High Jump in Space : दूसरी पीढ़ी के नौवहन उपग्रह का सफल प्रक्षेपण : इसरो

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Successful launch of second generation navigation satellite: ISRO
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 MAY 2023 02:37 PM
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श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) के जरिए दूसरी पीढ़ी के नौवहन उपग्रह एनवीएस-01 का सोमवार को सफल प्रक्षेपण किया। एनवीएस-01 देश की क्षेत्रीय नौवहन प्रणाली को मजबूत करेगा और सटीक एवं तात्कालिक नौवहन सेवाएं मुहैया कराएगा।

High Jump in Space

बेहद अहम है दूसरी पीढ़ी का नौवहन उपग्रह चेन्नई से करीब 130 किलोमीटर दूर यहां स्थित श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से 51.7 मीटर लंबे तीन चरणीय जीएसएलवी रॉकेट को 27.5 घंटे की उलटी गिनती समाप्त होने पर प्रक्षेपित किया गया। यह पूर्व निर्धारित समय पूर्वाह्न 10 बजकर 42 मिनट पर साफ आसमान में अपने लक्ष्य की ओर रवाना हुआ। दूसरी पीढ़ी की इस नौवहन उपग्रह श्रृंखला को अहम प्रक्षेपण माना जा रहा है। इससे नाविक (जीपीएस की तरह भारत की स्वदेशी नौवहन प्रणाली) सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित होगी। यह उपग्रह भारत एवं मुख्य भूमि के आसपास लगभग 1,500 किलोमीटर के क्षेत्र में तात्कालिक स्थिति और समय संबंधी सेवाएं प्रदान करेगा।

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इसरो अध्यक्ष ने दी पूरी टीम को बधाई इसरो ने बताया कि नाविक को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि संकेतों की मदद से उपयोगकर्ता की 20 मीटर के दायरे में स्थिति और 50 नैनोसेकंड के अंतराल में समय की सटीक जानकारी मिल सकती है। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने इस मिशन के उत्कृष्ट परिणाम के लिए पूरी टीम को बधाई दी। उन्होंने प्रक्षेपण के बाद ‘मिशन नियंत्रण केंद्र’ से कहा कि एनवीएस-01 को जीएसएलवी ने उसकी कक्षा में सटीकता से स्थापित किया। इस मिशन को संभव बनाने के लिए इसरो की पूरी टीम को बधाई। उन्होंने अगस्त 2021 में प्रक्षेपण यान के क्रायोजेनिक चरण में पैदा हुई विसंगति का जिक्र करते हुए कहा कि आज की सफलता जीएसएलवी एफ10 की विफलता के बाद मिली है। उन्होंने इस बात पर खुशी व्यक्त की कि क्रायोजेनिक चरण में सुधार और सीखे गए सबक से वास्तव में लाभ हुआ है। उन्होंने समस्या के समाधान का श्रेय विफलता विश्लेषण समिति को दिया।

High Jump in Space

दूसरी पीढ़ी के उपग्रह में हैं कई अतिरिक्त क्षमताएं सोमनाथ ने कहा कि एनवीएस-01 दूसरी पीढ़ी का उपग्रह है, जिसमें कई अतिरिक्त क्षमताएं हैं। इससे मिलने वाले संकेत अधिक सुरक्षित होंगे और इसमें असैन्य फ्रिक्वेंसी बैंड उपलब्ध कराये गए हैं। यह इस प्रकार के पांच उपग्रहों में से एक है। प्रक्षेपण के 20 मिनट बाद रॉकेट ने 2,232 किलोग्राम वजनी एनवीएस-01 नौवहन उपग्रह को लगभग 251 किमी की ऊंचाई पर भू-स्थिर स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में स्थापित किया। एनवीएस-01 अपने साथ एल1, एल5 और एस बैंड उपकरण लेकर गया है। दूसरी पीढ़ी के उपग्रह में स्वदेशी रूप से विकसित रुबिडियम परमाणु घड़ी भी होगी। इसरो ने कहा कि यह पहली बार है जब स्वदेशी रूप से विकसित रुबिडियम परमाणु घड़ी का सोमवार के प्रक्षेपण में इस्तेमाल किया गया।

