black beard कम उम्र में ही दाढ़ी हो गई है सफेद? इन घरेलू नुस्खों से बनें जवान

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black beard
locationभारत
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calendar26 Jan 2022 06:18 PM
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black beard : वर्तमान समय में युवाओं में दाढ़ी (black beard) रखने का एक फैशन चला हुआ है। कम उम्र के युवा भी दाढ़ी रख रहे हैं। लेकिन खानपान या पानी की वजह से दाढ़ी सफेद हो रही है और आप अपने दाढ़ी (black beard) रखने के शौक को पूरा नहीं कर पा रहे हैं तो चिंता मत कीजिए। हम आज आपको बताएंगे कि घर पर ही देसी उपायों से आप अपनी दाढ़ी को प्राकृतिक रुप से कैसे काला कर सकते हैं।

प्याज का रस बनाकर लगाएं

यह बालों को काला बनाने का सबसे आसान तरीका है, जिसका इस्तेमाल आपको बालों को बहुत ही कम समय के अंदर काला बना सकता है। इस नुस्खे के लिए आपको केवल प्याज की जरूरत होती है। आप प्याज की ग्रेवी बना लें और इसके पल्प को बालों पर लगाएं। अगर आपको बालों पर पल्प नहीं लगाना है तो आप प्याज का रस निकाल कर भी बालों पर स्प्रे कर सकते हैं। इससे आपको बालों को काला बनाने में मदद मिलेगी।

[caption id="attachment_15414" align="alignnone" width="563"]black beard black beard[/caption]

आलू का छिलका

आलू के छिलके में मौजूद स्टार्च की मात्रा आपके बालों से अतिरिक्त ऑयल को सोखने का काम करती है। आलू के छिलके के इस्तेमाल से डैंड्रफ और बाल सफेद होने की समस्या नहीं होती है। आप इस नुस्खे के लिए आलू के छिलकों को गर्म पानी मे 15 मिनट तक उबाल लें। इस पानी को छान ले और ठंडा होने दे। इस पानी से बालों और स्कैल्प पर लगाकर छोड़ दे। एक घंटे बाद ठंडे पानी से बाल को धो लें।

मेहंदी और नील पत्ती का करें इस्तेमाल

मेहंदी और नील के पत्ती को बालों पर लगाने से एक बार में ही बालों को काला बनाने में मदद मिलती है। इस नुस्खे के लिए एक कांच के प्याले में दो चम्मच मेहंदी डाल कर थोड़ा पानी मिलाएं और एक गाढ़ा पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को 12 घंटे के लिए ढककर छोड़ दें। अब इसमें चार चम्मच नील पत्ती का पाउडर मिला लें और हल्का गुनगुना पानी मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें। अब आप अपने बालों पर किसी ब्रश या फिर हाथों से मेहंदी लगाएं और 2 घंटे बाद पानी से धो लें।

संत कमल किशोर, आयुर्वेदाचार्य

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Petrol Diesel Prices: गणतंत्र दिन पर आपके शहर में पेट्रोल डीजल के क्या रेट है ?

