उत्तर प्रदेश में शीतलहर से राहत, लेकिन सुबह का कोहरा बरकरार

राज्य के कई जिलों में शीतलहर का प्रभाव कम हुआ है, जिसके कारण रात के तापमान में मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गई है। हालांकि, सुबह के समय कोहरे का असर अभी भी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में जारी है, जिससे दृश्यता प्रभावित हो रही है।

kohira
सुबह में ठंड और कोहरे का हाल
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar30 Nov 2025 07:10 AM
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उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से पड़ रही कड़ाके की ठंड में अब थोड़ी ढील देखने को मिल रही है। राज्य के कई जिलों में शीतलहर का प्रभाव कम हुआ है, जिसके कारण रात के तापमान में मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गई है। हालांकि, सुबह के समय कोहरे का असर अभी भी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में जारी है, जिससे दृश्यता प्रभावित हो रही है।

कानपुर में ठंड से राहत के संकेत

कानपुर शहर, जो बीते दिनों लगातार ठंड की चपेट में रहा, वहां अब मौसम में कुछ नरमी महसूस की जा रही है। 19 नवंबर की रात तापमान 10 डिग्री रिकॉर्ड किया गया, जो सामान्य से कम तो है ही, साथ ही यह कानपुर को प्रदेश में दूसरा सबसे ठंडा शहर बनाता है।

इटावा इस दिन सबसे ठंडा जिला रहा। सुबह के वक्त घना कोहरा छाया रहा, लेकिन जैसे-जैसे दिन चढ़ा, खिलखिलाती धूप ने ठंड का असर कम किया और लोगों को राहत दी।

दिन और रात के तापमान में उतार-चढ़ावकानपुर में 19 नवंबर को अधिकतम तापमान 27.2डिग्री रहा, जिसमें पिछले दिन की तुलना में 0.3डिग्री की गिरावट दर्ज की गई। वहीं न्यूनतम तापमान 10डिग्री रहा, जो 2.5डिग्री कम था। आर्द्रता के स्तर में काफी अंतर देखा गया। अधिकतम आर्द्रता: 95%, न्यूनतम आर्द्रता: 46% रही। हवा की गति बेहद हल्की रही, लगभग 1.1 किमी/घंटा, और दिशा दक्षिण-पूर्व रही।

आने वाले दिनों में मौसम कैसे बदलेगा?

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के मौसम विशेषज्ञ एस. एन. पांडे के अनुसार अगले दो दिनों में तापमान में हल्की वृद्धि देखने को मिल सकती है। आने वाले समय में दिन और रात दोनों के तापमान में थोड़ी बढ़त की संभावना है। हालांकि, सुबह-शाम की ठंड अभी भी महसूस होगी। सुबह के समय हल्का कोहरा देखने को मिल सकता है, जबकि दिन में धूप तेज रहेगी। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने भी संकेत दिए हैं कि यूपी में अगले कुछ दिनों में तापमान में मामूली इजाफा हो सकता है। शीतलहर की स्थिति कम होगी, पर सुबह का कोहरा और शाम की ठंड बनी रहेगी।

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उत्तर प्रदेश पुलिस पर चला कानून का बड़ा डंडा, पूरी चौकी सस्पेंड

हाल ही में शराब के तस्करों तथा UP पुलिस के जवानों के बीच शराब तस्करी की एवज में वसूली करने के मामले का खुलासा हुआ था। यह खुलासा उस समय हुआ जब पुलिसवालों तथा तस्करों के बीच व्हाटसएप पर हुई चैट वायरल हो गई। शराब तस्करों तथा पुलिस कर्मियों की चैट वायरल होने से उत्तर प्रदेश पुलिस में हड़कंप मच गया।

उत्तर प्रदेश पुलिस
बलिया में पूरी पुलिस चौकी सस्पेंड
locationभारत
userअसमीना
calendar02 Dec 2025 12:14 AM
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उत्तर प्रदेश पुलिस के ऊपर कानून का बड़ा डंडा चलाया गया। कायदे-कानून लागू ना कर पाने के कारण उत्तर प्रदेश के पुलिस अधिकारियों ने एक पूरी पुलिस चौकी को सस्पेंड कर दिया है। इतना ही नहीं एक-दूसरे मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस की एक पूरी पुलिस चौकी को लाइन हाजिर कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश के पुलिस अधिकारियों की इस कार्यवाही की आम जनता खूब तारीफ कर रही है। आम जनता का कहना है कि इसी प्रकार के एक्शन होते रहे तो उत्तर प्रदेश के अदंर कोई भी गड़बड़ी नहीं होने पाएगी।

