उत्तर प्रदेश के इस शहर में कड़ाके की ठंड, कक्षा 8 तक की 30 तक छुट्टी

जिलाधिकारी अविनाश सिंह के निर्देश पर बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. विनीता ने आदेश जारी करते हुए कक्षा एक से आठवीं तक के सभी विद्यालयों में अवकाश घोषित किया है। यह छुट्टी परिषदीय, राजकीय, सहायता प्राप्त और माध्यमिक बोर्ड से जुड़े सभी स्कूलों पर लागू होगी।

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ठंड और कोहरे का प्रकोप
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar27 Dec 2025 07:12 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में सर्दी और घने कोहरे का असर लगातार बढ़ता जा रहा है। ठंडी हवाओं के कारण गलन काफी तेज हो गई है, जिससे आम जनजीवन प्रभावित हो रहा है। बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने एहतियाती कदम उठाया है। जिलाधिकारी अविनाश सिंह के निर्देश पर बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. विनीता ने आदेश जारी करते हुए कक्षा एक से आठवीं तक के सभी विद्यालयों में अवकाश घोषित किया है। यह छुट्टी परिषदीय, राजकीय, सहायता प्राप्त और माध्यमिक बोर्ड से जुड़े सभी स्कूलों पर लागू होगी। आदेश के अनुसार 29 और 30 दिसंबर को विद्यार्थियों के लिए विद्यालय बंद रहेंगे।

शिक्षकों और शिक्षिकाओं को स्कूल जाना होगा

हालांकि, शिक्षकों और शिक्षिकाओं को प्रशासनिक कार्यों के लिए स्कूल आना अनिवार्य होगा। यू-डायस, अपार आईडी और अन्य विभागीय कार्यों को पूरा करने के लिए उन्हें सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक विद्यालय में उपस्थित रहना होगा। इधर मौसम की स्थिति भी चिंताजनक बनी हुई है। शनिवार की सुबह जिले में घना कोहरा छाया रहा, जिससे दृश्यता बेहद कम हो गई। हाईवे से लेकर रिहायशी इलाकों तक कोहरे का असर देखा गया। ठंडी हवा चलने से पूरे दिन शीत दिवस जैसे हालात बने रहे।

घने कोहरे का रेड अलर्ट जारी किया

मौसम विभाग ने रविवार के लिए घने कोहरे का रेड अलर्ट जारी किया है, जबकि इसके बाद आने वाले तीन दिनों के लिए आॅरेंज अलर्ट घोषित किया गया है। विभाग के अनुसार पहाड़ी क्षेत्रों से आ रही ठंडी हवाओं के कारण आने वाले दिनों में ठंड और गलन और बढ़ सकती है, हालांकि मौसम शुष्क बना रह सकता है। तापमान की बात करें तो शुक्रवार को जिले का अधिकतम तापमान 18.3 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 9.4 डिग्री दर्ज किया गया था। वहीं शनिवार को न्यूनतम तापमान गिरकर 9.2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। दिनभर धूप नहीं निकलने से ठंड का असर और अधिक महसूस किया गया।

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गंभीर गड़बड़ी का शक : फसल बीमा पोर्टल में डाटा बदलने के आरोप

जांच शुरू होते ही किसानों के क्लेम रिकॉर्ड में बदलाव दिखा। अगस्त 2024 में जो राशि दिखाई जा रही थी, वहीं दिसंबर 2024 में घटाकर दिखाई गई।

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घोटाले की प्रतीकात्मक फोटो
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar27 Dec 2025 05:47 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और मौसम आधारित फसल बीमा योजना के तहत कई जिलों में घोटाले की खबरें सामने आई हैं। महोबा, झांसी, ललितपुर, मथुरा और फरुर्खाबाद में पोर्टल डाटा में बदलाव और क्लेम भुगतान में असमानता की शिकायतें हैं।

प्रमुख मुद्दे

1. पोर्टल डाटा में बदलाव

  जांच शुरू होते ही किसानों के क्लेम रिकॉर्ड में बदलाव दिखा। अगस्त 2024 में जो राशि दिखाई जा रही थी, वहीं दिसंबर 2024 में घटाकर दिखाई गई। दिलचस्प बात यह है कि किसानों की संख्या और बीमित क्षेत्रफल में कोई बदलाव नहीं हुआ, केवल भुगतान की रकम में अंतर है।

