Special Story : आवारा पशुओं से छुटकारा और सिंचाई भी सस्ती

Special Story :
एक नंदी रथ काम अनेक दरअसल, 2004 में उत्तर प्रदेश पुलिस में डिप्टी एसपी पद से इस्तीफा देने वाले शैलेंद्र सिंह का एक फॉर्म हाउस है। यहां प्रवेश करते ही आपको सब कुछ वर्तमान तकनीक वाली मशीनों से चलने वाली सुविधाएं दिखेंगी।बात चाहे बिजली की हो या फिर खेती की। यही नहीं यहां पर जो गौ-आश्रय बना है वो भी अपने आप में किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है। यहां पर संचालित होने वाली चीजें आपको सामान्य तौर पर दिखाई देंगी। लेकिन जब इसकी हकीकत जानेंगे तो आप हैरान रह जाएंगे। क्योंकि इस फॉर्म हाउस की सभी सुविधाएं नंदी या यूं कहें कि आवारा पशुओं के सहारे ही संचालित होती हैं। जिसे नंदी रथ के नाम से भी जाना जाता है। इस एक नंदी रथ से आप कई काम कर सकते हैं। किसान अपनी जरूरत के हिसाब से इसका प्रयोग कर सकते हैं। जानिए क्यों आया ऐसा संयत्र बनाने का खयाल यह भले ही आपको आसान लग रहा हो लेकिन इसके पीछे करीब पांच साल की कड़ी मेहनत है। शैलेंद्र सिंह बताते हैं कि उन्होंने 2004 में अपनी पुलिस की नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद राजनीतिक सफर भी तय करके चुनाव लड़ा। लेकिन जीत हासिल नहीं कर सके। हालांकि, उन्होंने इस दौरान किसानों की असल समस्या को समझने की कोशिश की। ज्यादा गहराई से जब इस बारे में विचार किया तो पता चला कि खेती करने में किसानों को फसल की सिंचाई और आवारा पशुओं की वजह से बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ता है। बढ़ती मंहगाई के दौर में इससे उन्हें फायदा तो दूर की बात है फसल की लागत निकाल पाना भी मुश्किल होता है। ऐसे में उनके दिमाग में एक संयत्र बनाने खयाल आया जो दोनों के लिए कारगर साबित हो सके। [caption id="attachment_73322" align="aligncenter" width="1080"]
Special Story: Getting rid of stray animals and irrigation is also cheaper[/caption]
ग्लोबल वार्मिंग से भी मिलेगी निजात
शैलेंद्र सिंह ने कहा कि रिसर्च के दौरान तो इसे तैयार करने में तो ज्यादा लागत आई है लेकिन सरकार अगर इसको बड़े पैमाने पर तैयार कराए तो करीब डेढ़ से दो लाख तक ही आएगी। वहीं सब्सिडी के तहत उपलब्ध करा दे तो किसानों को यह महज 50 से 60 हजार में ही मिल जाएगा। जो किसी वरदान से कम नहीं होगा। शैलेंद्र ने बताया कि जो नंदी आज के दौर में किसानों के लिए अभिशाप हो गई हैं। वही नंदी रथ बिना बिजली और डीजल के सिंचाई कर रहा है। इसके साथ ही सबसे बड़ी बात यह है कि आज जो पूरा विश्व वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों (मीथेन, कार्बन डाय ऑक्साइड, ऑक्साइड और क्लोरो-फ्लूरो-कार्बन) के बढ़ने के कारण से परेशान है उससे भी निजात मिलेगी।
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Nepal News : बड़ा सवाल, आखिर युवक के पेट में वोदका की बोतल कैसे पहुंची ? डाक्टरों ने की सर्जरी
