सैय्यद अबू साद
Rajasthan Tourism : राजस्थान। यूं तो समर विकेशन में लोग ठंडी जगहों पर घूमना जाना पसंद करते हैं। उसके लिए उत्तराखंड या हिमाचल का रुख करते हैं, लेकिन राजस्थान की एक जगह ऐसी है, जहां लोग गर्मियों की छुट्टी में घूमना खूब पसंद करते हैं। राजस्थान का नाम सुनते ही सुंदर महल, रंगीन पोशाकें और सुनहरे रेगिस्तान पर बने ऊँचे रेतीले टीलों की तस्वीर सामने आ जाती है। लेकिन राजस्थान के राजसी खजाने से एक और नगीना भी है जो अक्सर नजरअंदाज हो जाता है, वो है माउंट आबू। राजस्थान की चिलचिलाती गर्मी में एक ठंडी हवा का झोंका है माउंट आबू। राजस्थान का अपना हिल स्टेशन। माउंट आबू समर विकेशन में घूमने के लिए अच्छी जगह है ही, आप अपने जयपुर, उदयपुर या राजस्थान के टूर पर जाते हुए भी यहाँ का चक्कर लगा सकते हैं।
Rajasthan Tourism :
जी हां, राजस्थान का यह हिल स्टेशन है माउंट आबू, जहां लोगों की भीड़ लगभग हर मौसम में देखने को मिल जाती है। सिरोही के महाराजा ने एक जमाने में माउंट आबू को राजपुताना मुख्यालय के लिए अंग्रेजों को पट्टे पर दे दिया था। ब्रिटिश शासन में ये जगह गर्मी से बचने के लिए अंग्रेजों का पसंदीदा जगह हुआ करती थी। चलिए आपको इस पहाड़ी जगह के बारे में कुछ और अच्छी चीजें बताते हैं।
अचलगढ़ किला
माउंट आबू में अचलगढ़ किला हर किसी के लिए एक आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। किले की खूबसूरती ऐसी है कि उससे पूरे हिल स्टेशन में एक रौनक सी आ जाती है। ये किला मवाद राणा कुंभ ने बनवाया था। बता दें, ये किला एक पहाड़ी पर मौजूद है, यहां से आप जगह का कोना-कोना देख सकते हैं। किले में अचलेश्वर महादेव मंदिर है, जो भक्तों के बीच खास जगह बनाए हुए है। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर में उनके पैरों के निशान हैं, जिसे देखने के लिए लोगों का यहां जमावड़ा लगा रहता है।
नक्की झील
कहते हैं इस झील को देवताओं ने अपने नाखूनों से खोदा था, सुनने में है न कितना दिलचस्प। नक्की झील का पानी सर्दियों में जम जाता है, देखने में आपको ऐसा लगेगा जैसे कोई चादर बिछी हो। वहीं गर्मियों में इसका किनारा ठंड का अहसास देता है। ऊंची पहाड़ी पर मौजूद ये झील खूबसूरती का एक अनोखा नमूना है। माउंट आबू के बीचों-बीच बनी ये झील यहा का मुख्य आकर्षण है। चारों तरफ से अरावली पहाड़ियों से घिरी इस झील में बोटिंग करने का मजा ही अलग है। परिवार वालों के साथ मस्ती करने का प्लान हो या अपने पार्टनर के साथ एक रोमांटिक शाम बितानी हो, ये जगह सभी को पसंद आती है।
टॉड रॉक
नक्की झील से ही रास्ता जाता है माउंट आबू के दूसरे आकर्षण टोड रॉक की ओर। इस पहाड़ का आकार मेंढक की तरह ही दिखता है, इसलिए ही इसका नाम टोड रॉक है। आप जब भी इस पत्थर को देखेंगे, तो इसकी आकृति आपको एक मेंढक जैसी लगेगी। ऐसा लगेगा, जैसे ये अभी मेंढक नदी में कूदने को तैयार हो। यहां से आप नक्की झील और अरावली का पहाड़ियों का नजारा देख सकते हैं। लेकिन हां, यहां पहुंचने के लिए थोड़ी सी चढ़ाई करनी होगी तो ट्रेकिंग के शौकीन ये जगह अपनी लिस्ट में जरूर जोड़ लें। ऐसी चीज को देखकर आप प्रकृति को थैंक्यू कहना नहीं भूलेंगे। यही नहीं, यहां एक नन रॉक भी है।
