Sunday, 12 May 2024

मनमानी हरकतों से बाज नहीं आ रहे बिल्डर, हाईकोर्ट से भी कर दी धोखाधड़ी

Noida News: उत्तर प्रदेश के नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में सक्रिय बिल्डर धोखाधड़ी करने से बाज नहीं आ रहे…

मनमानी हरकतों से बाज नहीं आ रहे बिल्डर, हाईकोर्ट से भी कर दी धोखाधड़ी

Noida News: उत्तर प्रदेश के नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में सक्रिय बिल्डर धोखाधड़ी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। नोएडा के एक बिल्डर ने तो फ्लैट खरीदारों  के साथ ही साथ उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट से धोखाधड़ी कर डाली है। हाईकोर्ट ने खुद माना है कि नोएडा की बिल्डर ने फ्लैट बायर्स के साथ ही साथ हाईकोर्ट के साथ भी धोखाधड़ी कर दी है। अब नोएडा के एक बिल्डर के खिलाफ अदालत में ईडी को सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

बिल्डरों की मनमानी जारी

आपको बता दें कि नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में 150 से ज्यादा बिल्डर सक्रिय हैं। इन बिल्डरों ने फ्लैट बायर्स को बड़े-बड़े सपने दिखाकर हजारों करोड़ों रुपए ठग लिए हैं। नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा में ठगी करके बिल्डर अब दिल्ली एनसीआर (Delhi NCR) के दूसरे शहरों में जाकर ठगी का धंधा कर रहे हैं। इसी प्रकार की ठगी व धोखाधड़ी का एक मामला नोएडा में सामने आया है। नोएडा के सेक्टर-107 में नोएडा प्राधिकरण से ग्रुप हाउसिंग की जमीन लेकर हैंसिडा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड (एचपीपीएल) नामक कंपनी ने फ्लैट बायर्स से 836 करोड रुपए की ठगी कर ली। ठगी करने के बाद कंपनी को दिवालिया दिखाकर हाईकोर्ट की आंखों में धूल झोंपने का काम भी नोएडा के एचपीपीएल बिल्डर ने किया है। अब इलाहाबाद हाईकोर्ट में ईडी (ED) को निर्देश दिया है कि नोएडा की बिल्डर कंपनी एचपीपीएल के मालिक के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई करें।

 क्या कहा है हाई कोर्ट ने

आपको बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट से नोएडा स्थित मेसर्स हैसिंडा प्रोजेक्टस प्राईवेट लिमिटेड (एचपीपीएल) के प्रमोटर्स को तगड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने प्रमोटर्स के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को जांच का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर प्रमोटर्स जांच में सहयोग नहीं करते तो ईडी उनके खिलाफ कानूनों के अनुसार कार्रवाई के लिए पूरी तरह स्वतंत्र है। कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी को भी निर्देश दिया है कि वह महीने भर के भीतर फ्लैट खरीदारों के पक्ष में रजिस्ट्री कराएं।

यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने चार प्रमोटर्स/याचियों निर्मल सिंह, सुरप्रीत सिंह सूरी, विदुर भारद्वाज और लोट्स 300 अपार्टमेंट एसोसिएशन व अन्य की ओर से दाखिल अलग-अलग याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर उन्हें निस्तारित करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा, याची/प्रमोटर्स यह दावा नहीं कर सकते कि वे अब कंपनी के अधिकारी नहीं हैं। उनका कंपनी से कोई लेना-देना नहीं है और कंपनी की देनदारी केवल कंपनी से ही वसूल की जा सकती है। प्रमोटर्स ने कंपनी का पैसा निकालकर उसे दूसरी कंपनियों में निवेश किया, फिर इस्तीफा देकर कंपनी को दिवालिएपन में ढकेल दिया। शिकायत कर अपने पैसे की वापसी और अपनी करोड़ों की बकाया राशि के भुगतान की मांग की। प्रमोटर्स ने इसके खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी।

ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे हैं अधिकारी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि प्रमोटर्स ने बिना किसी निवेश के फ्लैट खरीदारों से 636 करोड़ रुपये एकत्र किए। बाद में उसमें से 190 करोड़ निकालकर अपने ही द्वारा बनाई हुई दूसरी कंपनी में निवेश कर दिया। इसके अलावा नोएडा अथॉरिटी की ओर से आवंटित भूमि के एक ही हिस्से को कई-कई फ्लैट खरीदारों को बेचा और उससे कुल 236 करोड़ रुपये एकत्र किए। इस तरह उन्होंने सैकड़ों खरीदारों को धोखा दिया। इसके बाद कंपनी मुख्य पदों से इस्तीफा दे दिया और अपने से नीचे कर्मचारियों को प्रमुख पदों पर बिठाकर दिवालिएपन में ढकेलकर देनदारियों से भी छुटकारा पा लिया। राज्य के अधिकारी ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।

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