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उपग्रह में लगा है स्वदेशी रूबिडियम परमाणु घड़ी अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक, वैज्ञानिक पहले तारीख और स्थान का निर्धारण करने के लिए आयातित रूबिडियम परमाणु घड़ियों का इस्तेमाल करते थे। अब, उपग्रह में अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र द्वारा विकसित रूबिडियम परमाणु घड़ी लगी होगी। यह एक महत्वपूर्ण तकनीक है, जो कुछ ही देशों के पास है। इसरो ने विशेषकर नागरिक विमानन क्षेत्र और सैन्य आवश्यकताओं के संबंध में स्थिति, नौवहन और समय संबंधी जानकारी से जुड़ी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नाविक प्रणाली विकसित की है। नाविक को पहले भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (आईआरएनएसएस) के नाम से जाना जाता था। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
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New Technology : छात्रा ने बनाया सौर ऊर्जा संचालित एग्रो व्हीकल

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New Technology: Student made solar powered agro vehicle
locationभारत
userचेतना मंच
calendar24 MAY 2023 10:35 AM
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New Technology :   सैय्यद अबू साद New Technology : चेतना मंच स्पेशल। हमारे देश के किसान फसल उगाने के लिए अथक मेहनत करते हैं। कोई हल से खेत जोतता है, तो कोई ट्रैक्टर से, तो कोई पैसे बचाने के लिए खुद ही मेहनत करके जुताई, बुवाई व सिंचाई का काम करता है। देश में खेती-किसानी को आसान बनाने के लिए वैज्ञानिक नई-नई तकनीक और मशीनें इजाद कर रहे हैं, जिससे किसान की घंटों की जाने वाली मेहनत को कम किया जा सके और उनकी लागत भी कम आए। लेकिन छात्रा सुहानी चौहान ने किसानों के लिए जो तकनीक विकसित की है, उसका हर कोई दीवाना हो गया है। उन्होंने ऐसे एग्रो व्हीकल का निर्माण किया है, जो सौर ऊर्जा से संचालित होता है और इसके जरिए किसान अब बिना बिजली के खेतों की जुताई, बुवाई और सिंचाई कर सकेंगे।

New Technology :