सूर्यास्त व सूर्याेदय प्वाइंट
आपने कई हिल स्टेशन पर सूर्याेदय और सूर्यास्त प्वाइंट तो जरूर देखा होगा, लेकिन यहां की पहाड़ी जगह से सूर्याेदय और सूर्यास्त को देखने का एक अलग ही मजा है। बता दें, इस मस्त से नजारे को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। मतलब राजस्थान के रंग-बिरंगे शहर और ऐसा मंत्रमुग्ध कर देने वाला नजर आपको किसी जन्नत से कम नहीं लगेगा।
माउंट आबू अभ्यारण्य
राजस्थान में वन्यजीव अभ्यारण्यों की कमी नहीं है। इनमें से यह एक महत्वपूर्ण अभ्यारण्य है मांण्ट आबू अभ्यारण्य। अरावली की सबसे प्राचीन पर्वतमाला के पार यह अभ्यारण्य काफी बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। बड़ी संख्या में वन्यजीव यहां है। माउंट आबू में आने वाले दर्शकों के लिए इस अभ्यारण्य में विभिन्न प्रजाति के पेड़-पौधे, फूलों के वृक्ष तथा विविध पक्षियों की प्रजातियां भी देखी जा सकती हैं.। यह लुप्तप्राय पशुओं का घर है। इसमें गीदड़, भालू, जंगली सुअर, लंगूर, साल (बड़ी छिपकली), खरगोश, नेवला, कांटेदार जंगली चूहा आदि भी पाए जाते हैं। लगभग 250 प्रकार के पक्षी भी इस अभ्यारण्य को पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग बनाते हैं।
पीस पार्क
अरावली पवर्तमाता की दो प्रसिद्ध चोटियों गुरू शिखर और अचलगढ़ के बीच में बसा है पीस पार्क, जो कि ब्रह्म कुमारियों के प्रतिष्ठानका एक भाग है। यह पार्क शांतिपूर्ण परिवेश और प्रशांत और निस्तब्ध वातावरण के साथ ही सुन्दर पृष्ठभूमि में सुकून भरा जीवन प्रदान करता है। इस पार्क का एक निर्देशित ट्यूर ब्रह्म कुमारियों द्वारा भी कराया जाता है और आप एक छोटी विडियों फिल्म भी देख सकते हैं, जिसमें योगा और ध्यान लगाने के मनोरंजक तरीके बताए गए हैं।
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गुरु शिखर
ये माउंट आबू और पूरे अरावली श्रृंखला की सबसे ऊंची पहाड़ी है। समुद्रतल से 1772 मीटर की ऊंचाई पर बनी इस पहाड़ी पर गुरू दत्तात्रेया का मंदिर भी है। इसके अलावा इस पहाड़ी पर बना चंडी, शिवा और मीरा मंदिर भी श्रद्धालु यात्रियों को यहां खीच लाता है। इस पहाड़ी से आप पूरे माउंट आबू को एक नजर में देख सकते हैं।
देलवाड़ा जैन मंदिर
माउंट आबू में धर्म और वास्तुकला का नायाब संगम देखने के लिए देलवाड़ा जैन मंदिर से बेहतर कोई जगह नहीं है। ये पाँच मंदिर अलग- अलग समय पर 5 जैन तीर्थंकर को समर्पित किए गए हैं। श्री महावीर स्वामी मंदिर, श्री आदिनाथ मंदिर, श्री पार्श्वनाथ मंदिर, श्री ऋषभदोओजी मंदिर और श्री नेमी नाथ जी मंदिर, सभी जगह पर संगमरमर पर की गई बारीक कारीगरी आपको हैरान कर देगी। राजस्थान में माउंट आबू की हरी-भरी अरावली पहाड़ियों के बीच स्थित दिलवाड़ा मंदिर जैनियों के लिए सबसे खूबसूरत तीर्थ स्थल है। वास्तुपाल तेजपाल द्वारा डिजाइन किया गया और 11 वीं और 13 वीं शताब्दी के बीच विमल शाह द्वारा निर्मित, यह मंदिर अपने संगमरमर और जटिल नक्काशी की वजह से बेहद प्रसिद्ध है। बाहर से, दिलवाड़ा मंदिर काफी भव्य दिखता है, लेकिन एक बार जब आप अंदर प्रवेश करेंगे, तो यहां की छतों, दीवारों, मेहराबों और खंभों पर की गई डिजाइनिंग को देखकर आप आकर्षित हो जाएंगे।
