चुनाव से पहले BJP को झटकों की हैट्रिक, राकेश झा हुए लालू के लाल

RJD
Politics News
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calendar18 Jul 2025 03:38 PM
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Politics News : बिहार की सियासत में हलचल तेज होती जा रही है। साल के अंत में संभावित विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) को लगातार तीसरे बड़े नेता के इस्तीफे से करारा झटका लगा है। शिवहर से पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित रघुनाथ झा के पौत्र और पूर्व विधायक अजीत कुमार झा के बेटे राकेश झा ने भाजपा से इस्तीफा देकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का दामन थाम लिया। पटना में आयोजित एक सादे कार्यक्रम में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की मौजूदगी में उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई गई। इसके साथ ही शिवहर जिले की राजनीति में नया मोड़ आ गया है।

तीन नेताओं का इस्तीफा

पिछले एक महीने में भाजपा के तीन प्रभावशाली नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है। हाल ही में वैश्य समाज से आने वाले राधाकांत गुप्ता उर्फ बच्चू जी ने भाजपा छोड़कर राजद जॉइन किया, जबकि वैश्य समुदाय के ही दूसरे बड़े नेता रामाधार साह ने जनसुराज की राह पकड़ी। अब राकेश झा के भाजपा छोड़ने से शिवहर में भाजपा की पकड़ कमजोर होती दिख रही है। गौरतलब है कि राकेश झा लंबे समय से भाजपा से जुड़े रहे, हालांकि उनके पिता अजीत झा विभिन्न दलों में सक्रिय रहे हैं और छोटे भाई नवनीत कुमार झा पहले से ही RJD में हैं।

जनसुराज भी दिखा रहा दम

इधर बिहार में जनसुराज अभियान भी अपना आधार मजबूत करने में जुटा है। पिपराही में एक सभा को संबोधित करते हुए नीरज सिंह ने कहा कि "जनसुराज ही बिहार का भविष्य है। यहां के लोग आज भी 12–15 हजार की नौकरी के लिए बाहर जाने को मजबूर हैं।" उन्होंने कहा कि जनता को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही हैं और वृद्धा पेंशन को बढ़ाकर 1100 रुपये किया जाना केवल एक चुनावी जुमला है। नीरज सिंह के अनुसार, प्रशांत किशोर की अगुवाई में जनसुराज 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगा और पेंशन को ₹2000 तक पहुंचाने का वादा किया गया है।

बिहार चुनाव से पहले बदलते समीकरण

भाजपा के लिए यह संकेत है कि आंतरिक असंतोष और बदलते राजनीतिक समीकरण उसे आगामी चुनाव में मुश्किल में डाल सकते हैं। दूसरी ओर, राजद और जनसुराज दोनों ही दल अपनी-अपनी रणनीति से पार्टी विस्तार और जनाधार मजबूत करने में लगे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यदि यह सिलसिला जारी रहा, तो 2025 का विधानसभा चुनाव सिर्फ NDA बनाम INDIA गठबंधन नहीं, बल्कि तीर लालटेन जनसुराज त्रिकोण में तब्दील हो सकता है।  
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जाट समाज का बड़ा ऐलान, देश भर में करेंगे आंदोलन

JAT RESERVATION
Jat Reservation
locationभारत
userचेतना मंच
calendar18 Jul 2025 01:44 PM
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Jat Reservation : भारत में जाट समाज एक प्रसिद्ध समाज है। दुनिया के तमाम दूसरे देशों में भी जाट समाज के लोग रहते हैं। जाट समाज ने एक बड़ा ऐलान किया है। जाट समाज की तरफ से यह ऐलान जाट समाज की प्रमुख संस्था जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने किया है। जाट आरक्षण संघर्ष समिति के मुखिया प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता यशपाल मलिक हैं। यशपाल मलिक ने जाट समाज को लेकर बहुत बड़ा ऐलान किया है।

जाट समाज को आरक्षण दिलाने के लिए चलाया जाएगा आंदोलन

जाट समाज अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में आता है। कुछ प्रदेशों में जाट समाज को ओबीसी मानकर आरक्षण देने की व्यवस्था की गई है। केंद्रीय स्तर पर जाट समाज को आरक्षण नहीं मिला है। जाट समाज को ओबीसी वर्ग में आरक्षण दिलवाने के लिए अनेक आंदोलन चलाए जा चुके हैं। तमाम आंदोलन करने के बावजूद जाट समाज को आरक्षण नहीं मिल पाया है। एक बार फिर जाट समाज को एकजुट करके आरक्षण का आंदोलन चलाने की घोषणा की गई है। अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति में किसान आंदोलन की घोषणा की है। आंदोलन शुरू करने से पहले देश भर में सक्रिय जाट समाज की संस्थाओं को आपस में जोड़ने का कार्यक्रम बनाया गया है।

अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने की है खास अपील

देशभर में जाट समाज के आरक्षण के लिए आंदोलन चलाया जाएगा। इस विषय में अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने एक खास अपील जारी की है। अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के मुखिया यशपाल मलिक ने सोशल मीडिया पर यह खास अपील जारी की है। इस खास अपील में जाट समाज के तमाम संगठनों को एकजुट करके एक ही मंच पर लाने की योजना समझाई गई। इस योजना का मकसद जाट समाज को पूरे देश में संगठित करना है।

क्या कहना है संघर्ष समिति के संयोजक का?

