नोएडा रजिस्टार ऑफिस परिसर में बड़ी बैठक, बार एसोसिएशन ने चुनी नई टीम

नोएडा बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सचिन चौधरी ने भी नवनिर्वाचित कार्यकारिणी को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि अध्यक्ष समेत सभी पदाधिकारी अधिवक्ताओं से जुड़े मुद्दों को शीर्ष प्राथमिकता पर रखेंगे और हर समस्या का समयबद्ध समाधान सुनिश्चित करेंगे।

सचिन चौधरी ने नई टीम को दी शुभकामनाएं
नोएडा बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सचिन चौधरी ने नई टीम को दी शुभकामनाएं
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar30 Dec 2025 12:39 PM
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Noida News : नोएडा में मंगलवार को सेक्टर-33 स्थित नोएडा रजिस्टार कार्यालय परिसर में नोएडा बार एसोसिएशन (एडवोकेट्स एंड डीड राइटर्स) की आम सभा बैठक में संगठन को नया नेतृत्व मिला और नई कार्यकारिणी का खाका भी तय हो गया। बैठक में मौजूद सदस्यों ने सर्वसम्मति से एडवोकेट प्रवीण डेढ़ा को अध्यक्ष चुना, जबकि लकी शर्मा को महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई। निवर्तमान अध्यक्ष पीपीएस नागर की अध्यक्षता में संपन्न इस बैठक में नोएडा के अधिवक्ताओं व डीड राइटर्स की मजबूत मौजूदगी ने संगठन की एकजुटता को रेखांकित किया। कार्यकारिणी गठन के साथ ही संगठन ने नोएडा में रजिस्ट्री व्यवस्था को अधिक सुचारू बनाने, पेशेवर हितों की सुरक्षा और सदस्य-कल्याण के मुद्दों पर मिलकर ठोस पहल करने का संकल्प दोहराया।

संगठन ने तय किया आगे का रोडमैप

नई कार्यकारिणी में अविनाश गुप्ता को वरिष्ठ उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वहीं बिलाल बर्नी, विजय गौतम और संजीव शर्मा को उपाध्यक्ष पद पर चुना गया। संगठन ने बी.बी. पांडे को संयुक्त सचिव और विजेंद्र सिंह को कोषाध्यक्ष नियुक्त किया है। कार्यकारिणी सदस्यों के रूप में हरीश सेठी, जयप्रकाश चौहान, महेंद्र यादव, जोगेंद्र सिंह (जीके) और जितेंद्र नागर (जॉनी) को नामित किया गया। नोएडा के बार सदस्यों ने नई टीम को शुभकामनाएं देते हुए भरोसा जताया कि यह नेतृत्व अधिवक्ताओं के हितों की प्रभावी पैरवी, रजिस्टार कार्यालय से जुड़े कार्यों को अधिक सुगम बनाने और बार सदस्यों की समस्याओं के त्वरित समाधान को प्राथमिकता देकर नोएडा में पेशेवर माहौल को और मजबूत करेगा।

पूर्व अध्यक्ष सचिन चौधरी ने नई टीम को दी शुभकामनाएं

नोएडा बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सचिन चौधरी ने भी नवनिर्वाचित कार्यकारिणी को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि अध्यक्ष समेत सभी पदाधिकारी अधिवक्ताओं से जुड़े मुद्दों को शीर्ष प्राथमिकता पर रखेंगे और हर समस्या का समयबद्ध समाधान सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने भरोसा जताया कि नई टीम संगठन की जिम्मेदारियों का पारदर्शी और प्रभावी तरीके से निर्वहन करते हुए नोएडा बार की गरिमा और एकजुटता को और मजबूत करेगी। बैठक में एडवोकेट पीपीएस नागर, एडवोकेट एन.के. शर्मा, एडवोकेट श्यामवीर सिंह बेसोया, एडवोकेट सचिन चौधरी, एडवोकेट सी.एस. नागर सहित कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं की मौजूदगी रही, जिससे आयोजन को खासा समर्थन और गंभीरता मिली। Noida News

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नोएडा में 2254 फर्मों का जीएसटी रजिस्ट्रेशन रद्द, क्या है वजह?

