बेटी से छेड़छाड़, मां ने लगाई न्याय की गुहार





उत्तर प्रदेश 2027 विधानसभा चुनाव की तैयारियों ने राज्य की सियासी हलचल तेज कर दी है। राजनीतिक दल अपनी चुनावी रणनीतियों और तैयारियों में जुटे हैं, वहीं चुनाव आयोग भी पूरी तरह सक्रिय मोड में आ गया है। हाल ही में आयोग ने राजनीतिक दलों की शिकायतों का जवाब देने के साथ ही लंबे समय से चुनावी प्रक्रिया में भाग नहीं लेने वाली 121 पार्टियों को राजनीतिक दलों की सूची से हटा दिया था। अब इसी क्रम में आयोग ने 127 राजनीतिक दलों को कारण बताओ नोटिस भी थमाया है। UP News
इस सूची में उत्तर प्रदेश की राजनीति में काफी प्रभाव रखने वाले समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) का नाम भी शामिल है, जो इस बार 78वें स्थान पर सूचीबद्ध है। यह कदम राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों पर आयोग की सख्ती और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया है।
लखनऊ स्थित मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने उत्तर प्रदेश की सियासी हलचल को देखते हुए सभी 127 दलों की सूची जारी कर दी है और इन्हें ‘कारण बताओ’ नोटिस थमाया है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि इन दलों ने पिछले तीन वित्तीय वर्षों (2021-22, 2022-23 और 2023-24) के वार्षिक लेखापरीक्षित खाते समय पर पेश नहीं किए। इसके अलावा, 2019 से अब तक हुए विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भाग लेने के बावजूद इन दलों ने निर्धारित समय में निर्वाचन व्यय विवरणी भी दाखिल नहीं की। यह कदम उत्तर प्रदेश में आगामी 2027 विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों की पारदर्शिता सुनिश्चित करने और चुनावी नियमों के पालन को सख्ती से लागू करने की दिशा में उठाया गया है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि आयोग की यह कार्रवाई राज्य की सियासी गतिविधियों और पार्टियों की तैयारी पर सीधा प्रभाव डाल सकती है। UP News
निर्वाचन आयोग के नियमों के अनुसार, विधानसभा चुनाव में 75 दिन और लोकसभा चुनाव में 90 दिन के भीतर सभी राजनीतिक दलों के लिए चुनावी खर्च का विवरण जमा करना अनिवार्य है। बावजूद इसके, 127 दलों ने इस नियम का पालन नहीं किया, जिसके चलते सभी को रजिस्टर्ड डाक के माध्यम से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। चुनाव आयोग ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि पार्टी अध्यक्ष और महासचिव 3 अक्टूबर तक अपना प्रत्यावेदन, शपथ-पत्र और सभी संबंधित अभिलेख लखनऊ स्थित कार्यालय में जमा करें। इस मामले की सुनवाई 6, 7, 8 और 9 अक्टूबर 2025 को प्रतिदिन सुबह 10 बजे से की जाएगी।
आयोग ने चेतावनी दी है कि यदि निर्धारित समय सीमा तक जवाब नहीं दिया गया, तो इसे पार्टी की ओर से कोई उत्तर न देने के रूप में माना जाएगा और पूरा मामला भारत निर्वाचन आयोग को भेज दिया जाएगा। इन नोटिस प्राप्त दलों में आदर्शवादी कांग्रेस पार्टी, अभय समाज पार्टी, अखंड राष्ट्रवादी पार्टी, बहुजन पार्टी, आज़ाद समाज पार्टी, जनहित किसान पार्टी, जनता राज पार्टी, हमदर्द पार्टी, लोकदल, लोकतांत्रिक जनशक्ति पार्टी, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया), राष्ट्रीय अपना दल, राष्ट्रीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय राष्ट्रवादी पार्टी शामिल हैं। UP News
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधायक शिवपाल यादव की राजनीतिक पहचान है। शिवपाल यादव ने इस पार्टी की नींव 29 अगस्त 2018 को रखी थी, जब अपने भतीजे और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से राजनीतिक मतभेद बढ़ने के बाद उन्होंने समाजवादी मूल्यों की रक्षा के उद्देश्य से यह नया मंच बनाया। मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद दिसंबर 2022 में मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में शिवपाल यादव ने अपनी बहू और सपा प्रत्याशी डिंपल यादव को खुले तौर पर समर्थन दिया और उनके पक्ष में कई सभाएं भी आयोजित कीं। चुनावी परिणामों के बाद, शिवपाल यादव ने अपनी पार्टी का समाजवादी पार्टी में विलय कर पूरे परिवार को एक बार फिर राजनीतिक रूप से एकजुट कर दिया। UP News