श्री रघुनाथ मंदिर
माउंट आबू में श्री रघुनाथ मंदिर एक ऐसा स्थान है जो आपके घूमने के स्थलों की सूची में जरूर होना चाहिए। श्री रघुनाथ जी मंदिर भगवान विष्णु के अवतार को समर्पित माउंट आबू में नक्की झील के तट पर 650 साल पुराना मंदिर है। यह भव्य मंदिर 14 वीं शताब्दी में बनाया गया था और मुख्य रूप से वैष्णव, जो विष्णु धर्म के अनुयायी हैं इस मंदिर में दर्शन करने के लिए जरूर आते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में दर्शन करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। मंदिर की स्थापत्य शैली की बात करें तो यह काफी हद तक मेवाड़ की विरासत को दर्शाता है।
ब्रह्मकुमारी आश्रम
माउंट आबू में ही अध्यात्मिक समुदाय ब्रह्मकुमारी का मुख्यालय भी है। मधुबन, शांतिवन, ओम शांति रिट्रीट सेंटर और शांति सरोवर के साथ यहाँ पर 4 भाग हैं, जिनमें कुछ वक्त बिताकर आप अध्यात्म से जुड़ सकते हैं।
महाराणा प्रताप ने यहां गुजारे दो वर्ष
ढेर सारे दर्शनीय स्थल देखने के अलावा ये भी जानना महत्वपूर्ण है कि महाराणा प्रताप ने अपने जीवन के दो साल माउंट आबू के घने जंगलों में बिताए थे। इस दौरान वे गुरुशिखर से नीचे की ओर स्थित शेरगांव में रहे, जिस गुफा में वे रहे वह आज भी यहां मौजूद है और इसे भैरुगुफा के नाम से जाना जाता है। गुरु शिखर से उत्तर दिशा की ओर टेढ़े-मेढ़े रास्तों और घने जंगलों के बीच यह गुफा ऐसे स्थान पर है, जहां आज भी जाने में डर लगता है। घना जंगल होने से यहां बहुत ही कम लोग ही पहुंच पाते हैं। यह वह समय था जब महाराणा प्रताप बुरे दौर से गुजर रहे थे और अकबर के भय से किसी ने भी उनकी न तो मदद की और ना ही शरण दी। ऐसे में सिरोही के नरेश महाराव सुरताण ने उनकी मदद की और उन्हें सुरक्षित शेरगांव के जंगलों में पहुंचा दिया। महाराणा प्रताप यहां करीब दो साल तक रहे।
माउंट आबू कैसे पहुंचे
– हवाई यात्रा से जाना चाहते हैं, तो माउंट आबू पहुंचने के लिए उदयपुर एयरपोर्ट सबसे नजदीक है। यहां से माउंट आबू तक की 185 कि.मी. की दूरी आप टैक्सी से तय कर सकते हैं।
– रेल यात्रा करना चाहते हैं, तो माउंट आबू से सबसे करीबी स्टेशन आबू रोड रेलवे स्टेशन है। स्टेशन मुख्य शहर से सिर्फ 28 कि.मी. की दूरी पर है और आपको यहां से आसानी से बस या टैक्सी मिल जाएगी।
– सड़क यात्रा से जाना चाहते हैं, तो माउंट आबू सभी बड़े शहरों से सड़क के जरिए जुड़ा हुआ है। आपको जयपुर, उदयपुर, दिल्ली और जैसलमेर से आसानी से सीधी बसें मिल जाएंगी।
माउंट आबू में होटल
माउंट आबू में रहने के लिए सस्ते से लेकर महंगे रिज़ॉर्ट सभी का विकल्प मौजूद है। यहां होटल में एक रात का किराया करीब 1000 रुपए से शुरू होता है।
माउंट आबू जाने का सही समय
यूं तो घूमने फिरने का कोई मौसम नहीं होता। समर विकेशन की छुट्टियों में यहां खूब भीड़ रहती है। मानसून में हल्की बारिश और सुहाने मौसम के बीच छुट्टियां मनाने के लिए भी माउंट आबू जाना एक अच्छा विकल्प है। वैसे अक्टूबर से मार्च के बीच यहां पीक सीजन होता है।