अपर आयुक्त राज्यकर (ग्रेड-1) संदीप भागिया के मुताबिक, नई कंपनियों में इस तरह की कार्रवाई “असामान्य नहीं” मानी जाती। क्योंकि दस्तावेजों की कमी, गलत/अधूरी जानकारी और सत्यापन प्रक्रिया में विफलता अक्सर रद्दीकरण की सबसे बड़ी वजह बनती हैं।

नोएडा में ‘कागजी कंपनियों’ पर शिकंजा
नोएडा में ‘कागजी कंपनियों’ पर शिकंजा
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar30 Dec 2025 11:18 AM
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Noida News : नोएडा की कारोबारी हलचल के बीच एक बड़ा आंकड़ा सामने आया है। नोएडा की रफ्तार भरी कारोबारी दुनिया के बीच एक ऐसा आंकड़ा सामने आया है, जो शहर की “ग्रोथ स्टोरी” पर कई सवाल भी खड़े करता है। देश के तेजी से उभरते औद्योगिक और स्टार्टअप हब माने जाने वाले नोएडा–ग्रेटर नोएडा में बीते आठ महीनों के दौरान 2254 कंपनियों का जीएसटी पंजीकरण समाप्त कर दिया गया। ये वे फर्म थीं, जिनका अप्रैल से दिसंबर 2025 के बीच ही रजिस्ट्रेशन हुआ था, लेकिन बाद में जांच में व्यावसायिक गतिविधि कमजोर, लगातार शून्य रिटर्न, या मानकों का पालन न होने जैसी वजहों से वे विभाग की कसौटी पर खरी नहीं उतर सकीं। साफ है कि नोएडा में जहां नए कारोबार तेजी से जन्म ले रहे हैं, वहीं नियमों की सख्ती “कागजी कंपनियों” और निष्क्रिय फर्मों पर भी उतनी ही तेज़ी से कार्रवाई कर रही है।

लगातार शून्य रिटर्न और फर्जीवाड़ा बना कारण

राज्य जीएसटी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिन कंपनियों का पंजीकरण रद्द किया गया, उनमें बड़ी हिस्सेदारी उन फर्मों की रही जिन्होंने लगातार ‘शून्य जीएसटी रिटर्न’ दाखिल किए। इसके साथ ही फर्जी इकाइयों की पहचान, कारोबार शुरू ही न होना और दस्तावेजों की सत्यता/पते का सत्यापन पूरा न हो पाना जैसी गड़बड़ियां भी प्रमुख कारण बनीं। अधिकारियों के मुताबिक नोएडा जैसे हाई-एक्टिविटी इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में यह ट्रेंड महज बंद होते कारोबार की कहानी नहीं, बल्कि सिस्टम की कड़ी स्क्रीनिंग और सख्त निगरानी का संकेत भी है।

1.25 लाख से ज्यादा कंपनियां जीएसटी नेटवर्क में

गौतमबुद्ध नगर में इस वक्त करीब 1.25 लाख कंपनियां जीएसटी में पंजीकृत हैं, जिनमें राज्य और केंद्रीय दोनों श्रेणियों के रजिस्ट्रेशन शामिल हैं। ऑटोमोबाइल से इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल से मशीनरी, मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग से सर्विस सेक्टर तक का मजबूत इकोसिस्टम ही नोएडा को NCR का बड़ा आर्थिक इंजन बनाता है। आंकड़े बताते हैं कि 1 अप्रैल से 28 दिसंबर 2025 के बीच जिले में 22,294 नई फर्मों ने जीएसटी पंजीकरण कराया, जिनमें से 20,040 अभी सक्रिय हैं। यानी लगभग 10 फीसदी इकाइयों का पंजीकरण रद्द किया जा चुका है। अपर आयुक्त राज्यकर (ग्रेड-1) संदीप भागिया के मुताबिक, नई कंपनियों में इस तरह की कार्रवाई “असामान्य नहीं” मानी जाती क्योंकि दस्तावेजों की कमी, गलत/अधूरी जानकारी और सत्यापन प्रक्रिया में विफलता अक्सर रद्दीकरण की सबसे बड़ी वजह बनती हैं।

दस्तावेजी चूक से अटक रहा रजिस्ट्रेशन

जीएसटी अधिकारियों के मुताबिक, कई आवेदनों की जांच में गलत पैन विवरण, व्यवसाय की गलत कैटेगरी, दस्तावेज अधूरे, ओटीपी वेरिफिकेशन पूरा न करना और पते का ठोस प्रमाण न दे पाना जैसी गंभीर खामियां सामने आईं। अधिकारियों का संकेत साफ है कि नोएडा में जिस तेजी से स्टार्टअप्स और छोटे कारोबार पंजीकरण करा रहे हैं, उसी रफ्तार में अगर कागजी प्रक्रिया में लापरवाही हुई तो वह सीधे रजिस्ट्रेशन रद्द होने तक पहुंच सकती है। यानी ‘फास्ट ग्रोथ’ वाले इस कॉरिडोर में अब कंपनी बनाना जितना आसान दिखता है, नियमों पर खरा उतरना उतना ही जरूरी हो गया है।

