Sunday, 22 December 2024

समाज सेवी हैं या प्रचारसेवी !

Noida News : जो काम करते हैं, उन्हें प्रचार द्वारा अपना नाम फैलाने की भी कोई आवश्यकता नहीं होती उनका तो…

समाज सेवी हैं या प्रचारसेवी !

Noida News : जो काम करते हैं, उन्हें प्रचार द्वारा अपना नाम फैलाने की भी कोई आवश्यकता नहीं होती उनका तो काम बोलता है। जब से सामाजिक संस्थाओं व (RWA) आरडब्लूए पर प्रचार सेवियों ने कब्जा करना शुरू किया है इस शहर का तो हाल ही बुरा है। सीवर फंसे हैं, नालियां चोक हैं, थोड़ी सी बारिश आते ही लोगों के घरों में पानी भर जाता है। लेकिन इन सब परिस्थितियों से उनका प्रचार नहीं हो सकता। अत: इन फालतू के कामों की ओर वे अधिक ध्यान भी नहीं देते।

प्रचार पर ही अधिक केंद्रित रहते हैं जैसे कि दिवाली मेला पहले तो कार्ड पर अपनी फोटो खूब लगा-लगा सोशल मीडिया पर घुमाना। कल शाम 7:00 बजे मैं अपने घर की ओर जा रही थी मेरे पीछे भागते हुए हमारे ब्लॉक के गार्ड भैया आए। उनके हाथ में काफी सारे पर्चे थे। उन्होंने मेरे हाथ में भी अस्पताल के प्रचार का एक पर्चा दिया और साथ ही कहा कि आप इस रजिस्टर पर भी साइन कर दीजिए। मैंने पूछा भईया आपने दलाली कब से शुरू कर दी। यह तो अस्पताल का प्रचार है। उन्होंने कहा मुझे आरडब्ल्यूए वाले भैया ने दिया है कि मैं पर्चा सबको दूं और साथ में आप सबके साइन लूँ। मैं हैरान रह गई मेरे पास तो 30 प्रतिशत छुट का प्रपोजल आया था यानी कि यदि मैं किसी पेशेंट को भेजती हूं अपना नाम साथ बताती हूं तो अस्पताल वाले 30 प्रतिशत की छूट देंगे। इतना ही नहीं

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होली-दिवाली पर मुझे बढ़िया सा लंच खिलाएंगे और बहुत महंगा सा गिफ्ट भी देंगे। यकीन मानिए मुझे बहुत ही बुरा लगा। मैंने गार्ड भैया से कहा कि आप अपनी ड्यूटी कीजिए मुझे यह नहीं चाहिए। पूरे नोएडा में 1800 से 2000 टीडीएस का पानी घर-घर आ रहा है, कहीं तो वह भी नहीं है। पब्लिक हाय तोबा न मचाये इसलिए पूरे नोएडा में इन प्रचार सेवियों ने हर सेक्टर में दिवाली मेला आयोजन शुरू कर दिया है और रोग की तरह य़ह हर सेक्टर में फैलने सा भी लगा है।

रामलीला के साथ चलने वाला 10 दिन का दिवाली मेला (Diwali Mela) जिसमें प्राधिकरण पूरी सुरक्षा व्यवस्था देता है। पानी, बाथरुम बैठने का उचित इंतजाम होता है। प्रचार वादी मेला लगा उसमें खुद सज-धज कर खड़े हो जाते हैं। युवा, पूर्व युवा-युवतियां हाथ में डंडे लिए डांडिया बजाते है। तंबोला यानी कि (शगुन के लिए जुआ इत्यादि) नाच-गाने के कार्यक्रम होते हैं। दिवाली मेले का सबसे अच्छा फायदा होता है कि मेले के अनाउंसमेंट के साथ ही जब तक मेला लग नहीं जाता लोग पानी की समस्या तथा नाली, सीवर, पानी कम मिलने और नालियों का चोक हो जाना इत्यादि समस्याओं के विषय में निंदा करना या चर्चा करना कम तथा मेले की चर्चा अधिक करते हैं। पर क्या यह समस्या का समाधान है। देखने लायक यह भी है कि हर सेक्टर का मेला अलग दिन होता है। प्रचार सेवी हर दिन तैयार होकर हर सेक्टर के मेले में जाते हैं। अपनी फोटो खिंचवाते हैं और फिर उसे रात से ही सोशल मीडिया पर खूब प्रसारित करते हैं। इन मेलों के बहुत ज्यादा बेनिफिट हो जाते हैं। डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया कैसे क्यों क्या होगा सबकी निंदा छोड़ सभी का ध्यान मेला ही हो जाता है। क्या आपको नहीं लगता पॉल्यूशन कितना ज्यादा है, त्योहार और पराली यह एक साथ ही चलते हैं फिर भी डेंगू, चिकनगुनिया, वायरल यह सब ऐसी बीमारी हैं जिन पर कंट्रोल किया जा सकता है। ॉ

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फोनरवा अध्यक्ष योगेंद्र शर्मा ने बार-बार जगह-जगह ,सेक्टर सेक्टर, सरकारी अस्पताल के साथ मिलकर इन बीमारियों की रोकथाम कैसे हो सावधानी ही उपाय इत्यादि के बारे में लोगों को बाकायदा समझा रहे हैं। प्राधिकरण बराबर एंटी लार्वा मच्छर मार दवा छिडक़वा रहा है। उसकी ओर कोई ध्यान न देकर सिर्फ मेला आज यहां तो कल वहां क्या यह समाज सेवा है। नोएडा में ऐसे भी युवा है जो कि डेंगू, चिकनगुनिया में खून की कमी से मौत के करीब पहुंचने वालों के यह युवा समाजसेवी अखबार से इनका पता पढक़र या सोशल मीडिया से पता लेकर अपने खर्चे पर उनके घरों में जाकर खून देकर आते हैं। इनमें ऐसे भी समाजसेवी है जिनकी आयु अभी 30 वर्ष है लेकिन वह अपना खून लगभग 40 बार दे चुके हैं। इन लोगों को प्रचार प्रशंसा का ध्यान भी नहीं होता और यदि उनके बारे में लिखो तो हाथ जोड़ देते हैं कि नहीं यह हमने अपनी खुशी से रक्तदान किया है। कितना अच्छा हो यदि समाज में समाज सेवकों को ही निवासी प्राथमिकता दें।

आज के समय में कहावत है- ‘जो दिखता है वह बिकता है’। इतने टीडीएस (TDS) के जल को पीने से, नहाने से, गंदे पानी से ही घर में सफाई करने से बीमारियों से नागरिक ग्रस्त होते हैं। तब अजगर समान सेक्टरों को निगलते यह अस्पताल जिनके कागज आप 10 प्रतिशत की छूट या 30 प्रतिशत की छूट मिलेगी की शरण में जाते हैं। जरूरी नहीं मेले या अन्य किसी प्रकार के तरीकों से ही नागरिक जुड़े अपने सेक्टर के बहुत से विकास के कार्यों या प्रोग्राम होते हैं जिनको करने से निवासी आपस में जुड़ते हैं, मिलते हैं, परिवार में बदलते हैं। लेकिन पता नहीं हो क्या रहा है इस शहर को। समाजसेवियों के हाथ से सेवा कार्य छीन कर प्रचार सेवियो को हस्तांतरण हो रहा है। Noida News 

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