हर साल गायब हो रहे हैं लाखों लोग: यूरोप का ये देश कैसे धीरे-धीरे होता जा रहा है ‘खाली’?

हर साल गायब हो रहे हैं लाखों लोग: यूरोप का ये देश कैसे धीरे-धीरे होता जा रहा है ‘खाली’?
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 02:29 AM
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यूरोप का खूबसूरत देश पोलैंड (Poland) आज एक बड़े जनसांख्यिकीय संकट का सामना कर रहा है। देश की आबादी लगातार घट रही है। पोलैंड के सरकारी सांख्यिकी कार्यालय (GUS) के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, पिछले एक साल में देश की जनसंख्या 1,58,000 लोगों से कम हुई है। सितंबर 2025 के अंत तक पोलैंड की आबादी लगभग 37.38 मिलियन रह गई है। यानी सिर्फ आंकड़ों में नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक रूप से भी यह गिरावट एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है।

क्यों घट रही है आबादी?

पोलैंड की जनसंख्या घटने के पीछे कई वजहें हैं। कम जन्म दर, बढ़ती मौतें और युवाओं का प्रवास। देश में अब बच्चे कम जन्म ले रहे हैं, जबकि बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है। इसके साथ ही, बड़ी संख्या में युवा बेहतर नौकरी और उच्च वेतन के लिए ब्रिटेन, जर्मनी और अन्य EU देशों में जा रहे हैं। 2004 में जब पोलैंड यूरोपीय संघ का हिस्सा बना, तब से लाखों लोग विदेशों में बस गए। कुछ लोग लौटे जरूर हैं, लेकिन नेट माइग्रेशन (आने-जाने का फर्क) अब भी निगेटिव है।

जन्म दर पहुंची ऐतिहासिक निचले स्तर पर

GUS की रिपोर्ट बताती है कि जनवरी से सितंबर 2025 के बीच सिर्फ 1,81,000 बच्चों का जन्म हुआ, जो 2024 की तुलना में करीब 11,000 कम है। देश की जन्म दर 6.5% पर आ गई है — जो अब तक के सबसे निचले स्तरों में से एक है। विशेषज्ञों का कहना है कि पोलैंड में महिलाओं की औसत प्रजनन दर (TFR) अब सिर्फ 1.11 रह गई है। यानी एक महिला अपने जीवनकाल में औसतन 1.11 बच्चे ही पैदा कर रही है। जबकि जनसंख्या को स्थिर रखने के लिए कम से कम 2.1 बच्चे जरूरी माने जाते हैं।

बूढ़ा होता समाज और घटता कार्यबल

घटती जन्म दर के साथ पोलैंड का समाज तेजी से उम्रदराज़ होता जा रहा है। 1989 में जहां देश की आबादी लगभग 4 करोड़ थी, वहीं अब यह घटकर 3.73 करोड़ रह गई है। इससे सबसे बड़ा असर श्रम बाजार पर पड़ रहा है। काम करने योग्य लोगों की संख्या कम हो रही है, जबकि बुजुर्ग आबादी बढ़ रही है। इससे पेंशन प्रणाली, स्वास्थ्य सेवाओं और आर्थिक विकास पर दबाव बढ़ता जा रहा है।

सरकार की कोशिशें, लेकिन असर सीमित

पोलैंड की सरकार ने जनसंख्या बढ़ाने के लिए कई फैमिली सपोर्ट और बेबी बोनस योजनाएं शुरू की हैं। परंतु विशेषज्ञों का कहना है कि इन नीतियों का असर बहुत सीमित रहा है। आज के युवा शादी और बच्चों को टाल रहे हैं, क्योंकि महंगाई, नौकरी की असुरक्षा और जीवनशैली के दबाव उन्हें परिवार शुरू करने से रोक रहे हैं। 2024 में पहली बार मां बनने की औसत उम्र 29.1 साल हो गई है, जबकि 1990 में यह 22.7 साल थी।

