चीन पूरी दुनिया में अपनी बादशाहत कायम करना चाहता है। शायद इसीलिए वह दुनिया के देशों को डरा रहा है। ताइवान के मसले पर अमेरिका को धमकी देने के बाद ड्रैगन ने भारत को भी धमकाया है। चीन ने कहा, अमेरिका के नक्शेकदम पर न चले भारत, ताइवान से दूर रहे।
अमेरिकी हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा के एक दिन बाद दो वैश्विक महाशक्तियों अमेरिका और चीन के बीच वाकयुद्ध चल रहा है। इन सब के बीच कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को एक अहम सुझाव दिया है। कांग्रेस सांसद तिवारी ने कहा कि स्पीकर बिरला को भी एक संसदीय प्रतिनिधिमंडल लेकर ताइवान जाना चाहिए। कुछ घंटे बाद, एक अन्य दिग्गज कांग्रेसी नेता शशि थरूर ने भी चीन के खिलाफ भारत के स्टैंड को लेकर बड़ी बात कही। भारतीय नेताओं की इस तरह की बयानबाजी से ड्रैगन बुरी तरह बौखला गया है। उसने अब भारत को चेतावनी दी है कि वह अमेरिका के नक्शेकदम पर न चले, ताइवान से दूर रहे।
नई दिल्ली स्थित चीनी दूतावास ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि भारत एक चीन नीति पर कायम रहे और ताइवान से दूरी बनाए रखे। चीनी दूतावास ने कहा कि एक चीन नीति अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए साझा सहमति का सिद्धांत है। इसमें भारत भी आता है और चीन के दूसरे देशों के साथ संबंध विकसित करने का मूल आधार है।
लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा ऐतिहासिक है। जैसा कि राष्ट्रपति जो बाइडेन ने शी जिनपिंग से कहा है कि संसद सरकार की एक शाखा के समान है। उसी तरह आपके नेतृत्व में एक भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल को भी ताइवान की यात्रा पर विचार करना चाहिए। इसके साथ ही कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने एक टीवी चौनल से बातचीत में कहा कि अगर चीन भारत के साथ दुर्व्यवहार करता है तो भारत के पास ताइवान कार्ड तैयार होना चाहिए। थरूर ने एक टीवी चैनल से कहा कि अगर चीन हमारे साथ दुर्व्यवहार करता है, तो यह उन कार्डों में से एक है, जिसे हम यह दिखाने के लिए खेल सकते हैं कि हम ताइवान के साथ अपने संपर्क के स्तर को अपग्रेड करने के लिए तैयार हैं।