उत्तर प्रदेश में सरकारी दावों की खुली पोल : कागजों में सड़क, हकीकत में कीचड़

यह भी पढ़ें : उत्तर प्रदेश में हो गया बड़ा घोटाला, CBI जाँच की मांग
हमीरपुर जिले बैलगाड़ी से अस्पताल पहुंची प्रेग्नेंट महिला
बता दे कि उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के हमीरपुर जिले में शनिवार को परसदवा डेरा गऊघाट छानी गांव निवासी 23 वर्षीय रेशमा को अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। गांव तक पहुंचने वाली सड़क की हालत बेहद खराब थी — कीचड़ और दलदल से भरी। एम्बुलेंस गांव तक नहीं पहुंच सकी। मजबूरी में रेशमा के ससुर कृष्ण कुमार केवट ने बैलगाड़ी का सहारा लिया और बहू को उसी में बैठाकर सिसोलर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) तक पहुंचाया। सफर महज 7 किलोमीटर का था, लेकिन खराब रास्ते के कारण इसे तय करने में 3 घंटे लग गए। हर झटके पर रेशमा दर्द से कराह उठती थी। कृष्ण कुमार ने थके स्वर में कहा कि “अगर सड़क होती तो बहू को इस हाल में बैलगाड़ी से नहीं ले जाना पड़ता। एम्बुलेंस आ सकती थी।” अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद बताया कि प्रसव की तिथि दो दिन बाद की है।यह भी पढ़ें : उत्तर प्रदेश में होगा मंत्रिमंडल का विस्तार, एक दर्जन विधायक बनेंगे मंत्री
डेढ़ साल से अधूरी सड़क का वादा
बता दे कि उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) गांव के समाजसेवी अरुण निषाद (राजेंद्र कुमार) ने बताया कि सड़क निर्माण की मांग को लेकर 12 मार्च 2024 को छह दिन तक अनिश्चितकालीन धरना चला था। उस समय उपजिलाधिकारी रमेशचंद्र ने लोकसभा चुनाव के बाद सड़क बनवाने का आश्वासन दिया था। लेकिन डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी सड़क अब तक केवल कागजों में ही मौजूद है। गांव के करीब 500 से अधिक परिवार हर बरसात में इसी दलदल से गुजरने को मजबूर हैं।यह भी पढ़ें : एसिड अटैक के आरोपी की पत्नी ने पीड़िता के पिता पर लगाया रेप और ब्लैकमेल का आरोप
“सड़क नहीं, जीवन की डोर है”
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के समाजसेवी अरुण निषाद ने कहा कि “हमने चिट्ठियां लिखीं, अफसरों से मिले, लेकिन किसी ने हमारी नहीं सुनी। जब तक पक्की सड़क नहीं बनेगी, न जाने कितनी ‘रेशमाओं’ को इसी दलदल में दर्द झेलना पड़ेगा।” गांववालों ने अब जिला कलेक्टर, स्थानीय विधायक और मुख्यमंत्री कार्यालय से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि पक्की सड़क केवल सुविधा नहीं, बल्कि जीवन की डोर है, जो हर बरसात में कमजोर पड़ती जा रही है।यह भी पढ़ें : सैनिक स्कूल एडमिशन 2026: आवेदन की लास्ट डेट नजदीक है, जल्दी करें अप्लाई!
उत्तर प्रदेश की घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें बैलगाड़ी में कराहती रेशमा और दलदली रास्तों से गुजरते परिजन दिख रहे हैं। लोग प्रशासन से जल्द कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।अगली खबर पढ़ें
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हमीरपुर जिले बैलगाड़ी से अस्पताल पहुंची प्रेग्नेंट महिला
बता दे कि उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के हमीरपुर जिले में शनिवार को परसदवा डेरा गऊघाट छानी गांव निवासी 23 वर्षीय रेशमा को अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। गांव तक पहुंचने वाली सड़क की हालत बेहद खराब थी — कीचड़ और दलदल से भरी। एम्बुलेंस गांव तक नहीं पहुंच सकी। मजबूरी में रेशमा के ससुर कृष्ण कुमार केवट ने बैलगाड़ी का सहारा लिया और बहू को उसी में बैठाकर सिसोलर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) तक पहुंचाया। सफर महज 7 किलोमीटर का था, लेकिन खराब रास्ते के कारण इसे तय करने में 3 घंटे लग गए। हर झटके पर रेशमा दर्द से कराह उठती थी। कृष्ण कुमार ने थके स्वर में कहा कि “अगर सड़क होती तो बहू को इस हाल में बैलगाड़ी से नहीं ले जाना पड़ता। एम्बुलेंस आ सकती थी।” अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद बताया कि प्रसव की तिथि दो दिन बाद की है।यह भी पढ़ें : उत्तर प्रदेश में होगा मंत्रिमंडल का विस्तार, एक दर्जन विधायक बनेंगे मंत्री
डेढ़ साल से अधूरी सड़क का वादा
बता दे कि उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) गांव के समाजसेवी अरुण निषाद (राजेंद्र कुमार) ने बताया कि सड़क निर्माण की मांग को लेकर 12 मार्च 2024 को छह दिन तक अनिश्चितकालीन धरना चला था। उस समय उपजिलाधिकारी रमेशचंद्र ने लोकसभा चुनाव के बाद सड़क बनवाने का आश्वासन दिया था। लेकिन डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी सड़क अब तक केवल कागजों में ही मौजूद है। गांव के करीब 500 से अधिक परिवार हर बरसात में इसी दलदल से गुजरने को मजबूर हैं।यह भी पढ़ें : एसिड अटैक के आरोपी की पत्नी ने पीड़िता के पिता पर लगाया रेप और ब्लैकमेल का आरोप
“सड़क नहीं, जीवन की डोर है”
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के समाजसेवी अरुण निषाद ने कहा कि “हमने चिट्ठियां लिखीं, अफसरों से मिले, लेकिन किसी ने हमारी नहीं सुनी। जब तक पक्की सड़क नहीं बनेगी, न जाने कितनी ‘रेशमाओं’ को इसी दलदल में दर्द झेलना पड़ेगा।” गांववालों ने अब जिला कलेक्टर, स्थानीय विधायक और मुख्यमंत्री कार्यालय से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि पक्की सड़क केवल सुविधा नहीं, बल्कि जीवन की डोर है, जो हर बरसात में कमजोर पड़ती जा रही है।यह भी पढ़ें : सैनिक स्कूल एडमिशन 2026: आवेदन की लास्ट डेट नजदीक है, जल्दी करें अप्लाई!
उत्तर प्रदेश की घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें बैलगाड़ी में कराहती रेशमा और दलदली रास्तों से गुजरते परिजन दिख रहे हैं। लोग प्रशासन से जल्द कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।संबंधित खबरें
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