400 रुपए में नंदी रथ सींच देगा एक एकड़ खेत शैलेंद्र सिंह ने बताया कि देश के विभिन्न राज्यों से किसान इस संयत्र को देखने आते हैं। महंगाई के इस दौर में एक एकड़ की खेती की सिंचाई करने में करीब 1500 से 2 हजार की लागत लग जाती है। वहीं ट्यूबेल और अन्य संसाधनों से पर्यावरण भी प्रभावित होता है। लेकिन इससे एक एकड़ खेत की सिंचाई में ज्यादा से ज्यादा 4 पशुओं के खान पान में सिर्फ 400 रुपए ही खर्च होंगे। यानी 2-2 घंटे की सिफ्ट लगाकर अगर नंदी से काम लेंगे तो एक दिन में आराम से सिंचाई हो जाएगी। इसके अलावा उनके गोबर से खाद् भी तैयार कर सकते हैं। जो बाजारों में मिलने वाली खाद् से ज्यादा कारगर होगी। इससे किसानों की उपज भी बेहतर होगी वहीं आवारा पशुओं से छुटकारा भी मिल जाएगा। [caption id="attachment_73319" align="aligncenter" width="1080"]
Special Story: Getting rid of stray animals and irrigation is also cheaper[/caption]
कहीं भी आसानी से लेकर जा सकते हैं नंदी रथ
बता दें कि पीएम मोदी और सीएम भी आवारा पशुओं से किसानों निजात दिलाने का दावा करते हैं। वहीं इसके लिए गौ आश्रय केंद्र भी बनाए गए हैं जिसके लिए सरकार प्रति वर्ष बजट भी जारी करती है। लेकिन अगर नंदी रथ पर सरकार ध्यान दे तो इसकी मदद से इस बड़ी समस्या से निजात तो मिलेगी ही साथ ही किसानों के लिए भी काफी हद तक मददगार साबित होगा। आइए अब जिस उद्देश्य से नंदी रथ तैयार किया गया है उसकी विशेषताओं के बारे में जानने की कोशिश करते हैं। दरअसल, यहां सिंचाई पशुओं से संचालित की जाती है। इसमें एयरबॉक्स, पंप और खुद का ही डिजाइन किया गया समरसेबिल है। वहीं इसे बैल गाड़ी के रूप में तैयार किया गया है। जिसे कहीं भी आसानी से लेकर जा सकते हैं। किसान अपनी जरूरत के हिसाब से किसी इसका उपयोग भी कर सकते हैं। इस नंदी रथ पर पशुओं को खड़ा कर दिया जाता है फिर उनके चलने से पर्याप्त बिजली उत्पन्न होने लगती है। जिसके बाद पानी निकलने लगता है।
संदीप तिवारी
Hindi Kavita – निकल जा अपनी राह पर
Special Story :
एक नंदी रथ काम अनेक दरअसल, 2004 में उत्तर प्रदेश पुलिस में डिप्टी एसपी पद से इस्तीफा देने वाले शैलेंद्र सिंह का एक फॉर्म हाउस है। यहां प्रवेश करते ही आपको सब कुछ वर्तमान तकनीक वाली मशीनों से चलने वाली सुविधाएं दिखेंगी।बात चाहे बिजली की हो या फिर खेती की। यही नहीं यहां पर जो गौ-आश्रय बना है वो भी अपने आप में किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है। यहां पर संचालित होने वाली चीजें आपको सामान्य तौर पर दिखाई देंगी। लेकिन जब इसकी हकीकत जानेंगे तो आप हैरान रह जाएंगे। क्योंकि इस फॉर्म हाउस की सभी सुविधाएं नंदी या यूं कहें कि आवारा पशुओं के सहारे ही संचालित होती हैं। जिसे नंदी रथ के नाम से भी जाना जाता है। इस एक नंदी रथ से आप कई काम कर सकते हैं। किसान अपनी जरूरत के हिसाब से इसका प्रयोग कर सकते हैं। जानिए क्यों आया ऐसा संयत्र बनाने का खयाल यह भले ही आपको आसान लग रहा हो लेकिन इसके पीछे करीब पांच साल की कड़ी मेहनत है। शैलेंद्र सिंह बताते हैं कि उन्होंने 2004 में अपनी पुलिस की नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद राजनीतिक सफर भी तय करके चुनाव लड़ा। लेकिन जीत हासिल नहीं कर सके। हालांकि, उन्होंने इस दौरान किसानों की असल समस्या को समझने की कोशिश की। ज्यादा गहराई से जब इस बारे में विचार किया तो पता चला कि खेती करने में किसानों को फसल की सिंचाई और आवारा पशुओं की वजह से बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ता है। बढ़ती मंहगाई के दौर में इससे उन्हें फायदा तो दूर की बात है फसल की लागत निकाल पाना भी मुश्किल होता है। ऐसे में उनके दिमाग में एक संयत्र बनाने खयाल आया जो दोनों के लिए कारगर साबित हो सके। [caption id="attachment_73322" align="aligncenter" width="1080"]