जीएसटी रजिस्ट्रेशन ऐसे करें

व्यवसायी www.gst.gov.in पोर्टल के जरिए बिना किसी बिचौलिए के स्वयं जीएसटी पंजीकरण के लिए आवेदन कर सकते हैं। पोर्टल के ‘सेवाएं’ सेक्शन में जाकर ‘नया पंजीकरण’ विकल्प चुनना होता है, जहां आवश्यक विवरण भरकर पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन पूरी की जा सकती है। आवेदन जमा होने के बाद एआरएन नंबर के माध्यम से उसकी स्थिति भी आसानी से ट्रैक की जा सकती है। जीएसटी विभाग के अनुसार, पंजीकरण या सत्यापन से जुड़ी किसी भी तकनीकी या दस्तावेजी परेशानी पर कारोबारी नोएडा सेक्टर-148 स्थित राज्य जीएसटी कार्यालय में कार्यदिवसों के दौरान सीधे संपर्क कर सकते हैं,ताकि समय रहते त्रुटियां दूर हों और रजिस्ट्रेशन रद्द होने जैसी कार्रवाई से बचा जा सके। Noida News

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बढ़ते हुए प्रदूषण के साथ ही बढ़ रही है समाज की चिंता

नोएडा क्षेत्र में सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता तथा पत्रकार अंजना भागी ने अपने खास अंदाज में प्रदूषण की बढ़ती हुई चिंता का विश्लेषण किया है। हम यहां अंजना भागी का विश्लेषण ज्यों का त्यों प्रकाशित कर रहे हैं।

नोएडा की हवा फिर रेड जोन में
नोएडा की हवा फिर रेड जोन में
locationभारत
userआरपी रघुवंशी
calendar29 Dec 2025 03:54 PM
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Noida News : नोएडा से लेकर ग्रेटर नोएडा, दिल्ली अथवा NCR के हर शहर में हवा में फैला हुआ प्रदूषण विकराल रूप में सबके सामने है। नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में वायु की गुणवत्ता यानि AQI बार-बार पुराने सारे रिकार्ड तोडक़र हर रोज खराब स्तर पर दर्ज किया जा रहा है। ऐसे में नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा के नागरिकों की चिंता लगातार बढ़ रही है। नोएडा क्षेत्र में सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता तथा पत्रकार अंजना भागी ने अपने खास अंदाज में प्रदूषण की बढ़ती हुई चिंता का विश्लेषण किया है। हम यहां अंजना भागी का विश्लेषण ज्यों का त्यों प्रकाशित कर रहे हैं।

क्या आँखें बंद कर लेने से काम चल जाएगा

क्या कबूतर के आँखें बंद कर लेने से वह बिल्ली से बच सकता है? नहीं। और आज यही स्थिति हमारे समाज की हो रही है। हम प्रदूषण के सामने आँखें मूँदे बैठे हैं, यह सोचकर कि शायद खतरा टल जाएगा। लेकिन सच्चाई यह है कि अब न कोई राम का नाम लेकर मरेगा, न रहीम कहने से। यदि लोग मरेंगे तो साँसों के घुटने से, साँस जनित बीमारियों से, फेफड़ों के रोग, कैंसर, अस्थमा और एलर्जी से। बच्चे से बुज़ुर्ग तक—कोई सुरक्षित नहीं इस अदृश्य युद्ध में न उम्र देखी जा रही है, न ताक़त। बच्चे, युवा और वृद्ध—सब समान रूप से इसकी चपेट में हैं। यह प्रदूषण किसी को चेतावनी नहीं देता, सीधे वार कर रहा है। और यह भी सच है।

प्यूरीफायर समाधान नहीं, भ्रम है

आज समाधान के नाम पर एयर प्यूरीफायर को जादुई यंत्र की तरह पेश किया जा रहा है। लेकिन सवाल यह है— जो लोग दो वक्त की रोटी नहीं जुटा पा रहे, वे प्यूरीफायर कहाँ से खरीदेंगे? कहाँ लगाएंगे? और बिजली के भरोसे अपने फेफड़ों को कैसे बचाएँगे? इलाज- सरकारी और निजी—दोनों की त्रासदी। सरकारी अस्पतालों में दवा मिल गई तो आप बच गए, दवा नहीं मिली तो अगली सुबह फिर वही रोगी को लगने को लंबी लाइन। निजी अस्पतालों में इलाज कराइए तो एक व्यक्ति शायद ठीक हो जाए, लेकिन पूरा परिवार आर्थिक रूप से बीमार हो जाता है। यह भी एक तरह की मौत ही है—धीमी और पीड़ादायक।