  कम लागत में होगी कृषि एमिटी इंटरनेशनल स्कूल पुष्प विहार (दिल्ली) की 11वीं कक्षा की छात्रा सुहानी ने पोर्टेबल उपकरणों के साथ सौर ऊर्जा से चलने वाला यह एग्रो व्हीकल एसओ-एपीटी विकसित किया है। इससे किसान खेतों की जुताई, बीज की बुवाई, दवा का छिड़काव और सिंचाई कर सकते हैं। देश में लगभग 85 प्रतिशत किसान आर्थिक रूप से कमजोर हैं और यह एग्रो व्हीकल उनकी उपज बढ़ाने और उत्पादन लागत को कम करने में सहायक होगा। वाहन के टॉप पर स्थापित फोटो वोल्टाइक पैनल प्रकाश किरणों को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करते है, जो वाहन को संचालित करता है, इसलिए वाहन के संचालन में कोई ईंधन की खपत नहीं होती है और यह स्थाई और स्वच्छ वातावरण सुनिश्चित करता है। विशेष सुविधाएं से लैस व्हीकल एसओ-एपीटी शून्य कार्बन उत्सर्जन के साथ कृषि उपयोग के लिए एक बहुक्रियाशील और सौर ऊर्जा संचालित वाहन है, जो किसानों के लिए लाभकारी है और इसका उपयोग चारा काटने की मशीन, केन्द्रापसारक पंप, रोशनी और मोबाइल चार्जिंग को संचालित करने के लिए किया जा सकता है। 60 किमी की दूरी को कवर करने की क्षमता के साथ, पूरी तरह से चार्ज बैटरी, 400 किलोग्राम की भार वहन क्षमता और कम व उच्च गति विनियमन जैसे विशेष सुविधाओं के साथ वाहन का उपयोग बीज बुवाई, छिड़काव, सिंचाई, खेत खोदने के लिए किया जा सकता है। वाहन की बैटरी को केवल 5-6 वर्षों के बाद बदलने की आवश्यकता होती है, जिससे यह लंबे समय तक चलती है। बेहद सस्ता होगा रखरखाव इसके अतिरिक्त विभिन्न कृषि जरूरतों को पूरा करने की क्षमता इसकी उपयोगिता को उच्च बनाती है। सुहानी का दावा है की पूरी तरह से सौर ऊर्जा से संचालित होने के कारण, वाहन की दैनिक परिचालन लागत लगभग शून्य हो जाती है। कम पुर्जों के कारण रखरखाव लागत भी नगण्य है। यह वाहन कम कीमत पर उपलब्ध होगा और किसानों के लिए किफायती होगा। किसानों के लिए कुछ अनूठा बनाना चाहती थी सुहानी चौहान ने बताया कि एक शोध उन्मुख और वैज्ञानिक स्वभाव होने के कारण मैं कुछ अनूठा बनाना चाहती थी जो देश के कृषकों के विकास में योगदान दे सके। मैंने अपने देश में किसानों की परेशानियों को समझा और इसी ने मुझे इस अनोखे कृषि वाहन का अविष्कार करने के लिए प्रेरित किया। लगभग 85 प्रतिशत किसान आर्थिक रूप से कमजोर हैं और यह वाहन उनकी उपज बढ़ाने और उत्पादन लागत को कम करने में सहायक होगा। जुताई के अलावा जिसमें अधिक मात्रा में ऊर्जा और शक्ति की आवश्यकता होती है, वाहन कृषि के सभी कार्य करता है। हाल ही प्रगति मैदान में आयोजित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी सप्ताह 2023 के दौरान एसओ-एपीटी का प्रदर्शन किया गया था।

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New Parliament Building : भारत का नया और अनोखा संसद भवन बनाने वाले बिमल पटेल को जान लिजिए, 862 करोड़ में किया कारनामा

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Get to know Bimal Patel, who built India's new and unique Parliament House, did the feat for 862 crores
locationभारत
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calendar19 MAY 2023 02:56 PM
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नई दिल्ली। आजाद भारत का नया शानदार संसद भवन बनकर तैयार है। नए संसद भवन को रिकार्ड समय में बनाकर तैयार किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर 2020 में इसकी आधारशिला रखी थी। अब इसके 28 मई को उद्घाटन की तैयारी चल रही है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि नए संसद भवन सेंट्रल विस्टा को बनाने वाले आर्किटेक्ट बिमल पटेल के बारे में, जिन्होंने नए संसद भवन को शानदार आकार दिया है। नए संसद भवन का कंस्ट्रक्शन टाटा प्रोजेक्ट ने किया है, लेकिन इस बिल्डिंग को डिजाइन किया है आर्किटेक्ट बिमल पटेल ने। बिमल पटेल गुजरात के अहमदाबाद शहर से आते हैं। वो इससे पहले भी कई मशहूर इमारतों को डिजाइन कर चुके हैं।

New Parliament Building

कौन हैं बिमल पटेल? बिमल पटेल का जन्म 31 अगस्त 1961 को गुजरात में हुआ था। वो करीब 35 साल से आर्किटेक्चर, अर्बन डिजाइन और अर्बन प्लानिंग से जुड़े काम में लगे हैं। इसके अलावा पटेल अहमदाबाद स्थित CEPT यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट भी हैं। साथ ही वो आर्किटेक्चर, प्लानिंग और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट फर्म HCP डिजाइन प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड को भी लीड करते हैं। 2019 में आर्किटेक्चर और प्लानिंग में असाधारण काम करने के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। कहां से हुई पढ़ाई? बिमल पटेल ने अहमदाबाद सेंट जेवियर हाई स्कूल से पढ़ाई की है। उन्होंने सेंटर फॉर एन्वायर्मेंट प्लानिंग एंड टेक्नोलॉजी के स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर से आर्किटेक्ट की पढ़ाई की। 1984 में CEPT से आर्किटेक्चर में अपनी पहली प्रोफेशनल डिग्री हासिल करने के बाद पटेल बर्कले चले गए। वहां उन्होंने कॉलेज ऑफ एन्वायर्मेंटल डिजाइन से पढ़ाई की। 1995 में उन्होंने पीएचडी की डिग्री हासिल की।

