जाने ज्वालामुखी उत्पादों की बाजार कीमत और वैश्विक मांग
ज्वालामुखी विस्फोट के बाद बनने वाली मिट्टी पोषक तत्वों से भरपूर होती है। यही वजह है कि ज्वालामुखीय क्षेत्र दुनिया के सबसे उपजाऊ इलाकों में गिने जाते हैं। जिनका इस्तेमाल आज कई बड़े उद्योगों में किया जा रहा है। यही कारण है कि लावा से जुड़े उत्पादों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं।

ज्वालामुखी का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में विनाश और तबाही की तस्वीरें उभर आती हैं, लेकिन सच यह है कि ज्वालामुखी सिर्फ नुकसान ही नहीं पहुंचाते, बल्कि धरती को कई अनमोल उपहार भी देते हैं। ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान बहने वाला लावा जब ठंडा होकर पत्थरों और मिट्टी में बदलता है, तो इसके भीतर छिपी प्राकृतिक संपत्तियाँ इंसानों के लिए बेहद उपयोगी साबित होती हैं। यही कारण है कि दुनिया के कई देशों की अर्थव्यवस्था में ज्वालामुखीय संसाधनों की बड़ी भूमिका होती है।
लावा से बनते कीमती पत्थर
ठंडा होने के बाद लावा से कई खास तरह की चट्टानें बनती हैं, जिनका उपयोग अलग-अलग उद्योगों में होता है—
- बेसाल्ट : सड़कें, पुल और इमारतें बनाने में सबसे ज्यादा इस्तेमाल। इसकी मजबूती इसे निर्माण उद्योग की पसंदीदा चट्टान बनाती है।
- ऑब्सिडियन: काले कांच जैसी चमक वाला यह पत्थर ज्वेलरी और सजावटी सामान में बेहद लोकप्रिय।
- प्यूमिस : ब्यूटी प्रोडक्ट, स्क्रब और निर्माण सामग्री में व्यापक उपयोग।
उपजाऊ मिट्टी का खजाना
ज्वालामुखी विस्फोट के बाद बनने वाली मिट्टी पोषक तत्वों से भरपूर होती है। यही वजह है कि ज्वालामुखीय क्षेत्र दुनिया के सबसे उपजाऊ इलाकों में गिने जाते हैं। इटली, हवाई और जापान जैसे देशों में इसी मिट्टी की वजह से अंगूर, केला और कॉफी की भरपूर खेती होती है। भारत की कई काली मिट्टी वाली जगहें भी पुराने ज्वालामुखी क्षेत्रों से बनी मानी जाती हैं।
लावा से मिलने वाले कीमती रत्न
कुछ ज्वालामुखीय क्षेत्रों में पेरिडॉट, ऑब्सिडियन और कभी-कभी हीरे तक पाए जाते हैं। ये रत्न ज्वैलरी बाजार में ऊँची कीमत पर बिकते हैं और इनकी वैश्विक मांग भी काफी ज्यादा है।
भू-तापीय ऊर्जा का अनमोल स्रोत
ज्वालामुखीय क्षेत्रों में धरती के भीतर मौजूद गर्मी को बिजली उत्पादन में भी इस्तेमाल किया जाता है। इस प्राकृतिक और किफायती ऊर्जा को भू-तापीय ऊर्जा कहा जाता है, जिसका उपयोग आइसलैंड, इंडोनेशिया और जापान जैसे कई देश बड़े पैमाने पर कर रहे हैं।
पर्यटन का आकर्षण
ज्वालामुखी से बने पहाड़, क्रेटर झीलें और गर्म पानी के झरने दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। इन क्षेत्रों में पर्यटन स्थानीय लोगों के लिए आय और रोजगार का बड़ा स्रोत बन गया है।
