उत्तर प्रदेश के मथुरा में शादी नियम बदले, संगीत-आतिशबाजी पर लगी रोक
नियम तोड़ने वाले परिवार पर 11 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा, वहीं लगातार उल्लंघन की स्थिति में सामाजिक बहिष्कार जैसी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है। पंचायत का कहना है कि यह कदम उत्तर प्रदेश में शादी-ब्याह को सादगी, अनुशासन और सामाजिक सौहार्द के साथ निभाने की दिशा में जरूरी पहल है।

UP News : उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के कोसी कलां में मुस्लिम समुदाय की पंचायत ने शादी समारोहों में बढ़ती फुजूलखर्ची और बढ़ते झगड़ों पर ब्रेक लगाने के लिए सख्त नियम लागू किए हैं। पंचायत की सर्वसम्मत बैठक में तय हुआ कि विवाह आयोजनों में तेज आवाज़ वाला संगीत/डीजे, आतिशबाजी और दिखावे की गैर-ज़रूरी रस्में नहीं होंगी। नियम तोड़ने वाले परिवार पर 11 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा, वहीं लगातार उल्लंघन की स्थिति में सामाजिक बहिष्कार जैसी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है। पंचायत का कहना है कि यह कदम उत्तर प्रदेश में शादी-ब्याह को सादगी, अनुशासन और सामाजिक सौहार्द के साथ निभाने की दिशा में जरूरी पहल है।
ईदगाह कमेटी की बैठक में हुआ फैसला
सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के कोसी कलां कस्बे में ईदगाह कमेटी के नेतृत्व में बुलाई गई पंचायत में यह फैसला सर्वसम्मति से लिया गया। कमेटी पदाधिकारियों का कहना है कि समुदाय के बुजुर्गों और जिम्मेदार लोगों ने शादियों में बढ़ती फिजूलखर्ची, ‘दिखावे की होड़’ और समारोहों के दौरान होने वाले विवाद-झगड़ों को गंभीरता से देखते हुए यह कदम उठाया। उनका तर्क है कि शादी जैसे पारिवारिक मौके को सादगी और अनुशासन के साथ संपन्न कराया जाए, ताकि खर्च का दबाव कम हो और समाज में सौहार्द बना रहे।
निकाह को लेकर नई गाइडलाइन
पंचायत ने निकाह को लेकर भी स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं। उत्तर प्रदेश के कोसी कलां में तय किया गया कि निकाह समारोह अब होटल, गेस्ट हाउस या मैरिज हॉल में नहीं होंगे, बल्कि निकाह सिर्फ मस्जिद में कराया जाएगा। हालांकि वलीमा (शादी के बाद की दावत) के लिए होटल या अन्य स्थान पर आयोजन की अनुमति रखी गई है। पंचायत से जुड़े लोगों का कहना है कि शादियों में तेज संगीत, डीजे और नृत्य के दौरान अक्सर बहस से बात झगड़े तक पहुंच जाती है, जिसका असर सीधे सामाजिक सौहार्द पर पड़ता है। इसी कारण तेज आवाज़ में गाना-बजाना पूरी तरह प्रतिबंधित किया गया है। साथ ही यह भी साफ कर दिया गया कि बारात उत्तर प्रदेश से बाहर या दूसरे शहर जाए, तब भी यह नियम उसी तरह लागू रहेगा।
‘सलाम करायी’ और दिखावे वाली रस्मों पर भी रोक
उत्तर प्रदेश के कोसी कलां में पंचायत ने शादियों से जुड़ी कुछ परंपराओं पर भी सख्ती के संकेत दिए हैं। बैठक में कहा गया कि ‘सलाम करायी’ जैसी रस्म के दौरान दूल्हे को नकद या महंगे तोहफे देने की परंपरा पर रोक रहेगी, ताकि शादी “रिश्तों की खुशी” बने, लेन-देन की होड़ नहीं। इसके साथ ही दिखावे और फिजूलखर्ची बढ़ाने वाली दूसरी रस्मों को भी हतोत्साहित करने का फैसला लिया गया है। पंचायत का तर्क है कि ऐसे कदम समाज में सादगी को बढ़ावा देंगे और परिवारों पर बढ़ते आर्थिक दबाव को कम करेंगे।
नियम तोड़े तो निकाह नहीं पढ़ाएंगे इमाम-काजी
कमेटी पदाधिकारियों का कहना है कि उत्तर प्रदेश के कोसी कलां में तय किए गए नियमों का उल्लंघन करने वाले परिवारों पर सख्ती से कार्रवाई होगी। उनके मुताबिक, यदि कोई परिवार प्रतिबंधों को नजरअंदाज करता है तो कस्बे का कोई भी इमाम या काजी उस विवाह में निकाह नहीं पढ़ाएगा। पंचायत का दावा है कि यह फैसला किसी पर दबाव बनाने के लिए नहीं, बल्कि शादी के खर्च पर नियंत्रण, समारोहों में होने वाले विवाद-झगड़ों की रोकथाम और खासकर युवा पीढ़ी पर आर्थिक बोझ कम करने की मंशा से लिया गया है। इसी के साथ पंचायत से जुड़े लोगों ने संकेत दिए हैं कि वे इस मॉडल को मथुरा और आसपास के अन्य इलाकों में भी समुदाय स्तर पर आगे बढ़ाएंगे, ताकि उत्तर प्रदेश में शादी-ब्याह की रस्में सादगी, अनुशासन और सामाजिक सौहार्द के साथ निभाई जा सकें। UP News
