हर साल गायब हो रहे हैं लाखों लोग: यूरोप का ये देश कैसे धीरे-धीरे होता जा रहा है ‘खाली’?

क्यों घट रही है आबादी?
पोलैंड की जनसंख्या घटने के पीछे कई वजहें हैं। कम जन्म दर, बढ़ती मौतें और युवाओं का प्रवास। देश में अब बच्चे कम जन्म ले रहे हैं, जबकि बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है। इसके साथ ही, बड़ी संख्या में युवा बेहतर नौकरी और उच्च वेतन के लिए ब्रिटेन, जर्मनी और अन्य EU देशों में जा रहे हैं। 2004 में जब पोलैंड यूरोपीय संघ का हिस्सा बना, तब से लाखों लोग विदेशों में बस गए। कुछ लोग लौटे जरूर हैं, लेकिन नेट माइग्रेशन (आने-जाने का फर्क) अब भी निगेटिव है।जन्म दर पहुंची ऐतिहासिक निचले स्तर पर
GUS की रिपोर्ट बताती है कि जनवरी से सितंबर 2025 के बीच सिर्फ 1,81,000 बच्चों का जन्म हुआ, जो 2024 की तुलना में करीब 11,000 कम है। देश की जन्म दर 6.5% पर आ गई है — जो अब तक के सबसे निचले स्तरों में से एक है। विशेषज्ञों का कहना है कि पोलैंड में महिलाओं की औसत प्रजनन दर (TFR) अब सिर्फ 1.11 रह गई है। यानी एक महिला अपने जीवनकाल में औसतन 1.11 बच्चे ही पैदा कर रही है। जबकि जनसंख्या को स्थिर रखने के लिए कम से कम 2.1 बच्चे जरूरी माने जाते हैं।बूढ़ा होता समाज और घटता कार्यबल
घटती जन्म दर के साथ पोलैंड का समाज तेजी से उम्रदराज़ होता जा रहा है। 1989 में जहां देश की आबादी लगभग 4 करोड़ थी, वहीं अब यह घटकर 3.73 करोड़ रह गई है। इससे सबसे बड़ा असर श्रम बाजार पर पड़ रहा है। काम करने योग्य लोगों की संख्या कम हो रही है, जबकि बुजुर्ग आबादी बढ़ रही है। इससे पेंशन प्रणाली, स्वास्थ्य सेवाओं और आर्थिक विकास पर दबाव बढ़ता जा रहा है।सरकार की कोशिशें, लेकिन असर सीमित
पोलैंड की सरकार ने जनसंख्या बढ़ाने के लिए कई फैमिली सपोर्ट और बेबी बोनस योजनाएं शुरू की हैं। परंतु विशेषज्ञों का कहना है कि इन नीतियों का असर बहुत सीमित रहा है। आज के युवा शादी और बच्चों को टाल रहे हैं, क्योंकि महंगाई, नौकरी की असुरक्षा और जीवनशैली के दबाव उन्हें परिवार शुरू करने से रोक रहे हैं। 2024 में पहली बार मां बनने की औसत उम्र 29.1 साल हो गई है, जबकि 1990 में यह 22.7 साल थी।भविष्य के लिए चेतावनी
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह प्रवृत्ति जारी रही तो आने वाले वर्षों में पोलैंड को सामाजिक, आर्थिक और जनसांख्यिकीय संकट का सामना करना पड़ सकता है। कम होती आबादी का असर शिक्षा से लेकर उद्योगों तक महसूस किया जा रहा है। यूरोप के केंद्र में स्थित यह देश अब एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहां उसे तय करना होगा कि वह अपने युवाओं और परिवारों को कैसे रोके रखे। Ayodhya Ram Temple : राम मंदिर के शिखर पर 22 फीट का नया धर्म ध्वजअगली खबर पढ़ें
क्यों घट रही है आबादी?
पोलैंड की जनसंख्या घटने के पीछे कई वजहें हैं। कम जन्म दर, बढ़ती मौतें और युवाओं का प्रवास। देश में अब बच्चे कम जन्म ले रहे हैं, जबकि बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है। इसके साथ ही, बड़ी संख्या में युवा बेहतर नौकरी और उच्च वेतन के लिए ब्रिटेन, जर्मनी और अन्य EU देशों में जा रहे हैं। 2004 में जब पोलैंड यूरोपीय संघ का हिस्सा बना, तब से लाखों लोग विदेशों में बस गए। कुछ लोग लौटे जरूर हैं, लेकिन नेट माइग्रेशन (आने-जाने का फर्क) अब भी निगेटिव है।जन्म दर पहुंची ऐतिहासिक निचले स्तर पर
GUS की रिपोर्ट बताती है कि जनवरी से सितंबर 2025 के बीच सिर्फ 1,81,000 बच्चों का जन्म हुआ, जो 2024 की तुलना में करीब 11,000 कम है। देश की जन्म दर 6.5% पर आ गई है — जो अब तक के सबसे निचले स्तरों में से एक है। विशेषज्ञों का कहना है कि पोलैंड में महिलाओं की औसत प्रजनन दर (TFR) अब सिर्फ 1.11 रह गई है। यानी एक महिला अपने जीवनकाल में औसतन 1.11 बच्चे ही पैदा कर रही है। जबकि जनसंख्या को स्थिर रखने के लिए कम से कम 2.1 बच्चे जरूरी माने जाते हैं।बूढ़ा होता समाज और घटता कार्यबल
घटती जन्म दर के साथ पोलैंड का समाज तेजी से उम्रदराज़ होता जा रहा है। 1989 में जहां देश की आबादी लगभग 4 करोड़ थी, वहीं अब यह घटकर 3.73 करोड़ रह गई है। इससे सबसे बड़ा असर श्रम बाजार पर पड़ रहा है। काम करने योग्य लोगों की संख्या कम हो रही है, जबकि बुजुर्ग आबादी बढ़ रही है। इससे पेंशन प्रणाली, स्वास्थ्य सेवाओं और आर्थिक विकास पर दबाव बढ़ता जा रहा है।सरकार की कोशिशें, लेकिन असर सीमित
पोलैंड की सरकार ने जनसंख्या बढ़ाने के लिए कई फैमिली सपोर्ट और बेबी बोनस योजनाएं शुरू की हैं। परंतु विशेषज्ञों का कहना है कि इन नीतियों का असर बहुत सीमित रहा है। आज के युवा शादी और बच्चों को टाल रहे हैं, क्योंकि महंगाई, नौकरी की असुरक्षा और जीवनशैली के दबाव उन्हें परिवार शुरू करने से रोक रहे हैं। 2024 में पहली बार मां बनने की औसत उम्र 29.1 साल हो गई है, जबकि 1990 में यह 22.7 साल थी।भविष्य के लिए चेतावनी
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह प्रवृत्ति जारी रही तो आने वाले वर्षों में पोलैंड को सामाजिक, आर्थिक और जनसांख्यिकीय संकट का सामना करना पड़ सकता है। कम होती आबादी का असर शिक्षा से लेकर उद्योगों तक महसूस किया जा रहा है। यूरोप के केंद्र में स्थित यह देश अब एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहां उसे तय करना होगा कि वह अपने युवाओं और परिवारों को कैसे रोके रखे। Ayodhya Ram Temple : राम मंदिर के शिखर पर 22 फीट का नया धर्म ध्वजसंबंधित खबरें
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