Noida News : समस्याओं का तो कभी अंत ही नहीं होता। नोएडा में आजकल इलेक्शन सीजन है। हर ओर इलेक्शन हो रहे हैं। अध्यक्ष चुने जा रहे हैं। सेक्टरो की आर डब्लू ए के अध्यक्ष और महासचिव।
अंजना भागी
नोएडा में अब 227 अध्यक्ष तथा महासचिव चुनेंगे फोनरवा का अध्यक्ष और उनका पैनल। समस्या तब शुरू होती है जब कुछ सेक्टरों में अध्यक्षों को अपनी कार्य क्षमता से या नीति निपुणता से पद पर बने रहने की कला आ जाती है। अब फोनरवा के इलेक्शन ही देखिए। अपने सेक्टर को अच्छी तरह कैसे संभालना है? विकास कैसे करना है? लोगों की आवश्यकताओं को कैसे पूरा करना है? हमारा सैक्टर कैसे सुरक्षित रहे। सेक्टरवासियों को बिजली, जल मिले। नागरिकों को कुत्तों से कैसे सुरक्षित किया जाए ? इस पर ध्यान देने के बजाय सारा ध्यान, हमेशा हमे ही अध्यक्ष कैसे बने रहना है, फोनरवा का अध्यक्ष बनने के लिए क्या रणनीति अपनानी हैं इन्ही विषयों पर केन्द्रित रहता है ? आर के उप्रेती जी (अध्यक्ष सेक्टर 62) का विश्लेषण विचारणीय है । उनका मानना है ये चुनाव अब समस्याओं का समाधान करने की बजाय, सेक्टरों के अध्यक्ष व महासचिवों को अपने नियंत्रण में कैसे ले लें इस पर अधिक केंद्रित होने लगे हैं।
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उदाहरण तो इतिहास से ही लेना चाहियें। महाभारत के युद्ध में सबसे बुरी मौत शकुनी को ही मिली थी। हालांकि शकुनि ने भी अपने परिवार को तिल तिल भूख से मरते देखा था। उनके परिवार का दोष क्या था? गान्धारी के ग्रहों की दशा के कारण ही तो उसका पहला विवाह बकरे से किया गया था। जो कि धृतराष्ट्र के क्रोध का कारण बना था। शकुनि को छोड़ गान्धारी के पूरे परिवार को जेल में तिल तिल तड़प तड़प कर मरना पड़ा था। यहां भी देखने योग्य यह कि फोनरवा के चुनाव में मुद्दा विकास होना चाहिए था। आर डब्लू ए की समस्याएं होना चाहिए था। यहां तो “मैं भी अध्यक्ष” की महत्वाकांक्षा के साथ राजनीति और चुनावी दांव पेच का खेल चल रहा है ।
चुनकर आई महिला अध्यक्ष का पद एक ग्रुप ने जबरदस्ती छीन लिया
नोएडा में चुनकर आई एक महिला से उसका अध्यक्ष पद एक ग्रुप ने मिलकर जबरदस्ती छीन लिया। यह भी नहीं सोचा कि जिन सेक्टर वासियों ने उनको जिताया है। यह उनका भी तो अपमान है। महीनो तक लोगों को इसमें ही उलझाए रखा । दूसरी महिला का रेत पानी का तिलक करके उसको पद दिखा दिया गया। उसको भी भटकाए रखा। अब सच तो यह भी है कि इतनी बड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस में सच तो सामने बैठा था। आपके मुद्दे, सच या प्रमाण प्रेस कॉन्फ्रेंस के शुरू होने से पहले ही क्यों गायब हो गए थे। । जनता से वायदा भी कर रहे हैं तो भी बहुत ही दूर की कौड़ी मार रहे हैं। लेकिन इस इलेक्शन में यह जान लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है की वोटर भी हर सेक्टर के चुनकर आए हुए बहुत ही महत्वपूर्ण व्यक्ति या प्रतिनिधि हैं। वह सब जानते हैं।
मेहनत कर कष्ट क्यों पाना?