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ग्लोबल वार्मिंग से भी मिलेगी निजात
शैलेंद्र सिंह ने कहा कि रिसर्च के दौरान तो इसे तैयार करने में तो ज्यादा लागत आई है लेकिन सरकार अगर इसको बड़े पैमाने पर तैयार कराए तो करीब डेढ़ से दो लाख तक ही आएगी। वहीं सब्सिडी के तहत उपलब्ध करा दे तो किसानों को यह महज 50 से 60 हजार में ही मिल जाएगा। जो किसी वरदान से कम नहीं होगा। शैलेंद्र ने बताया कि जो नंदी आज के दौर में किसानों के लिए अभिशाप हो गई हैं। वही नंदी रथ बिना बिजली और डीजल के सिंचाई कर रहा है। इसके साथ ही सबसे बड़ी बात यह है कि आज जो पूरा विश्व वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों (मीथेन, कार्बन डाय ऑक्साइड, ऑक्साइड और क्लोरो-फ्लूरो-कार्बन) के बढ़ने के कारण से परेशान है उससे भी निजात मिलेगी।
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400 रुपए में नंदी रथ सींच देगा एक एकड़ खेत शैलेंद्र सिंह ने बताया कि देश के विभिन्न राज्यों से किसान इस संयत्र को देखने आते हैं। महंगाई के इस दौर में एक एकड़ की खेती की सिंचाई करने में करीब 1500 से 2 हजार की लागत लग जाती है। वहीं ट्यूबेल और अन्य संसाधनों से पर्यावरण भी प्रभावित होता है। लेकिन इससे एक एकड़ खेत की सिंचाई में ज्यादा से ज्यादा 4 पशुओं के खान पान में सिर्फ 400 रुपए ही खर्च होंगे। यानी 2-2 घंटे की सिफ्ट लगाकर अगर नंदी से काम लेंगे तो एक दिन में आराम से सिंचाई हो जाएगी। इसके अलावा उनके गोबर से खाद् भी तैयार कर सकते हैं। जो बाजारों में मिलने वाली खाद् से ज्यादा कारगर होगी। इससे किसानों की उपज भी बेहतर होगी वहीं आवारा पशुओं से छुटकारा भी मिल जाएगा। [caption id="attachment_73319" align="aligncenter" width="1080"]
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कहीं भी आसानी से लेकर जा सकते हैं नंदी रथ
बता दें कि पीएम मोदी और सीएम भी आवारा पशुओं से किसानों निजात दिलाने का दावा करते हैं। वहीं इसके लिए गौ आश्रय केंद्र भी बनाए गए हैं जिसके लिए सरकार प्रति वर्ष बजट भी जारी करती है। लेकिन अगर नंदी रथ पर सरकार ध्यान दे तो इसकी मदद से इस बड़ी समस्या से निजात तो मिलेगी ही साथ ही किसानों के लिए भी काफी हद तक मददगार साबित होगा। आइए अब जिस उद्देश्य से नंदी रथ तैयार किया गया है उसकी विशेषताओं के बारे में जानने की कोशिश करते हैं। दरअसल, यहां सिंचाई पशुओं से संचालित की जाती है। इसमें एयरबॉक्स, पंप और खुद का ही डिजाइन किया गया समरसेबिल है। वहीं इसे बैल गाड़ी के रूप में तैयार किया गया है। जिसे कहीं भी आसानी से लेकर जा सकते हैं। किसान अपनी जरूरत के हिसाब से किसी इसका उपयोग भी कर सकते हैं। इस नंदी रथ पर पशुओं को खड़ा कर दिया जाता है फिर उनके चलने से पर्याप्त बिजली उत्पन्न होने लगती है। जिसके बाद पानी निकलने लगता है।
संदीप तिवारी







