IIT से NASA तक चमक, फिर 5 साल गायब, वशिष्ठ बाबू की अद्भुत कहानी

IIT से NASA तक चमक, फिर 5 साल गायब, वशिष्ठ बाबू की अद्भुत कहानी
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userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 02:27 PM
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Teachers’ Day 2025 पर हम न केवल शिक्षकों का सम्मान कर रहे हैं, बल्कि उन महान विभूतियों को भी याद कर रहे हैं, जिन्होंने ज्ञान और प्रेरणा से दुनिया को रोशन किया। ऐसे ही एक प्रेरणादायक शिक्षक और गणितज्ञ थे वशिष्ठ नारायण सिंह। उनका जीवन गणित के जटिल समीकरणों और असाधारण प्रतिभा की कहानी है, जिसमें संघर्ष, दर्द और अदम्य साहस के कई अध्याय हैं। गरीबी, मानसिक स्वास्थ्य की चुनौतियाँ और सामाजिक उपेक्षा जैसी कठिनाइयों के बावजूद वशिष्ठ बाबू ने साबित कर दिया कि सच्ची प्रतिभा कभी दबती नहीं।    Teachers Day 2025

भारत और विदेशों में ‘गणित के चाणक्य’ और ‘वैज्ञानिक जी’ के नाम से पहचाने जाने वाले वशिष्ठ नारायण सिंह आज भी हर छात्र और शिक्षक के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। ‘गणित के चाणक्य’ और ‘वैज्ञानिक जी’ के नाम से पहचाने जाने वाले वशिष्ठ बाबू ने साबित कर दिया कि सच्ची प्रतिभा कभी थमती नहीं। उनके काम और जीवन से हर शिक्षक और छात्र को यह सीख मिलती है कि ज्ञान और जुनून ही सबसे बड़ी ताकत हैं।

भोजपुर की धरती से अंतरराष्ट्रीय मंच तक

बिहार के भोजपुर जिले के बसंतपुर गांव में 2 अप्रैल 1942 को जन्मे वशिष्ठ नारायण सिंह ने अपनी अद्भुत प्रतिभा से न केवल बिहार, बल्कि पूरे भारत का नाम रोशन किया। गरीब परिवार में जन्मे, जहां पिता ललन सिंह पुलिस विभाग में कार्यरत थे, वशिष्ठ बचपन से ही असाधारण मेधा के धनी थे। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा नेतरहाट विद्यालय से प्राप्त की और 10वीं की परीक्षा में पूरे बिहार में शीर्ष स्थान हासिल कर अपनी बुद्धिमत्ता का लोहा मनवाया। आज Teachers’ Day पर हम उनकी कहानी को याद कर प्रेरणा लेते हैं—कैसे एक सच्चे शिक्षक और गणितज्ञ की लगन और ज्ञान ने दुनिया को दिखा दिया कि कठिनाइयाँ प्रतिभा के सामने कभी टिक नहीं सकतीं।

कॉलेज में ख्याति के किस्से

पटना साइंस कॉलेज में वशिष्ठ नारायण सिंह की प्रतिभा की कहानी आज भी छात्रों और शिक्षकों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। जब बीएससी का सामान्य पाठ्यक्रम तीन साल का था, तब वशिष्ठ बाबू ने सीधे अंतिम वर्ष की परीक्षा देने की चुनौती दी। उनकी असाधारण मेधा और गहरी समझ देखकर विश्वविद्यालय ने नियम बदल दिए, और 1963 में उन्होंने मात्र एक प्रयास में बीएससी पूरी कर दिखाया। एक और घटना ने उनकी अद्वितीय गणितीय क्षमता को जगजाहिर कर दिया। जब एक गणित के प्रोफेसर बार-बार गलत हल प्रस्तुत कर रहे थे, वशिष्ठ ने बोर्ड पर जाकर उसी प्रश्न को कई अलग-अलग तरीकों से हल किया। प्रिंसिपल ने उनकी प्रतिभा देख दंग रह गए और उन्हें सीधे पहले वर्ष से तीसरे वर्ष में प्रमोट कर दिया।

अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय ख्याति

1965 में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जॉन कैली ने वशिष्ठ नारायण सिंह की असाधारण प्रतिभा को देखकर उन्हें अमेरिका बुलाया। वहां उन्होंने ‘चक्रीय सदिश समष्टि सिद्धांत’ (Reproducing Kernel Hilbert Spaces) पर पीएचडी पूरी कर 1969 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की। इसके बाद वे वॉशिंगटन विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर बने और NASA में भी कार्य किया। लेकिन अमेरिका की चमक-धमक उन्हें संतोष नहीं दे सकी; उनका दिल और उद्देश्य हमेशा भारत की सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान देने में था। 1971 में उन्होंने सब कुछ छोड़कर भारत लौटने का निर्णय लिया।

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निजी जीवन और मानसिक स्वास्थ्य

आईआईटी कानपुर, आईआईटी मुंबई और भारतीय सांख्यिकी संस्थान, कोलकाता में अपनी शिक्षा और शोध के क्षेत्र में योगदान देने के दौरान 1973 में वशिष्ठ नारायण सिंह का विवाह हुआ। पढ़ाई में इतनी गहरी रूचि थी कि वे विवाह के दिन भी बारात में देर से पहुंचे। 1974 में दिल का दौरा और मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं ने उनके जीवन और कार्यक्षमता को प्रभावित किया, लेकिन उन्होंने कभी अपने ज्ञान और शिक्षा के प्रति जुनून नहीं खोया। 1987 में वे अपने गांव लौट आए, जहां उन्होंने अपनी जड़ों और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को अपनाया।

5 साल की गुमशुदगी

अगस्त 1989 में वे ट्रेन से अचानक उतर गए और भीड़ में गायब हो गए। लगभग पांच वर्षों तक उनका कोई पता नहीं चला। अंततः छपरा में उन्हें पाया गया और सरकार ने बेंगलुरु के NIMHANS में भर्ती कराया। 1993 से 1997 तक इलाज के बाद स्वास्थ्य में सुधार हुआ। 14 नवंबर 2019 को अचानक उनकी तबीयत बिगड़ी और उन्हें पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मृत घोषित किया गया। उनकी मृत्यु ने न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश को स्तब्ध कर दिया। वशिष्ठ नारायण सिंह का जीवन हमें यह सिखाता है कि असाधारण प्रतिभा, संघर्ष और जुनून के सामने कोई बाधा टिक नहीं सकती। गणित के जादूगर की यह कहानी हर शिक्षक और छात्र के लिए प्रेरणा है।  Teachers Day 2025

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धन्ना भक्त की सच्ची कहानी, पत्थर में से निकाल दिए भगवान

धन्ना भक्त की सच्ची कहानी, पत्थर में से निकाल दिए भगवान
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userचेतना मंच
calendar04 Sep 2025 01:19 PM
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धन्ना भक्त का नाम आपने जरूर सुना होगा। धन्ना भक्त को धन्ना जाट के नाम से भी जाना जाता है। धन्ना भक्त तथा धन्ना जाट का नाम ही प्रसिद्ध होकर धन्ना सेठ पड़ा था। धन्ना भक्त को लेकर यह कहावत ‘‘अरे तू कौन सा धन्ना सेठ है”। धन्ना भक्त इतने प्रसिद्ध भक्त हुए हैं कि पत्थर के अंदर से भगवान के प्रकट होने की कथा धन्ना जाट के नाम से प्रसिद्ध हो गई है। हम आपको धन्ना जाट की सच्ची कहानी बता रहे हैं। Dhanna Jaat

धन्ना भक्त को लेकर अनेक कहानियां लिखी गई हैं

धन्ना जाट तथा धन्ना सेठ के नाम से प्रसिद्ध धन्ना भक्त के ऊपर अनेक कहानियां लिखी गई हैं। हर किसी लेखक ने धन्ना भक्त को दुनिया का सबसे बड़ा भक्त बताते हुए धन्ना भक्त के जीवन दर्शन को अपने-अपने ढंग से लिखा है। धन्ना भक्त अथवा धन्ना जाट के विषय में एक कहानी तो यह है कि वह बेहद गरीब किसान थे। एक काले पत्थर के अंदर भगवान मानकर उसकी पूजा करने लगे। उन्होंने इतनी श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान की पूजा तथा सेवा की कि उन्हें साक्षात भगवान विष्णु मिल गए। भगवान विष्णु ने धन्ना जाट के ऊपर मेहरबान होकर उनका घर धन-धान्य से भर दिया। इसी प्रकार अलग-अलग ढंग से धन्ना जाट की कहानियां सुनाई जाती हैं।  Dhanna Jaat

