SPECIAL STORY: तेरी खांसी खांसी, मेरी खांसी टीबी

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 03:22 AM
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-अंजना भागी [caption id="attachment_64222" align="alignnone" width="300"]SPECIAL STORY SPECIAL STORY[/caption] SPECIAL STORY: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीबी मुक्त भारत का अभियान 2018 में शुरू किया था। इसका लक्ष्य 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करना है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अनुसार भी जन भागीदारी ही इसका समाधान कर पाएगी।

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जन भागीदारी ? बस ये ही बात शायद सबके दिमाग में नहीं घुसती। ये जनभागीदारी समझाई भी कैसे जाये। यह भी एक समस्या है। वो भी ऐसे में जब कोई व्यक्ति खुद को अत्यधिक समझदार समझे। मैं ‘भारत जोड़ो यात्रा’ देखने को पंजाब जा रही थी। इसलिए पंजाब रोडवेज की बस में सुबह 6 बजे जाकर बैठी। एक अच्छी सेहत की महिला मेरे से आगे की सीट पर बैठी थी, अपने बेटे के साथ। बस लगभग पूरी भरी हुई थी जैसे ही चलने को हुई एक और महिला भागते-भागते आई और मेरे से आगे वाली तीन वाली सीट पर आकर बैठ गई। या तो भागने से या सर्दी से उसके गले में कुछ खराश सी हुई। वह बैठते—बैठते ही कुछ खांसी। पढ़ी-लिखी लगती थी 2,3 बार बोली सॉरी। बाल उसके कटे हुए थे। फिर सब कुछ नॉर्मल। बस चल पड़ी लेकिन 10 मिनट बाद ही मेरे आगे की सीट पर अपने बेटे के साथ बैठी महिला ने खाँसना शुरू किया। बीच-बीच में खिडक़ी खोल बाहर थूक भी देती। खाँस कभी भी, कहीं भी, किसी भी दिशा में देती। ये देख पढ़ी-लिखी महिला ने दायें-बाएँ देखा। बस में अन्य कोई भी सीट खाली नहीं थी। तब वह धीरे से बोली कब से खांसी है, आपको ? उसका पूछना था की-ऐसा लगा की बस में किसी ने बम का गोला ही दे मारा हो। कौन सी खांसी है? मुझे खांसी है। काली है नीली है या टी.बी। तुझे क्या? मेरी है। मैं जहां कहीं भी किसी के भी मुंह पर, पीठ पर या सर पर खाँसू। तू कौंण होई टोक्ण वाली जा के बुथा वेख। तेरी खांसी-खांसी ते मेरी खांसी टीबी। मैं और वो महिला बिलकुल हैरान। अंबाला तक वो माँ-बेटे पापड़ चिप्स जो भी बस में बिकने आया खरीदते खाते और किसी भी दिशा में खाँसते हुए ही गये। टीबी तो बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है: जो एक इंसान के खाँसने पर यदि वह अपने मुंह पर कोई कपड़ा इत्यादि नहीं रखता या मास्क नहीं पहने हुए हैं, खुले में खाँसता है तो दूसरे इंसान के मुंह से हवा में उड़ने वाले कणों के साथ उसकी साँसों द्वारा टी बी का बैक्टीरिया दूसरे व्यक्ति के फेफड़ों तक पहुंच जाता है। इसलिए सबसे कॉमन फेफड़ों की ही टीबी है। लेकिन कभी-कभी यह ब्रेन, यूट्रस, लिवर, किडनी