Noida News : आसान नहीं है आज के दौर में सब को खुश रख पाना । जब हम अपना घर ही बनाते हैं विशेषकर नोएडा में ,तब हम जमीन का हर एक इंच कवर कर लेना चाहते हैं। कुछ सेक्टरों में तो एक कमरे के जनता फ्लैट के ऊपर लोग तीन कमरे का फर्स्ट फ्लोर बना लेते हैं। यूं चौथे माले तक 12 कमरों का घर। आप भी गौर करें तो मकान अधिकांशत; लोग सर्दी में ही बनाते हैं। यूं पूरी गली ही आमने सामने के घर घेर लेते हैं। घर में जगह तो बहुत हो जाती है सर्दी भी मजे में कटती है पर गर्मी और बरसात में 15 मिनट को भी यदि बिजली चली जाए तो सांसें घुटने लगती हैं। ऐसा लगने लगता है कि हम तो जी ही नहीं पाएंगे। हमने अपने घर में क्रॉस वेंटिलेशन तो छोड़ा ही नहीं है। अपना कुसूर कब नजर आता है। कोसने को तो बिजली विभाग है ना । जो पावर मशीनो, तारों, पोल के जरिए घर घर पहुँचती है वह सदा ही सही रहेंगी ये कैसे संभव है?
अंजना भागी
नोएडा में 24 घंटे निर्बाध बिजली, क्या यह संभव है? सचमुच है पर क्या नोएडा की वायरिंग अभी आइसोलेटेड वायरिंग हो गई है ? हो भी जाए तो भी बिजली चली ही जाती है। इतनी पब्लिक ऊपर से गर्मी हर कमरे में चलते ए सी कूलर इसमें विभाग कितना भी करें लेकिन कहीं ना कहीं तो कमी हो ही जाती है। जैसे की 24 घंटे में से यदि 22 घंटे हमें निर्बाध बिजली मिलती है और अगर उसमें से आधे घंटे के लिए भी बिजली में कोई समस्या आ जाती है तो हम 22 घंटे की सप्लाई के लिए कभी शुक्रगुजार नहीं होते। बिजली जो की तारों के द्वारा बहती है ,अब यह यदि ऐसे में कहीं तार पिघल के कट जाए, टूट जाए,कुछ खराबी आ जाए तो उसको आदमी ही तो ठीक करता है न। चाहे तार जल रही हो, ऊपर से आसमान आग उगल रहा हो लाइनमैन जैसे तैसे ऊपर चढ़ता भी है और काम भी करता है और इतनी देर हजारों टेलीफोन के द्वारा यूपीपीसीएल विभाग धिककारा भी जाता है।
नोएडा में समस्या वाकई बहुत गंभीर है
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कहीं-कहीं पर तो यह समस्या वाकई बहुत गंभीर है। एक जे ई लेवल का आदमी विभाग में इतना करप्शन फैलाता है कि मानवता भी शर्मसार हो जाए। लेकिन ऐसे लोग भी आटे में नोन बराबर ही होते हैं, नहीं तो विभाग कैसे चलेगा। संसार कैसे चलेगा। नोएडा में सेक्टर 11 के एस डी ओ संजय सागर, जे ई मनोज भारद्वाज यहाँ के विभाग के अन्य लोग सभी बहुत ही अच्छी सर्विस दे रहे हैं। यहां तक की तेज धूल भरी आंधी आए बारिश आए। आंधी रुकते ही बिजली चालू हो जाती है। तेज बारिश आती है कुछ समय के लिए बिजली जाती है लेकिन बारिश रुकते ही फिर से बिजली चालू हो जाती है। तारों पर पेड़ गिर जाते हैं या कहीं पर कोई शराब पिया हुआ आदमी अपनी गाड़ी से पोल से ही टक्कर मार देता है। पोल तारों समेत पूरे का पूरा ही गिर जाता है। ऐसे समय में रात हो, दिन हो, दोपहर हो, सुबह हो या कोई भी समय नोएडा सेक्टर 11 सेक्टर में बिजली विभाग दौड़ ही पड़ता है। यूपीपीसीएल विभाग के कर्मठ कार्यकर्ताओं के कारण ही हम आज निर्बाध बिजली पा रहे हैं।
यूपीपीसीएल विभाग के कर्मठता से मिल रही निर्बाध बिजली
फोन पर पहले ही सूचना आ जाती है कि बिजली जाने वाली है। 15 मिनट में या 20 मिनट में आ जाएगी। इतनी सेवाएं लेने के बावजूद भी यदि हमें 24 घंटे में से आधा पौना घंटा असुविधा आ भी जाती है तो हम निंदा करने से नहीं चूकते निंदा करना माना एक बहुत ही अच्छा गुण है। माना उससे कभी 2 बहुत अच्छा काम मिलने लगता है पर यह भी माना जाता है कि कभी-कभी बहुत अच्छे इंसान उससे डिमोटिवेट भी हो जाते हैं। क्या करना इतनी भाग दौड़ करके? क्या आपको नहीं लगता कि हमें सिर्फ कोसने या निंदा करने के बजाए कभी यह भी सोचना चाहिए की हम तो बिना ए सी नहीं रह सकते। धन्यवाद इस विभाग का जो हम 22-23 घंटे इसमें सुकून से काट पा रहे हैं। इससे इन मेहनत कश कर्मचारियों को भी प्रोत्साहन मिलेगा। गर्मी में इतनी बिजली की खपत । इस लिए परिवार दोपहर में मिल कर एक साथ एक ए सी में बैठें। संसाधनों का सदुपयोग करें। एक बड़ा कूलर यदि खिड़की पर लगाया हो तो पूरा फ्लैट ठंडा कर देता है। पर यदि घर में हवा का क्रॉस हो ही नहीं तो यही कूलर उमस कर देता है। ऐसे में यदि बिजली चली जाए तो अपना कुसूर तो कभी भी किसी को नजर ही नहीं आता क्या आपको लगता है कि इससे समस्या सुधरेगी?
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नोएडा में पिछले एक साल में सेक्टर 11 में 90 पोल यूपीपीसीएल तथा नोएडा के बिजली विभाग ने बदले हैं। कभी हमने सोचा है कि जो 120 स्क्वायर मीटर का प्लॉट हमने यह सोच कर लिया था कि इसमें हमारा परिवार आकर रहेगा आज उस प्लॉट में चार-पांच परिवार रहते हैं। 120 स्क्वायर के प्लाट में दो एक नहीं 6 ए सी लगे हुए हैं। जब हम यह नहीं सोचते कि एक ए सी में बैठकर पूरा परिवार कम से कम दोपहर काट ले तो बिजली विभाग से हम कैसे उम्मीद करें कि वह 24 घंटे हमें निर्बाध बिजली की सप्लाई दे दे।
नोएडा में जहां वाकई समस्या है जैसे की पिछले साल विभाग को फंड्ज की समस्या थी जिसके लिए फोनरवा अध्यक्ष योगेंद्र शर्मा ने पूरी भाग-दौड़ कर फंड्ज रिलीज करवाए। वहां ऐसा किया जाए। लेकिन नोएडा में कुछ सेक्टर ऐसे भी हैं जहां पर समस्या इस प्रकार गंभीर भी नहीं है। अत: धन्यवाद नहीं तो ? कम से कम निंदा भी नहीँ ?