उत्तर प्रदेश 2027 विधानसभा चुनाव की तैयारियों ने राज्य की सियासी हलचल तेज कर दी है। राजनीतिक दल अपनी चुनावी रणनीतियों और तैयारियों में जुटे हैं, वहीं चुनाव आयोग भी पूरी तरह सक्रिय मोड में आ गया है। हाल ही में आयोग ने राजनीतिक दलों की शिकायतों का जवाब देने के साथ ही लंबे समय से चुनावी प्रक्रिया में भाग नहीं लेने वाली 121 पार्टियों को राजनीतिक दलों की सूची से हटा दिया था। अब इसी क्रम में आयोग ने 127 राजनीतिक दलों को कारण बताओ नोटिस भी थमाया है। UP News
इस सूची में उत्तर प्रदेश की राजनीति में काफी प्रभाव रखने वाले समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) का नाम भी शामिल है, जो इस बार 78वें स्थान पर सूचीबद्ध है। यह कदम राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों पर आयोग की सख्ती और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया है।
लखनऊ स्थित मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने उत्तर प्रदेश की सियासी हलचल को देखते हुए सभी 127 दलों की सूची जारी कर दी है और इन्हें ‘कारण बताओ’ नोटिस थमाया है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि इन दलों ने पिछले तीन वित्तीय वर्षों (2021-22, 2022-23 और 2023-24) के वार्षिक लेखापरीक्षित खाते समय पर पेश नहीं किए। इसके अलावा, 2019 से अब तक हुए विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भाग लेने के बावजूद इन दलों ने निर्धारित समय में निर्वाचन व्यय विवरणी भी दाखिल नहीं की। यह कदम उत्तर प्रदेश में आगामी 2027 विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों की पारदर्शिता सुनिश्चित करने और चुनावी नियमों के पालन को सख्ती से लागू करने की दिशा में उठाया गया है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि आयोग की यह कार्रवाई राज्य की सियासी गतिविधियों और पार्टियों की तैयारी पर सीधा प्रभाव डाल सकती है। UP News
निर्वाचन आयोग के नियमों के अनुसार, विधानसभा चुनाव में 75 दिन और लोकसभा चुनाव में 90 दिन के भीतर सभी राजनीतिक दलों के लिए चुनावी खर्च का विवरण जमा करना अनिवार्य है। बावजूद इसके, 127 दलों ने इस नियम का पालन नहीं किया, जिसके चलते सभी को रजिस्टर्ड डाक के माध्यम से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। चुनाव आयोग ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि पार्टी अध्यक्ष और महासचिव 3 अक्टूबर तक अपना प्रत्यावेदन, शपथ-पत्र और सभी संबंधित अभिलेख लखनऊ स्थित कार्यालय में जमा करें। इस मामले की सुनवाई 6, 7, 8 और 9 अक्टूबर 2025 को प्रतिदिन सुबह 10 बजे से की जाएगी।
आयोग ने चेतावनी दी है कि यदि निर्धारित समय सीमा तक जवाब नहीं दिया गया, तो इसे पार्टी की ओर से कोई उत्तर न देने के रूप में माना जाएगा और पूरा मामला भारत निर्वाचन आयोग को भेज दिया जाएगा। इन नोटिस प्राप्त दलों में आदर्शवादी कांग्रेस पार्टी, अभय समाज पार्टी, अखंड राष्ट्रवादी पार्टी, बहुजन पार्टी, आज़ाद समाज पार्टी, जनहित किसान पार्टी, जनता राज पार्टी, हमदर्द पार्टी, लोकदल, लोकतांत्रिक जनशक्ति पार्टी, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया), राष्ट्रीय अपना दल, राष्ट्रीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय राष्ट्रवादी पार्टी शामिल हैं। UP News
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधायक शिवपाल यादव की राजनीतिक पहचान है। शिवपाल यादव ने इस पार्टी की नींव 29 अगस्त 2018 को रखी थी, जब अपने भतीजे और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से राजनीतिक मतभेद बढ़ने के बाद उन्होंने समाजवादी मूल्यों की रक्षा के उद्देश्य से यह नया मंच बनाया। मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद दिसंबर 2022 में मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में शिवपाल यादव ने अपनी बहू और सपा प्रत्याशी डिंपल यादव को खुले तौर पर समर्थन दिया और उनके पक्ष में कई सभाएं भी आयोजित कीं। चुनावी परिणामों के बाद, शिवपाल यादव ने अपनी पार्टी का समाजवादी पार्टी में विलय कर पूरे परिवार को एक बार फिर राजनीतिक रूप से एकजुट कर दिया। UP News