बड़ा दांव : योगी कैबिनेट के 15 फैसले, यूपी की तस्वीर बदलने की तैयारी

बड़ा दांव : योगी कैबिनेट के 15 फैसले, यूपी की तस्वीर बदलने की तैयारी
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Sep 2025 06:31 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में 15 अहम फैसले लिए, जिनका सीधा असर प्रदेश की अर्थव्यवस्था, शिक्षा, रोजगार और बुनियादी ढांचे पर पड़ने वाला है। उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ा कदम आउटसोर्सिंग सेवाओं को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम लिमिटेड के गठन के रूप में सामने आया है।

आउटसोर्सिंग व्यवस्था में पारदर्शिता

अब तक शिकायतें रही हैं कि आउटसोर्स कर्मचारियों को न तय वेतन मिलता था, न ही ईपीएफ-ईएसआई जैसी सुविधाएं। नई व्यवस्था में चयन प्रक्रिया पूरी तरह निगम के जरिए होगी, वेतन सीधे खातों में जाएगा और कर्मचारियों को 16 से 20 हजार रुपये मासिक मानदेय सुनिश्चित होगा। साथ ही एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस, दिव्यांगजन और महिलाओं को आरक्षण मिलेगा। सरकार का दावा है कि यह कदम रोजगार के नए अवसर और सुशासन का नया मॉडल पेश करेगा।

लखनऊ-कानपुर में ई-बस प्रोजेक्ट

शहरी परिवहन को आधुनिक बनाने के लिए योगी सरकार ने लखनऊ और कानपुर में नेट कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट (एनसीसी) मॉडल पर ई-बसें चलाने का फैसला किया है। 10-10 रूटों पर एसी ई-बसें उतरेंगी। निजी आॅपरेटर बसों की खरीद से लेकर संचालन और रख-रखाव तक जिम्मेदार होंगे, जबकि किराया तय करने का अधिकार सरकार के पास रहेगा। सरकार का दावा है कि इस मॉडल से वित्तीय बोझ कम होगा और यात्रियों को बेहतर सुविधा मिलेगी।

नई निर्यात प्रोत्साहन नीति 2025-30

प्रदेश को ग्लोबल एक्सपोर्ट हब बनाने की दिशा में नई नीति लायी गई है। इसमें डिजिटल टेक्नॉलॉजी, वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण और बाजार विस्तार पर जोर रहेगा। लक्ष्य है कि 2030 तक पंजीकृत निर्यातकों की संख्या 50% बढ़ाई जाए और हर जिले को निर्यात गतिविधियों से जोड़ा जाए। शिक्षा के मोर्चे पर बड़ा फैसला शाहजहांपुर में स्वामी शुकदेवानंद विश्वविद्यालय की स्थापना का है। मौजूदा 5 शैक्षणिक संस्थानों को अपग्रेड कर विश्वविद्यालय बनाया जाएगा। इससे क्षेत्र में उच्च शिक्षा को नई दिशा मिलने की उम्मीद है। इन फैसलों से साफ है कि योगी सरकार एक साथ रोजगार, शिक्षा, ट्रांसपोर्ट और एक्सपोर्ट पर फोकस कर रही है। सवाल यह है कि क्या ये नीतियां जमीन पर उसी रफ्तार से उतर पाएंगी, जैसी घोषणा में दिखाई दे रही हैं? UP News
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अयोध्या-वाराणसी नहीं, यूपी का यह जिला है असली सतों का शहर

अयोध्या-वाराणसी नहीं, यूपी का यह जिला है असली सतों का शहर
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Sep 2025 05:55 PM
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उत्तर प्रदेश अपने धार्मिक और सांस्कृतिक वैभव के लिए जाना जाता है। उत्तर प्रदेश के अयोध्या, मथुरा, वाराणसी और प्रयागराज जैसे शहरों की धार्मिक पहचान विश्वप्रसिद्ध है। ऐसे में अगर आपसे पूछा जाए कि उत्तर प्रदेश का कौन-सा जिला संतों का शहर कहलाता है, तो पहला अंदाज इन्हीं जगहों पर जाएगा। लेकिन हैरानी की बात यह है कि सही जवाब इनमें से कोई नहीं, बल्कि इसका जवाब बस्ती जिला है। UP News :

