Ind vs SL T20:भारत ने श्रीलंका को 6 विकेट से हराया, मैच जीतकर सीरीज में किया क्लीन स्वीप


2 नवंबर की शाम नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में जब हरमनप्रीत कौर ने साउथ अफ्रीका की बल्लेबाज नादिन डिक्लर्क का कैच लपका, तभी भारतीय क्रिकेट इतिहास का एक सुनहरा अध्याय लिख दिया गया। भीड़ के शोर और खुशी के आंसुओं के बीच यह सिर्फ एक जीत नहीं थी यह एक सोच एक नीतिगत बदलाव की जीत थी, जिसने भारतीय महिला क्रिकेट को नई पहचान दी। यह जीत 22 यार्ड की पिच से कहीं आगे जाकर, उन सभी फैसलों का परिणाम थी जो तीन साल पहले लिए गए थे। अक्टूबर 2022 में बीसीसीआई ने इतिहास रचते हुए घोषणा की थी अब महिला क्रिकेटरों को भी पुरुष खिलाड़ियों के बराबर मैच फीस मिलेगी। यह फैसला सिर्फ आर्थिक समानता नहीं, बल्कि मानसिक बराबरी की शुरुआत थी। Indian Women Team World Champion
जब बीसीसीआई ने अपनी 15वीं एपेक्स काउंसिल मीटिंग में समान वेतन की घोषणा की थी, तब कई आलोचकों ने इसे भावनात्मक या अव्यावहारिक कदम बताया। कहा गया कि महिला क्रिकेट अभी उतनी लोकप्रिय नहीं है, इसलिए ‘समान वेतन’ का औचित्य नहीं बनता। लेकिन तीन साल बाद जब भारतीय महिला टीम ने वर्ल्ड कप ट्रॉफी अपने नाम की, तो वही आलोचना बीसीसीआई की दूरदर्शिता की सराहना में बदल गई। आज भारतीय महिला टीम की यह सफलता साबित करती है कि बराबरी किसी इनाम की नहीं, प्रेरणा की शुरुआत होती है। Indian Women Team World Champion
बीसीसीआई का फैसला सिर्फ वेतन बढ़ाने तक सीमित नहीं था। यह खिलाड़ियों को यह अहसास दिलाने का माध्यम था कि उनकी मेहनत, उनका योगदान और उनका पसीना अब बराबर की कीमत रखता है। इस भरोसे ने खिलाड़ियों के भीतर आत्मविश्वास भरा। अब उन्हें न तो आर्थिक असुरक्षा की चिंता रही, न अवसरों की कमी। डब्ल्यूपीएल (विमेंस प्रीमियर लीग) ने इसमें नई ऊर्जा भर दी। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के साथ खेलने का अनुभव भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन को निखार गया। फिटनेस, फील्डिंग और रणनीतिहर मोर्चे पर टीम ने खुद को नए स्तर पर पहुंचा दिया।
जय शाह ने इस जीत पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा - यह जीत सिर्फ खिलाड़ियों की नहीं, उन नीतियों की भी है जिन्होंने उन्हें आगे बढ़ाया समान वेतन, महिला प्रीमियर लीग और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर ने भारतीय महिला क्रिकेट को विश्वस्तरीय बनाया। यह बयान सिर्फ बधाई नहीं, बल्कि उस सोच की स्वीकृति थी, जिसने महिला क्रिकेट को हाशिये से उठाकर मुख्यधारा में ला दिया। Indian Women Team World Champion
कई देशों में आज भी महिला खिलाड़ियों को समान वेतन के लिए अदालतों और आंदोलनों का सहारा लेना पड़ता है। अमेरिका की महिला फुटबॉल टीम इसका बड़ा उदाहरण है। वहीं भारत में, बीसीसीआई ने यह बदलाव बिना संघर्ष, सिर्फ विश्वास और नीतिगत संकल्प से कर दिखाया। आज भारतीय महिला क्रिकेट टीम की यह ट्रॉफी सिर्फ क्रिकेट की नहीं, बल्कि समान अवसरों और विश्वास की जीत है। तीन साल पहले वीडियो कॉल पर पास हुआ ‘Equal Pay Policy’ का प्रस्ताव अब भारत की सबसे बड़ी खेल कहानी बन गया है। Indian Women Team World Champion


