जल्दी ही बिकने वाला है हल्दीराम का पूरा कारोबार, 70 हजार करोड़ लगी है कीमत

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Haldiram
locationभारत
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calendar30 Nov 2025 06:55 PM
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Haldiram : हल्दीराम का नाम आपने जरूर सुना ही होगा। जी हां हम उसी हल्दीराम की बात कर रहे हैं जिस हल्दीराम की मिठाई तथा नमकीन सबसे ज्यादा स्वादिष्ट मानी जाती है। खबर यह है भारत में मिठाई का सबसे प्रसिद्ध ब्राण्ड हल्दीराम जल्दी ही बिकने वाला है। हल्दीराम के पूरे कारोबार की कीमत 70 हजार 500 करोड़ रूपए लगाई गई है। बड़ी-बड़ी विदेशी कंपनियां भारत के हल्दीराम ब्राण्ड को खरीदने के लिए लगी हुई हैं।

जल्दी ही बिकेगा हल्दीराम

भारत की आजादी से भी पहले 87 साल पुराना भारत का हल्दीराम ब्राण्ड (Haldiram) जल्दी ही बिक जाएगा। दुनिया की सबसे बड़ी प्राइवेट इक्विटी कंपनी ब्लैकस्टोन इंक (Blackstone Inc) की अगुवाई वाले कंसोर्टियम को टक्कर देने के लिए अब टेमासेक होल्डिंग्स लिमिटेड (Temasek Holdings Ltd) और बेन कैपिटल (Bain Capital) ने हाथ मिला लिया है। इसे देश में अब तक का सबसे बड़ा प्राइवेट इक्विटी सौदा माना जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक बेन और टेमासेक ने पिछले हफ्ते पिछले हफ्ते नॉन-बाइंडिंग ऑफर सौंप दिया है। इसके लिए हल्दीराम की वैल्यूएशन 8 से 8.5 अरब डॉलर यानी 66,400 से 70,500 करोड़ रुपये आंकी गई है। खबर आई थी कि दुनिया के सबसे बड़े निजी इक्विटी फंड ब्लैकस्टोन ने कंपनी में 76% तक हिस्सेदारी खरीदने के लिए अबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (ADIA) और सिंगापुर के सॉवरेन वेल्थ फंड जीआईसी के साथ हाथ मिलाया है। बेन के ग्लोबल फंड्स में टेमासेक लिमिटेड पार्टनर है। ADIA और GIC के साथ भी बेन का यही रिश्ता है। पिछले साल नवंबर में, बेन ने अपने पांचवें पैनएशिया प्राइवेट इक्विटी फंड का अंतिम समापन 7.1 अरब डॉलर पर पूरा किया, जो अपने लक्ष्य से 40% अधिक था। यह इस क्षेत्र के लिए उसका सबसे बड़ा फंड था। बेन पिछले सात महीनों में हल्दीराम को ऑपरेट करने वाले अग्रवाल परिवार के बातचीत में लगा था। उसकी अग्रवाल परिवार के नागपुर और दिल्ली गुट के साथ बात हो रही थी। 2023 के आखिर में बेन के अधिकारियों ने हल्दीराम की फैक्ट्री का भी दौरा किया था। तब दोनों पक्षों के बीच बातचीत में तेजी आई थी। यह बातचीत माइनोरिटी इन्वेस्टमेंट पर केंद्रित थीं। लेकिन अग्रवाल परिवार की योजना अब स्नैक्स बिजनस का मर्जर करने और रेस्तरां चेन के लिए अलग कंपनी बनाने की है। यह कंपनी परिवार के पास ही रहेगी। इसके साथ ही परिवार हल्दीराम में मैज्योरिटी स्टेक बेचने को तैयार है। अग्रवाल परिवार की अगली पीढ़ी दूसरे बिजनस को आगे बढ़ाना चाहती है। हल्दीराम में मैज्योरिटी हिस्सेदारी बेचने की डील तीन-चार महीने में पूरी हो सकती है। हल्दीराम के स्नैक्स बिजनस के मर्जर को एनसीएलटी ने मंजूरी दे दी है और इसमें भी तीन-चार महीने लगने की उम्मीद है। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने पिछले अप्रैल में विलय योजना को मंजूरी दी थी। बेन अन्य एलपी और भागीदारों को भी इस डील में शामिल करके बड़ा कंसोर्टियम बना सकता है। लेकिन यह इस बात पर निर्भर करेगा कि अग्रवाल परिवार हल्दीराम में कितनी हिस्सेदारी बेचता है और इसकी वैल्यूएशन कितनी रहती है। इसी आधार पर ब्लैकस्टोन भी अपने कंसोर्टियम का दायरा बढ़ा सकता है। लेकिन इतना तय है कि दोनों कंसोर्टियम मैनेजमेंट कंट्रोल में बदलाव चाहता है। यह पहला मौका है जब बेन और टेमासेक भारत में किसी डील के लिए साथ आए हैं। इससे पहले बेन ने को-इन्वेस्टमेंट के लिए जीआईसी के साथ मिलकर काम किया है। बेन और टेमासेक ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। हल्दीराम के सीईओ केके चुटानी ने कहा कि कंपनी इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती है। सूत्रों का कहना है कि नॉन-बाइंडिंग ऑफर का मतलब यह नहीं है कि अंतिम वार्ता सफल होगी। एक पीई अधिकारी ने कहा कि इस डील में सबसे बड़ी समस्या इसका आकार और अग्रवाल परिवार द्वारा अपेक्षित प्रीमियम है।

