उत्तर प्रदेश में पति के जीवित होते हुए भी विधवा पेंशन ले रही थी 25 महिलाएं
विधवा पेंशन, जिसका मकसद वास्तव में विधवाओं को आर्थिक सहायता देना था। लेकिन ऐसा मामला पहले भी हो चुका है। यह मामला पिछले सालों के खुलासों की एक कड़ी है।

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में महिला कल्याण विभाग की विधवा पेंशन योजना में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी सामने आई है। उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में 25 महिलाएं, जिन्होंने अपने पति के जिन्दा होने के बावजूद खुद को विधवा बताकर पेंशन ली। विधवा पेंशन, जिसका मकसद वास्तव में विधवाओं को आर्थिक सहायता देना था। लेकिन ऐसा मामला पहले भी हो चुका है। यह मामला पिछले सालों के खुलासों की एक कड़ी है।
घोटाले का तरीका
उत्तर प्रदेश के बरेली जिले की ये महिलाएं फर्जी दस्तावेज लगाकर पेंशन लेने में कामयाब हो गर्इं। इन महिलाओं ने अपने पति के मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाकर घटना को अंजाम दिया। इन दस्तावेजों को बैंक और महिला कल्याण विभाग में जमा कर पेंशन प्राप्त की गई। कुछ बिचौलियों ने महिलाओं को फर्जी प्रमाणपत्र बनवाने और प्रक्रिया पूरी कराने में मदद की। इन बिचौलियों ने पैसे और संपर्क के जरिए सरकारी कर्मचारियों को भी प्रभावित किया।
सरकारी लापरवाही
सत्यापन करने वाले कर्मचारी दस्तावेजों की गहन जांच नहीं कर पाए। ब्लॉक विकास अधिकारी और जिला प्रोबेशन अधिकारी से जानकारी लेने पर सहयोग नहीं मिला। कई मामलों में यह साफ नहीं हो पाया कि कौन सा कर्मचारी जिम्मेदार था। इन मामलों का एसडीएम आंवला ने लगभग 5 महीने तक गहन जांच की। जांच में रिपोर्ट डीएम को सौंपी गई। इस रिपोर्ट में 25 महिलाओं के फजीर्वाड़े की पुष्टि हुई है। एसएसपी ने विशेष जांच टीम (एसआईटी) बनाई। इसका नेतृत्व एसपी दक्षिणी अंशिका वर्मा ने किया। उनकी टीम में सीओ आंवला नितिन कुमार और आंवला थाना प्रभारी केवी सिंह शामिल थे। एफआईआर दर्ज कर सभी 25 मामलों में कानूनी कार्रवाई शुरू। सत्यापन में लापरवाही करने वाले कर्मचारियों और बिचौलियों पर भी शिकंजा कसने की तैयारी।पिछला रिकॉर्ड
* 2023 में: 34 सुहागिन महिलाओं द्वारा विधवा पेंशन का फर्जी लाभ।
* 4 नवंबर 2023: 56 महिलाओं को वृद्धावस्था पेंशन का गलत लाभ मिला।
* कुल राशि: 1.23 करोड़
* इस तरह के लगातार खुलासे प्रशासन को सतर्क कर चुके थे।आर्थिक और सामाजिक असर
लोगों का सिस्टम पर भरोसा कम हुआ, सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता पर प्रश्न उठ रहे हैं। असली लाभार्थियों को नुकसान हुआ है, वास्तविक विधवाओं को उनकी पेंशन समय पर नहीं मिली। यह घोटाला समाज में धोखाधड़ी की प्रवृत्ति को बढ़ावा दे सकता है।
यह मामला केवल व्यक्तिगत धोखाधड़ी नहीं है। इसमें सिस्टम की कमजोरी, कर्मचारी लापरवाही, और बिचौलियों की मिलीभगत शामिल है। प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। यह घोटाला यह दिखाता है कि सरकारी योजनाओं में सत्यापन और निगरानी कितनी महत्वपूर्ण है।
उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में महिला कल्याण विभाग की विधवा पेंशन योजना में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी सामने आई है। उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में 25 महिलाएं, जिन्होंने अपने पति के जिन्दा होने के बावजूद खुद को विधवा बताकर पेंशन ली। विधवा पेंशन, जिसका मकसद वास्तव में विधवाओं को आर्थिक सहायता देना था। लेकिन ऐसा मामला पहले भी हो चुका है। यह मामला पिछले सालों के खुलासों की एक कड़ी है।
घोटाले का तरीका
उत्तर प्रदेश के बरेली जिले की ये महिलाएं फर्जी दस्तावेज लगाकर पेंशन लेने में कामयाब हो गर्इं। इन महिलाओं ने अपने पति के मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाकर घटना को अंजाम दिया। इन दस्तावेजों को बैंक और महिला कल्याण विभाग में जमा कर पेंशन प्राप्त की गई। कुछ बिचौलियों ने महिलाओं को फर्जी प्रमाणपत्र बनवाने और प्रक्रिया पूरी कराने में मदद की। इन बिचौलियों ने पैसे और संपर्क के जरिए सरकारी कर्मचारियों को भी प्रभावित किया।
सरकारी लापरवाही
सत्यापन करने वाले कर्मचारी दस्तावेजों की गहन जांच नहीं कर पाए। ब्लॉक विकास अधिकारी और जिला प्रोबेशन अधिकारी से जानकारी लेने पर सहयोग नहीं मिला। कई मामलों में यह साफ नहीं हो पाया कि कौन सा कर्मचारी जिम्मेदार था। इन मामलों का एसडीएम आंवला ने लगभग 5 महीने तक गहन जांच की। जांच में रिपोर्ट डीएम को सौंपी गई। इस रिपोर्ट में 25 महिलाओं के फजीर्वाड़े की पुष्टि हुई है। एसएसपी ने विशेष जांच टीम (एसआईटी) बनाई। इसका नेतृत्व एसपी दक्षिणी अंशिका वर्मा ने किया। उनकी टीम में सीओ आंवला नितिन कुमार और आंवला थाना प्रभारी केवी सिंह शामिल थे। एफआईआर दर्ज कर सभी 25 मामलों में कानूनी कार्रवाई शुरू। सत्यापन में लापरवाही करने वाले कर्मचारियों और बिचौलियों पर भी शिकंजा कसने की तैयारी।पिछला रिकॉर्ड
* 2023 में: 34 सुहागिन महिलाओं द्वारा विधवा पेंशन का फर्जी लाभ।
* 4 नवंबर 2023: 56 महिलाओं को वृद्धावस्था पेंशन का गलत लाभ मिला।
* कुल राशि: 1.23 करोड़
* इस तरह के लगातार खुलासे प्रशासन को सतर्क कर चुके थे।आर्थिक और सामाजिक असर
लोगों का सिस्टम पर भरोसा कम हुआ, सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता पर प्रश्न उठ रहे हैं। असली लाभार्थियों को नुकसान हुआ है, वास्तविक विधवाओं को उनकी पेंशन समय पर नहीं मिली। यह घोटाला समाज में धोखाधड़ी की प्रवृत्ति को बढ़ावा दे सकता है।
यह मामला केवल व्यक्तिगत धोखाधड़ी नहीं है। इसमें सिस्टम की कमजोरी, कर्मचारी लापरवाही, और बिचौलियों की मिलीभगत शामिल है। प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। यह घोटाला यह दिखाता है कि सरकारी योजनाओं में सत्यापन और निगरानी कितनी महत्वपूर्ण है।