क्यों मिली संतों का शहर की उपाधि

इतिहासकार बताते हैं कि बस्ती प्राचीन काल से ही साधु-संतों और तपस्वियों की साधना स्थली रहा है। यहां का शांत और प्राकृतिक वातावरण ऋषियों और संतों को इतना भाया कि उन्होंने इसे अपनी तपोभूमि बना लिया। यही कारण है कि बस्ती को संतों का शहर की उपाधि मिली।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

बस्ती कभी कौशल देश का हिस्सा रहा। वैदिक काल में इसे आध्यात्मिक और विद्या की भूमि माना जाता था। संस्कृत के महाग्रंथों में वर्णित वैयाकरण पाणिनी का भी संबंध इस क्षेत्र से बताया जाता है। वर्तमान में बस्ती लगभग 2688 वर्ग किलोमीटर में फैला है और यहां की आबादी करीब 24.6 लाख है। जिले में चार तहसीलें हैं और इसका लिंगानुपात 967 है। इस तरह बस्ती की पहचान महज एक प्रशासनिक जिला नहीं, बल्कि आध्यात्मिकता और संत परंपरा का केंद्र के रूप में है। UP News : केसीआर ने बेटी कविता को पार्टी से किया निलंबित, अनुशासनहीनता पर बड़ी कार्रवाई
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500 करोड़ के कारोबार पर बड़ा संकट! जाएंगी हजारों नौकरियां?

500 करोड़ के कारोबार पर बड़ा संकट! जाएंगी हजारों नौकरियां?
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userचेतना मंच
calendar02 Sep 2025 03:31 PM
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उत्तर प्रदेश का आगरा जितना अपने ताजमहल के लिए मशहूर है उतना ही मशहूर वहां के मीठे और खास पेठे के लिए भी है। लेकिन अब आगरा के इस मिठास पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल के आसपास चल रही पेठा फैक्ट्रियों को हटाने का आदेश दिया है। इससे न सिर्फ करीब 500 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित होगा बल्कि 5 हजार से ज्यादा लोगों की रोज़ी-रोटी पर भी खतरा आ गया है। Supreme Court

क्या है मामला?

खबरों की मानें तो, सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को आदेश दिया है कि ताज ट्रेपेजियम जोन (TTZ) में मौजूद सभी पेठा यूनिट्स को वहां से हटाया जाए। यह इलाका करीब 10,400 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जिसमें ताजमहल, आगरा किला और फतेहपुर सीकरी जैसे ऐतिहासिक स्थल शामिल हैं। कोर्ट का कहना है कि यहां हो रही औद्योगिक गतिविधियों से प्रदूषण बढ़ रहा है जिससे विरासत स्थलों को नुकसान हो सकता है। सरकार को इन यूनिट्स को दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए 3 महीने का समय दिया गया है। अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी।

कारोबारी और कर्मचारी परेशान

पेठा कारोबारियों के मुताबिक, यह फैसला उनके लिए बड़ा झटका है। गिरीश कुमार सिंघल, जो नूरी गेट के पास 25 साल से पेठे की दुकान चला रहे हैं, कहते हैं, “हमारा सब कुछ इसी दुकान पर टिका है। अगर इसे यहां से हटा दिया गया, तो हम कहां जाएंगे? नई जगह पर दुकान खोलना आसान नहीं है।” उनकी दुकान पर हर दिन करीब 1,000 किलो पेठा बनता और बिकता है। अगर कोर्ट का फैसला लागू होता है, तो ऐसे कई दुकानदार और उनके साथ काम करने वाले कारीगर बेरोजगार हो सकते हैं।

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पहले भी हुई है कार्रवाई

यह पहली बार नहीं है जब TTZ में कार्रवाई हुई हो। साल 1996 में सुप्रीम कोर्ट ने इस जोन में कोयले के इस्तेमाल पर रोक लगाई थी। फिर साल 2013 में भी कोयला लाने वाले ट्रकों पर बैन लगाया गया था ताकि वायु प्रदूषण को रोका जा सके। Supreme Court