प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता यशपाल मलिक अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय संयोजक हैं मलिक ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है कि, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट बाहुल्य प्रत्येक जिले में जाट सभा या जाट महापुरुषों के नाम पर संगठन हैं। कुछ एरिया मे जाट समाज की खाप पंचायत भी है। जाट आरक्षण की मांग में सभी का कुछ ना कुछ योगदान रहा। किसान यूनियन की तर्ज पर जाट आरक्षण पर कई संघठन बने और कुछ ने संगठन तोड़कर नए संगठन बनाये। दिल्ली के हर क्षेत्र में जाट सभाये हैं। हरियाणा में जाट धर्मशाला, खाप व जाट सभाओं की शाखा हैं। पंजाब में जाट धर्म के नाम एकजुट हैं और जातीय भावना भी मजबूत है।मुस्लिम जाट भी जाट सभाओं जुड़ा हैं। मध्यप्रदेश व उत्तराखण्ड, राजस्थान, हिमाचल, जम्मू कश्मीर महाराष्ट्र, बिहार व आंध्र प्रदेश के साथ साथ देश के हर हिस्से में जिन जाटों का जंहा migration हुआ वंहा सब जगह संघटन बनाये हुए हैं। ये सभी संघटन करते हैं कि जब भी वो कोई कार्यक्रम करते हैं तो उसमे बहुत सी मांगों के साथ एक मांग जाट आरक्षण की भी करते हैं। जिस तरह किसानो ने तीन कानूनों की वापिसी की मांग मुख्य थी 13 महीने बाद उसको वापस लिया लेकिन MSP रह गयी क्योंकि वो दूसरे नंबर पर थी। अगर जाट समाज चाहता हैं कि उसको आरक्षण मिले तो उसके लिए उसके हर संघटन को जाट आरक्षण के मुद्दे पर ही काम करना होगा। दूसरे मुद्दे तब तक नहीं उठाए और अगर आपका संघटन छोटा हैं जैसे कालोनी, जिला या प्रदेश स्तर तक तब आप जो संघटन केवल जाट आरक्षण की मांग करने वाले संघटनो का सहयोग करें। जिससे जाट आरक्षण की मांग को मजबूती से उठाकर किसी बड़े आंदोलन की शुरूआत हो। हम सब जिसने किसी भी धर्म में जाट जाति में जन्म लिया उसकी जिम्मेदारी हैं कि वो जाट कौम के उत्थान में अपना सहयोग दें।  
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लालू यादव को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका, अब शुरू होगा असली ट्रायल

Lalu Yadav
Lalu Yadav
locationभारत
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calendar30 Nov 2025 08:09 AM
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Lalu Yadav : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। 'जमीन के बदले नौकरी' घोटाले में उनके खिलाफ चल रही कानूनी कार्रवाई को रोकने की उनकी अपील सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह फिलहाल इस मामले में दखल नहीं देगा और ट्रायल पर रोक लगाने का कोई आदेश नहीं दिया जाएगा।

ट्रायल तो चलेगा लेकिन पेशी से राहत

हालांकि कोर्ट ने एक राहत जरूर दी है। अदालत ने कहा कि लालू यादव की उम्र और सामाजिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए उन्हें व्यक्तिगत तौर पर हर सुनवाई में पेश होने की जरूरत नहीं होगी। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि पटना हाईकोर्ट इस मामले की सुनवाई में तेजी लाए।

कोर्ट ने किया इनकार

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, जो लालू यादव की ओर से पेश हुए, ने दलील दी कि यह मामला दुर्लभ है। उन्होंने कहा कि लालू यादव वर्ष 2002 से मंत्री रहे लेकिन जांच एजेंसी CBI ने 2014 में इस मामले में जांच शुरू की। सिब्बल ने यह भी आरोप लगाया कि अभी तक लालू यादव के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति नहीं ली गई है, जबकि बाकी आरोपियों के खिलाफ यह स्वीकृति पहले ही मिल चुकी है।

अब क्या होगा?

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि इस स्तर पर दखल देने की कोई जरूरत नहीं है और चूंकि मामला हाई कोर्ट में लंबित है, इसलिए वहीं से इसकी अगली दिशा तय होगी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद 'लैंड फॉर जॉब' घोटाले में लालू यादव के खिलाफ मुकदमा अब बिना किसी रोक-टोक के आगे बढ़ेगा। यह मामला उनके लिए कानूनी मोर्चे पर एक और बड़ी चुनौती बनता जा रहा है।