बयान ?

प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यक्रम में कहा था -हमारे लिए किसानों का हित सर्वोपरि है। भारत कभी भी अपने किसानों, मछुआरों और डेयरी उत्पादकों के साथ अन्याय नहीं करेगा। मैं जानता हूं कि इसके लिए कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन मैं तैयार हूं। भारत आज अपने अन्नदाताओं के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।  Akhilesh Yadav

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उत्तरकाशी में कुदरत का कहर, धराली में अब भी 70 लोग लापता

उत्तरकाशी में कुदरत का कहर, धराली में अब भी 70 लोग लापता
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 10:56 AM
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उत्तरकाशी जिले के धराली और हर्षिल में बादल फटने की भयावह त्रासदी के बाद राहत-बचाव कार्य का आज दूसरा दिन है। दोनों इलाकों में अब भी सड़क मार्ग से पहुंचना असंभव बना हुआ है। अब तक की जानकारी के अनुसार हादसे में 5 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 11 जवानों समेत 70 लोग अब भी लापता हैं। बताया जा रहा है कि अब तक लगभग 190 लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू किया जा चुका है। Uttarkashi 

225 से ज्यादा सैनिक राहत कार्य में तैनात

भारतीय सेना की 7 टीमें मौके पर मौजूद हैं और 225 से ज्यादा जवान राहत कार्य में जुटे हुए हैं। धराली और हर्षिल के रास्ते पूरी तरह से बंद हैं। भटवाड़ी में राष्ट्रीय राजमार्ग बह गया है जिसे अभी तक खोला नहीं जा सका है। BRO और GREF की टीमें दो स्थानों पर पहाड़ काटकर रास्ता बनाने की कोशिश में लगी हैं, लेकिन सीमित संसाधनों की वजह से काम की रफ्तार बेहद धीमी है।

गंगवानी का टूटा पुल

गंगवानी में बहा पुल अब भी टूटा हुआ है और जब तक रास्ता नहीं खुलता इसका रिस्टोरेशन भी शुरू नहीं हो सकता। धराली और हर्षिल में राहत सामग्री पहुंचाने और फंसे लोगों को निकालने का एकमात्र जरिया अब हेलिकॉप्टर हैं। छोटे हेलिकॉप्टरों से राहतकर्मी भेजे जा रहे हैं जबकि बड़े हेलिकॉप्टर चिनूक, Mi-17 और ALH स्टैंडबाय पर हैं। राहत की बात यह है कि हर्षिल में मिलिट्री हेलीपैड पूरी तरह चालू कर दिया गया है। वहीं 3 सिविल हेलिकॉप्टरों से लगातार राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है।

तीन जगहों पर चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन

धराली, हर्षिल और सुखी टॉप इन तीनों स्थानों पर रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। लगातार बारिश और लैंडस्लाइड के चलते राहत कार्य में काफी बाधाएं आ रही हैं। बताया जा रहा है कि धराली हादसे के बाद से केरल के 28 टूरिस्ट का एक समूह भी लापता है। उनकी तलाश जारी है। स्थानीय पुजारियों और ग्रामीणों के मुताबिक, सैलाब इतना तेज था कि सिर्फ चंद सेकंड में पूरा इलाका पानी और मलबे में समा गया। कई मकान और दुकानें ढह गईं या पूरी तरह नष्ट हो गईं।

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बिजली और कम्युनिकेशन अब भी ठप

इलाके में अब भी बिजली और संचार व्यवस्था पूरी तरह ठप है जिससे रेस्क्यू ऑपरेशन को समन्वयित करने में मुश्किलें आ रही हैं। हालात बेहद गंभीर हैं लेकिन रेस्क्यू टीमें पूरी ताकत से जुटी हुई हैं। जान बचाने की ये जंग फिलहाल हेलिकॉप्टरों और हौसलों के सहारे जारी है। सरकार और एजेंसियों से अपील है कि संसाधन और हेलिकॉप्टर की संख्या जल्द बढ़ाई जाए ताकि फंसे लोगों को शीघ्र सुरक्षित निकाला जा सके।
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भारत के बेटे ने रच दिया इतिहास, नासा में गाड़ रहा झण्डा

भारत के बेटे ने रच दिया इतिहास, नासा में गाड़ रहा झण्डा
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 06:52 AM
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भारत के एक बेटे ने इतिहास रच दिया है।भारत का यह बेटा नासा में भारत का झंडा फहराने का काम कर रहा है।आपको बता दें कि नासा को हिन्दी में राष्ट्रीय वैमानिकी और अंतरिक्ष प्रशासन कहा जाता है। नासा का अंग्रेज़ी नाम National Aeronautics and Space Administration है। इसी नासा में भारत के अनेक वैज्ञानिक काम कर रहे हैं । नासा में काम करने वाले इन्हीं भारतीय वैज्ञानिकों में में अंश नाम के एक एक बेटे का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है । नासा में भारत का झंडा बुलंद करने वाले अंश की कहानी पढ़कर आप भी ज़रूर कहेंगे कि भारत के बेटे ने कर दिया है कमाल ।