87 साल पहले शुरू हुआ था हल्दीराम

अब से पूरे 87 साल पहले हल्दीराम ब्रांड की शुरुआत 1937 में गंगा बिसन अग्रवाल ने की थी। आज इसका बिजनस 100 से अधिक देशों में फैला हुआ है। कंपनी 400 से अधिक तरह के फूड आइटम्स बेचती है। इनमें नमकीन, मिठाइयां, स्नैक्स, रेडी टु ईट फूड, फ्रोजन फूड, बिस्कुट, कनफेक्शनरी, रेडी टु ड्रिंक बेवरेजेज और पास्ता आदि शामिल हैं। कंपनी भारत के बाहर भी कई देशों को एक्सपोर्ट करती है। इनमें यूरोप और अमेरिका के कई देश शामिल हैं। हल्दीराम के नागपुर और दिल्ली गुटों का मर्जर हो चुका है जिसे कंप्टीशन कमीशन ऑफ इंडिया ने पिछले साल मंजूरी दी थी। HSFPL में हल्दीराम स्नैक्स प्राइवेट लिमिटेड की 56 परसेंट और हल्दीराम फूड्स इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड (HFIPL) की 44 फीसदी हिस्सेदारी है। रिसर्च फर्म IMARC ग्रुप की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत का स्नैक्स बाजार 2023 में 42,694 करोड़ रुपये का था और 2032 तक इसके 95,521 करोड़ रुपये पहुंचने का अनुमान है। हल्दीराम की वैल्यूएशन वित्त वर्ष 2022 में उसके कारोबार की बिक्री के मुताबिक लगभग 83,000 करोड़ रुपये है। खरीददार कंपनी ने हल्दीराम की वैल्यू 70500 करोड़ रूपए तक आंकी है। कहा जा रहा है कि धीरे-धीरे खरीददार कंपनी वैल्यू बढ़ा रही है। हल्दीराम की डील 85 हजार करोड़ रूपए से भी अधिक में हो सकती है। हल्दीराम की यह डील भारत की सबसे बड़ी डील होगी।

राजनाथ सिंह का बड़ा बयान, 2029 में भी मोदी बनेंगे PM

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राजनाथ सिंह का बड़ा बयान, 2029 में भी मोदी बनेंगे PM

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Election Result 2024:
locationभारत
userचेतना मंच
calendar17 May 2024 06:44 PM
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Rajnath Singh on PM Modi : पिछले दिनों दिल्ली के सीएम केजरीवाल की ओर से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उम्र को लेकर कई सवाल उठाए गए थे। उनका कहना था कि पीएम मोदी 75 की उम्र के बाद कुर्सी छोड़ देंगे। इसे लेकर केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने बड़ा बयान दिया है। केंद्रीय रक्षा मंत्री और उत्तर प्रदेश की लखनऊ सीट से भाजपा उम्मीदवार राजनाथ सिंह ने कहा है कि मैं भाजपा के एक वरिष्ठ नेता होने के नाते कहना चाहता हूं कि 2024 में भी वे (नरेंद्र मोदी) भारत के प्रधानमंत्री बनेंगे और 2029 में भी वे भारत के प्रधानमंत्री बनेंगे।

मीडिया से बातचीत के दौरान किया एलान

मीडिया से बात करते हुए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आरक्षण के मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि आरक्षण समाप्त करने का प्रश्न ही नहीं खड़ा होगा, लेकिन धर्म के आधार पर कोई भी आरक्षण नहीं होगा। आरक्षण की जो व्यवस्था चल रही है वो व्यवस्था यथावत चलती रहेगी। इसके साथ ही उन्होंने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा उन्होंने कि विपक्षी पार्टियां देश की जनता को गुमराह करके उनका समर्थन हासिल करना चाहती हैं। राजनाथ सिंह ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कि संविधान में सबसे ज्यादा परिवर्तन कांग्रेस लोगों ने किया है। संविधान की प्रस्तावना जो संविधान की आत्मा है। प्रस्तावना में बदलाव नहीं होना चाहिए। उसमें बदलाव करने का काम 1976 में इंदिरा गांधी ने किया।