कुल मिलाकर, ज्वालामुखी भले ही डरावने लगते हों, लेकिन लावा से बनने वाली मिट्टी, पत्थर, रत्न और ऊर्जा संसाधन इंसानों के लिए किसी खजाने से कम नहीं। यही वजह है कि ज्वालामुखीय क्षेत्र प्रकृति का बहुमूल्य वरदान माने जाते हैं।
ज्वालामुखी का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में विनाश और तबाही की तस्वीरें उभर आती हैं, लेकिन सच यह है कि ज्वालामुखी सिर्फ नुकसान ही नहीं पहुंचाते, बल्कि धरती को कई अनमोल उपहार भी देते हैं। ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान बहने वाला लावा जब ठंडा होकर पत्थरों और मिट्टी में बदलता है, तो इसके भीतर छिपी प्राकृतिक संपत्तियाँ इंसानों के लिए बेहद उपयोगी साबित होती हैं। यही कारण है कि दुनिया के कई देशों की अर्थव्यवस्था में ज्वालामुखीय संसाधनों की बड़ी भूमिका होती है।
लावा से बनते कीमती पत्थर
ठंडा होने के बाद लावा से कई खास तरह की चट्टानें बनती हैं, जिनका उपयोग अलग-अलग उद्योगों में होता है—
- बेसाल्ट : सड़कें, पुल और इमारतें बनाने में सबसे ज्यादा इस्तेमाल। इसकी मजबूती इसे निर्माण उद्योग की पसंदीदा चट्टान बनाती है।
- ऑब्सिडियन: काले कांच जैसी चमक वाला यह पत्थर ज्वेलरी और सजावटी सामान में बेहद लोकप्रिय।
- प्यूमिस : ब्यूटी प्रोडक्ट, स्क्रब और निर्माण सामग्री में व्यापक उपयोग।
उपजाऊ मिट्टी का खजाना
ज्वालामुखी विस्फोट के बाद बनने वाली मिट्टी पोषक तत्वों से भरपूर होती है। यही वजह है कि ज्वालामुखीय क्षेत्र दुनिया के सबसे उपजाऊ इलाकों में गिने जाते हैं। इटली, हवाई और जापान जैसे देशों में इसी मिट्टी की वजह से अंगूर, केला और कॉफी की भरपूर खेती होती है। भारत की कई काली मिट्टी वाली जगहें भी पुराने ज्वालामुखी क्षेत्रों से बनी मानी जाती हैं।
लावा से मिलने वाले कीमती रत्न
कुछ ज्वालामुखीय क्षेत्रों में पेरिडॉट, ऑब्सिडियन और कभी-कभी हीरे तक पाए जाते हैं। ये रत्न ज्वैलरी बाजार में ऊँची कीमत पर बिकते हैं और इनकी वैश्विक मांग भी काफी ज्यादा है।
भू-तापीय ऊर्जा का अनमोल स्रोत
ज्वालामुखीय क्षेत्रों में धरती के भीतर मौजूद गर्मी को बिजली उत्पादन में भी इस्तेमाल किया जाता है। इस प्राकृतिक और किफायती ऊर्जा को भू-तापीय ऊर्जा कहा जाता है, जिसका उपयोग आइसलैंड, इंडोनेशिया और जापान जैसे कई देश बड़े पैमाने पर कर रहे हैं।
पर्यटन का आकर्षण
ज्वालामुखी से बने पहाड़, क्रेटर झीलें और गर्म पानी के झरने दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। इन क्षेत्रों में पर्यटन स्थानीय लोगों के लिए आय और रोजगार का बड़ा स्रोत बन गया है।
कुल मिलाकर, ज्वालामुखी भले ही डरावने लगते हों, लेकिन लावा से बनने वाली मिट्टी, पत्थर, रत्न और ऊर्जा संसाधन इंसानों के लिए किसी खजाने से कम नहीं। यही वजह है कि ज्वालामुखीय क्षेत्र प्रकृति का बहुमूल्य वरदान माने जाते हैं।