भविष्य के लिए चेतावनी

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह प्रवृत्ति जारी रही तो आने वाले वर्षों में पोलैंड को सामाजिक, आर्थिक और जनसांख्यिकीय संकट का सामना करना पड़ सकता है। कम होती आबादी का असर शिक्षा से लेकर उद्योगों तक महसूस किया जा रहा है। यूरोप के केंद्र में स्थित यह देश अब एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहां उसे तय करना होगा कि वह अपने युवाओं और परिवारों को कैसे रोके रखे। Ayodhya Ram Temple : राम मंदिर के शिखर पर 22 फीट का नया धर्म ध्वज
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हर साल गायब हो रहे हैं लाखों लोग: यूरोप का ये देश कैसे धीरे-धीरे होता जा रहा है ‘खाली’?
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यूरोप का खूबसूरत देश पोलैंड (Poland) आज एक बड़े जनसांख्यिकीय संकट का सामना कर रहा है। देश की आबादी लगातार घट रही है। पोलैंड के सरकारी सांख्यिकी कार्यालय (GUS) के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, पिछले एक साल में देश की जनसंख्या 1,58,000 लोगों से कम हुई है। सितंबर 2025 के अंत तक पोलैंड की आबादी लगभग 37.38 मिलियन रह गई है। यानी सिर्फ आंकड़ों में नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक रूप से भी यह गिरावट एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है।

क्यों घट रही है आबादी?

पोलैंड की जनसंख्या घटने के पीछे कई वजहें हैं। कम जन्म दर, बढ़ती मौतें और युवाओं का प्रवास। देश में अब बच्चे कम जन्म ले रहे हैं, जबकि बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है। इसके साथ ही, बड़ी संख्या में युवा बेहतर नौकरी और उच्च वेतन के लिए ब्रिटेन, जर्मनी और अन्य EU देशों में जा रहे हैं। 2004 में जब पोलैंड यूरोपीय संघ का हिस्सा बना, तब से लाखों लोग विदेशों में बस गए। कुछ लोग लौटे जरूर हैं, लेकिन नेट माइग्रेशन (आने-जाने का फर्क) अब भी निगेटिव है।

जन्म दर पहुंची ऐतिहासिक निचले स्तर पर

GUS की रिपोर्ट बताती है कि जनवरी से सितंबर 2025 के बीच सिर्फ 1,81,000 बच्चों का जन्म हुआ, जो 2024 की तुलना में करीब 11,000 कम है। देश की जन्म दर 6.5% पर आ गई है — जो अब तक के सबसे निचले स्तरों में से एक है। विशेषज्ञों का कहना है कि पोलैंड में महिलाओं की औसत प्रजनन दर (TFR) अब सिर्फ 1.11 रह गई है। यानी एक महिला अपने जीवनकाल में औसतन 1.11 बच्चे ही पैदा कर रही है। जबकि जनसंख्या को स्थिर रखने के लिए कम से कम 2.1 बच्चे जरूरी माने जाते हैं।

बूढ़ा होता समाज और घटता कार्यबल

घटती जन्म दर के साथ पोलैंड का समाज तेजी से उम्रदराज़ होता जा रहा है। 1989 में जहां देश की आबादी लगभग 4 करोड़ थी, वहीं अब यह घटकर 3.73 करोड़ रह गई है। इससे सबसे बड़ा असर श्रम बाजार पर पड़ रहा है। काम करने योग्य लोगों की संख्या कम हो रही है, जबकि बुजुर्ग आबादी बढ़ रही है। इससे पेंशन प्रणाली, स्वास्थ्य सेवाओं और आर्थिक विकास पर दबाव बढ़ता जा रहा है।

सरकार की कोशिशें, लेकिन असर सीमित

पोलैंड की सरकार ने जनसंख्या बढ़ाने के लिए कई फैमिली सपोर्ट और बेबी बोनस योजनाएं शुरू की हैं। परंतु विशेषज्ञों का कहना है कि इन नीतियों का असर बहुत सीमित रहा है। आज के युवा शादी और बच्चों को टाल रहे हैं, क्योंकि महंगाई, नौकरी की असुरक्षा और जीवनशैली के दबाव उन्हें परिवार शुरू करने से रोक रहे हैं। 2024 में पहली बार मां बनने की औसत उम्र 29.1 साल हो गई है, जबकि 1990 में यह 22.7 साल थी।

भविष्य के लिए चेतावनी

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह प्रवृत्ति जारी रही तो आने वाले वर्षों में पोलैंड को सामाजिक, आर्थिक और जनसांख्यिकीय संकट का सामना करना पड़ सकता है। कम होती आबादी का असर शिक्षा से लेकर उद्योगों तक महसूस किया जा रहा है। यूरोप के केंद्र में स्थित यह देश अब एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहां उसे तय करना होगा कि वह अपने युवाओं और परिवारों को कैसे रोके रखे। Ayodhya Ram Temple : राम मंदिर के शिखर पर 22 फीट का नया धर्म ध्वज
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गूगल मैप की इन तीन सेटिंग से नहीं मिलेंगे ऊबड़-खाबड़ रास्ते, करें ट्राई

