रामनगरी अयोध्या को मिला दिवाली गिफ्ट, 4 बड़े शहरों के लिए शुरू होंगी उड़ानें





सुप्रीम कोर्ट परिसर में मंगलवार को उस वक्त हलचल मच गई जब सुनवाई के दौरान एक वकील ने चीफ जस्टिस बी.आर. गवई की ओर जूता फेंकने की कोशिश की। हालांकि कोर्ट में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने तत्काल उसे रोक लिया और किसी तरह की अप्रिय स्थिति नहीं बनने दी। घटना के बाद पुलिस ने आरोपी वकील राकेश किशोर को हिरासत में लेकर करीब तीन घंटे तक कड़ी पूछताछ की। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की ओर से कोई औपचारिक शिकायत दर्ज न होने के चलते उसे छोड़ दिया गया। दिल्ली पुलिस ने पूछताछ के बाद आरोपी का जूता, मोबाइल, आधार कार्ड और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन का पहचान पत्र भी लौटा दिया— यानी मामला यहीं शांत कर दिया गया। Supreme Court News
घटना के बाद चीफ जस्टिस बी.आर. गवई ने अद्भुत संयम और परिपक्वता का परिचय देते हुए मामले को पूरी तरह नज़रअंदाज़ करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा- ऐसी घटनाओं से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, बस अदालत में शांति बनी रहनी चाहिए। CJI गवई ने रजिस्ट्री अधिकारियों को यहां तक कहा— “Just ignore it. उनकी इस शालीनता और सहनशीलता के बाद ही दिल्ली पुलिस ने आरोपी वकील को रिहा कर दिया। हालांकि, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने इस पूरे प्रकरण को अदालत की गरिमा पर हमला मानते हुए वकील के खिलाफ सख्त कदम उठाया और उसका लाइसेंस निलंबित कर दिया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जैसे ही वकील राकेश किशोर ने जूता फेंकने की कोशिश की, वह जोर से चिल्लाया— “हम सनातन धर्म का अपमान नहीं सहेंगे! अचानक हुई इस हरकत से कोर्टरूम में कुछ पल के लिए सन्नाटा पसर गया, लेकिन मौजूद जजों और वकीलों ने अद्भुत संयम दिखाया। इस बीच, चीफ जस्टिस बी.आर. गवई ने पूरे घटनाक्रम पर शांति बनाए रखने की अपील की और कहा कि अदालत में गरिमा और अनुशासन सबसे ऊपर है।
घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी फोन पर CJI गवई से बात की और उनके धैर्य की सराहना की। पीएम ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा - कोर्ट में इस तरह का व्यवहार निंदनीय है। समाज में हिंसा और असहिष्णुता के लिए कोई जगह नहीं है। मैं चीफ जस्टिस के संयम और गरिमा के लिए उनकी प्रशंसा करता हूं। वहीं राहुल गांधी ने इसे “भारत के संविधान पर हमला” बताया, जबकि सोनिया गांधी ने कहा कि यह सिर्फ गवई पर नहीं, बल्कि न्यायपालिका की गरिमा पर प्रहार है।
इस घटना ने जहां पूरे देश में निंदा की लहर पैदा की है, वहीं चीफ जस्टिस बी.आर. गवई ने जिस परिपक्वता और धैर्य से स्थिति को संभाला, उसने न्यायपालिका की गरिमा को और ऊंचा किया है।
कानूनी बिरादरी मानती है कि यह कदम न्याय के सर्वोच्च संस्थान की मर्यादा और सहिष्णुता का उदाहरण बन गया है। Supreme Court News
सुप्रीम कोर्ट परिसर में मंगलवार को उस वक्त हलचल मच गई जब सुनवाई के दौरान एक वकील ने चीफ जस्टिस बी.आर. गवई की ओर जूता फेंकने की कोशिश की। हालांकि कोर्ट में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने तत्काल उसे रोक लिया और किसी तरह की अप्रिय स्थिति नहीं बनने दी। घटना के बाद पुलिस ने आरोपी वकील राकेश किशोर को हिरासत में लेकर करीब तीन घंटे तक कड़ी पूछताछ की। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की ओर से कोई औपचारिक शिकायत दर्ज न होने के चलते उसे छोड़ दिया गया। दिल्ली पुलिस ने पूछताछ के बाद आरोपी का जूता, मोबाइल, आधार कार्ड और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन का पहचान पत्र भी लौटा दिया— यानी मामला यहीं शांत कर दिया गया। Supreme Court News
घटना के बाद चीफ जस्टिस बी.आर. गवई ने अद्भुत संयम और परिपक्वता का परिचय देते हुए मामले को पूरी तरह नज़रअंदाज़ करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा- ऐसी घटनाओं से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, बस अदालत में शांति बनी रहनी चाहिए। CJI गवई ने रजिस्ट्री अधिकारियों को यहां तक कहा— “Just ignore it. उनकी इस शालीनता और सहनशीलता के बाद ही दिल्ली पुलिस ने आरोपी वकील को रिहा कर दिया। हालांकि, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने इस पूरे प्रकरण को अदालत की गरिमा पर हमला मानते हुए वकील के खिलाफ सख्त कदम उठाया और उसका लाइसेंस निलंबित कर दिया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जैसे ही वकील राकेश किशोर ने जूता फेंकने की कोशिश की, वह जोर से चिल्लाया— “हम सनातन धर्म का अपमान नहीं सहेंगे! अचानक हुई इस हरकत से कोर्टरूम में कुछ पल के लिए सन्नाटा पसर गया, लेकिन मौजूद जजों और वकीलों ने अद्भुत संयम दिखाया। इस बीच, चीफ जस्टिस बी.आर. गवई ने पूरे घटनाक्रम पर शांति बनाए रखने की अपील की और कहा कि अदालत में गरिमा और अनुशासन सबसे ऊपर है।
घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी फोन पर CJI गवई से बात की और उनके धैर्य की सराहना की। पीएम ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा - कोर्ट में इस तरह का व्यवहार निंदनीय है। समाज में हिंसा और असहिष्णुता के लिए कोई जगह नहीं है। मैं चीफ जस्टिस के संयम और गरिमा के लिए उनकी प्रशंसा करता हूं। वहीं राहुल गांधी ने इसे “भारत के संविधान पर हमला” बताया, जबकि सोनिया गांधी ने कहा कि यह सिर्फ गवई पर नहीं, बल्कि न्यायपालिका की गरिमा पर प्रहार है।
इस घटना ने जहां पूरे देश में निंदा की लहर पैदा की है, वहीं चीफ जस्टिस बी.आर. गवई ने जिस परिपक्वता और धैर्य से स्थिति को संभाला, उसने न्यायपालिका की गरिमा को और ऊंचा किया है।
कानूनी बिरादरी मानती है कि यह कदम न्याय के सर्वोच्च संस्थान की मर्यादा और सहिष्णुता का उदाहरण बन गया है। Supreme Court News