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locationभारत
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calendar26 Jan 2022 05:00 PM
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Petrol Diesel Prices: देश में 26 जनवरी और गणतंत्र दिन के अवसर पर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। दिल्ली में, पेट्रोल और डीजल की कीमतें बाकी महानगरों की तुलना में अपेक्षाकृत सस्ता है। क्योंकि, केजरीवाल सरकार ने पेट्रोल पर लगा मूल्य वर्धित कर (Value Added Tax -VAT) को कम करने का फैसला किया था, जिससे दिल्ली में, पेट्रोल-डीजल की कीमतें लगभग 8 रुपये प्रति लीटर तक कम हो गए। अधिकारियों ने बताया कि, दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal) की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला किया गया कि, पेट्रोल पर मूल्य वर्धित कर मौजूदा 30 प्रतिशत से घटाकर 19.4 प्रतिशत किया जाएगा, जिससे करीब 8 रुपये प्रति लीटर की कटौती होगी। सूत्रों ने बताया, मूल्य वर्धित कर में कटौती के बाद पेट्रोल की कीमत मौजूदा 103 रुपये प्रति लीटर से घटकर 95 रुपये प्रति लीटर हो जाएगी। >> जरूर पढ़े:- PM Modi's New Car: Mercedes-Maybach जो गोलियां, बम धमाकेा को आसानीसे झेल सकती है इससे पहले, दिल्ली में पेट्रोल की कीमत उत्तर प्रदेश और हरियाणा के एनसीआर शहरों की तुलना में अधिक थी, जहां राज्य सरकारों ने ईंधन की कीमतों पर उत्पाद शुल्क को कम करने के बाद वैट में कटौती की घोषणा की थी। केंद्र सरकार ने दिवाली की पूर्व संध्या पर, ईंधन पर उत्पाद शुल्क (Excise Duty) में कटौती की घोषणा की, जिसके परिणाम स्वरूप देश भर में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में तेज कमी आई। केंद्र सरकार ने पेट्रोल की कीमत में 5 रुपये और डीजल की कीमत में 10 रुपये की कटौती की थी। मोदी सरकार के इस फैसले के बाद, कई राज्यों, ज्यादातर NDA (National Democratic Alliance) और सहयोगियों ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर मूल्य वर्धित कर में कटौती की है। >> जरूर पढ़े:-  कैसे तय होते है पेट्रोल-डीजल के दाम? क्या है नए साल में पेट्रोल-डीजल के दाम ? [caption id="" align="aligncenter" width="970"]Petrol Diesel Prices in India Petrol Diesel Prices in India[/caption] दिल्ली के बाद, पंजाब और राजस्थान ने भी पेट्रोल की कीमतों में सबसे बड़ी कटौती की घोषणा की। राज्य के स्वामित्व वाले ईंधन खुदरा विक्रेताओं (State-Owned Fuel Retailers) द्वारा साझा की गई मूल्य सूची के अनुसार, उत्पाद शुल्क (Excise Duty) और मूल्य वर्धित कर (VAT) में कटौती के संयुक्त प्रभाव के परिणाम स्वरूप राज्यों में पेट्रोल की कीमत में 16.02 रुपये प्रति लीटर और डीजल में 19.61 रुपये प्रति लीटर की कमी की गई। पंजाब और राजस्थान राज्य में पेट्रोल की कीमत पर VAT में 11.02 रुपये जबकि डीजल पर 6.77 रुपये की कटौती की गई। लद्दाख में डीजल की कीमतों में सबसे ज्यादा कमी देखी गई है। यह उत्पाद शुल्क (Excise Duty) में 10 रुपये प्रति लीटर की गिरावट के कारण मूल्य वर्धित कर में कटौती के कारण है। >> जरूर पढ़े:-  Car Loan Offer: साल 2022 में कार खरीदना चाहते हो?… तो जानिए बैंक के ब्याज दर मुंबई में पेट्रोल 109.98 रुपये प्रति लीटर और डीजल 94.14 रुपये प्रति लीटर पर खरीदाना पड़ सकता है। चेन्नई में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 101.40 रुपये है और एक लीटर डीजल की कीमत 91.43 रुपये प्रति लीटर चल रही है। पच्छिम बंगाल के कोलकाता में पेट्रोल की कीमत 104.67 रुपये प्रति लीटर है जबकि, डीजल की कीमत 101.56 रुपये प्रति लीटर है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में जहां पेट्रोल 107.23 रुपये प्रति लीटर पर खरीदा जा सकता है, जिसमें 6.27 रुपये की कटौती की गई है, वहीं डीजल की कीमत 90.87 रुपये प्रति लीटर है। >> जरूर पढ़े:-  Republic Day Celebrations: राजपथ पर पहली बार 75 एयरक्राफ्ट,17 जगुआर का प्रदर्शन होगा

आपके शहर में Petrol Diesel Prices क्या है ?