उत्तर प्रदेश पुलिस के जवान करा रहे थे शराब की तस्करी

यह मामला उत्तर प्रदेश के बलिया जिले का है। उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के रेवती थाना क्षेत्र में गोपाल नगर पुलिस चौकी स्थापित है। गोपाल नगर की पुलिस चौकी में तैनात उत्तर प्रदेश पुलिस के जवान अपने क्षेत्र में शराब की अवैध तस्करी करने वालों का साथ दे रहे थे। हाल ही में शराब के तस्करों तथा उत्तर प्रदेश पुलिस के जवानों के बीच शराब तस्करी की एवज में वसूली करने के मामले का खुलासा हुआ था। यह खुलासा उस समय हुआ जब पुलिसवालों तथा तस्करों के बीच व्हाटसएप पर हुई चैट वायरल हो गई। शराब तस्करों तथा पुलिस कर्मियों की चैट वायरल होने से उत्तर प्रदेश पुलिस में हड़कंप मच गया। यह मामला बलिया परिक्षेत्र के ADJ पीयूष मोर्डिया तक पहुंचा तो उन्होंने तुरन्त सख्त कार्यवाही करने के निर्देश जारी कर दिए।

उत्तर प्रदेश की पुलिस चौकी पर तैनात सभी पुलिसकर्मी एक साथ सस्पेंड

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के रेवती थाने की गोपालनगर पुलिस चौकी के प्रभारी शुभेंद्र सिंह, कांस्टेबल पवन वर्मा, अफसर अली, विकास कन्नौजिया को निलंबित कर दिया गया। विभागीय जांच भी होगी। एडीजी जोन पीयूष मोर्डिया मामले पर नजर रखे हुए हैं। यह दूसरा मौका है जब उत्तर प्रदेश के बलिया में शराब तस्करी की संलिप्तता के आरोप में पूरी चौकी निलंबित कर दी गई। इससे पहले नरहीं थाने कीव कोरंटाडीह पुलिस चौकी पर तैनात सभी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की गई थी। दरअसल, गोपालनगर पुलिस चौकी के प्रभारी शुभेंद्र सिंह व शराब तस्कर के बीच व्हाट्सएप चैट का मामला सामने आया था। इसमें 30 हजार रुपये के लेनदेन की बात कही जा रही थी। इसका संज्ञान एसपी ओमवीर सिंह ने लिया और सीओ बैरिया फहीम कुरैशी से पूरे मामले की जांच कराई। रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाइ की गई। एसपी ने बताया कि रेवती के थाना प्रभारी की भूमिका की जांच एएसपी दक्षिणी कृपाशंकर से कराई जा रही है।

डग्गामारी की बसें चलवाने के आरोप में पूरी पुलिस चौकी लाइन हाजिर

दूसरा मामला उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले का है। गोंडा जिले की गुरूनानक पुलिस चौकी पर तैनात सभी पुलिसकर्मियों को एक साथ लाइन हाजिर कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश पुलिस के इन पुलिसकर्मियों के ऊपर अपने क्षेत्र में डग्गामारी की बसें चलवाने का आरोप है। उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि रोडवेज बस स्टेशन के एक किलोमीटर के दायरे में निजी सवारी वाहनों के संचालन पर रोक है। इसके बाद भी रोडवेज गुरुनानक पुलिस चौकी के बीच महज 300 मीटर की परिधि में अवैध स्टैंड चल रहा था। बुधवार तडक़े पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) अमित पाठक मौके पर पहुंचे, तो डग्गामार वाहन चालकों में भगदड़ मच गई। आईजी ने कुल 12 वाहनों को सीज कर गुरुनानक पुलिस चौकी के पूरे स्टाफ को लाइन हाजिर कर दिया। सभी के निलंबन के लिए रिपोर्ट तैयार की जा रही है।

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योगी सरकार का मेगा प्लान : उत्तर प्रदेश के शहरों का होगा पुनर्विकास

यह कदम न सिर्फ शहरों की सूरत बदलने का दावा करता है, बल्कि आवास की समस्या सस्ते और टिकाऊ तरीके से हल करने का अखिल भारतीय मॉडल भी बन सकता है।

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सीएम योगी आदित्यनाथ
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar29 Nov 2025 05:54 PM
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उत्तर प्रदेश की योगी सरकार एक बेहतरीन पुनर्विकास योजना के साथ आगे बढ़ रही है, जिसके जरिए पुराने और जर्जर भवनों को हटाकर उनकी जगह आधुनिक, सुरक्षित और बहुउद्देशीय हाई-राइज बिल्डिंग्स खड़ी की जाएंगी। यह कदम न सिर्फ शहरों की सूरत बदलने का दावा करता है, बल्कि आवास की समस्या सस्ते और टिकाऊ तरीके से हल करने का अखिल भारतीय मॉडल भी बन सकता है।

पीछे का सोच और मकसद

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट किया है कि शहरों को सिर्फ भवनों के समूह के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि उन्हें जीवंत सामाजिक संरचनाएँ माना जाना चाहिए। उनकी यह सोच नए नीति मसौदे में झलकती है, जिसमें आधुनिकता, परंपरा और मानवता का संतुलन रखने की बात कही गई है। राज्य सरकार के अधिकारियों ने कहा है कि यह नीति केवल भवनों का नवीनीकरण नहीं करेगी, बल्कि शहरों के समग्र पुनर्जागरण की दिशा में काम करेगी। भू-खंडों का पुनर्गठन, निजी निवेश को प्रोत्साहन, जनहित को प्राथमिकता देना और प्रभावित परिवारों की आजीविका की रक्षा शामिल है।