2. महोबा जिले के उदाहरण

संतोषपुरा गांव : अगस्त में 113 किसानों को 55 लाख का भुगतान दिखाया गया था, दिसंबर में वही राशि घटकर 9 लाख हो गई।

 लुहारी गांव : अगस्त में 147 लाख, दिसंबर में 39 लाख। अन्य गांवों में भी इसी तरह के बड़े अंतर दर्ज हुए हैं।

3. भ्रष्ट तरीके से क्लेम वितरण

  महोबा के इंदौरा गांव में कुल 1.10 करोड़ का बीमा भुगतान हुआ। लेकिन 33 लोगों को 83.49 लाख वितरित किए गए, और इनमें एक भी स्थानीय निवासी नहीं था। इनमें से कुछ किसान अन्य तहसीलों के निवासी थे।

4. अवैध जमीन पर क्लेम

  नाली, नाले, बंजर और सरकारी जमीन पर भी बीमा क्लेम वितरित होने की शिकायतें आई हैं।

5. मथुरा में ऐप बंद

  किसानों की शिकायत के बाद क्रॉप इंश्योरेंस ऐप कई दिनों से बंद है। कुछ किसानों का कहना है कि ऐप बंद करने का मकसद डाटा में हेरफेर करना हो सकता है, जबकि अधिकारियों ने तकनीकी कारणों की संभावना जताई है।

अधिकारियों और किसानों के बयान

किसान नेता : अगस्त और दिसंबर के आंकड़ों में राशि में बदलाव जांच को प्रभावित करने की कोशिश हो सकती है। अधिकारियों का कहना है कि पोर्टल केंद्र सरकार के नियंत्रण में है, इसलिए डाटा में छेड़छाड़ नहीं हो सकती। फिर भी शिकायतें मिलने पर जांच कराई जाएगी।

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उत्तर प्रदेश में खाप का सख्त फरमान : स्मार्टफोन-हाफ पैंट पर लगी रोक

मैरिज होम में होने वाले भव्य आयोजनों और खर्चीले समारोहों पर सवाल उठाते हुए सादगी अपनाने की सलाह दी गई। खाप चौधरियों का दावा है कि ये फैसले समाज, संस्कृति और उत्तर प्रदेश की नई पीढ़ी को “गलत दिशा” में जाने से रोकने के लिए जरूरी कदम हैं।

खाप पंचायत में नई पीढ़ी के ‘अनुशासन’ पर सख्त संदेश
खाप पंचायत में नई पीढ़ी के ‘अनुशासन’ पर सख्त संदेश
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar27 Dec 2025 04:44 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश के पश्चिमी इलाके में खाप पंचायतों के फैसले अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्से में सामाजिक अनुशासन और परंपराओं को लेकर एक बार फिर खाप पंचायत का सख्त रुख सामने आया है। इसी कड़ी में बागपत जिले के बड़ौत में हुई खाप पंचायत ने “समाज सुधार” के नाम पर कुछ सख्त घोषणाएं कर दीं, जिनकी चर्चा अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश से निकलकर प्रदेश और देश की सुर्खियों तक पहुंच गई है। पंचायत ने 18 वर्ष से कम उम्र के लड़कों को स्मार्टफोन देने पर रोक लगाने का ऐलान किया, वहीं हाफ पैंट पहनकर सार्वजनिक स्थानों पर निकलने को भी अनुचित बताते हुए उस पर पाबंदी की बात कही। केवल इतना ही नहीं, उत्तर प्रदेश में शादी-ब्याह के नाम पर बढ़ते दिखावे और फिजूलखर्च पर भी पंचायत ने तीखी नाराजगी जताई है। मैरिज होम में होने वाले भव्य आयोजनों और खर्चीले समारोहों पर सवाल उठाते हुए सादगी अपनाने की सलाह दी गई। खाप चौधरियों का दावा है कि ये फैसले समाज, संस्कृति और उत्तर प्रदेश की नई पीढ़ी को गलत दिशा में जाने से रोकने के लिए जरूरी कदम हैं।

