भारत बना दुनिया का सबसे बड़ा प्रवासी भेजने वाला देश

भारत दुनिया का सबसे बड़ा प्रवासी भेजने वाला देश बन चुका है जिसमें संयुक्त राष्ट्र की अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन रिपोर्ट 2024 के मुताबिक, भारत इस सूची में पहले स्थान पर है। हर साल करीब 2 लाख भारतीय नागरिकता त्याग रहे हैं। पिछले 5 वर्षों में लगभग 9 लाख भारतीय अपने देश की नागरिकता छोड़ चुके हैं।

UN Migration Report
दुनिया के प्रवासी नक्शे में भारत सबसे ऊपर (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar18 Dec 2025 05:16 PM
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आज की दुनिया में लोगों का अपने देश को छोड़कर दूसरे देशों में बसना एक आम बात हो गई है। बेहतर नौकरी, उच्च शिक्षा, सुरक्षित जीवन, अधिक आय और बेहतर सुविधाएँ पाने की चाह में लोग अपने जन्मस्थान से दूर जाने को मजबूर हैं। इस प्रक्रिया को प्रवासन कहा जाता है, और जिन लोगों को यह निर्देशित करता है, उन्हें प्रवासी कहा जाता है। बता दें कि हर साल 18 दिसंबर को पूरी दुनिया में 'अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस' मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य प्रवासियों के योगदान को सम्मानित करना और उनके सामने आने वाली चुनौतियों पर जागरूकता फैलाना है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, आज दुनिया में लगभग 27 करोड़ 20 लाख यानी 272 मिलियन लोग अपने देश से बाहर रह रहे हैं। इनमें से कई मजबूरी में विस्थापित भी हैं, जो रोज नई परेशानियों का सामना कर रहे हैं। 

किस देश के लोग सबसे अधिक छोड़ रहे हैं अपना मुल्क?

संयुक्त राष्ट्र की 'अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन रिपोर्ट 2024' के अनुसार, भारत दुनिया का सबसे बड़ा प्रवासी भेजने वाला देश बन गया है। पिछले कुछ वर्षों में, भारत से लगभग 1 करोड़ 81 लाख लोग विदेशों में बस चुके हैं। भारतीय पेशेवरों, विद्यार्थियों और मजदूरों की विश्वभर में जबरदस्त मांग के कारण यह संख्या लगातार बढ़ रही है। दूसरे स्थान पर मेक्सिको है, जहां करीब 1 करोड़ 12 लाख नागरिक विदेशों में रहते हैं। रूस (1 करोड़ 8 लाख), चीन (1 करोड़ 5 लाख), बांग्लादेश (78 लाख), फिलीपींस (65 लाख), यूक्रेन (61 लाख), पाकिस्तान (60 लाख), इंडोनेशिया (45 लाख) और नाइजीरिया (20 लाख) भी प्रमुख देश हैं, जहां से बड़ी संख्या में लोग बेहतर जीवन, आर्थिक अवसर और शिक्षा के लिए विदेशों का रुख करते हैं।

भारत किस पायदान पर है?

बता दें कि भारत में नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। हर साल करीब 2 लाख भारतीय नागरिकता त्याग रहे हैं। पिछले 5 वर्षों में लगभग 9 लाख भारतीय अपने देश की नागरिकता छोड़ चुके हैं। इसका मुख्य कारण विदेशों में बेहतर जीवन स्तर, अधिक वेतन वाली नौकरियों, उच्च शिक्षा और रिसर्च के अवसर हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2011 से 2024 तक, भारत से 20 लाख से अधिक नागरिक विदेश जाकर बस चुके हैं। 2022 में रिकॉर्ड 2.25 लाख लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ी, तो 2023 में यह संख्या 2.16 लाख पहुंच गई। 2024 के आंकड़े अभी आना बाकी हैं, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि यह संख्या और भी बढ़ सकती है।

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ईपीएस-95 : 7500 रुपये न्यूनतम पेंशन देने में क्यों हो रही देरी

पेंशनर्स की प्रमुख मांग है कि न्यूनतम पेंशन को 7,500 रुपये किया जाए, साथ ही महंगाई भत्ता, बेहतर फैमिली पेंशन और मुफ्त चिकित्सा सुविधा भी दी जाए। लेकिन अब तक सरकार की ओर से इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।