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जापान, सिंगापुर, चीन, साउथ कोरिया जैसे देशों में प्राय देखा गया है कि यदि कोई व्यक्ति तरक्की चाहता है तो वह अधिक से अधिक काम करके दिखाता है ताकि अथॉरिटी को खुद लगे कि इस व्यक्ति को अधिक वेतन और सुविधाएं मिलनी चाहियें। हमारे देश में यदि किसी में महत्वाकांक्षाएं जाग उठें। तो मेहनत कर कष्ट क्यों पाना? के बजाय चक्री चलाना, दूसरों पर अभियोग पर अभियोग लगाना, यहाँ तक की काम काजियों को भी मुद्दे से हटा या भड़का कर । काम न कर, बहिष्कार या हड़ताल पर बैठ जाने की धमकियों से कन्फ़्युशन सा फैलाना अधिक किया जाता है। ये कभी कभी अपना स्वार्थ पूरा करने में कामयाब भी हो जाते हैं । लेकिन विकास की गति धीमी पड़ जाती है। जैसे की नोएडा में जीते हुए अध्यक्ष महासचिवों के पद झपट अपने लोगों को बिठाने तक की साजिशें रच डालीं गईं। यही कारण है कि ब्रिगेडीयर वी के भट्ट तथा ब्रिगेडीयर अशोक हर इलेक्शन लड़ने वालों के पोर्टफोलिओस देखना चाहते हैं। वैसे तो पैनी नजर वाले अध्यक्षों या महासचिवों का भी काफी बोलबाला है। उनके सेक्टरों का कुछ काम हुआ या नहीं लेकिन उनकी पैनी नजर,निन्दा रस बराबर बरसता रह्ता है। नोएडा के लोग तो पीठ पीछे ये भी कहने लगे हैं कि ये कैसा विकास या समझदारी है , 500/ की जगह 2000/ फारम की फीस देनी पड़ रही है । अच्छे मौसम की बजाय सर्दी में भाग – दौड़ कर रहे हैं। फिर वही बैलेट पेपर के लटके झटके, किसी को हटाना तो किसी को लगाना। अमा काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती। अब सब समझने लगे हैं। पवन यादव सेंचरी अपार्टमेंट्स का कहना है कि अब तो यह हो गया है कि यदि निर्णय आपकी पसंद का है तो आप अच्छे हैं यदि निर्णय आपकी पसंद का नहीं है। तो आप बहुत ही बुरे हैं, मकसद किसी भी कीमत पर सत्ता पानी है। वोटर बेचारे टेलीफोन ऑपरेटर से भी ज्यादा फोन कॉल्स का जवाब दे रहे हैं।
वोटर बेचारे कन्फ़्नयुजन में
नोएडा आर डब्लू ए के चुनाव में विनोद शर्मा, अशोक मिश्रा, प्रदीप वोहरा मेहनत कर विकास करने वालों के समर्थक हैं। लक्ष्मी नारायण, ऋषि पाल अवाना, रजनीश शर्मा, अशोक शर्मा उनकी समस्याओं में उनका साथ देने वालों के समर्थक हैं। नोएडा में महिला अध्यक्ष तथा महासचिवों की भागीदारी काफी कम है लेकिन फिर भी कर्नल उर्मिला शर्मा, अनीता जोशी, पुष्पा साहा, प्रिया रावत, पूनम सचदेवा, अनीता सिंह सखी, अंजली सचदेवा, जिम्मी वालिया हर पल विकास के लिए जूझती हैं। नोएडा अब एक विशाल क्षेत्र हो गया है प्राधिकरण उतना ही है, काम करने वालों की संख्या भी उतनी ही है। नोएडा के सेक्टरों की समस्याएं बेपनाह है। ऐसे में सुनील वाधवा, अशोक खन्ना, बाल गोविंद शर्मा, डीके खरबंदा गुरिंदर सिंह बंसल कोशिंदर यादव, देव दत्त शर्मा, राम पाल भाटी जैसे मेंबर्स भी हैं। जो सामाजिक तथा भक्ति पूर्ण कार्यक्रमों से पीछे नहीं हटते और इसलिए अपने सेक्टर के लोगों के दिल में बसते हैं। कर्नल लाल चंदानी, एच के गुप्ता, आर सी गुप्ता, राजीव शर्मा, अनिल भट्ट, अनिल कुमार, दिनेश भाटी अपने सेक्टर की समस्याओं को सुलझाने में तत्पर रहते हैं। ऐसे में जिसने काम किया है, विकास किया है। हर आर डब्लू ए अध्यक्ष तथा महासचिव को नोएडा प्राधिकरण के बडे से बडे अधिकारी के सामने अपनी समस्याओं को रखने का मौका दिया है। भाग – दौड़ की है तथा विकास की गारंटी दी है। उम्मीद आपकी है । फैसला भी आपका। विकास नोएडा का।
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