गणेश चतुर्थी 2025: जानिए सही तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि




सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों, विशेष रूप से पागल और हिंसक प्रवृत्ति वाले कुत्तों से निपटने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट के आदेशानुसार, स्थानीय अधिकारी अब नियमों के तहत पालतू और आवारा कुत्तों की नसबंदी, टीकाकरण और कृमिनाशक इलाज के बाद उन्हें वहीं क्षेत्र में लौटाने का काम करेंगे। लेकिन यदि कोई कुत्ता खतरनाक या पागल साबित होता है, तो उसे वापस छोड़ा नहीं जाएगा। भारत में पागल कुत्तों की पहचान स्थानीय प्रशासन, नगरपालिका नियमों और वैधानिक प्रावधानों के तहत होती है। पशु जन्म नियंत्रण (ABC) नियम के अनुसार, रेबीज से संदिग्ध कुत्तों को चिन्हित कर सुरक्षित तरीके से अलग रखा जा सकता है। Stray Dogs
अधिकारी और पशु चिकित्सा विशेषज्ञ प्रशिक्षित होते हैं ताकि कुत्तों के व्यवहार और शारीरिक लक्षणों के आधार पर उनकी पहचान की जा सके। प्रमुख संकेत हैं:
अनावश्यक आक्रामकता या लगातार हमला करना
आवाज में बदलाव या लगातार भौंकना
लार का असामान्य रूप से बहना, मुंह से झाग निकलना
असामान्य चलना या लड़खड़ाना
आसपास के इलाके की पहचान में कमी
जबड़े का ढीला पड़ना
आंखों में खालीपन या भ्रम की स्थिति
यदि किसी कुत्ते में रेबीज के लक्षण दिखाई दें, तो स्थानीय प्रशासन द्वारा नियुक्त पशु चिकित्सक और पशु कल्याण संगठन के प्रतिनिधि शामिल एक विशेष पैनल उसकी जांच करता है। पैनल द्वारा खतरा पाया जाने पर कुत्ते को अलग रखा जाता है और लगभग 10 दिनों तक निगरानी की जाती है। इस दौरान गंभीर स्थिति वाले कुत्तों की मृत्यु हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार हिंसक कुत्तों की अलग श्रेणी बनाने का निर्देश दिया है। इसमें वे कुत्ते शामिल होंगे जो बार-बार काटने की घटनाओं में शामिल होते हैं या लगातार ऐसी आक्रामकता दिखाते हैं, जिससे लोगों के लिए खतरा उत्पन्न होता है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी व्यक्ति या संस्था को अधिकारियों के कार्य में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं होगी, ताकि उनका काम बिना बाधा के जारी रह सके। Stray Dogs
सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों, विशेष रूप से पागल और हिंसक प्रवृत्ति वाले कुत्तों से निपटने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट के आदेशानुसार, स्थानीय अधिकारी अब नियमों के तहत पालतू और आवारा कुत्तों की नसबंदी, टीकाकरण और कृमिनाशक इलाज के बाद उन्हें वहीं क्षेत्र में लौटाने का काम करेंगे। लेकिन यदि कोई कुत्ता खतरनाक या पागल साबित होता है, तो उसे वापस छोड़ा नहीं जाएगा। भारत में पागल कुत्तों की पहचान स्थानीय प्रशासन, नगरपालिका नियमों और वैधानिक प्रावधानों के तहत होती है। पशु जन्म नियंत्रण (ABC) नियम के अनुसार, रेबीज से संदिग्ध कुत्तों को चिन्हित कर सुरक्षित तरीके से अलग रखा जा सकता है। Stray Dogs
अधिकारी और पशु चिकित्सा विशेषज्ञ प्रशिक्षित होते हैं ताकि कुत्तों के व्यवहार और शारीरिक लक्षणों के आधार पर उनकी पहचान की जा सके। प्रमुख संकेत हैं:
अनावश्यक आक्रामकता या लगातार हमला करना
आवाज में बदलाव या लगातार भौंकना
लार का असामान्य रूप से बहना, मुंह से झाग निकलना
असामान्य चलना या लड़खड़ाना
आसपास के इलाके की पहचान में कमी
जबड़े का ढीला पड़ना
आंखों में खालीपन या भ्रम की स्थिति
यदि किसी कुत्ते में रेबीज के लक्षण दिखाई दें, तो स्थानीय प्रशासन द्वारा नियुक्त पशु चिकित्सक और पशु कल्याण संगठन के प्रतिनिधि शामिल एक विशेष पैनल उसकी जांच करता है। पैनल द्वारा खतरा पाया जाने पर कुत्ते को अलग रखा जाता है और लगभग 10 दिनों तक निगरानी की जाती है। इस दौरान गंभीर स्थिति वाले कुत्तों की मृत्यु हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार हिंसक कुत्तों की अलग श्रेणी बनाने का निर्देश दिया है। इसमें वे कुत्ते शामिल होंगे जो बार-बार काटने की घटनाओं में शामिल होते हैं या लगातार ऐसी आक्रामकता दिखाते हैं, जिससे लोगों के लिए खतरा उत्पन्न होता है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी व्यक्ति या संस्था को अधिकारियों के कार्य में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं होगी, ताकि उनका काम बिना बाधा के जारी रह सके। Stray Dogs