आदि शरीर के हिस्से में भी हो जाती है। बैक्टिरिया शरीर के जिस हिस्से में भी जाता है। उसके उस हिस्से के टिशू को पूरी तरह से नष्ट कर देता है। इससे उस अंग का काम प्रभावित होता है। वर्ष-2022 तक तो डब्ल्यूएचओ संगठन के मुताबिक दुनिया में सबसे ज्यादा टीबी के मरीज भारत में ही थे। अब हों भी कैसे न ? जब सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है लोग इस्तेमाल भी सार्वजनिक वाहनों का ही करते हैं। सब खांसेंगे भी अपनी ही मर्जी से। ऐसे में जब दिशाएँ चार हैं तो एक से चार तो टी बी के मरीज अपने आप ही होते जायेंगे। पढ़ी-लिखी महिला परेशान हो गई: चिढ के बोली पूरा मुहं खोल मेरे मुहं पर की खाँस देती हो। आगे तो वो कुछ बोल ही नहीं पाई पूरा मुहं खोल के खांसू, बंदकर खांसू या आधा मेरी मर्जी। तूने मेरी टिकिट ली है क्या ? अब अन्य यात्रियों ने भी उसको एक बस स्टॉप पर लगा वह बोर्ड दिखाया। जिस पर लिखा होता है कहीं यह खांसी टी.बी. तो नहीं? ये आपके फेफड़ों को प्रभावित करने के साथ-साथ आपके शरीर के दूसरे हिस्सों को भी प्रभावित कर सकती है। वो महिला पूरी ताकत से चिल्लाई चौप बड्डी आई पटयां वाली। और अपने बेटे का हाथ थाम आगे की सीट पर जाकर बैठ गई। खांसी फैलाने को। बाकी भी शायद मेरी ही तरह सोच रहे होंगे। ये जन भागीदारी कैसी। टी बी फैलाने की या ठीक करने की। डब्लूएचओ ‘ग्लोबल ट्यूबरक्लोसिस रिपोर्ट -2020’  के अनुसार 2019 में दुनिया में टीबी के 26 प्रतिशत मामले भारत से ही आए थे। 2019 में 24 लाख से ज्यादा मरीज सामने आए थे जिसके अनुसार टीबी का हर चौथा मरीज ही भारत से ही है। देश में टीबी का ये हाल है और यदि कोई समझना चाहे तो भी पूरा बवाल है। टीबी मुक्त अभियान के अंतर्गत रोगी को फ्री इलाज तथा 500 रुपये खुराक के लिए भी सरकार द्वारा दिया जाता है। दुनियाभर में हर दिन लगभग 5,200 लोग टीबी से मरते हैं और 30,000 के करीब बीमार पड़ जाते हैं। भारत में लगभग 1,400 लोग टीबी से मरते हैं। भारत हर साल लगभग 2-3 मिलियन  टीबी के लक्षण के मामलों के साथ आगे बढ़ रहा है, जो बहुत ही चिंता का विषय है। जबकि टीबी एक इलाज योग्य बीमारी है, जिसका यदि समय पर निदान किया जाये और उपचार शुरू किया जाये तो ये ठीक हो सकता है। 2024 तक तो टीबी का खात्मा करने वाला प्रभावी टीका भी आ सकता है। जनभागीदारी के लिए सबसे उत्तम उपाय है फाइन और मास्क। यदि आप खाँस रहे हैं तो मास्क का इस्तेमाल करें । कुछ भी नहीं तो अपना बाजू मुह पर रख खाँसे। मुंह दूसरी ओर करके खाँसे, किसी को भी टोकना न पड़े आप स्वयं अपनी जन भागीदारी निभाएँ। देश को टी बी से बचाएं। नागरिकों की युद्ध स्तर पर जनभागीदारी की भावना से ही देश टीबी उन्मूलन की दिशा में आगे बढ़ेगा। सामूहिक रूप से काम करने से ही इस बीमारी पर जल्द विजय पा लक्ष्य 2025 भी  पूरा किया जा सकेगा।