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ईपीएफओ
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar18 Dec 2025 03:50 PM
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पीएस-95 पेंशन योजना : ईपीएस-95 पेंशन योजना से जुड़े लाखों सेवानिवृत्त कर्मचारी कई वर्षों से न्यूनतम पेंशन बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। वर्तमान में उन्हें केवल 1,000 रुपये मासिक पेंशन मिलती है, जो आज की महंगाई में पर्याप्त नहीं मानी जा रही। पेंशनर्स की प्रमुख मांग है कि न्यूनतम पेंशन को 7,500 रुपये किया जाए, साथ ही महंगाई भत्ता, बेहतर फैमिली पेंशन और मुफ्त चिकित्सा सुविधा भी दी जाए। लेकिन अब तक सरकार की ओर से इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।

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श्राप या संयोग: 200 साल बाद भी क्यों नहीं बसा कुलधरा

राजस्थान के जैसलमेर शहर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर रेगिस्तान के बीच बसा कुलधरा गांव आज भी रहस्य, इतिहास और सन्नाटे की कहानी कहता है। यह गांव बीते करीब 200 वर्षों से पूरी तरह वीरान पड़ा है। मान्यता है कि यहां रहने वाले लोग एक ही रात में गांव छोड़कर चले गए थे और फिर कभी लौटकर नहीं आए।

Kuldhara village in Rajasthan
इतिहास और लोककथाओं के बीच कुलधरा गांव (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar18 Dec 2025 03:37 PM
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बता दें कि वर्तमान में कुलधरा गांव भारतीय पुरातत्व विभाग की निगरानी में है। स्थानीय परंपराओं और लोककथाओं के अनुसार, करीब दो शताब्दी पहले जब जैसलमेर एक रियासत हुआ करता था, तब कुलधरा उसका सबसे समृद्ध गांव माना जाता था। यहां पालीवाल ब्राह्मण समुदाय निवास करता था और यह गांव रियासत को सबसे अधिक राजस्व देने वाला क्षेत्र था। गांव में उत्सव, पारंपरिक नृत्य और संगीत कार्यक्रम आम बात थे।

कहानी जैसलमेर रियासत की

कुलधरा के उजड़ने की कहानी जैसलमेर रियासत के तत्कालीन दीवान सालिम सिंह से जुड़ी बताई जाती है। लोककथाओं के अनुसार, गांव की एक अत्यंत सुंदर युवती पर सालिम सिंह की नजर पड़ गई और उसने उससे विवाह करने की जिद कर दी। सालिम सिंह को एक क्रूर और अत्याचारी शासक के रूप में जाना जाता था। गांव वालों ने उसके प्रस्ताव को ठुकरा दिया, लेकिन उन्हें यह भी डर था कि इंकार करने पर वह गांव में भारी अत्याचार कर सकता है। परंपरा के अनुसार, गांव के मंदिर के पास स्थित चौपाल में पंचायत बुलाई गई। पंचायत में यह निर्णय लिया गया कि बेटी और गांव के सम्मान की रक्षा के लिए वे अपना गांव ही छोड़ देंगे। उसी रात पूरा गांव—अपने मवेशी, अनाज, कपड़े और जरूरी सामान के साथ—कुलधरा छोड़कर चला गया। इसके बाद यह गांव कभी आबाद नहीं हो सका।

समृद्ध अतीत की झलक

आज कुलधरा में पत्थरों से बने घरों की कतारें खंडहर में तब्दील हो चुकी हैं, लेकिन चूल्हे, बैठने की जगहें और पानी के घड़े रखने के स्थान अब भी मौजूद हैं, जो यहां के समृद्ध अतीत की झलक देते हैं। खुला रेगिस्तानी इलाका और सरसराती हवा यहां के सन्नाटे को और भी भयावह बना देती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि रात के समय खंडहरों में कदमों की आहट सुनाई देती है। यह भी मान्यता है कि कुलधरा के निवासियों की आत्माएं आज भी यहां भटकती हैं। एक और प्रचलित विश्वास यह है कि गांव छोड़ते समय लोगों ने कुलधरा को श्राप दिया था कि यह स्थान दोबारा कभी नहीं बसेगा।

गांव का प्राचीन मंदिर आज भी इतिहास का मूक साक्षी

राजस्थान सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गांव के कुछ मकानों को पुराने स्वरूप में बहाल कराया है। गांव का प्राचीन मंदिर आज भी इतिहास का मूक साक्षी बनकर खड़ा है। हर साल देश-विदेश से हजारों पर्यटक इस रहस्यमय गांव को देखने पहुंचते हैं। कुलधरा गांव आज भी जैसलमेर के रेगिस्तान में सम्मान, बलिदान और रहस्य की एक जीवित कहानी बनकर खड़ा है।

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