मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने Supreme Court में हलफनामा दायर करते हुए कहा कि मस्जिद में महिलायें पुरुषों के साथ या उनके बीच नहीं बैठ सकती हैं लेकिन अगर कोई मस्जिद कमेटी महिलाओं के लिए अलग स्थान निर्धारित करती हैं तो वे वहाँ बैठ कर नमाज पढ़ सकती हैं। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बुधवार के दिन महिलाओं के प्रवेश से जुड़ी हुई जानकारी Supreme Court में दी। लॉ बोर्ड का कहना है कि महिलाओं को मस्जिद के कॉमन एरिया में प्रवेश करने की इजाजत नहीं हैं। लेकिन मस्जिद में महिलाओं और पुरुषों के कक्ष अलग अलग बने हुए होते हैं। जहाँ पर वे शांति से बैठ कर नमाज पढ़ सकती हैं।
Supreme Court
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि धार्मिक ग्रंथों एवं मान्यताओं के अनुसार महिलाओं के मस्जिद में प्रवेश की कोई मनाही नहीं है लेकिन कॉमन एरिया या फिर प्रवेश द्वार से महिलाओं एवं पुरुषों का आपस में एक दूसरे से मिलना उचित नहीं माना गया है। Supreme Court में दायर किये गए हलफनामे में पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस बात को सम्मिलित किया है कि महिलाओं और पुरुषों की आमने सामने मुलाक़ात नहीं होनी चाहिये।
बैरीकेड्स लगाकर भी अदा करायी जा सकती है नमाज
Supreme Court में दायर किये गए हलफनामे में यह बात भी कही गयी है कि मक्का काबा में भी नमाज के दौरान महिला और पुरुष के बैठने के स्थान के बीच बैरीकैडिंग कर दी जाती है। इसलिए महिलाओं के मस्जिद में प्रवेश या नमाज पढ़ने पर कोई पाबंदी नहीं होनी चाहिये। अगर देखा जाए तो मस्जिदों में महिला और पुरुष दोनों के लिए ही अलग अलग वाशरूम एवं नहाने के स्थान की व्यवस्था होती है।
फरहा अनवर हुसैन शेख के द्वारा दायर की गयी इस याचिका में मुस्लिम महिलाओं के गरिमापूर्ण जीवन की मांग की गयी है।