Friday, 17 May 2024

नोएडा के इस सेक्टर का एंट्रेंस गेट, निवासियों के लिए बना जी का जंजाल

अंजना भागी Noida News : मैं कभी-कभी यह सोचने पर मजबूर हो जाती हूं कि गेट समस्या का विकल्प हैं…

नोएडा के इस सेक्टर का एंट्रेंस गेट, निवासियों के लिए बना जी का जंजाल

अंजना भागी

Noida News : मैं कभी-कभी यह सोचने पर मजबूर हो जाती हूं कि गेट समस्या का विकल्प हैं या समाधान। मैं नोएडा के हर सेक्टर में जा कर वहाँ के निवासियों की परेशानियां देखती हूं। यही समझने के लिये कि यदि गेट हैं तब क्या मुसीबतें हैं? गेट नहीं है तो क्या समस्या है ? सेक्टर 40 के गेट की एंट्रेंस पर ही गेट के ऊपर एक होर्डिंग लगा है -एनी टाइम फिटनेस । यदि आप वहां सुबह या दोपहर में जाकर बैठ जाएं तो आप जान पायेंगे कि फिटनेस तो उस गेट के कहीं आस-पास भी नहीं ठहर सकती। नोएडा प्राधिकरण ने उस सेक्टर को बहुत ही खूबसूरती से बसाया था। खुला हरा भरा सैक्टर लेकिन आज वह भी फिटनेस को तरसने  लगा है। गेट नंबर 2 जो की मेंन सड़क पर खुलता है। उसकी एंट्रेंस पर एक बहुत मशहूर विद्यालय है । परेशानी यहाँ से शुरु होती है,  इस विद्यालय ने अपने सड़क पर खुलने वाले सभी गेट छोड़कर इमरजेंसी गेट को मेंन गेट बना लिया है। जिसके कारण ऐ ब्लॉक से लगभग हर सुबह ध्वनी, डस्ट यानि हर प्रकार का पॉल्यूशन फैलाता हैं।  इस स्कूल की लगभग 80 बसें हैं।

गेट, एंटरेंस या बस जंक्शन? …

नोएडा के सेक्टर 40  के अंदर से शोर मचाता भोंपू, तेज रफ्तार, धूल के गुब्बार उडाती ये बसें सुबह अंदर दाखिल होती हैंं। बच्चों को उतारती हैं। फिर वापिस जाती हैं। हम सभी जानते हैं बसों से उठने वाला धुआँ  ए ब्लॉक के इस इलाके का AQI लेवल लगभग 2% तक बढ़ा देता है। जो यहां के निवासियों के लिए खतरा पैदा कर र्रहा है। डी टी सी ने तो हरी बसें चला कर इस पर रोकथाम करने की कोशिश भी की है। लेकिन स्कूलों की बसें तो वही पुराने मोडल की हैं।वर्षों पहले जो ली गई थीं। हाँ रंग अब येलो हैं। रेजिडेटस आर डब्लू ए की तरफ देखते हैं । आर डब्लू ए ने कहां कहां 2 भाग दौड़ नहीं की । डी एम, सिटी मजिस्ट्रेट, नोएडा प्राधिकरण जहाँ जहाँ भी जा सकते हैं दौड़ लगा लगा कर परेशान हैं। अब पिछ्ले छह महीने से नई सीवर लाइन डालने को खुदाई चल रही है। जिसके कारण धूल की समस्या और बढ़ गई है।

