गंडक किनारे विदेशी पंखों की बहार, VTR में जुटीं कई दुर्लभ प्रजातियां
वीटीआर के वन संरक्षक सह क्षेत्र निदेशक डॉ. नेशामणी के अनुसार, पिछले साल अच्छी बारिश, अवैध शिकार पर सख्ती, वनकर्मियों की नियमित गश्त और स्थानीय लोगों की जागरूकता का असर इस बार भी दिख रहा है जिससे प्रवासी पक्षियों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है।

Bihar News : बिहार के चंपारण जिले में स्थित वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (VTR) में सर्दियों की दस्तक के साथ ही विदेशी मेहमानों का आगमन तेज हो गया है। जैसे-जैसे तापमान गिर रहा है, वैसे-वैसे साइबेरिया समेत कई देशों से आए प्रवासी पक्षी वीटीआर के जंगलों और जलाशयों में डेरा जमाने लगे हैं। करीब 20 हजार किलोमीटर का लंबा सफर तय कर पहुंचे इन पक्षियों की चहचहाहट ने पूरे रिजर्व को जैसे नया जीवन दे दिया हैऔर पर्यटन के लिहाज से भी इलाका खासा गुलजार हो उठा है। वीटीआर में इन दिनों सफारी पर निकलने वाले पर्यटकों को दोहरी रोमांचक झलक मिल रही है। एक ओर जंगल सफारी के दौरान बाघ, तेंदुआ, चीतल और हिरण जैसे वन्यजीवों के दर्शन हो रहे हैं, तो दूसरी ओर गंडक नदी में बोटिंग के दौरान नदी और किनारों पर प्रवासी पक्षियों की हलचल आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। वन विभाग के मुताबिक, वीटीआर का प्राकृतिक परिक्षेत्र 350 से अधिक पक्षी प्रजातियों के लिए सुरक्षित आश्रय माना जाता है।
3 4 महीने का ठहराव, फिर लौटते हैं अपने देश
हर साल सर्दियों में दर्जनों प्रजातियों के प्रवासी पक्षी वीटीआर में आते हैं और यहां तीन से चार महीने तक ठहरते हैं। इसके बाद अप्रैल से वे अपने मूल स्थानों की ओर लौटने लगते हैं। वीटीआर के वन संरक्षक सह क्षेत्र निदेशक डॉ. नेशामणी के अनुसार, पिछले साल अच्छी बारिश, अवैध शिकार पर सख्ती, वनकर्मियों की नियमित गश्त और स्थानीय लोगों की जागरूकता का असर इस बार भी दिख रहा है जिससे प्रवासी पक्षियों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है।
दुर्लभ प्रजातियों ने बढ़ाई जैव विविधता की चमक
इस बार वीटीआर में कई दुर्लभ और आकर्षक प्रजातियों की मौजूदगी दर्ज की गई है। इनमें नाइट हेरोन, सारस क्रेन, अमूर फाल्कन, ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब, एशियन ओपनबिल और ब्लैक-बेलिड विसलिंग डक जैसी प्रजातियां शामिल बताई जा रही हैं। इन्हें देखने के लिए पर्यटकों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है, जिससे स्थानीय पर्यटन गतिविधियों को नया संबल मिल रहा है। Bihar News
Bihar News : बिहार के चंपारण जिले में स्थित वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (VTR) में सर्दियों की दस्तक के साथ ही विदेशी मेहमानों का आगमन तेज हो गया है। जैसे-जैसे तापमान गिर रहा है, वैसे-वैसे साइबेरिया समेत कई देशों से आए प्रवासी पक्षी वीटीआर के जंगलों और जलाशयों में डेरा जमाने लगे हैं। करीब 20 हजार किलोमीटर का लंबा सफर तय कर पहुंचे इन पक्षियों की चहचहाहट ने पूरे रिजर्व को जैसे नया जीवन दे दिया हैऔर पर्यटन के लिहाज से भी इलाका खासा गुलजार हो उठा है। वीटीआर में इन दिनों सफारी पर निकलने वाले पर्यटकों को दोहरी रोमांचक झलक मिल रही है। एक ओर जंगल सफारी के दौरान बाघ, तेंदुआ, चीतल और हिरण जैसे वन्यजीवों के दर्शन हो रहे हैं, तो दूसरी ओर गंडक नदी में बोटिंग के दौरान नदी और किनारों पर प्रवासी पक्षियों की हलचल आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। वन विभाग के मुताबिक, वीटीआर का प्राकृतिक परिक्षेत्र 350 से अधिक पक्षी प्रजातियों के लिए सुरक्षित आश्रय माना जाता है।
3 4 महीने का ठहराव, फिर लौटते हैं अपने देश
हर साल सर्दियों में दर्जनों प्रजातियों के प्रवासी पक्षी वीटीआर में आते हैं और यहां तीन से चार महीने तक ठहरते हैं। इसके बाद अप्रैल से वे अपने मूल स्थानों की ओर लौटने लगते हैं। वीटीआर के वन संरक्षक सह क्षेत्र निदेशक डॉ. नेशामणी के अनुसार, पिछले साल अच्छी बारिश, अवैध शिकार पर सख्ती, वनकर्मियों की नियमित गश्त और स्थानीय लोगों की जागरूकता का असर इस बार भी दिख रहा है जिससे प्रवासी पक्षियों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है।
दुर्लभ प्रजातियों ने बढ़ाई जैव विविधता की चमक
इस बार वीटीआर में कई दुर्लभ और आकर्षक प्रजातियों की मौजूदगी दर्ज की गई है। इनमें नाइट हेरोन, सारस क्रेन, अमूर फाल्कन, ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब, एशियन ओपनबिल और ब्लैक-बेलिड विसलिंग डक जैसी प्रजातियां शामिल बताई जा रही हैं। इन्हें देखने के लिए पर्यटकों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है, जिससे स्थानीय पर्यटन गतिविधियों को नया संबल मिल रहा है। Bihar News











