दुनिया में सुनाई पड़ी उत्तर प्रदेश वाले बाबा के बुलडोजर की गूंज

उत्तर प्रदेश में कैसे प्रसिद्ध हुआ बाबा का बुलडोजर
भारत के मुख्य न्यायधीश( Chief Justice of India) बी.आर. गवई के द्वारा बुलडोजर की चर्चा को जानने से पहले बुलडोजर बाबा का इतिहास जान लेते हैं। दरअसल उत्तर प्रदेश में बुलडोजर का नाम बाबा का बुलडोजर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कारण पड़ा है। वर्ष-2017 में जब उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने तो बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाए गए। अतिक्रमण हटाओ अभियान के कारण उत्तर प्रदेश सरकार की खूब तारीफ हुई। तभी से उत्तर प्रदेश में अतिक्रमण हटाओ अभियान के साथ बाबा का बुलडोजर नाम जुड़ गया। दरअसल योगी होने के कारण उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बाबा भी कहा जाता है। उनका बुलडोजर एक्शन प्रसिद्ध हुआ तो उस एक्शन को बाबा का बुलडोजर कहा जाने लगा। इस प्रकार उत्तर प्रदेश में नए शब्द बाबा का बुलडोजर का ईजाद हुआ। UP Newsयह भी पढ़े: उत्तर प्रदेश के इस जिले में कोचिंग सेंटर में धमाका, दो लोगों के पैर धमाके से उड़े
भारत के मुख्य न्यायधीश गवई ने किया बुलडोजर राज का जिक्र
भारत के मुख्य न्यायधीश इन दिनों मॉरीशस की यात्रा पर हैं। मॉरीशस में उन्होंने बुलडोजर राज का जिक्र क्या किया कि पूरी दुनिया में उत्तर प्रदेश के बुलडोजर बाबा की चर्चा शुरू हो गई। मॉरीशस में भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बी.आर. गवई ने कहा कि भारतीय न्याय व्यवस्था बुलडोजर के शासन से नहीं, बल्कि कानून के शासन से संचालित होती है। मॉरीशस में 'सबसे बड़े लोकतंत्र में कानून का शासन ' विषय पर सर मौरिस रॉल्ट स्मृति व्याख्यान 2025 का उद्घाटन करते हुए उन्होंने 'बुलडोजर न्याय' की निंदा करने वाले अपने ही फैसले का उल्लेख किया। प्रख्यात न्यायविद सर मौरिस रॉल्ट 1978 से 1982 तक मॉरीशस के प्रधान न्यायाधीश थे। कानून के शासन का सिद्धांत और सुप्रीम कोर्ट द्वारा उसकी व्यापक व्याख्या पर प्रकाश डालते हुए जस्टिस गवई ने कहा, 'इस फैसले ने एक स्पष्ट संदेश दिया है कि भारतीय न्याय व्यवस्था बुलडोजर के शासन से नहीं, बल्कि कानून के शासन से संचालित होती है।' 'बुलडोजर न्याय' मामले में दिए गए फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि कथित अपराधों को लेकर अभियुक्तों के घरों को गिराना कानूनी प्रक्रियाओं को दरकिनार करता है, कानून के शासन का उल्लंघन करता है और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आश्रय के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा कि यह भी माना गया कि कार्यपालिका अन्य भूमिका नहीं निभा सकती। इस मौके पर मॉरीशस के राष्ट्रपति धर्मबीर गोखूल, प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम और प्रधान न्यायाधीश रेहाना मुंगली गुलबुल आदि भी उपस्थित थे। UP Newsमुख्य न्यायधीश के भाषण पर छिड़ गई बड़ी बहस
मुख्य न्यायधीश के द्वारा अपने भाषण में बुलडोजर का जिक्र करने से दुनिया भर में बड़ी बहस शुरू हो गई है। भारत के विपक्षी दलों के साथ ही साथ दुनिया भर के लोकतंत्र समर्थक उत्तर प्रदेश में चल रहे बाबा के बुलडोजर की खुलकर आलोचना कर रहे हैं। वहीं केन्द्र तथा उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि मुख्य न्यायधीश के भाषण में उत्तर प्रदेश के बुलडोजर एक्शन से कुछ भी लेना-देना नहीं है। UP Newsअगली खबर पढ़ें