सेक्टर के गेट नंबर 10 का भी बुरा हाल

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गेट नंबर 10 जिसके सामने अगाहपुर और बरौला गांव पड़ता है, बाहर से आने वाली हर छोटी-बड़ी गाड़ी को जाने‌ क्यों इस सैक्टर के अंदर की संकरी लेन से ही आना जाना होता है। यहाँ की RWA के अनुसार दिव्यांग बच्चों, माता मंदिर एवं साईं बाबा मंदिर स्कूल के बच्चे और उनके वाहनों को उन्होँने कभी भी मना नहीं किया। साईं मंदिर की डिस्पैंसरी में इलाज के लिए आने जाने वालो को भी कभी नहीं रोका पर बरौला गांव में होने वाला पत्थर का काम जिसके कारण सारा दिन किसी भी समय ट्रक लोड होकर शहर में इधर से उधर जाते है। गांव और 40 सेक्टर को एक दूसरे से जुदा करने वाली अच्छी खासी मेंन सड़क भी है ? लेकिन पता नहीं क्यों? यह बाहर से भरे हुए ट्रक धुआं धुल उड़ाते, हर प्रकार के भोंपू बजाते सेक्टर के गेट नंबर 10 से ही क्यों गुजरते हैं? बात फिर वही कि क्या किया जाए ? इस सेक्टर के अध्यक्ष अशोक शर्मा का कहना है कि हम सभी का सम्मान करते हैं लेकिन सेक्टर में गेट लगाने के बावजूद भी रेजिडेंट अपने आप को कनविन्स नहीं कर पा रहे हैं कि वे कैसे सुरक्षित हैं? ऐसा नहीं की RWA मदद नही करती है। महासचिव पूनम के अनुसार दिव्यांग बच्चों के स्कूल की बसों को RWA ने कभी भी मना नही किया। वे सब अंदर से ही निकलती हैं। अनिल सहगल पूर्व अध्यक्ष ग्रीन बेल्ट के विकास को लेकर परेशान हैं।  कुछ ऐसा ही सेक्टर 82 स्वर्णिम विहार डुप्लेक्स अपार्टमेंट की अध्यक्षा कर्नल उर्मिला शर्मा का भी कहना है उनके पीछे एल आई जी उद्योग विहार है उनके दूसरी तरफ रोड है उस रोड वाली साइड के गेटों पर ताले लगे हैं। वे अपना आवागमन स्वर्णिम विहार डुप्लेक्स के अंदर से ही करते हैं। स्वर्णिम विहार वालों का कहना है की उन्हें भी तो शांति पूर्ण जीवन चाहिये।Noida News

पर कहाँ है शान्ति ?

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महासचिव सुखविंदर का कहना है कि सीनियर सिटीजंस इस डुप्लेक्स एरिया में ज्यादा रहते हैं । लेकिन क्या करें? रेजिडेंट यदि गेट बंद है तो खुद को सुरक्षित समझते हैं। इन बन्द गेटों को देख कुछ ऐसे भी हैं जो गरजते हैंं। हम देखते हैं कौन माइ का लाल बंद करेगा हमारा रास्ता ? हमारी एन्ट्री ? गेट तो पुलिस की भी मदद करते हैं। जनसंख्या बढ़ती जा रही है पुलिस विभाग तो अपनी स्पीड से ही बड़ता है ऐसे में गेटों से पब्लिक सुरक्षित मह्सूस करती है। कुछ तो सहयोग मिलता ही है न गेटों से । यूँ गेट जो कि सुरक्षा का विकल्प बनने चाहिएं वह आज कहीं कहीं असुरक्षा तथा अव्यवस्था का कारण बनाये जा रहे हैं। समस्या इतनी भी गम्भीर नहीं जिसका कोई समाधान ही न हो सके ? फर्क सिर्फ सोच का है । जो सैक्टर भी ऐसी सिचुएशन से गुजर रहे हैं कि यदि गेट बंद करते हैं तो बाहर वाले आंख दिखाते हैं। नहीं बंद करते हैं तो अंदर रेजिडेंट्स आंख दिखाते हैं । क्या किया जाए? काश सभी एक दूसरे की सोच का सम्मान कर पाते ना की ये मुकाबला कि उनकी ऐसी हिम्मत ही कैसे हुई? यानी मुकाबला कहीं धन से तो कहीं अधिक पब्लिक से ? यह मूंग और मसूर की दाल लेकिन अशांति तो दोनों ही और है।Noida News

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