Thursday, 21 November 2024

Caste Survey के बाद Economic Survey पेश, अन्य राज्यों में उठेगी माँग

Bihar Caste Survey: जातिवार गणना के बाद, शीर्ष पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के दौरान बिहार आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट…

Caste Survey के बाद Economic Survey पेश, अन्य राज्यों में उठेगी माँग

Bihar Caste Survey: जातिवार गणना के बाद, शीर्ष पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के दौरान बिहार आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट जारी कर दी गई है। ऐसे में बिहार से आई ये खबर पूरे देश की चुनावी राजनीति का पारा बढ़ा सकती है।

पिछड़े तबके की राजनीति करने वाले दल आरक्षण का दायरा बढ़ाने की मांग उठा सकते हैं और उन्हें कांग्रेस भी अपना पूरा समर्थन देगी। जाहिर तौर पर बीजेपी पर दबाव बढ़ेगा ।

बिहार में आरक्षण बढेगा, इन राजनीतिक दलों का समर्थन

राजद ने तो बिहार में आरक्षण बढ़ाने की मांग शुरू कर दी है। आपको बता दें कि केन्द्र में BJP -NDA के सहयोगी दल भी इस मांग के समर्थन में आ गए हैं । सहयोगी दलों सहित कांग्रेस भी इस माँग को समर्थन दे रही है। आपको बता दें कि अपना दल की अनुप्रिया पटेल और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के पशुपति कुमार पारस बहुत पहले से राष्ट्रीय स्तर पर जातिवार गणना की मांग कर रहे हैं। राजनीतिक दलों का यह रुख भाजपा को अपनी चुनावी रणनीति में बदलाव का सबसे बड़ा कारण बन सकता है।

नितीश कुमार की तुलना कर्पूरी ठाकुर और वी पी सिँह से

जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) के मुख्य प्रवक्ता केसी त्यागी ने तो इस मामले में नीतीश कुमार को समर्थन देते हुए उनकी तुलना कर्पूरि ठाकुर और वी पी सिंह जैसे नेताओं से कर डाली। के सी त्यागी के मुताबिक नितीश कुमार 75 प्रतिशत आरक्षण के पक्ष में हैं ऐसा करके वो किसी वर्ग की हकमारी नहीं कर रहे हैं। उन्होंने सवर्णों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण भी बनाए रखने की बात की हैं, जिससे समाज में समता बनी रहे। आपको बता दें कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी महिला आरक्षण विधेयक के बाद से ही जातिगत जनगणना और आबादी के हिसाब से सहभागिता की मांग को पुरजोर समर्थन दे रहे हैं।

भाजपा के सामने बड़ी चुनौती

बिहार में, भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि कभी-कभी राजद और जदयू के बीच किसी निति को लेकर जो फासला दिखता है, वो इस आरक्षण के बाद नहीं दिखेगा क्यूंकि नीतीश कुमार ने राजद की राजनीति के अनुकूल होकर आरक्षण का दायरा बढ़ाने की बात की है। वामदल भी बिहार सरकार की इस निति को समर्थन देते हुए दिख रहे हैं। कांग्रेस तो अपनी कोई मज़बूत चुनावी रणनिति बनाने के बजाय इस मुद्दे को समर्थन देने का फ़ैसला ली है। इसलिए, भाजपा के लिए बिहार में अपने विरोधी दलों के आपस में मजबूत हो रहे इस सम्बन्ध को पार करना मुश्किल भरा दिख रहा है ।

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