600-700 के पार : जब प्रदूषण यंत्र भी चुप हो जाता है

जब प्रदूषण का स्तर 600-700 के पार चला जाता है, तो उसके आँकड़े भी बोलना बंद कर देते हैं। नोएडा के सेक्टर 98 जैसे इलाक़ों में, जहाँ प्रदूषण मापने वाले यंत्र लगे हैं, वहाँ लगातार पानी की बौछारें चल रही हैं। प्रश्न यह है— क्या यही अब आम आदमी का भविष्य बनने वाला है? प्रदूषण जाति नहीं, फेफड़े और उनकी मजबूती के आधार पर प्रहार करता है प्रदूषण यह नहीं पूछता कि आप किस जाति, वर्ग या धर्म के हैं। वह केवल यह देखता है कि आपके फेफड़ों की सहनशक्ति कितनी है। आसमान आज भी नीला है—उम्मीद जि़ंदा है सबसे बड़ी सच्चाई यह है कि आसमान हर समय काला नहीं रहता।

वह आज भी कई बार नीला दिखाई देता है। इसका अर्थ साफ़ है— यह समस्या लाइलाज नहीं है। लेकिन इसके लिए सामूहिक संकल्प चाहिए। एक ही शहर, और कई तरह की साँसें अपने ही शहर में चलिए— कुछ जगहों पर हवा खुली लगती है, और कुछ जगहों पर जहाँ आज भी लोग चूल्हे पर रोटी बनाते हैं, जहाँ हर काम आग जलाकर होता है वहाँ साँस लेना भी किसी त्योहार से कम नहीं।

धूल, सडक़ें और PM 2.5

सडक़ों पर अत्यधिक भार के कारण बारीक धूल हर समय उड़ती रहती है। यह धूल आसमान तक तो शायद नहीं जाती, लेकिन इंसान की साँस की ऊँचाई तक जरूर पहुँच जाती है। यदि सडक़ों का भार हटे, पब्लिक ट्रांसपोर्ट को सक्रिय किया जाए, और PM 2.5 को नियंत्रित करने के ठोस उपाय हों— तो बड़ा बदलाव संभव है। सर्दी से बचने के लिए या कूडे से पीछा छुड़ाने के लिए ही पॉलिथीन, कूड़ा, लकड़ी जो कुछ भी जलाया जा रहा है, उस पर यदि थोड़ा-सा भी नियंत्रण हो, तो यकीन मानिए हालात बेहतर हो सकते हैं। यह जंग अकेली सरकार नहीं लड़ सकती यह युद्ध केवल सरकार का नहीं है। यह जंग हर नागरिक को लडऩी होगी। सरकार को तो नियंत्रण और अपने हर नागरिकों के जीवन का सम्मान हम पद, प्रतिष्ठा और अधिकारों के लिए लड़ते रहे, अपने-अपने घरों में प्यूरीफायर लगाकर यह मानकर सो गए कि हम सुरक्षित हैं। लेकिन क्या कोई 24 घंटे प्यूरीफायर के सामने बैठकर जीवन जी सकता है? क्या प्यूरीफायर को साथ लेकर सडक़ों पर चलना संभव है? ऑक्सीजन सिलेंडर से पहले चेत जाना होगा। इससे पहले कि  वह समय आए जब हर व्यक्ति ऑक्सीजन सिलेंडर लगाकर सडक़ पर निकले हमें जागना होगा। हर व्यक्ति को पर्यावरण का सिपाही बनना होगा। आज नहीं तो बहुत देर हो जाएगी। नवंबर में बढ़ी मौतों की संख्या यदि हर वर्ष इसी तरह बढ़ती रही, तो यह आँकड़ा घटेगा नहीं और भयावह होता जाएगा। प्रदूषण के खिलाफ पहल हमें ही करनी होगी। आज नहीं तो कल— लेकिन अगर अब भी नहीं, तो शायद बहुत देर हो जाएगी। हर सुबह यदि आप अपने फोन में देखें तो वह आपको प्रदूषण की असली दर बता रहा है कभी 600, 700 या जो कुछ भी है। Noida News