योजना के प्रमुख घटक और शर्तें

1. लंबे समय से बने पुराने भवनों पर फोकस

  जिन भवनों की उम्र 25 वर्ष या उससे अधिक होगी, उन्हें पुनर्विकास की श्रेणी में रखा जाएगा। इन भवनों की संरचनात्मक आॅडिट अनिवार्य होगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे वास्तव में असुरक्षित या जर्जर हैं। यह नीति छोटे एकल-इमारतों पर लागू नहीं होगी; यह केवल बड़े भू-खंडों (जैसे को-आॅपरेटिव सोसाइटी, औद्योगिक भूखंड) पर असर करेगी। लीज पर दी गई जमीनों पर पुनर्निर्माण की अनुमति नहीं दी जाएगी।

2. भुगतान और छूट प्रोत्साहन

 विकास शुल्क में लगभग 50% तक की छूट देने की योजना है। जमीन के उपयोग को बदलने के लिए 25% छूट दी जा सकती है। यदि कोई परियोजना पारंपरिक जोन-रेगुलेशन से अलग उपयोग करना चाहती है, तो प्रभाव शुल्क पर भी 25% छूट मिलने की संभावनाएं हैं। इसके बदले में, डेवलपर्स को सामाजिक दायित्‍व उठाने होंगे। नई इमारतों में 10% इकाइयाँ आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) और 10% निम्न-आय वर्ग (एलआईजी) के लिए आरक्षित करने का प्रस्ताव है।

3. स्वीकृति और लागू करने की प्रक्रिया

 पुनरनिर्माण परियोजनाओं के लिए सिंगल-विंडो मंजूरी प्रणाली बनाई जाएगी, जिससे मंजूरी लेने में समय कम लगे। नीति में पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल को बढ़ावा देने की बात की गई है, ताकि निजी क्षेत्र अधिक सक्रिय हो सके। एक राज्य-स्तरीय पुनर्विकास प्राधिकरण का गठन हो सकता है, जो इन पहलों की निगरानी करेगा और मार्गदर्शन देगा।

4. हरित और टिकाऊ विकास

हर परियोजना में ग्रीन बिल्डिंग मानक और ऊर्जा दक्षता आवश्यक होगी। पर्यावरण संतुलन, सार्वजनिक सुविधाओं, पार्किंग, पानी और ड्रेनेज जैसी बुनियादी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए विकास होगा। नीति पुराने बाजारों, औद्योगिक क्षेत्रों, सरकारी आवास परिसरों और अनधिकृत बस्तियों के लिए क्षेत्र-विशिष्ट रणनीतियाँ तैयार करेगी। 

5. संरक्षण और विरासत

 सिर्फ नए निर्माण ही नहीं, उत्तर प्रदेश की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को भी महत्व दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा है कि विरासत भवनों को संरक्षित करना और उनका पुनरुद्धार करना भी इस नीति का हिस्सा होगा। परियोजनाओं में ऐसे भवनों की पहचान कर, उन्हें पर्यटन-केंद्रित पुर्नरूप में विकसित करने की भी योजना है। 

संभावित चुनौतियाँ और सवाल

भूमि स्वामित्व और स्वीकृति: बड़े भू-खंडों पर पुनरनिर्माण की बात की जा रही है, लेकिन उन भूखंडों का स्वामित्व किसके पास है, निजी व्यक्तियों, सोसाइटियों या सरकारी संस्थाओं के पास यह स्पष्टता जरूरी होगी। जिन लोगों की आजीविका पुराने भवनों पर निर्भर है (व्यापारी, दुकान मालिक), उनका पुनर्वास और रोजगार कैसे सुनिश्चित किया जाएगा। हाई-राइज बिल्डिंग्स बनने से पर्यावरण पर क्या असर पड़ेगा? कचरा, जल उपयोग, पार्किंग जैसी व्यवस्थाओं का प्रबंधन कैसे होगा? डेवलपर्स को छूट दी जा रही है, लेकिन क्या परियोजनाएं वाकई आर्थिक रूप से बनी रहेंगी, खासकर उन हिस्सों में जो लो-इनकम आवास के लिए हैं? नीति मसौदा तैयार करने में नागरिकों, नगर निकायों और जनप्रतिनिधियों की भागीदारी कितनी होगीदीर्घकालिक दृष्टि : यूपी 2047

यह नीति योगी सरकार की विकसित उत्तर प्रदेश 2047 की विजन के हिस्से के रूप में भी देखी जाती है, जिसमें लखनऊ, कानपुर जैसे शहरों को अक हब और ग्लोबल-क्लास शहरों की श्रेणी में लाने का लक्ष्य है। सरकार का मानना है कि पुनर्विकास नीति न सिर्फ पुराने और असुरक्षित भवनों को हटाकर शहरों को सुरक्षित बनाएगी, बल्कि नगरों की अर्थव्यवस्था, रिहायशी क्षमता, कृषि-भूमि दबाव, और निवास लागत को संतुलित करने में भी मदद करेगी।?