Google Map1
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calendar10 Apr 2024 07:11 PM
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Google Maps :  अगर आपको कही जाना हो और रास्ता न पता हो तो आप गूगल मैप का विकल्प ही चुनते हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि आप ऐसे रास्ते जा पहुंचते है, जहां गाड़ी का जाना मुश्किल होता है। फिर आप यही सोचते हो गूगल मैप आपको कहीं का कहीं पहुंचा देता है। तो ऐसे में आप उसपर भरोसा करना बंद कर देते है, लेकिन अब हम आपको बता दें गूगल मैप आपके साथ ऐसा नहीं करेगा। अब आपको गूगल मैप ऊबड़-खाबड़ रास्तों तक नहीं पहुंचाएगा। जी हां, बस इसके लिए गूगल मैप पर ये तीन सेटिंग करनी पड़ेगी। इसके बाद आप बिना  ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर जाएं आपना सफर तय कर सकते हो....

ये तीन सेटिंग करलें तुरंत

अक्सर आप अगर गूगल मैप का इस्तेमाल करते हुए फंस जाते हैं, जिसके बाद आप और निराश हो जाते हैं, लेकिन इसके कई कारण हो सकते हैं। इसमें सबसे पहले आपके ऐप का अपडेट नहीं होना है, फोन में डेटा कम होना और सही लोकेशन का चयन नहीं होना है। ऐसे में अगर सब कुछ ठीक से काम करता है तो ऐसी सिचुएशन में ये तीन सेटिंग्स आपकी मदद करती है। इसके लिए हमेशा नेविगेट करते वक्त सही मोड का चुनाव करें। नेविगेशन सेटिंग्स में अवॉइड हाईवे का ऑप्शन सलेक्ट करें और इसे बंद कर दें। iPhone सेटिंग्स में लोकेशन सर्विस का ऑप्शन का चयन करें और प्रिसाइस लोकेशन ऑन करें। इसके बाद अगर आप गूगल मैप का इस्तेमाल करते है तो कभी रास्तों पर फंसेंगे नहीं।

सही व्हीकल चुनें

इसके लिए जब भी लोकेशन चेक कर रहे हों तो सबसे पहले अपनी सही व्हीकल मोड को चुनें, जैसे अगर आप गाड़ी से जा रहे हैं तो ऊपर दिए गए गाड़ी मोड के ऑप्शन पर क्लिक करें। इसी तरह आप अपने हिसाब से बस, बाइक जैसे ऑप्शन भी चुन सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि गूगल मैप आपके व्हीकल के हिसाब से रास्ता नेविगेट करता है। अगर आप गाड़ी से हैं और आपने पैदल मोड पर क्लिक किया हुआ है तो जाहिर है कि आपकी गाड़ी आगे जाकर फंस सकती है। क्योंकि गूगल मैप ने आपको गलियों से गुजरते हुए पैदल चलने का रास्ता दिखाएगा। ऐसे में आप उस रास्ते से गाड़ी से नहीं चल सकते। इसलिए हमेशा जिस व्हीकल से चल रहे हैं हमें उसी पर सलेक्ट करना चाहिए।

Google Maps

गूगल मैप्स में हाइवे वाले रूट

इसके अलावा अगर आप खराब गलियों के बजाय केवल हाइवे वाले रूट्स से जाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको गूगल मैप्स में राइट कॉर्नर पर दिए प्रोफाइल के ऑप्शन पर टैप करना होगा। इसपर सेटिंग पर जाएं यहां आपको नेविगेशन का ऑप्शन नजर आएगा। इस पर क्लिक करने पर आपको अवॉइड हाइवे का ऑप्शन दिखेगा। जिसके बाद इसे डिसेबल कर दें। फिर आपको गूगल मैप पर सारे हाइवे वाले रूट्स ही दिखाएगा।

तीसरी सेटिंग ऐसे करें

गूगल मैप की तीसरी सेटिंग के लिए अपने आईफोन की सेटिंग में जाएं और प्राइवेसी एंड सिक्योरिटी पर क्लिक करें। इसके बाद लोकेशन सर्विस पर जाकर टैप करें। यहां प्रिसाइस लोकेशन को ऑन कर दें। यह सेटिंग आपके रास्ते को आसान बना देगी। Google Maps

पंडित धीरेंद्र शास्त्री को मिली ‘सिर तन से जुदा’ करने की धमकी

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