धन्ना जाट की सबसे ज्यादा सुनाई जाने वाली कहानी

धन्ना जाट की सबसे प्रमाणिक मानी जाने वाली कहानी हम आपको बता रहे हैं। धन्ना जाट की इस कहानी के मुताबिक, धन्ना जाट का जन्म राजस्थान के एक जाट परिवार में 20 अप्रैल 1415 को हुआ था। जिनके पिता खासतौर से खेती और माता गौ पालन करती थी। कहानी की शुरुआत उस वक्त से होती है जब एक दिन धन्ना जाट के परिवार के कुलगुरु जिनका नाम पंडित त्रिलोचन था, तीर्थयात्रा करके लौटे और कुछ दिनों के लिए धन्ना जाट के घर पर ठहरे। पंडित त्रिलोचन शालिग्राम भगवान की सेवा किया करते थे, वे बड़े भाव से शालिग्राम शिला की सेवा करते, फूल अर्पित करते और उन्हें भोग लगाने के बाद ही भोजन ग्रहण किया करते थे। बालक धन्ना जाट पंडित जी को यह सब करते हुए देखता था, उसे भगवान की सेवा बहुत पसंद आयी।  Dhanna Jaat कुछ दिन बाद जब पंडित जी उनके घर से जाने लागे तो धन्ना जाट पंडित जी से शालिग्राम पत्थर लेने की जिद करने लगा और कहने लगा कि मझे ठाकुर जी चाहिए लेकिन पंडित जी ऐसे ठाकुर जी को कैसे दे सकते थे। धन्ना जाट को उनके माता-पिता ने बहुत समझाया लेकिन वो नहीं माने। आखिर में यही हुआ कि ये तो छोटा सा बच्चा है इसे क्या ही पता चलेगा कि आम पत्थर और शालिग्राम पत्थर में क्या अंतर होता है और अगले दिन पंडित जी ने स्नान किया तो वे नदी से एक काला पत्थर ले आए और धन्ना जाट से बोले कि मैं दो ठाकुर जी लाया हूं एक बडे वाले और दूसरा छोटे वाले आप को कौन सा चाहिए। तब उन्होंने ने बड़ा वाला ठाकुर जी मांग लिया। वही पत्थर जो पंडित जी नहाते वक्त लेकर आए थे उसे धन्ना जाट को शालीग्राम ठाकुर जी बताकर दे दिया। ठाकुर जी को पाकर धन्ना जाट बहुत खुश हुए और अपने साथ ही गाय चराने खेतों में लेकर जाने लगे। धन्ना जाट की मां अक्सर उन्हें बाजरे की रोटी और गुड दिया करती थी। ऐसे में धन्ना जाट ने ये निर्णय किया कि अब वो भी पंडित जी की ही तरह ठाकुर जी को भोग लगाकर ही खाना खायेंगे। उन्होंने जोर से आवाज लगाकर ठाकुर जी को भोग लगाया लेकिन ठाकुर जी ने उनका भोग नहीं लिया। तभी धन्ना जाट ने ये फैसला लिया कि जब तक तक ठाकुर जी प्रकट होकर उनका भोग नहीं लेते वो भी खाना नहीं खाएंगे। जब ठाकुरजी ने भोग नहीं लगाया तो धन्ना जाट ने शाम को वह रोटी गाय को खिला दी। तीन दिनों तक ऐसा ही चलता रहा न ठाकुरजी भोग लगाते और ना धन्ना जाट भोजन ग्रहण करते।