1. मुंबई (Petrol Diesel Rate in Mumbai)

पेट्रोल - 109.98 रुपये प्रति लीटर डीजल - 94.14 रुपये प्रति लीटर

2. दिल्ली (Petrol Diesel Pricesin Delhi)

पेट्रोल - 95.41 रुपये प्रति लीटर डीजल - 86.67 रुपये प्रति लीटर

3. चेन्नई (Petrol and Diesel Pricesin Chennai)

पेट्रोल - 101.40 रुपये प्रति लीटर डीजल - 91.43 रुपये प्रति लीटर

4. कोलकाता (Petrol Diesel Ratein Kolkata)

पेट्रोल - 104.67 रुपये प्रति लीटर डीजल - 89.79 रुपये प्रति लीटर >> जरूर पढ़े:- अमर जवान ज्योति की लौ बुझी नहीं, बल्कि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की लौ में विलीन हो गई

5. भोपाल (Petrol Diesel Rate in Bhopal)

पेट्रोल - 107.23 रुपये प्रति लीटर डीजल - 90.87 रुपये प्रति लीटर

6. हैदराबाद (Petrol Prices in Hyderabad)

पेट्रोल - 108.20 रुपये प्रति लीटर डीजल - 94.62 रुपये प्रति लीटर

7. बेंगलुरू (Petrol & Diesel Prices in Bengaluru)

पेट्रोल - 100.58 रुपये प्रति लीटर डीजल - 85.01 रुपये प्रति लीटर

8. गुवाहाटी (Petrol Diesel Prices in Guwahati)

पेट्रोल - 94.58 रुपये प्रति लीटर डीजल - 81.29 रुपये प्रति लीटर

9. लखनऊ (Petrol-Diesel Prices in Lucknow)

पेट्रोल - 95.28 रुपये प्रति लीटर डीजल - 86.80 रुपये प्रति लीटर

10. गांधीनगर (Petrol Rate in Gandhi Nagar)

पेट्रोल - 95.35 रुपये प्रति लीटर डीजल - 89.33 रुपये प्रति लीटर

11. तिरुवनंतपुरम (Petrol Prices in Thiruvananthapuram)

पेट्रोल - 106.36 रुपये प्रति लीटर डीजल - 93.47 रुपये प्रति लीटर >> जरूर पढ़े:-  Neeraj Chopra: गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा को मिला परम विशिष्ट सेवा मेडल
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सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा के बहाने क्या यह संदेश देना चाहती है सरकार!

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Subhas Chandra Bose statue
locationभारत
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calendar30 Nov 2025 03:28 AM
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सरदार पटेल (Vallabhbhai Patel), वीर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar) और सुभाष चंद्र बोस (Subhas Chandra Bose) ये ऐसे नाम हैं जो पिछले कुछ अर्से से अक्सर चर्चा में हैं।

विवाद की 3 प्रमुख वजहें फिलहाल, नेताजी सुभाष चंद्र बोस को लेकर राजनीति जारी है। इंडिया गेट और राष्ट्रीय समर स्मारक के बीच खाली पड़ी छतरी में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा लगाने के केंद्र सरकार के फैसले पर विवाद खड़ा हो गया है। विवाद की 3 प्रमुख वजहें हैं:

पहला: चूंकि, भारतीय जनता पार्टी (BJP) या आरएसएस (RSS) के पास खुद का कोई बड़ा नेता नहीं है इसलिए, इन नेताओं के बहाने वह खुद को राष्ट्रभक्त साबित करने की कोशिश कर रही है।

दूसरा: पटेल, सावरकर या नेताजी के बहाने मोदी सरकार पिछली सरकारों खासतौर पर, नेहरू-गांधी परिवार को इन नेताओं के साथ अन्याय करने वाला (विलेन) बताकर राजनीतिक लाभ लेना चाहती है।

तीसरा: वर्तमान सरकार इतिहास को बदलने की फिराक में है ताकि, अपनी पसंद के नेताओं को हीरो बनाकर पेश किया जा सके।

इसके अलावा, वर्तमान सरकार पर हिंदुत्व का एजेंडा थोपने और लोगों को स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर बांटने की साजिश जैसे आरोप भी लगाए जा रहे हैं। हालांकि, इन सब की परवाह किए बिना सरकार ने 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के मौके पर उनकी होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण कर दिया। इंडिया गेट और राष्ट्रीय समर स्मारक के बीच खाली पड़ी इस छतरी में जल्द ही नेताजी की कांस्य प्रतिमा लगाई जागी जिसका निर्माण जारी है।

पहले भी हुए हैं ऐसे काम और विवाद इससे दो दिन पहले 21 जनवरी को इंडिया गेट के नीचे जल रही अमर जवान ज्योति (Amar Jawan Jyoti) पर जल रही लौ का राष्ट्रीय समर स्मारक (National War Memorial) की लौ में विलय कर दिया गया। इसे लेकर भी विवाद पैदा हो गया और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा कि कांग्रेस (Congress) की सरकार के आने पर इसे वापस इंडिया गेट (India Gate) के नीचे ही प्रज्वलित किया जाएगा।