उत्तर प्रदेश में कैसे प्रसिद्ध हुआ बाबा का बुलडोजर
भारत के मुख्य न्यायधीश( Chief Justice of India) बी.आर. गवई के द्वारा बुलडोजर की चर्चा को जानने से पहले बुलडोजर बाबा का इतिहास जान लेते हैं। दरअसल उत्तर प्रदेश में बुलडोजर का नाम बाबा का बुलडोजर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कारण पड़ा है। वर्ष-2017 में जब उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने तो बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाए गए। अतिक्रमण हटाओ अभियान के कारण उत्तर प्रदेश सरकार की खूब तारीफ हुई। तभी से उत्तर प्रदेश में अतिक्रमण हटाओ अभियान के साथ बाबा का बुलडोजर नाम जुड़ गया। दरअसल योगी होने के कारण उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बाबा भी कहा जाता है। उनका बुलडोजर एक्शन प्रसिद्ध हुआ तो उस एक्शन को बाबा का बुलडोजर कहा जाने लगा। इस प्रकार उत्तर प्रदेश में नए शब्द बाबा का बुलडोजर का ईजाद हुआ। UP Newsयह भी पढ़े: उत्तर प्रदेश के इस जिले में कोचिंग सेंटर में धमाका, दो लोगों के पैर धमाके से उड़े
भारत के मुख्य न्यायधीश गवई ने किया बुलडोजर राज का जिक्र
भारत के मुख्य न्यायधीश इन दिनों मॉरीशस की यात्रा पर हैं। मॉरीशस में उन्होंने बुलडोजर राज का जिक्र क्या किया कि पूरी दुनिया में उत्तर प्रदेश के बुलडोजर बाबा की चर्चा शुरू हो गई। मॉरीशस में भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बी.आर. गवई ने कहा कि भारतीय न्याय व्यवस्था बुलडोजर के शासन से नहीं, बल्कि कानून के शासन से संचालित होती है। मॉरीशस में 'सबसे बड़े लोकतंत्र में कानून का शासन ' विषय पर सर मौरिस रॉल्ट स्मृति व्याख्यान 2025 का उद्घाटन करते हुए उन्होंने 'बुलडोजर न्याय' की निंदा करने वाले अपने ही फैसले का उल्लेख किया। प्रख्यात न्यायविद सर मौरिस रॉल्ट 1978 से 1982 तक मॉरीशस के प्रधान न्यायाधीश थे। कानून के शासन का सिद्धांत और सुप्रीम कोर्ट द्वारा उसकी व्यापक व्याख्या पर प्रकाश डालते हुए जस्टिस गवई ने कहा, 'इस फैसले ने एक स्पष्ट संदेश दिया है कि भारतीय न्याय व्यवस्था बुलडोजर के शासन से नहीं, बल्कि कानून के शासन से संचालित होती है।' 'बुलडोजर न्याय' मामले में दिए गए फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि कथित अपराधों को लेकर अभियुक्तों के घरों को गिराना कानूनी प्रक्रियाओं को दरकिनार करता है, कानून के शासन का उल्लंघन करता है और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आश्रय के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा कि यह भी माना गया कि कार्यपालिका अन्य भूमिका नहीं निभा सकती। इस मौके पर मॉरीशस के राष्ट्रपति धर्मबीर गोखूल, प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम और प्रधान न्यायाधीश रेहाना मुंगली गुलबुल आदि भी उपस्थित थे। UP Newsमुख्य न्यायधीश के भाषण पर छिड़ गई बड़ी बहस
मुख्य न्यायधीश के द्वारा अपने भाषण में बुलडोजर का जिक्र करने से दुनिया भर में बड़ी बहस शुरू हो गई है। भारत के विपक्षी दलों के साथ ही साथ दुनिया भर के लोकतंत्र समर्थक उत्तर प्रदेश में चल रहे बाबा के बुलडोजर की खुलकर आलोचना कर रहे हैं। वहीं केन्द्र तथा उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि मुख्य न्यायधीश के भाषण में उत्तर प्रदेश के बुलडोजर एक्शन से कुछ भी लेना-देना नहीं है। UP Newsसंबंधित खबरें
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