राहुल गांधी फिर फंसे: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने विधानसभा चुनावों के प्रचार के दौरान जो जेबकतरा और पनौती जैसे शब्द प्रयोग किए थे, वो उनके गले की फंस बन गए हैं। राहुल गांधी के खिलाफ इस मामले में दायर एक पीआईएल पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने उनके बयानों के बारे में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि “राजनीति में ऐसे बयान अच्छे नहीं हैं। राजनेताओं को ऐसे बचकाने बयानों से बचना चाहिए।” साथ ही कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा है उसे इस इस मामले में कार्रवाई करनी चाहिए।
कोर्ट ने दिए चुनाव आयोग को कार्रवाई करने के निर्देश, राहुल गांधी फिर फंसे
उच्च न्यायालय ने यह आदेश राहुल गांधी के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। कोर्ट ने चुनाव आयोग को प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और जाने-माने व्यवसायी गौतम अडानी को ‘जेबकतरे’ कहने के लिए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। अदालत ने इस मामले में कमेंट करते हुए कहा “इस तरह के बयान अच्छे नहीं है। चुनाव आयोग को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए।”
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन व मिनी पुष्करणा की पीठ ने इस मामले पर दायर याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि चुनाव आयोग इस पूरे मामले की जांच कर रहा है और इस मामले पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को नोटिस भी जारी किया है। कोर्ट ने आयोग को इस मामले में कार्रवाई करने का निर्देश देते हुए इसके लिए आयोग को आठ सप्ताह का समय दिया है। हालांकि अदालत ने यह स्पष्ट नहीं किया कि चुनाव आयोग को गांधी के खिलाफ क्या कार्रवाई करनी चाहिए।
राहुल गांधी फिर फंसे: क्या है जेबकतरे वाला मामला?
दरअसल विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान राजस्थान में एक रैली में बोलते हुए सांसद राहुल गांधी ने कहा था कि “जेबकतरे 2 प्रकार के होते हैं, एक आपको बातों में उलझाए रहता है। जबकि उसका दूसरा साथी इस मौके का फायदा उठाकर आपकी जेब साफ कर देता है। आप बातों में उलझे रहते हैं और आपको पता भी नहीं चलता, कि आपकी जेब मार ली गई है।” इसके अलावा राहुल गांधी ने इशारों में पीएम को पनौती बोलते हुए कहा था, कि “अच्छा खासा टीम इंडिया बढ़िया खेल रही थी, लेकिन एक पनौती ने जाकर मैच हरवा दिया।”
याचिका में गांधी के खिलाफ कार्रवाई के साथ-साथ राजनीतिक नेताओं द्वारा इस तरह के कदाचार को रोकने के लिए दिशा निर्देश तैयार करने की मांग की गई थी। इस मामले पर हालांकि चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को 23 नवंबर को नोटिस जारी किया था और उनसे कहा था कि अगर उन्होंने 26 नवंबर से पहले जवाब नहीं दिया तो वह उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे, लेकिन राहुल गांधी ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया।
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