स्वतंत्रता सेनानियों को लेकर पैदा होने वाला यह कोई पहला विवाद नहीं है। इससे पहले भी सरदार पटेल (Vallabhbhai Patel ) और वीर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar) को लेकर वर्तमान सरकार और बीजेपी (BJP) पर ऐसे ही आरोप लगे हैं।

क्यों पिछली सरकारों पर लगे ये आरोप? इन आरोपों से अलग भारतीय जनता पार्टी (BJP) का मानना है कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान देने वाले बहुत से महापुरुषों के योगदान के साथ पिछली सरकारों ने न्याय नहीं किया। बीजेपी का आरोप है कि जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी जैसे नेताओं को तो जीवित रहते ही भारत रत्न (Bharat Ratna) से सम्मानित कर दिया गया जबकि, भारतीय संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर (B. R. Ambedkar) को 1990 में वीपी सिंह सरकार ने भारत रत्न दिया।

बीजेपी मानना है कि पिछली सरकारों ने आजादी के बाद देश को एकीकृत करने वाले सबसे बड़े नायक सरदार पटेल (Vallabhbhai Patel) को 1991 में भारत रत्न से सम्मानित करने का फैसला तब किया जब उन पर बेहद दबाव पड़ने लगा। इसी तरह नेताजी सुभाष चंद्र बोस को 1992 में भारत रत्न देने का फैसला तो किया गया लेकिन, नेताजी के परिवार ने ही इसका विरोध कर दिया और मामला कोर्ट में जाने की वजह से सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा।

क्यों नहीं लगनी चाहिए ये प्रतिमाएं? इतिहास को देखने और लिखने के तरीके पर सरकारों का दखल या असर कोई नई बात नहीं है। वर्तमान दौर में सत्तासीन सरकार भी ऐसा ही प्रयास कर रही है, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता।

हालांकि, वर्तमान सरकार अपनी पार्टी से जुड़े किसी बड़े नेता (श्यामा प्रसाद मुखर्जी, अटल बिहारी वाजपेयी) के नाम या प्रतिमा स्थापना की जगह स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े नेताओं की याद में अगर सरदार पटेल की प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' (Statue of Unity) या इंडिया गेट के सामने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा स्थापित कर रही है तो, इससे किसी पार्टी की भावना क्यों आहत होनी चाहिए, यह सवाल उठना भी स्वाभाविक है।

भारतीय संविधान में है इसका इलाज कोई भी दल हमेशा सत्ता में नहीं रहता। भारत पर लंबे समय तक विदेशी आक्रांताओं और औपनिवेशिक शक्तियों ने राज किया और हमारे इतिहास को बदलने की कोशिशें की। आजादी के बाद लंबे समय तक एक ही पार्टी सत्ता में रही और यह सत्ता लोकतांत्रिक तरीके से चुनावों में जीत के बाद हासिल की गई। लोकतंत्र में सरकार के बारे में अंतिम फैसला लेने का काम जनता करती है।

लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी भी सरकार के फैसले से सभी सहमत हों यह जरूरी नहीं है। यही वजह है कि संविधान ने विचार और अभिव्यक्ति की आजादी को मूल अधिकार के तौर पर मान्यता दी है। सरकार से असहमत होने और अपने विचार रखने का अधिकार हर किसी को है। जय प्रकाश नारायण से लेकर अन्ना हजारे तक ने इसी अधिकार का प्रयोग कर स्थापित सत्ताओं के खिलाफ अपनी आवाजें बुलंद की और बिना किसी हिंसा के सत्ता की चूलें हिला दी।

किसी भी राजनीतिक दल के लिए सत्ता पाना या सत्ता में बने रहना ही प्रमुख उद्देश्य होता है। सभी राजनीतिक दल अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए मुद्दों की ताक में होते हैं ताकि, जनभावनाओं को अपने पक्ष में किया जा सके। रोटी सिकेगी या जलेगी, इसका फैसला तो चुनाव में ही होगा क्योंकि, लोकतंत्र की यही रीति है।

- संजीव श्रीवास्तव