New Parliament Building : फड़ चित्रकारी बढ़ाएगी देश की नई संसद की खूबसूरती

ऐसा रहा करियर 1990 में बिमल पटेल ने अपने पिता के साथ काम शुरू किया। उन्होंने सबसे पहले अहमदाबाद में एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट को डिजाइन किया। इसके लिए 1992 में उन्होंने आगा खान अवॉर्ड फॉर आर्किटेक्चर से सम्मानित किया गया। इसके बाद उन्होंने घर, इंस्टीट्यूशन, इंडस्ट्रियल बिल्डिंग्स और अर्बन रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स पर काम किया। कंकारिया लेक डेवलपमेंट और साबरमती रिवरफ्रंट जैसे अर्बन डिजाइन प्रोजेक्ट देश में अपनी तरह की पहले प्रोजेक्ट हैं। अपने काम के लिए उन्हें अब तक कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। 1992 में आगा खान अवॉर्ड फॉर आर्किटेक्चर, 1998 में संयुक्त राष्ट्र के अवॉर्ड ऑफ एक्सीलेंस, 2001 में वर्ल्ड आर्किटेक्चर अवॉर्ड और 2006 में पीएम नेशनल अवॉर्ड फॉर एक्सीलेंस इन अर्बन प्लानिंग एंड डिजाइन से सम्मानित किया जा चुका है।

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कौन-कौन से प्रोजेक्ट को आर्किटेक्ट किया? - संसद भवन और सेंट्रल विस्टा, नई दिल्ली - विश्वनाथ धाम, काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी - मंत्रियों के ब्लॉक और सचिवालय, गुजरात - आगा खान अकादमी, हैदराबाद - पंडित दीनदयाल पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी, गुजरात - साबरमती रिवरफ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट - टाटा सीजीपीएल टाउनशिप, मुंद्रा, गुजरात - आईआईएम अहमदाबाद का नया कैम्पस, अहमदाबाद - सीजी रोड का रिडेवपलमेंट, अहमदाबाद - गुजरात हाईकोर्ट की बिल्डिंग, अहमदाबाद - एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट, अहमदाबाद

Noida News : नोएडा प्राधिकरण के पूर्व सीईओ (CEO) पर लगा भ्रष्टाचार का ठप्पा, होगी जांच

कैसा होगा नया संसद भवन? तिकोने आकार में बना नया संसद भवन चार मंजिला है। ये पूरा कैम्पस 64,500 वर्गमीटर के दायरे में फैला हुआ है। इसकी लागत 862 करोड़ रुपये है। नए भवन में एक संविधान हॉल भी होगा, जिसमें भारतीय लोकतंत्र की विरासत को दिखाया जाएगा। इसके अलावा, इस संसद में संसद सदस्यों के लिए लाउंज, कई सारे कमेटी रूम, डायनिंग एरिया और पार्किंग स्पेस होगा। संसद भवन के तीन मेन गेट- ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्मा द्वार होंगे। वीआईपी, सांसदों और विजिटर्स की एंट्री अलग-अलग गेट से होगी। एक साथ बैठ सकेंगे 1,280 सांसद नए संसद भवन में लोकसभा के 888 और राज्यसभा के 300 सांसदों के बैठने की व्यवस्था की गई है। अगर दोनों सदनों की संयुक्त बैठक होती है तो एक समय में इसमें 1,280 सांसद बैठ सकेंगे। मौजूदा संसद भवन में लोकसभा में 550 और राज्यसभा में 240 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है। मौजूदा संसद भवन 1927 में बनकर तैयार हुआ था। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।