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Rangoli Competition: भारतीय मां-बेटी की बनाई रंगोली को सिंगापुर बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में मिली जगह

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calendar27 Jan 2023 07:33 PM
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Singapore:  रंगोली बनाने के लिए एक भारतीय महिला और उसकी बेटी का नाम सिंगापुर बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है। सिंगापुर में 26 हजार आइस्क्रीम स्टिक से प्रख्यात तमिल विद्वानों और कवियों की छह मीटर लंबी और इतनी ही चौड़ी रंगोली बनाने के लिए एक भारतीय महिला और उसकी बेटी का नाम सिंगापुर बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है। सुधा रवि इससे पहले 2016 में 3,200 वर्ग फुट लंबी रंगोली बनाकर सिंगापुर बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में जगह बनाने में सफल रही थीं। उन्होंने अपनी बेटी रक्षिता के साथ मिलकर यहां लिटिल इंडिया परिसर में पोंगल के उपलक्ष्य में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में 26 हजार आइसक्रीम स्टिक से बनी रंगोली प्रदर्शित की। इस रंगोली को बनाने में एक महीने का समय लगा था। रंगोली में तमिल भाषा के प्रख्यात कवियों और विद्वानों को दर्शाया गया है, जिनमें तिरुवल्लुवर, अव्वैयार, भरथियार और भारतीदासन शामिल हैं। इसे तमिल सांस्कृतिक संगठन ‘कलामंजरी’ और लिटिल इंडिया शॉपकीपर्स एंड हेरिटेज एसोसिएशन (एलआईएसएचए) द्वारा इन विद्वानों और कवियों की कृतियों के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में प्रदर्शित किया गया। रंगोली कला में माहिर सुधा रवि आमतौर पर चावल के आटे, चॉक और चॉपस्टिक की मदद से रंगोली बनाती हैं, लेकिन तमिल विद्वानों और कवियों पर आधारित रंगोली उकेरने के लिए उन्होंने आइस्क्रीम स्टिक का सहारा लिया।
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NATIONAL STORY: सम्राट मिहिर भोज और राजा भोज दोनों ही थे महान गुर्जर शासक

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userचेतना मंच
calendar27 Jan 2023 12:11 AM
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NATIONAL STORY: आज गुर्जर वंश के प्रबल प्रतापी राजा भोज की जयंती है। देश के लोग अपने स्वर्णिम इतिहास के इस वीर सपूत को पूरे गौरव के साथ याद कर रहे हैं।