धन्ना जाट की श्रद्धा तथा विश्वास के कारण प्रकट हुए भगवान

धन्ना जाट तीन दिन तक भूखे रहे। चौथे दिन धन्ना जाट की माताजी फिर से रोटी लेकर आयी तो धन्ना जाट खेतों में जोर-जोर से रोने लगे और ठाकुर जी से गुहार लगाने लगे, वे बोले आप तो बड़े वाले ठाकुरजी है, आपको तो लोग रोज ही छप्पन भोग चढ़ाते होंगे, लेकिन मैं बालक तीन दिन से भूखा और परेशान हूं, आपको मुझ पर दया नहीं आती है क्या, मुझ पर दया करके ही थोड़ा भोग लगा लो जिससे मैं भी कुछ खा सकूँ, क्योकि पंडितजी ने कहा है कि आपको खिलाये बिना कुछ नहीं खाना। इसलिए पहले आप खा लो उसके बाद ही मैं खा सकूंगा। धन्ना जाट के भोलेपन से की गयी प्रार्थना को सुनकर भगवान श्री कृष्ण साक्षात् प्रकट हो गए। अपने ठाकुरजी को देखकर धन्ना जी बहुत प्रसन्न हो गए।  Dhanna Jaat उन्होंने ठाकुर जी को माँ की दी हुई बाजरे की रोटी साग और गुड़ खाने को दिया। ठाकुरजी बड़े चाव रोटी खाने लगे। चार रोटियों में से दो रोटी ठाकुर जी ने खा ली, जब ठाकुरजी तीसरी रोटी को खाने लगे तब धन्ना जाट ने उनका हाथ पकड़ लिया और कहा सारी रोटियां आप ही खा जायेगें क्या, मुझे भी तो भूख लगी है, मैंने तो चार दिनों से कुछ भी नहीं खाया। दो रोटी आपने खा ली अब दो रोटी मेरे लिए छोड़ दो। इसके बाद ठाकुर जी मुस्कुराने लगे और बची हुई दो रोटियां धन्ना जाट ने खाई। ठाकुर जी को भोग लगाकर खाना अब जाट का रोज का नियम हो गया था जाट जब गायें चराने जाते तो भोजन खेतों में जाकर ठाकुरजी के साथ ही करते। एक दिन ठाकुरजी ने जाट से कहा तुम रोज मुझे रोटी खिलाते हो, मैं मुफ्त में रोटी नहीं खाना चाहता इसलिए मैं तुम्हारा कोई काम कर दिया करूंगा। धन्ना जाट ने कहा मैं तो बालक हूं केवल गायें ही चराता हूँ, मैं आपको क्या काम बता सकता हूं। तब ठाकुर जी ने कहा मैं तुम्हारी गायें ही चरा दिया करूंगा।  Dhanna Jaat उस दिन के बाद से ठाकुर जी धन्ना जाट की गायें चराने लगे। एक दिन धन्ना जाट ने ठाकुरजी से पूछा आप मुझे अपने ह्रदय से क्यों नहीं लगाते हैं, तब ठाकुर जी ने कहा मैं तुम्हारे सामने प्रत्यक्ष प्रकट हो गया हूं। लेकिन पूरी तरह से मैं तब मिलता हूँ जब कोई सदगुरु जीव को अपना लेते है, अभी तक तुमने किसी गुरु की शरणागति ग्रहण नहीं की है, इसलिए मैं तुम्हे अपने हृदय से नहीं लगा सकता। तब धन्ना जाट बोले मैं तो जानता नहीं की गुरु किसे कहते है, फिर मैं किसे अपना गुरु बनाऊं। ठाकुर जी बोले काशी में जगद्गुरु श्री रामानंदाचार्य मेरे ही स्वरूप में विराजमान है, तुम जाकर उनकी शरण ग्रहण करो। ठाकुर जी के कहे अनुसार धन्ना जाट ने काशी जाकर श्री रामानंदाचार्य जी की शरणागति ग्रहण कर ली, उस समय धन्ना जाट की आयु पंद्रह-सोलह वर्ष के आसपास थी।  Dhanna Jaat ठाकुर जी ने जब धन्ना जाट को गले से लगाया श्री रामानंदाचार्य जी ने धन्ना जी को अपने शिष्य के रूप में स्वीकार कर लिया और उन्हें आदेश दिया की अब तुम अपने घर चले जाओ। धन्ना जाट बोले गुरूजी अब मैं घर नहीं जाना चाहता तो आप मुझे घर जाने का आदेश क्यों दे रहें है। गुरूजी बोले अगर तुम यहां रहकर भजन करोगे तो केवल तुम्हारा ही कल्याण होगा, लेकिन अगर तुम अपने घर जाकर खेती किसानी करते हुए अपने माता-पिता की सेवा करते हुए भजन करोगे तो तुम्हारे साथ कई जीवों का उद्धार हो जायेगा। गुरूजी के आदेश पर धन्ना जाट घर लौट आये, इसके बाद जैसे ही धन्ना जाट घर पहुंचे ठाकुर जी ने उन्हें अपने ह्रदय से लगा लिया।    Dhanna Jaat

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धन्ना जाट ने भगवान की कृपा से शुरू कर दी संत महात्माओं की सेवा

वापस अपने घर पर आकर धन्ना जाट ने संत तथा महात्माओं की सेवा शुरू कर दी। जब भी उनके गाँव में कोई साधु संत आते धन्ना जाट उन्हें अपने घर ले आते और बड़े प्रेम से उनकी सेवा करते उन्हें भोजन खिलते। संतों की सेवा करने के कारण अब उनके घर दूर-दूर से साधु-संत पधारने लगे। धन्ना जाट उन सभी का बड़े प्रेम से सत्कार करते और उन सभी को भोजन खिलाते। पिता ने साधुओं को घर आने से रोका एक दिन धन्ना जाट के पिताजी ने धन्ना जाट से कहा, देखो भाई हम लोग गृहस्त लोग है, यदि महीने में एकआध बार कोई साधु आ जाये तो हम उनकी सेवा भी कर दें और उन्हें भोजन भी करा दें, लेकिन तुम्हारी इन साधुओं से ऐसी दोस्ती हो गयी है की हर दूसरे दिन कोई न कोई साधु चला आता है और अपने साथ एक दो को और ले आता है। यह ठीक नहीं है, हम अपनी खेती-बाड़ी का काम करें या इन साधुओं की सेवा करें। तुम तो अभी बालक हो कुछ कमाते हो नहीं, तुम्हारा पालन पोषण भी हम ही करतें है और ऊपरसे तुम साधुओं को बुला लाते हो।  Dhanna Jaat इस प्रकार इन निठल्ले साधुओं की सेवा करना ठीक नहीं है। इसलिए एक बात कान खोलकर सुन लो आज के बाद यदि तुम किसी साधु को घर लेकर आये तो मैं उन्हें घर में नहीं घुसने दूंगा। तुम्हे यदि साधु सेवा करनी है तो पहले कुछ कमाई करो फिर अपनी कमाई से साधु सेवा करना। पिताजी की बात सुनकर धन्ना जाट उदास हो गए और चुपचाप खड़े हो गए, तब पिताजी ने धन्ना जाट को डांटते हुए कहा आज के बाद किसी साधु को घर में लेकर मत आना और जाओ खेतों में गेहूं बोकर आओ। खेत तैयार है, बोरी में बीज का गेहूं रखा है, इसे बैलगाड़ी में ले जाओ और खेत में बो दो। धन्ना जाट ने बैलगाड़ी में गेहूं रख लिया और खेत में बोने चल दिए। धन्ना जाट थोड़ी दूर ही चले थे उन्हें मार्ग में पांच- छ: साधु-संतों की टोली आती दिखाई दी।  Dhanna Jaat धन्ना जाट ने बैलगाड़ी से उतरकर उन्हें शाष्टांग प्रणाम किया। संतों ने धन्ना जाट को आशीर्वाद दिया और पूछा बेटा इस गाँव में धन्ना जाट का घर कौन सा है, सुना है वे जगद्गुरु श्री रामानंदाचार्य के शिष्य है और बहुत छोटी उम्र में ही उन्होंने भगवान का दर्शन प्राप्त कर लिया है। हम भी उनका दर्शन करना चाहते है। यह सुनकर धन्ना जाट संकोच में पड गए और वे हाथ जोड?र बड़ी विनम्रता से बोले महाराज मुझे ही लोग धन्ना जाट कहते है। संत बोले भगवान ने बड़ी कृपा की, हम जिनसे मिलने आये थे वे यहीं मिल गए, निश्चित ही आप ऐसे ही भक्त है, जैसा आपके विषय में सुना था, कितनी विनम्रता है आपमें। चलिये आपके घर चलतें है, वहीं बैठ कर आपसे चर्चा करेंगे। धन्ना जाट ने सोचा अभी पिताजी ने साधुओं को घर लाने के लिए मना किया है, यदि मैं खेतों में बीज बोने के बजाय इन साधु-संतों को घर ले गया तो पिताजी आसमान सिर पर उठा लेंगे और इन साधुओं को भी भगा देंगे।    Dhanna Jaat तब धन्ना जाट कुछ विचार करके बोले महाराज अभी घर पर कोई नहीं है, मैं भी खेतों की तरफ जा रहा हूँ, आप मेरे साथ वहीं चलिए। संत बोले ठीक है हमें तो आपसे मिलना था, अब आप जहाँ ले चलें हम वहीं चलेगें। फिर धन्ना जाट उन सभी को अपने खेत ले गए, खेत में एक पेड़ के नीचे बने चबूतरे पर साधुओं को बैठाकर बोले महाराज आप यहीं पर कुछ देर विश्राम कीजिये तब तक मैं आपके भोजन की व्यवस्था करता हूँ। यह कहकर धन्ना जाट वहाँ से बैलगाड़ी लेकर चले गए।    Dhanna Jaat बैलगाड़ी लेकर धन्ना जाट सीधे बनिये की दुकान पर पहुंचे, वहां पर उन्होंने बैलगाड़ी में जो बीज वाला गेहूं जो खेत में बोने के लिए रखा था, उसे बनिये को बेच दिया और उससे दाल-बाटी और चूरमा बनाने का सारा सामान खरीद लिया। सामान लेकर धन्ना जाट खेत पहुंचे। वहाँ पर उन्होंने संतों के साथ मिलकर बहुत बढय़िा दाल बाटी और चूरमे का प्रसाद बनाया। भगवान को प्रसाद का भोग लगाने के बाद बड़े प्रेम से उन्होंने संतों को भोजन करवाया, इसी बीच भगवत चर्चा भी होती रही। संतों को भोजन करवाने के बाद बड़े प्रेम से उन्हें विदा भी कर दिया।  Dhanna Jaat

https://www.youtube.com/watch?v=-riLqZFOHDc

धन्ना जाट की श्रद्धा से रेत भी बन गया गेहूं का बीज

संतों के जाने के बाद धन्ना जाट सोचने लगे कि बीज वाले गेहूं को तो बेचकर संतों को भोजन करा दिया अब खेत में क्या बोया जाये। अगर पिताजी से फिर बीज माँगने गया तो पिताजी बहुत नाराज होंगे। यह सोचकर धन्ना जाट ने बोरियों में रेत भर ली और आसपास के लोगों को दिखने के लिए उस रेत को ही खेतों में बोने लगे। धन्ना जाट ने राम- राम का नाम लेते हुए शाम तक बोरियों की सारी रेत खेत में छिडक़ दी। आस-पास के खेतों के किसान देख रहे थे की धन्ना जाट खेतों में गेहूं बो रहे है परन्तु वे तो खेतों में रेत बो रहे थे। खेत बोने के बाद धन्ना जाट बड़े प्रसन्न मन से घर की ओर चल दिए, वे सोचने लगे खेत में तो कुछ उगना नहीं है, तो देखभाल भी नहीं करनी पड़ेगी।  Dhanna Jaat घर पर पिताजी ने पूछा खेत बो आये, धन्ना जाट बोले, जी पिताजी बो आया। कुछ दिन बाद धन्ना जाट के पिताजी और गाँव के कुछ बड़े बूढ़े लोग धन्ना जाट के पास आये और बोले की तुमने कैसा खेत बोया है ऐसी फसल तो हमने अपने जीवन में आज तक नहीं देखी। ऐसा लगता है जैसे गेहूं का एक एक दाना नाप-नाप कर एक समान दूरी पर बोया गया है, और सारे ही दाने उग आएं हो। इतनी सुंदर फसल तो हमने आज तक नहीं देखी, ये सब तुमने कैसे किया। धन्ना जाट सोचने लगे ये सब उनको ताने मार रहें है, खेत में कुछ उगा ही नहीं होगा इसलिए ऐसी बातें बोल रहें है। तब धन्ना जाट ने स्वयं खेत पर जाकर देखा। वहाँ जाकर वे आश्चर्यचकित रह गए उन्होंने देखा जिस खेत में उन्होंने रेत बोई थी, वहाँ पर फसल उग आयी थी, और ऐसी सुन्दर फसल उन्होंने कभी नहीं देखी थी।    Dhanna Jaat फसल को देखकर धन्ना जाट को भगवान की कृपा का अहसास हुआ और उनकी आँखों से आँसू निकल आये। धन्ना जाट जोर-जोर से रोने लगे। जब धन्ना जाट के पिताजी और अन्य गाँव वालों ने रोने का कारण पूछा। तब धन्ना जाट ने रोते हुए सारी घटना कह सुनाई। धन्ना जाट बोले पिताजी जब आपने संतों को घर लाने के लिए मना किया था और खेत बोने के लिए गेहूं दिया था, उसी दिन मुझे मार्ग में कुछ संत मिल गए। मैंने उन संतों को अपने खेत पर ठहराया और बीज वाला गेहूं बनिये को बेचकर संतों को भोजन करवाया। इसके बाद मैंने खेतों में रेत बो दी, रेत बोने के बाद यह फसल कैसे उग आयी मुझे नहीं मालूम। धन्ना जाट की यह बात सुनकर उनके पिताजी के भी आंसू निकल आये और वे बोले मेरा धन्य भाग जो मेरे घर में ऐसे पुत्र ने जन्म लिया।    Dhanna Jaat आज के बाद हम तुम्हेंं रोकेंगे नहीं खूब साधु बुलाओ खूब संत सेवा करो हम तुम्हें अब कभी मना नहीं करेंगें। आज से मैं भी भगवान की भक्ति किया करूँगा और तुम्हारे साथ संतों की सेवा किया करूँगा। इसके बाद धन्ना जाट और उनके परिवार वाले खूब संत सेवा करने लगे। कुछ समय बाद धन्ना जाट की उगाई हुई फसल को काटने का समय आ गया। उस फसल से उतने ही आकर की खेती से 50 गुना ज्यादा गेहूँ निकला, यह गेहूँ इतना ज्यादा था की उसे रखने तक की जगह नहीं बची थी। गाँव से सभी लोग धन्ना जाट की फसल देखकर आश्चर्य करने लगे। इस प्रकार धन्ना जाट एक साधारण जाट से धन्ना सेठ बन गए। बाद में उन्हें धन्ना भक्त के नाम से जाना गया।    Dhanna Jaat

धन्ना जाट के ऊपर दारा सिंह ने बनाई थी फिल्म

भारत के प्रसिद्ध पहलवान दारा सिंह एक प्रसिद्ध फिल्म निर्माता तथा शानदार अभिनेता थे। पहलवानी की पारी पूरी करके दारा सिंह फिल्म निर्माता तथा अभिनेता बन गए थे। दारा सिंह ने धन्ना जाट के जीवन पर आधारित बहुत ही शानदार फिल्म का निर्माण किया था। यहां दिए गए लिंक के द्वारा आप धन्ना जाट के ऊपर बनाई गई फिल्म को भी देख सकते हैं।  https://www.youtube.com/watch?v=-riLqZFOHDc      Dhanna Jaat
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GST का महाबदल! दूसरे दिन की बैठक के बाद बदल जाएगा पूरा खेल

GST का महाबदल! दूसरे दिन की बैठक के बाद बदल जाएगा पूरा खेल
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calendar28 Nov 2025 03:05 AM
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भारत की टैक्स व्यवस्था में अब एक नए दौर की शुरुआत होने जा रही है। जीएसटी काउंसिल की दो दिवसीय बैठक ने उस “नेक्स्ट-जेनरेशन जीएसटी रिफॉर्म” की नींव रख दी है, जिसे 22 सितंबर 2025 से पूरे देश में लागू किया जाएगा। यह सुधार न सिर्फ टैक्स ढांचे को सरल और पारदर्शी बनाएगा, बल्कि आम आदमी की जेब से लेकर कारोबार की रफ्तार तक हर पहलू को प्रभावित करेगा। काउंसिल ने टैक्स स्लैब्स को घटाकर सिर्फ दो कर दिया है—5% और 18%। यानी 12% और 28% स्लैब अब इतिहास बन गए। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह बदलाव रोज़मर्रा के खर्च को हल्का करने के साथ-साथ भारतीय बाज़ार में नई ऊर्जा भर देगा।    GST Council Meeting 2025

आम आदमी की जेब पर सीधी राहत

रसोई और घर-परिवार में इस्तेमाल होने वाले सामान—जैसे हेयर ऑयल, शैंपू, टूथपेस्ट, साबुन, बटर, घी और पैकेज्ड नमकीन—अब सस्ते हो जाएंगे। इन पर टैक्स 18% और 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है। सिलाई मशीन, डायपर्स और फीडिंग बॉटल जैसे घरेलू उत्पाद भी कम टैक्स स्लैब में आ गए हैं। हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस से जीएसटी पूरी तरह हटाना एक बड़ा कदम है। इससे लाखों पॉलिसीधारकों को राहत मिलेगी। मेडिकल-ग्रेड ऑक्सीजन, डायग्नॉस्टिक किट, ग्लूकोमीटर और थर्मामीटर पर टैक्स घटाकर 5% कर दिया गया है। आम लोगों की मेडिकल खर्च से जुड़ी टेंशन अब कुछ हद तक कम होगी। अब बच्चों की पढ़ाई से जुड़ी वस्तुएं—नोटबुक्स, एक्सरसाइज बुक्स, पेंसिल, शार्पनर, मैप्स और ग्लोब—पूरी तरह टैक्स मुक्त हो गई हैं। इससे शिक्षा का खर्च घटेगा और अभिभावकों को सीधी राहत मिलेगी।

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किसानों को बड़ी मदद

कृषि उपकरण, ट्रैक्टर, उनके टायर और पार्ट्स पर टैक्स 18% और 12% से घटाकर सिर्फ 5% कर दिया गया है। आधुनिक मशीनरी और ड्रिप इरिगेशन सिस्टम पर भी टैक्स कम हुआ है। सरकार का दावा है कि इससे खेती की लागत घटेगी और किसानों की आमदनी में इज़ाफ़ा होगा। तीन-पहिया वाहन, 350 सीसी तक की बाइक और कई कमर्शियल व्हीकल्स अब 18% स्लैब में आ गए हैं। पहले इन पर 28% टैक्स लगता था। गाड़ियां सस्ती होने से ऑटोमोबाइल सेक्टर में नई रौनक आने की उम्मीद है।

एसी, बड़े एलईडी/एलसीडी टीवी, मॉनिटर और डिशवॉशर जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर टैक्स घटाकर 28% से 18% कर दिया गया है। त्योहारों से पहले उपभोक्ताओं के लिए यह बड़ी राहत है। केवल टैक्स दरें ही नहीं, बल्कि पूरी व्यवस्था को सरल बनाया गया है। अब जीएसटी रजिस्ट्रेशन सिर्फ तीन कार्यदिवस में पूरा होगा। प्रोविजनल रिफंड और टैक्स क्रेडिट की प्रक्रिया भी तकनीक आधारित होकर पारदर्शी बनेगी। छोटे और मझोले कारोबारियों को इससे “Ease of Doing Business” का वास्तविक लाभ मिलेगा।

दिवाली से पहले बड़ा तोहफा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन फैसलों को “जन-हितैषी” बताते हुए कहा कि इनसे देश के किसानों, छात्रों, महिलाओं, युवाओं और कारोबारियों को सीधा फायदा होगा। सरकार को उम्मीद है कि यह सुधार आर्थिक गतिविधियों को गति देंगे और नागरिकों की ज़िंदगी आसान बनाएंगे।    GST Council Meeting 2025