UP News : उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के कोसी कलां में मुस्लिम समुदाय की पंचायत ने शादी समारोहों में बढ़ती फुजूलखर्ची और बढ़ते झगड़ों पर ब्रेक लगाने के लिए सख्त नियम लागू किए हैं। पंचायत की सर्वसम्मत बैठक में तय हुआ कि विवाह आयोजनों में तेज आवाज़ वाला संगीत/डीजे, आतिशबाजी और दिखावे की गैर-ज़रूरी रस्में नहीं होंगी। नियम तोड़ने वाले परिवार पर 11 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा, वहीं लगातार उल्लंघन की स्थिति में सामाजिक बहिष्कार जैसी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है। पंचायत का कहना है कि यह कदम उत्तर प्रदेश में शादी-ब्याह को सादगी, अनुशासन और सामाजिक सौहार्द के साथ निभाने की दिशा में जरूरी पहल है।
ईदगाह कमेटी की बैठक में हुआ फैसला
सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के कोसी कलां कस्बे में ईदगाह कमेटी के नेतृत्व में बुलाई गई पंचायत में यह फैसला सर्वसम्मति से लिया गया। कमेटी पदाधिकारियों का कहना है कि समुदाय के बुजुर्गों और जिम्मेदार लोगों ने शादियों में बढ़ती फिजूलखर्ची, ‘दिखावे की होड़’ और समारोहों के दौरान होने वाले विवाद-झगड़ों को गंभीरता से देखते हुए यह कदम उठाया। उनका तर्क है कि शादी जैसे पारिवारिक मौके को सादगी और अनुशासन के साथ संपन्न कराया जाए, ताकि खर्च का दबाव कम हो और समाज में सौहार्द बना रहे।
निकाह को लेकर नई गाइडलाइन
पंचायत ने निकाह को लेकर भी स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं। उत्तर प्रदेश के कोसी कलां में तय किया गया कि निकाह समारोह अब होटल, गेस्ट हाउस या मैरिज हॉल में नहीं होंगे, बल्कि निकाह सिर्फ मस्जिद में कराया जाएगा। हालांकि वलीमा (शादी के बाद की दावत) के लिए होटल या अन्य स्थान पर आयोजन की अनुमति रखी गई है। पंचायत से जुड़े लोगों का कहना है कि शादियों में तेज संगीत, डीजे और नृत्य के दौरान अक्सर बहस से बात झगड़े तक पहुंच जाती है, जिसका असर सीधे सामाजिक सौहार्द पर पड़ता है। इसी कारण तेज आवाज़ में गाना-बजाना पूरी तरह प्रतिबंधित किया गया है। साथ ही यह भी साफ कर दिया गया कि बारात उत्तर प्रदेश से बाहर या दूसरे शहर जाए, तब भी यह नियम उसी तरह लागू रहेगा।
‘सलाम करायी’ और दिखावे वाली रस्मों पर भी रोक
उत्तर प्रदेश के कोसी कलां में पंचायत ने शादियों से जुड़ी कुछ परंपराओं पर भी सख्ती के संकेत दिए हैं। बैठक में कहा गया कि ‘सलाम करायी’ जैसी रस्म के दौरान दूल्हे को नकद या महंगे तोहफे देने की परंपरा पर रोक रहेगी, ताकि शादी “रिश्तों की खुशी” बने, लेन-देन की होड़ नहीं। इसके साथ ही दिखावे और फिजूलखर्ची बढ़ाने वाली दूसरी रस्मों को भी हतोत्साहित करने का फैसला लिया गया है। पंचायत का तर्क है कि ऐसे कदम समाज में सादगी को बढ़ावा देंगे और परिवारों पर बढ़ते आर्थिक दबाव को कम करेंगे।
नियम तोड़े तो निकाह नहीं पढ़ाएंगे इमाम-काजी
कमेटी पदाधिकारियों का कहना है कि उत्तर प्रदेश के कोसी कलां में तय किए गए नियमों का उल्लंघन करने वाले परिवारों पर सख्ती से कार्रवाई होगी। उनके मुताबिक, यदि कोई परिवार प्रतिबंधों को नजरअंदाज करता है तो कस्बे का कोई भी इमाम या काजी उस विवाह में निकाह नहीं पढ़ाएगा। पंचायत का दावा है कि यह फैसला किसी पर दबाव बनाने के लिए नहीं, बल्कि शादी के खर्च पर नियंत्रण, समारोहों में होने वाले विवाद-झगड़ों की रोकथाम और खासकर युवा पीढ़ी पर आर्थिक बोझ कम करने की मंशा से लिया गया है। इसी के साथ पंचायत से जुड़े लोगों ने संकेत दिए हैं कि वे इस मॉडल को मथुरा और आसपास के अन्य इलाकों में भी समुदाय स्तर पर आगे बढ़ाएंगे, ताकि उत्तर प्रदेश में शादी-ब्याह की रस्में सादगी, अनुशासन और सामाजिक सौहार्द के साथ निभाई जा सकें। UP News