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लोग जब गुर्जर शासकों की बात करते हैं तो सम्राट मिहिर भोज और राजा भोज के नामों में समरूपता होने के कारण दोनों को भूल से एक ही व्यक्ति मान लिया जाता है ,लेकिन आज हम आपको बताते हैं कि सम्राट मिहिर भोज और राजा भोज दो अलग अलग राजा थे और दोनों ने अलग-अलग समय पर शासन किया था, लेकिन दोनों में एक बड़ी समानता थी कि वे दोनों ही पराक्रमी राजा गुर्जर वंश के थे। राजा मिहिर भोज गुर्जर प्रतिहार राजवंश के राजा थे जिन्होंने भारतीय महाद्वीप के उत्तरी हिस्से में लगभग 49 वर्षों तक शासन किया और उनकी राजधानी कन्नौज वर्तमान (उत्तर प्रदेश) में थी। इनके राज्य का विस्तार नर्मदा के उत्तर में और हिमालय की तराई तक पूर्व में वर्तमान बंगाल की सीमा तक माना जाता है । सम्राट मिहिर भोज को प्रतिहार वंश का सबसे महान शासक माना गया है। सम्राट मिहिर भोज का जन्म विक्रम संवत 873 को हुआ था और उन्होंने 836 से 885 तक शासन किया। अब राजा भोज की बात करें तो उनका जन्म 980 ई में महाराजा विक्रमादित्य की नगरी उज्जयिनी में हुआ था। इतिहासकारों का मानना है कि राजा भोज का शासन काल 1010 से 1053 ईसवी तक रहा था और इन्हें भोज देव भी कहा जाता है। बाद में भोज देव ने धार को अपनी राजधानी बनाया था । राजा भोज का नाम वर्तमान भोपाल से भी जुड़ा है क्योंकि वहां इनका शासन था और भोपाल का प्राचीन नाम भोजपाल था जो बाद में बदलकर भोपाल हो गया। राजा भोज चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य के वंशज थे 15 साल की अल्पायु में ही उनका मालवा की गद्दी पर राज्याभिषेक कर दिया गया था। प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान डॉक्टर रीवा प्रसाद द्विवेदी ने प्राचीन संस्कृत साहित्य पर शोध किया है उन्होंने मलयालम भाषा में भोज की रचनाओं की खोज की ,उसमें बताया गया है कि राजा भोज का शासन केरल तक फैला हुआ था। सम्राट मिहिर भोज और राजा भोज दोनों में बड़ी समानता यह थी कि दोनों ही गुर्जर वंश से थे और दोनों ने ही तुर्कों को मात देने के लिए विशाल सेना गठित की थी और तुर्कों को पराजित किया था। राजा भोज का राज चारों ओर शत्रुओं से घिरा था ,उत्तर में तुर्कों से, उत्तर पश्चिम में राजपूत सामंतों से ,दक्षिण में विक्रम चालुक्य ,पूर्व में युवराज कलचुरी और पश्चिम में भी चालुक्यो से उन्हें लोहा लेना पड़ा था ।उन्होंने सबको युद्ध में हरा दिया था। तेलंगाना के तेलप और तिरहुत के गांगेह (गंगू) को हराने के कारण एक मशहूर कहावत का जन्म हुआ जिसे हम सब जानते हैं ... वह मशहूर कहावत है, "कहां राजा भोज और कहां गंगू तेली" ग्वालियर के महान राजा भोज के बारे में कई स्तुति पत्र मिले हैं जिनके अनुसार उन्होंने केदारनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण भी कराया था । उन्होंने अपने काल में कई मंदिर बनवाए थे। धार की भोजशाला का निर्माण भी उन्होंने ही करवाया था और मध्य प्रदेश के वर्तमान राजधानी भोपाल को बनाया था जिसे पहले भोजपाल कहा जाता था । राजा भोज नदियों को जोड़ने के लिए भी पहचाने जाते हैं ।उनके द्वारा खुदवाई गई नहरों का लाभ आज भी मध्य प्रदेश के लोगों को मिल रहा है। भोपाल का बड़ा तालाब इसका जीता जागता उदाहरण है। इतिहासकार ई लेन पूल के मुताबिक जब महमूद गजनवी ने गुजरात के सोमनाथ मंदिर को नष्ट किया था तो यह दुखद समाचार राजा भोज तक पहुंचने में कुछ समय लगा । तुर्की के लेखक दरगीजी के अनुसार उन्होंने इस घटना से क्षुब्ध होकर 1026 मे गजनबी पर हमला किया जिससे घबराकर गजनबी सिंध के रेगिस्तान में भाग गया तब राजा भोज ने गजनबी के पुत्र सलार मसूद को बहराइच के पास मारकर सोमनाथ का बदला लिया था। राजा भोज की तरह ही सम्राट मिहिर भोज भी अरब आक्रमण को रोकने में सफल रहे थे ,अरब इतिहासकार के मुताबिक इनकी अश्व सेना उस समय की सर्वाधिक प्रबल सेना थी। दूसरी तरफ राजा भोज के साम्राज्य के अंतर्गत मालवा, कुंभकरण ,खानदेश डूंगरपुर, बांसवाड़ा ,चित्तौड़ और गोदावरी घाटी का भाग शामिल था। राजा भोज ने उज्जैन की जगह धार को अपनी नई राजधानी बनाया था। वे काव्य शास्त्र और व्याकरण के भी बड़े जानकार थे ।उन्होंने 84 ग्रंथों की रचना भी की थी ।भुज प्रबंधन नाम से उनकी आत्मकथा भी है ।आईने अकबरी के अनुसार भोज की राजसभा में 500 विद्वान थे। तो ऐसा था गुर्जर राजाओं का गौरवशाली इतिहास आपको बताते चलें गुर्जर प्रतिहार राजवंश के अधीन आने वाले प्रमुख वंश थे परमार गुर्जर वंश चौहान गुर्जर वंश गोहिल गुर्जर वंश मोरी गुर्जर वंश चंदेल गुर्जर वंश गुर्जर चालुक्य वंश तोमर गुर्जर वंश खटाना गुर्जर भाटी गुर्जर वंश मैत्रक गुर्जर वंश चप गुर्जर वंश भडाना गुर्जर वंश और धामा गुर्जर वंश।

REPUBLIC DAY PARADE: खराब दृश्यता बनी फ्लाई पास्ट के आनंद में बाधक

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