लुधियाना में मौत की बोतल: जहरीली शराब से तीन की गई जान

Punjab News
National News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar23 May 2025 06:00 PM
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National News : लुधियाना एक बार फिर जहरीली शराब के जहर से कांप उठा है। नूरवाला रोड स्थित संन्यास नगर इलाके में एक शराब ठेके से खरीदी गई शराब पीने के बाद तीन दोस्तों की मौत हो गई। मृतकों की पहचान रिंकू (40), देबी (40) और मंगू (45) के रूप में हुई है। ये तीनों दोस्त एक खाली प्लॉट में शराब पी रहे थे। कुछ ही समय में उनकी हालत बिगड़ गई और कुछ घंटों के भीतर तीनों की मौत हो गई।

इलाज के दौरान हुई मौत

रिंकू की मौत तो मौके पर ही हो गई, जबकि देबी और मंगू को सीएमसी अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। प्रत्यक्षदर्शियों और परिवार वालों का कहना है कि शराब पीने के बाद तीनों की हालत बेहद खराब हो गई थी।  मुंह से झाग निकल रहा था और शरीर नीला पड़ता जा रहा था। ऐसे संकेत साफ जहरीली शराब की ओर इशारा करते हैं लेकिन प्रशासन अब भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतज़ार कर रहा है।

प्रशासन और पुलिस की कार्रवाई

घटना की जानकारी मिलते ही थाना बस्ती जोधेवाल की पुलिस हरकत में आई। पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या (IPC 304) के तहत मामला दर्ज किया और संन्यास नगर स्थित शराब ठेके को तत्काल बंद करवा दिया गया। शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और विसरा जांच के लिए सैंपल खरड़ लैब को भेजे गए हैं। एसएचओ जसवीर सिंह ने बताया कि अभी तक मौत के कारणों की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन प्रारंभिक तौर पर मामला संदिग्ध लग रहा है।

फिर दस्तक दे रहा है मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन कोविड-19

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अवैध कब्जे हटाओ, हाईवे बचाओ – सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को कड़ा निर्देश

Supreme Court of India
Supreme Court
locationभारत
userचेतना मंच
calendar23 May 2025 05:33 PM
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Supreme Court : देशभर में फैले राष्ट्रीय राजमार्ग (नेशनल हाईवे) आज सिर्फ सफर की राह नहीं बल्कि अवैध कब्जों का शिकार बनते जा रहे हैं। सड़क सुरक्षा, यातायात प्रबंधन और सार्वजनिक सुविधाओं पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इसी गंभीर मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को कड़े और ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति अभय एस. ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर हो रहे अतिक्रमण न केवल कानून के उल्लंघन हैं बल्कि ये आम नागरिकों की जान जोखिम में डालने वाले कारक भी बन चुके हैं। कोर्ट ने कहा कि राजमार्ग भूमि पर किसी भी तरह का अनधिकृत कब्जा या निर्माण तुरंत हटाया जाए और इसकी निगरानी के लिए स्थायी व्यवस्था बनाई जाए।

क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश?

  • केंद्र सरकार को राष्ट्रीय राजमार्ग भूमि पर हो रहे अतिक्रमण की पहचान और हटाने के लिए निरीक्षण दल (इंस्पेक्शन टीमें) गठित करनी होंगी।
  • राज्यों की पुलिस या अन्य सुरक्षाबलों की निगरानी में इन टीमों से नियमित पेट्रोलिंग कराई जाएगी।
  • कोर्ट ने केंद्र से कहा कि तीन महीने के भीतर पूरी कार्रवाई की रिपोर्ट अदालत को सौंपी जाए।
  • सरकार को नेशनल हाईवे एक्ट, 2002 और हाईवे एडमिनिस्ट्रेशन रूल्स, 2004 के तहत काम करते हुए एसओपी (Standard Operating Procedure) भी तैयार करनी होगी, ताकि भविष्य में अतिक्रमण से निपटने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश हों।

क्यों जरूरी है यह कदम?