इस बार ‘नियम’ लड़कियों नहीं, लड़कों के लिए

उत्तर प्रदेश में खाप पंचायतों को लेकर लंबे समय से यह बहस चलती रही है कि सामाजिक मर्यादा के नाम पर नियमों की सख्ती अक्सर लड़कियों के हिस्से ही ज्यादा आती है। लेकिन बागपत के बड़ौत में हुई इस पंचायत ने इस बार चर्चा का रुख बदल दिया। खाप चौधरी सुभाष के नेतृत्व में हुई बैठक में साफ संदेश दिया गया कि अनुशासन और मर्यादा के नियम अब सिर्फ लड़कियों तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि उत्तर प्रदेश की नई पीढ़ी के लड़कों पर भी उसी तरह लागू होंगे। पंचायत का तर्क है कि अगर समाज में सुधार की बात है तो तराजू दोनों तरफ बराबर होना चाहिए।

नाबालिग लड़कों को स्मार्टफोन देने पर ‘ब्रेक’

पंचायत की बैठक में दो फैसले सबसे ज्यादा चर्चा का केंद्र बने। पहला 18 वर्ष से कम उम्र के लड़कों को स्मार्टफोन न देने का आह्वान, और दूसरा हाफ पैंट पहनकर सार्वजनिक जगहों पर निकलने पर सख्ती। खाप चौधरियों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में नई पीढ़ी पर मोबाइल और सोशल मीडिया का असर बेहद तेजी से बढ़ा है, जो बच्चों की पढ़ाई, व्यवहार और संस्कारों को प्रभावित कर रहा है। उनका तर्क है कि कम उम्र में स्मार्टफोन की आदत बच्चों को जिम्मेदारियों से दूर कर रही है। वहीं, हाफ पैंट पहनकर गलियों और बाजारों में घूमने को पंचायत ने सामाजिक संस्कृति के खिलाफ बताते हुए कहा कि यह परंपरागत सामाजिक मर्यादाओं से मेल नहीं खाता।

शादियों में सादगी की सलाह

उत्तर प्रदेश में शादी-ब्याह अब कई इलाकों में रिश्तों का उत्सव कम और “दिखावे की प्रतियोगिता” ज्यादा बनता जा रहा है। इसी बढ़ते सामाजिक दबाव और अनियंत्रित खर्च पर खाप पंचायत ने कड़ा ऐतराज जताया है। पंचायत ने मैरिज होम में होने वाले बड़े-बड़े आयोजनों और भव्य समारोहों पर सवाल उठाते हुए सलाह दी कि विवाह कार्यक्रम गांव या घर में ही सादगी से किए जाएं, ताकि परिवार कर्ज और फिजूलखर्च के बोझ से बच सके। साथ ही, पंचायत ने समय के साथ चलते हुए एक व्यावहारिक रास्ता भी सुझाया निमंत्रण और सूचना व्हाट्सएप जैसे डिजिटल माध्यम से साझा की जा सकती है, जिससे खर्च भी घटेगा और समय की बचत भी होगी।

उत्तर प्रदेश में फैसले को ‘मॉडल’ बनाने की तैयारी

खाप पंचायत का दावा है कि बागपत के बड़ौत में लिए गए फैसले सिर्फ पश्चिमी उत्तर प्रदेश की चौपालों तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि इन्हें पूरे उत्तर प्रदेश में “सामाजिक मुहिम” की तरह आगे बढ़ाने की तैयारी है। पंचायत के मुताबिक, अन्य जिलों की पंचायतों और खाप प्रतिनिधियों से संवाद कर इस एजेंडे को विस्तार दिया जाएगा। नेताओं ने यह भी संकेत दिया कि इस दिशा में राजस्थान की कुछ पंचायतों के फैसलों से प्रेरणा ली गई है। खाप चौधरी ब्रजपाल सिंह का कहना है कि नाबालिग लड़कों को स्मार्टफोन न देने और हाफ पैंट पर रोक जैसे निर्णयों को प्रदेश स्तर पर प्रभावी बनाने के लिए संगठित प्रयास किए जाएंगे। वहीं खाप चौधरी ओमपाल सिंह ने तर्क दिया कि जब उत्तर प्रदेश के समाज में लड़के-लड़कियां बराबर माने जाते हैं, तो नियम और जिम्मेदारियां भी दोनों पर समान रूप से लागू होनी चाहिए,यही उनके मुताबिक सुधार का मूल आधार है। UP News

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