New Delhi: झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित श्री सम्मेद शिखर जी, जिसे पारसनाथ के नाम से भी जाना जाता है। जैन धर्म का अनादि निधन, सबसे बढ़ा तीर्थ क्षेत्र है, जहां से 24 में से 20 तीर्थकरों के साथ कोड़ा-कोड़ी महामुनिराज भी सिद्धालय गए हैं।
New Delhi
इस तीर्थ क्षेत्र का कण-कण इतना पवित्र है कि कहा जाता है जो यहां निर्मल भावों से एक बार वंदना कर लेता है, उसको कभी नरक तिर्यंच गति का बंध नहीं होता। राष्ट्र संत महायोगी श्रमण श्री 108 विहर्ष सागर जी गुरुदेव ने पत्रकारों वार्ता में स्पष्ट कहा कि ऐसे पवित्र पावन तीर्थ पर कुछ समय से लगातार अप्रिय घटनाओं के होने से श्री सम्मेद शिखरजी तीर्थ क्षेत्र की सुरक्षा व पवित्रता पर बड़ा प्रश्न चिन्ह लग गया है।
उन्होंने कहा कि वहां पर बनी पवित्र टोंके (मंदिर रूप जहां से तीर्थंकर मोक्ष गए) पर हजारों लोग घूमने, मस्ती करने की भावना से चढ़ते है, जूते-चप्पल उन चरणों पर लेकर खड़े होकर, फोटो शूट कराते दिखे, वही चरण, जिन पर मस्तक रखकर हर व्यक्ति अपने को धन्य समझता है। साथ ही वहां पर पवित्र पारसनाथ की तलहटी में मंदिरों के बीच मांस पकाते भी फुटेज में कैद हुए। ऐसे पवित्र तीर्थ पर मांस मदिरा जहां बिल्कुल निषेध होनी चाहिए।
International: नोएडा-ग्रेटर नोएडा में निवेश करें आस्ट्रेलियाई कंपनियां: रितु माहेश्वरी
देश–दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें।