सेंट्रल हॉल में सुदर्शन रेड्डी का जोरदार बयान, लोहिया की सीख का दिया हवाला

सेंट्रल हॉल में सुदर्शन रेड्डी का जोरदार बयान, लोहिया की सीख का दिया हवाला
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calendar26 Nov 2025 08:10 PM
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INDIA ब्लॉक के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी ने बुधवार को संसद के सेंट्रल हॉल में गठबंधन के सदस्यों से मुलाकात के दौरान उपराष्ट्रपति चुनाव की गरमाहट के बीच अपनी मजबूत राजनीतिक स्थिति का परिचय दिया। इस दौरान उन्होंने समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया का प्रसिद्ध कथन दोहराया: “जब सड़क खामोश होती है, तो संसद आवारा हो जाती है।” सुदर्शन रेड्डी ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी सड़कों पर सन्नाटा नहीं रहने देते और सरकारों को निर्णायक कदम उठाने के लिए मजबूर करते हैं। Vice Presidential Election

सार्वजनिक संवाद और उत्साह

सुदर्शन रेड्डी ने इस मौके पर कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी सड़क पर सन्नाटा नहीं रहने देते और सरकारों को निर्णायक कदम उठाने के लिए मजबूर करते हैं। उन्होंने बताया कि यह उनके स्वभाव और आदत का हिस्सा बन चुका है, और चुनौतियों का सामना करना उनकी राजनीतिक यात्रा का अहम हिस्सा है। उन्होंने तेलंगाना में जाति जनगणना को व्यवस्थित रूप से कराने में राहुल गांधी की भूमिका का उदाहरण भी दिया। पूर्व न्यायाधीश ने कहा, “मैं थोड़ा नर्वस हूं, थोड़ा उत्साहित और रोमांचित भी। जब आप विभिन्न मुद्दों पर राष्ट्र को संबोधित करते हैं, मैं आप सभी की प्रतिक्रियाओं को ध्यान से सुनता हूं। मेरी यह सोच लोहिया जी की विचारधारा से प्रेरित है।

लोकतांत्रिक अधिकारों पर जताई चिंता

इस बैठक में सुदर्शन रेड्डी ने कई संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने बिहार में SIR (Systematic Investigation Report) और मतदान के सार्वभौमिक अधिकारों पर चिंता जताई। उनका कहना था, “वोट देना आम आदमी का सबसे महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक हथियार है। जब इसे छीनने की कोशिश होगी, तो लोकतंत्र की नींव पर गंभीर संकट खड़ा होगा।”

पूर्व जज ने यह भी साझा किया कि उनके एक साथी सुप्रीम कोर्ट जज ने पूछा था कि वे “राजनीतिक दलदल में क्यों जा रहे हैं?”। सुदर्शन रेड्डी ने जवाब दिया कि उनका सफर 1971 में वकील के तौर पर शुरू हुआ था और वर्तमान चुनौती उसी यात्रा का हिस्सा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत के उपराष्ट्रपति का पद किसी राजनीतिक दल का हिस्सा नहीं है।

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नामांकन और चुनावी मुकाबला

बी. सुदर्शन रेड्डी आज (21 अगस्त) उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन दाखिल करेंगे। उनका मुकाबला सत्तारूढ़ NDA के उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन से है। 9 सितंबर को होने वाले चुनाव से पहले दोनों खेमे सक्रिय रूप से समर्थन जुटा रहे हैं, जिससे एक रोमांचक राजनीतिक मुकाबले की उम्मीद जताई जा रही है।  Vice Presidential Election

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बिल्ली पालना शुभ है या अशुभ! जानिए क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र?

बिल्ली पालना शुभ है या अशुभ! जानिए क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र?
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userचेतना मंच
calendar20 Aug 2025 04:15 PM
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घर में बिल्ली दिख जाए तो कई लोगों को शुभ-अशुभ की चिंता सताने लगती है। कुछ लोग इसे सौभाग्य का प्रतीक मानते हैं तो कुछ इसे अशुभ मानकर डर जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र और परंपराओं में बिल्ली को लेकर कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं। आइए जानते हैं बिल्ली पालने, घर में बिल्ली के आने या बच्चा देने जैसे संकेतों का ज्योतिषीय नजरिए से क्या मतलब होता है। Is Cat Lucky or Unlucky 

क्या घर में बिल्ली पालना सही है?

ज्योतिष के अनुसार, घर में बिल्ली पालना आमतौर पर अशुभ माना जाता है। खासतौर पर काली या सफेद बिल्ली पालने से राहु और केतु जैसे ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा सक्रिय हो सकती है। माना जाता है कि इससे घर में मानसिक तनाव, अज्ञात भय, स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें या वित्तीय समस्याएं बढ़ सकती हैं। हालांकि, इसका यह मतलब नहीं कि हर स्थिति में बिल्ली को घर में रखना गलत है। कुछ विशेष परिस्थितियों में और खास रंग की बिल्लियों के आने को शुभ संकेत भी माना गया है।

अगर बिल्ली घर में बच्चे दे जाए तो?

अगर बिल्ली आपके घर में आकर बच्चों को जन्म देती है तो इसे अत्यंत शुभ संकेत माना जाता है। मान्यता है कि घर के मुखिया के लिए यह सुख-समृद्धि और उन्नति का योग लेकर आता है। ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार, 90 दिनों के भीतर घर में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल सकते हैं। परिवार के सदस्यों को नौकरी, व्यापार, पढ़ाई या मान-सम्मान से जुड़ी खुशखबरी मिल सकती है। यह भी कहा जाता है कि घर में बिल्ली के बच्चों के जन्म से नकारात्मक शक्तियों की एंट्री रुक जाती है।

किस रंग की बिल्ली को माना जाता है शुभ?

गोल्डन या पीली बिल्ली: सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है। इसके आने से जीवन में नए अवसर और धन प्राप्ति के योग बनते हैं। भूरी बिल्ली: धन लाभ, रुके हुए कार्य पूरे होने और अटके पैसे वापस मिलने का संकेत देती है। काली बिल्ली का रोना या आना: अधिकतर मान्यताओं में यह अशुभ घटना या दुःखद समाचार का पूर्व संकेत माना गया है। इसलिए अगर कोई काली बिल्ली आपके घर की ओर देखकर रोए तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए।

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बिल्ली और भविष्य की घटनाएं

कुछ मान्यताओं के अनुसार, बिल्ली के पास विशेष ऊर्जा होती है, जिससे वह आस-पास की नकारात्मकता या किसी बड़े बदलाव का पहले से आभास कर लेती है। यही कारण है कि बड़े-बुजुर्गों का मानना है कि बिल्ली का व्यवहार अकसर आने वाली परिस्थितियों के संकेत देता है। Is Cat Lucky or Unlucky  Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां धार्मिक मान्यताओं, परंपराओं और ज्योतिषीय विश्वासों पर आधारित हैं। इनका उद्देश्य केवल जनसामान्य को जानकारी देना है। चेतना मंच इसकी पुष्टि नहीं करता। किसी भी उपाय या निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें।
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130वां संशोधन विधेयक पेश, विपक्षी सांसदों ने गृहमंत्री पर फेंकी कॉपियां

130वां संशोधन विधेयक पेश, विपक्षी सांसदों ने गृहमंत्री पर फेंकी कॉपियां
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userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 04:29 AM
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लोकसभा का सत्र मंगलवार को उस समय गरमा गया जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी की स्थिति में पद से हटाने संबंधी बिल सदन में पेश किया। जैसे ही शाह ने संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025, केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 को प्रस्तुत किया, विपक्षी सांसदों ने जोरदार विरोध शुरू कर दिया। हंगामा इतना बढ़ा कि विपक्षी सांसदों ने बिल की प्रतियां फाड़कर गृह मंत्री की ओर फेंकी और ट्रेज़री बेंच तक जाकर नारेबाजी करने लगे। सदन का माहौल तनावपूर्ण होते देख कई बार कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।  Constitution Amendment Bill 

विपक्ष का आरोप – लोकतंत्र पर हमला

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बिल को सीधा लोकतंत्र पर हमला करार दिया। उन्होंने कहा, “यह कदम संविधान के शक्ति-विभाजन के सिद्धांत का उल्लंघन है और चुनी हुई सरकार को कमजोर करने की कोशिश है। इससे कार्यकारी एजेंसियों को मनमानी का अधिकार मिल जाएगा और देश को पुलिस स्टेट बनाने की राह खुल जाएगी। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने भी इस विधेयक का पुरजोर विरोध किया। उनका कहना था कि यह कानून राजनीतिक दुरुपयोग का जरिया बन सकता है। “इतना संवेदनशील बिल बिना गहन चर्चा के लाना उचित नहीं है,” उन्होंने कहा। वहीं, एन. के. प्रेमचंद्रन ने सरकार पर जल्दबाजी का आरोप लगाया और सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने तीनों विधेयकों को “संविधान और न्याय-विरोधी” बताया।

सदन में हंगामा और धक्का-मुक्की

टीएमसी सांसदों ने सबसे पहले वेल में नारेबाजी शुरू की, जिसके बाद कांग्रेस सांसद के. सी. वेणुगोपाल ने बिल की कॉपी फाड़कर उछाल दी। धीरे-धीरे कांग्रेस, सपा और अन्य विपक्षी दल भी वेल में उतर आए। स्थिति इस कदर बिगड़ गई कि गृहमंत्री के माइक्रोफोन तक को मोड़ने की कोशिश हुई। सत्ता पक्ष के सांसदों—रवनीत बिट्टू, कमलेश पासवान, किरण रिजिजू और शतीश गौतम—को हस्तक्षेप कर माहौल संभालना पड़ा। विपक्ष के भारी विरोध के बीच अमित शाह ने साफ किया कि सरकार किसी तरह का तानाशाही रवैया नहीं अपना रही। उन्होंने कहा कि इस बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाएगा ताकि हर बिंदु पर गहन समीक्षा हो सके।

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क्या कहता है नया प्रावधान ?

  1. संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 – गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तारी या हिरासत की स्थिति में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री को पद से हटाने का प्रावधान।

  2. केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025 – 1963 के मौजूदा कानून में संशोधन कर ऐसे मामलों में सीएम या मंत्री को पद से हटाने का अधिकार।

  3. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 – 2019 के अधिनियम में संशोधन कर, गिरफ्तारी की स्थिति में मुख्यमंत्री या मंत्रियों को पद से हटाने की व्यवस्था।  Constitution Amendment Bill