Wednesday, 30 April 2025

आखिर मुझे ही गुस्सा क्यों आता है?

Noida News : सेंचुरी अपार्टमेंट्स (Century Apartments) सेक्टर-100 के बाहर मंगल बाजार लगा हुआ था। साथ ही वोडा मंदिर है और…

आखिर मुझे ही गुस्सा क्यों आता है?

Noida News : सेंचुरी अपार्टमेंट्स (Century Apartments) सेक्टर-100 के बाहर मंगल बाजार लगा हुआ था। साथ ही वोडा मंदिर है और उसके साथ बना हुआ है एक निशुल्क शौचालय  जिसकी देखभाल के लिए एक व्यक्ति भी वहां हर वक्त बैठा रहता है। मेरे बेटे को शौचालय जाना था। वह गया और आकर बोला पता नहीं लोग बाहर तक पानी फर्श पर कैसे फैला देते हैं?

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मेरी जरूरत तो नहीं थी फिर भी मैं भी टॉयलेट गई। मुझे अंदर जाते ही वहां के सफाई कर्मचारी पर पता नहीं क्यों क्रोध आने लगा था? महिला की तरफ का टॉयलेट का हिस्सा कुछ गीला था। फर्श पर पानी फैला हुआ था। बिना कुछ कहे इस्तेमाल कर मैं वापस आ गई। यही कुछ मेरे साथ इस सोमवार को भी हुआ। सेक्टर-12 पुलिस चौकी के बाहर एक टॉयलेट है। निशुल्क टॉयलेट! बहुत ही साफ सुथरा। उसमें भी एक कर्मचारी हर वक्त उपलब्ध रहता है। बाहर सोम बाजार लगा हुआ था। मैं भी कुछ पसंद की सब्जियां लेने गई थी। मार्केट में समय लग ही जाता है। अत: मुझे टॉयलेट जाने की आवश्यकता हुई। मैं वहां गई लेकिन अंदर जाकर मेरा मन बहुत ही खिन्न हो गया। नीचे पानी फैला हुआ था। दो महिलाएं वहां पर अपने बच्चों के साथ थीं। एक महिला का बच्चा छोटा था उसे महिला ने टॉयलेट के बहुत साफ सुथरे वॉश बेसिन पर ही अपने बच्चे की दोनों टांगे खोलकर उसको साफ कर दिया। छोटा बच्चा खुश था। गर्मी थी पानी उसके शरीर में लगा तो वह मुस्कुरा रहा था। अत: उस महिला ने थोड़ा खेल भी कर लिए। जैसे कि बच्चे की पीठ पर पानी डालते हुए पटपट किया पानी के छींटे महिला के चपक चपक करने से पूरे बेसिन पर कुछ शीशे पर भी पड़े। दूसरी महिला का बच्चा लगभग दो ढाई वर्ष का था उसने भी वहीं वॉश बेसिन के पास ही नीचे बच्चे को खड़ा किया। अपनी थैली में से एक बोतल निकाली और उस को वहीं वॉश कर दिया। बेसिन के पास खड़े-खड़े ही दोनों ही अपना काम करके बहुत खुश थीं। उसके बाद उन्होंने अपने चुल्लू में पानी भर भर के अपने पैरों पर डाला। गर्मी थी अच्छा लगा चप्पल भी धुल गई। उनके पांव भी गीले हो गए और वे कुल्ला कर मुस्कुराती हुई चली गईं। अब क्योंकि लडऩा मेरी फितरत में नहीं है मैं आवाक।

देखती ही रह गई। आप स्वयं कल्पना कर सकते हैं एक बच्चे की पॉटी वॉश बेसिन में दूसरे की वॉश बेसिन के नीचे। सामने दोनों टॉयलेट वेस्टर्न भी और इंडियन भी वहां तक पानी बहते बहते जिस दिशा में जाने को दिल हुआ उस ओर चला गया। मेरी जैसी महिला वहां पर खड़े होकर क्या करे? सिवाय खपत खाने के।

पता नहीं क्यों मुझे लगा कि कभी-कभी छोटे-छोटे फैसले लेने में हम समय लगा देते हैं। लेकिन फैसला करने के बाद बहुत तसल्ली होती है। अत: मैंने सफाई कर्मचारी को थोड़ा ऊंची आवाज में बुलाया।
सफाई कर्मचारी फोन में अपना दिमाग लगा रहा था। मैंने कहा भैया ये क्या हाल बना दिया टॉयलेट का? वह चुप रह गया उसकी इस बात से मुझे बहुत क्रोध आया। मुझे लगा कि मैं पूछ रही हूँ ये चुप है। मैं बेवकूफ हूं क्या? लेकिन अब मुझे लगता है कि वह समझदार था। वह समझ गया था कि जिस बात का उसके पास कोई जवाब ही नहीं है। तो वो मुझे क्या जवाब दे? वहां मार्केट लगी हुई है। इसी तरह की महिलाएं बच्चे आते रहेंगे और हर सेकंड पर टॉयलेट का यह हाल बनाकर जाएंगे। अब ऐसे में वह क्या करे? या तो पूरी शाम लड़े बहस करे? अन्यथा जो भी मेरा यह आर्टिकल पड़े अपने घर की महिलाओं को बच्चों को समझाने की जहमत जरूर करें। इस सुविधा से सफाई कर्मचारियों को तथा सरकार द्वारा दी सुविधा का लाभ उठाने के लिए मदद करें।

मैं करोल बाग अपनी चाची के घर गई थी बात काफी पुरानी है। मेट्रो रेल के लिए खुदाईयां चल रही थी। मेरी चाची ने मुझे कांजी पिलाई कांजी बहुत स्वाद थी उसने मुझे जिद करके दो-तीन गिलास पीला दी।
घर आने के लिए मैं बस में बैठी मेरा भाई मेरे साथ था। कनॉट प्लेस तक आते-आते मेरी क्या दुर्गति हुई? अत: एक टॉयलेट दूर से नजर आया जेंट्स टॉयलेट था। फिर भी हम दोनों बहन भाई बस से कूद ही पड़े थे। मेरे पेट की दशा बहुत खऱाब थी। लेडिज। को भी टॉयलेट की आवश्यकता पड़ सकती है। ऐसी उस समय सोच ही ना थी मेरा भाई बाहर खड़ा हुआ और मैं अंदर।

लेडीज टॉयलेट बनने की जब शुरुआत हुई मेरा दिल जानता है मैं कितनी खुश और मैं सरकार को कितने धन्यवाद करती थी लेकिन टॉयलेट की दुर्गति देख पाना मेरे लिए अत्यंत कठिन है। जब हमें साफ सुथरा टॉयलेट और पानी भी मिल रहा है तो क्या हम जिस जगह को जिस प्रकार इस्तेमाल करना चाहिए ऐसा नहीं कर सकते? हमें ऐसा करना चाहिए और जो नहीं करते उनके साथ बाकायदा बहस भी करनी चाहिए। यहां पर अच्छा तो नहीं लगता लेकिन कहना ही पड़ेगा जिन टॉयलेट्स पर शुल्क लगा हुआ है। उनकी स्थिति ऐसी नहीं होती। जो निशुल्क हैं वही टॉयलेट गंदे भी मिलते हैं। चोक होते हैं। वहां पानी भी फैला रहता है। किसका दोष है? सफाई कर्मचारी का या इस्तेमाल करने वालों का? Noida News :

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