इस याचिका में कोर्ट का ध्यान उस गंभीर समस्या की ओर दिलाया गया था जो अक्सर लोगों की नजरों से ओझल रहती है। राष्ट्रीय राजमार्गों पर अतिक्रमण के कारण घटती सड़क सुरक्षा और बढ़ते हादसे। दुकानें, ढाबे, अस्थायी निर्माण, अवैध पार्किंग ये सब हाईवे की जमीन पर कब्जा करके न केवल ट्रैफिक की रफ्तार रोकते हैं, बल्कि खतरे को भी बढ़ाते हैं।

सामाजिक असर और प्रशासनिक जिम्मेदारी

इस फैसले से यह भी साफ हो गया है कि अब अदालतें सिर्फ आदेश नहीं दे रहीं, बल्कि प्रत्यक्ष जिम्मेदारी तय कर रही हैं। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्देश "कानून का डर नहीं, कर्तव्य की चेतना" की ओर एक बड़ा संकेत है। यह कदम प्रशासन, पुलिस और स्थानीय निकायों को यह स्पष्ट रूप से संदेश देता है कि ढिलाई की अब कोई जगह नहीं। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है न सिर्फ सड़क सुरक्षा और यातायात प्रबंधन के क्षेत्र में, बल्कि कानून व्यवस्था और सरकारी जवाबदेही को लेकर भी। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या केंद्र और राज्य सरकारें इस पर समयबद्ध तरीके से अमल करती हैं या फिर यह निर्देश भी किसी और "फाइल" में दफन हो जाएगा।

NEET-PG में सीट ब्लॉकिंग पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती, अब नहीं चलेगी चालाकी

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NEET-PG में सीट ब्लॉकिंग पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती, अब नहीं चलेगी चालाकी

Supreme Court 3 min
Supreme Court
locationभारत
userचेतना मंच
calendar27 Nov 2025 04:33 AM
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Supreme Court : NEET-PG काउंसलिंग प्रक्रिया में सीट ब्लॉकिंग जैसी अनैतिक प्रथाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि पीजी मेडिकल सीटों को जानबूझकर ब्लॉक करना केवल एक व्यक्तिगत गलती नहीं बल्कि यह सिस्टम में मौजूद गहरी खामियों का प्रतीक है।  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी हरकतें पारदर्शिता नीति प्रवर्तन और नियामक जवाबदेही की कमी को उजागर करती हैं।

अब छात्रों को नहीं करना पड़ेगा धोखाधड़ी का सामना

अब NEET-PG काउंसलिंग में भाग लेने वाले सभी निजी और डीम्ड विश्वविद्यालयों को काउंसलिंग शुरू होने से पहले ही ट्यूशन फीस, हॉस्टल चार्ज, सिक्योरिटी डिपॉज़िट और अन्य सभी खर्चों का खुलासा करना अनिवार्य होगा। इससे छात्र पहले से ही वित्तीय भार की स्पष्ट जानकारी प्राप्त कर सकेंगे और उन्हें भ्रम या धोखाधड़ी का सामना नहीं करना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) को निर्देश दिया है कि एक केंद्रीकृत शुल्क विनियमन ढांचा बनाया जाए ताकि सभी संस्थानों पर एक समान निगरानी रखी जा सके।

सीट ब्लॉक करने वाले छात्रों और संस्थानों पर होगी कड़ी कार्रवाई

कोर्ट के आदेश में यह भी कहा गया है कि सीट ब्लॉक करने वाले छात्रों और संस्थानों पर कड़ी कार्रवाई होगी। इनमें सुरक्षा राशि जब्त करना, NEET-PG की आगामी परीक्षाओं से अयोग्य घोषित करना और दोषी कॉलेजों को ब्लैकलिस्ट करना शामिल है। इतना ही नहीं, कोर्ट ने अखिल भारतीय कोटा और राज्य स्तरीय काउंसलिंग राउंड्स को एक समन्वित राष्ट्रीय कैलेंडर के अंतर्गत लाने का निर्देश भी दिया है, ताकि पूरी प्रक्रिया अधिक सुव्यवस्थित और पारदर्शी हो सके।

किसी भी तरह की लापरवाही नहीं की जाएगी बर्दाश्त

इसके अलावा, NEET-PG परीक्षा की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मल्टी-शिफ्ट परीक्षा के बाद कच्चे अंक, उत्तर कुंजी और सामान्यीकरण फॉर्मूले को सार्वजनिक करने का भी निर्देश दिया है। इस फैसले से यह स्पष्ट संकेत गया है कि अब मेडिकल प्रवेश प्रक्रिया में कोई ढील या लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह आदेश उत्तर प्रदेश सरकार और चिकित्सा शिक्षा विभाग की याचिका पर आया, जिसमें 2018 के इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें दो छात्रों को मुआवजा देने का निर्देश दिया गया था। वे छात्र सीट ब्लॉकिंग के कारण अपना हक पाने से वंचित रह गए थे। Supreme Court

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