माँ तथा बेटे के अदभुत संघर्ष की कहानी भारत से नासा तक

नासा अमरीका का प्रसिद्ध अंतरिक्ष संगठन है। भारत से नासा तक यह कहानी एक माँ तथा बेटे के संघर्ष की अदभुत कहानी है ।कोविड में पति को खोया, बेटे के सहारे फिर संभलीं पूजा, आज बेटा नासा में दर्ज करवा चुका है भारत का नाम । साल 2021 में जब पूरी दुनिया कोरोना की चपेट में थी, उस वक्त दिल्ली की रहने वाली पूजा सक्सेना की जिंदगी भी एक झटके में बिखर गई। उनके पति विवेक कुमार, जो अदाणी सीमेंट में 23 सालों तक हेड ऑफ एनवायरनमेंट एंड हॉर्टिकल्चर के पद पर कार्यरत थे, महामारी की लहर में चल बसे। परिवार का मुखिया चला गया, और पूजा अकेली रह गईं एक किशोर बेटे वंश की पूरी जिम्मेदारी के साथ। यह वह समय था जब न तो मन साथ दे रहा था और न ही भविष्य की कोई स्पष्ट दिशा दिख रही थी। लेकिन मां का कर्तव्य, बेटे की आंखों में झलकता भरोसा और अपने पति की यादों में छुपी प्रेरणा ने पूजा को टूटने नहीं दिया। उन्होंने खुद को समेटा और एक बार फिर जिंदगी की लड़ाई शुरू की।

अदाणी समूह ने बढ़ाया मदद का हाथ

पूजा के पास पर्यावरण विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से वह पारिवारिक जिम्मेदारियों में व्यस्त थीं। ऐसे समय में अदाणी समूह ने न केवल उनके पति की सेवाओं का सम्मान किया, बल्कि पूजा की योग्यता पर भरोसा करते हुए उन्हें संगठन में एक नई भूमिका दी। यह भूमिका उनके लिए एक नई शुरुआत थी — एक ऐसा मंच, जिसने उन्हें आत्मनिर्भर बनने का हौसला दिया। उनके लिए यह सिर्फ नौकरी नहीं थी, यह सहारा था।

वंश: जो कंप्यूटर स्क्रीन पर रच रहा था इतिहास

इस दौरान पूजा का बेटा वंश, जो उस वक्त केवल 14-15 साल का था, अपने कमरे में चुपचाप कुछ और ही कहानी लिख रहा था। उसे बचपन से ही कंप्यूटर से गहरी लगाव थी। जहां दूसरे बच्चे मोबाइल गेम या क्रिकेट में मस्त थे, वंश कंप्यूटर के सिस्टम और कोड्स में डूबा रहता था। धीरे-धीरे उसकी रुचि एथिकल हैकिंग की ओर बढ़ी — यानी ऐसी हैकिंग जिसमें सिस्टम को नुकसान पहुंचाने की बजाय उसकी कमजोरियों को खोजकर सुरक्षा मजबूत की जाती है। वंश कहता है, “मैं मानता हूं कि तकनीक का इस्तेमाल जिम्मेदारी से होना चाहिए। इसे सुरक्षा देने का माध्यम बनाना चाहिए, न कि डर का।”

NASA से मिला सबसे बड़ा सम्मान

वंश ने महज 17 साल की उम्र में अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा की एक वेबसाइट में बड़ी तकनीकी खामी खोज निकाली। यह ऐसी उपलब्धि थी जिसे नासा ने खुद मान्यता दी और वंश का नाम अपने हॉल ऑफ फ़ेम में दर्ज किया। वंश उस पल को याद करते हुए कहता है, “मैं कई दिनों से टेस्ट कर रहा था। एक दिन अचानक स्क्रीन पर वह बग नजर आया। कुछ देर तक मैं बस देखता रहा, यकीन नहीं हो रहा था कि मैं ये कर पाया।” पूजा के लिए यह पल सिर्फ गर्व का नहीं था, बल्कि उन तमाम संघर्षों की जीत थी जो उन्होंने अकेले लड़ी थीं। पूजा कहती हैं, “ये सिर्फ नासा का सम्मान नहीं था, ये उस मेहनत और ईमानदारी की जीत थी जो वंश ने बिना शोर किए दिखाई थी। मेरे लिए वह पल जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि था।” दुबई में बसे हुए भारतवंशी ने कर दिया है बड़ा कमाल