ईडी पर चला सुप्रीम कोर्ट का डंडा, अब औकात में रहेगी ED

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ईडी पर चला सुप्रीम कोर्ट का डंडा, अब औकात में रहेगी ED

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Supreme Court Verdict On ED
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 05:28 PM
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Supreme Court Verdict On ED : प्रवर्तन निदेशालय यानि कि ED का नाम रोज सुनने तथा पढऩे में आता है। ED को केन्द्र सरकार ने असीमित शक्तियां दे रखी हैं। ED जब किसी को चाहे गिरफ्तार कर लेती है। अब ED पर सुप्रीम कोर्ट ने कानून का बड़ा डंडा चला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि ED के पास असीमित शक्तियां अब नहीं रहेंगी। कोर्ट के द्वारा संज्ञान लेने पर ED अब गिरफ्तारी नहीं कर सकेगी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की खूब तारीफ हो रही है। यह साफ है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ED तथा कोन्द्र सरकार के खिलाफ है।

ED के ऊपर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने ED को लेकर एक बहुत बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा, यदि आरोपी किसी समन के जवाब में कोर्ट में पेश होता है तो जांच एजेंसी ED को हिरासत के लिए संबंधित कोर्ट में आवेदन करना होगा। यदि आरोपी कोर्ट के समन के जवाब में पेश हो रहा है तो उसे स्वत: ही हिरासत में नहीं माना जा सकता। ऐसे आरोपी को जमानत का आवेदन देने की जरूरत नहीं है। इसलिए पीएमएलए कानून की धारा 45 की दोहरी शर्त ऐसे केस में लागू नहीं होगी। हालांकि, विशेष कोर्ट अभियुक्त को आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 88 के अनुसार बॉन्ड देनेे का निर्देश दे सकती है। धारा 45 की दोहरी शर्त कहती है, यदि मनी लॉन्ड्रिंग केस का आरोपी जमानत का आवेदन करता है, तो कोर्ट को पहले सरकारी वकील को पक्ष रखने की अनुमति देनी होगी व इस बारे में संतुष्ट होने पर ही कि आरोपी दोषी नहीं है और आगे भी ऐसा अपराध नहीं करेगा, जमानत मंजूर की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने ED के मामले में हिरासत के लिए ईडी के आवेदन पर सुनवाई करते हुए, कोर्ट तभी ईडी को अनुमति दे सकती है, जब वह संतुष्ट हो कि हिरासत में पूछताछ जरूरी है, भले ही आरोपी को पीएमएलए की धारा 19 के तहत कभी गिरफ्तार नहीं किया गया हो। यह धारा ईडी को मनी लॉन्ड्रिंग में साक्ष्यों के आधार पर गिरफ्तारी की शक्ति देती है। कोर्ट ने कहा, धारा 44 की शिकायत पर पीएमएलए की धारा 4 के तहत दंडनीय अपराध का संज्ञान लेने के बाद, ईडी आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए धारा 19 में मिली शक्तियों का इस्तेमाल नहीं कर सकता।

ED पर फैसले का खास कारण

सुप्रीम कोर्ट के ED पर दिए गए फैसले का कारण एक पुराना मुकदमा बना है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट एक मामले की सुनवाई कर रहा था। सुनवाई इस बात पर चल रही थी कि ED के समन के जवाब में आरोपी सीधा कोर्ट में पेश हुआ था। ऐसे में सवाल यह था कि जब कोर्ट ने मामले का संज्ञान ले लिया है तो क्या ED उसे गिरफ्तार कर सकती है ? यह भी सवाल था कि क्या ऐसे व्यक्ति को जमानत की दोहरी शर्त पूरी करनी पड़ेगी ? इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ED पर कानून का बड़ा डंडा चला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि जिस मामले में कोर्ट ने संज्ञान ले लिया हो उस मामले में ED आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकती है। ED पर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की सभी जगह खूब तारीफ हो रही है। यह अलग बात है कि केन्द्र सरकार तथा ED के लिए यह बहुत बड़ा झटका है।

चार धाम को लेकर लिया गया बड़ा फैसला, इस तारीख तक बंद किए रजिस्ट्रेशन

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