Today’s history : इतिहास हमें हमेशा ज्ञान देता है। अपने इतिहास से सीखकर ही हम अपना वर्तमान तथा भविष्य बनाते हैं। इस कारण यदि हम प्रतिदिन का अपना इतिहास याद रखें तो हमें भविष्य बनाने में सुविधा होगी। इस लिए हम आपको रोजाना आज का इतिहास यानि कि Today’s history से परिचित कराते हैं। आज 12 नवंबर है। आज के इतिहास की बात करें तो आज का इतिहास बहुत सारी घटनाओं से भरा पड़ा है। आज के इतिहास की सबसे प्रमुख घटना भारत में घटी थी। आज के ही दिन भारत के महान सपूत पंडित मदन मोहन मालवीय का निधन हो गया था। आज का इतिहास पंडित मदन मोहन को जानने के लिए प्रेरित करता है।
महानतम शिक्षाविद तथा स्वतंत्रता सेनानी थे पंडित जी
आज के इतिहास की दूसरी घटनाओं को जानने से पहले पंडित मदन मोहन मालवीय को जान लेते हैं। पंडित मदन मोहन मालवीय का जन्म 25 दिसम्बर 1861 को इलाहाबाद (प्रयागराज) में हुआ। इनके पिता बृजनाथ मालवीय ने इनकी प्रारम्भिक शिक्षा की व्यवस्था धर्म ज्ञानोपदेश पाठशाला में करायी। इसके बाद इन्हें विद्याधर्म प्रवर्धिनी में प्रवेश दिलाया गया। मदन मोहन अत्यंत मेधावी छात्र थे। अत: इन्हें शिक्षकों का भरपूर स्नेह मिला। इसी विद्यालय के शिक्षक देवकीनंदन जी की मालवीय के व्यक्तित्व को निखारने में प्रमुख भूमिका रही। इन्हीं की प्रेरणा से वे एक कुशल वक्ता बने। मालवीय जी के घर की आर्थिक दशा अच्छी नहीं थी। इनके पिता बड़ी कठिनाई से इन्हें स्नातक तक शिक्षा दिला पाये। घर की दशा को देखते हुए मालवीय जी ने सरकारी हाईस्कूल में शिक्षक के पद पर कार्य करना आरंभ कर दिया। अपनी अद्भुत वक्तृता एवं शिक्षण शैली के कारण वे अच्छे एवं लोकप्रिय शिक्षक के रूप में विख्यात हो गए।
मालवीय जी ने भारतीय समाज की गरीबी को समीप से देखा था। आरंभ से ही उनके मन में समाज-सेवा की भावना भर गई थी। वे लोगों की सहायता विभिन्न प्रकार से करते थे। उनका दृढ़ मत था कि भारत की गरीबी तभी दूर हो सकती है जब यहाँ की जनता शिक्षित और प्रबुद्ध हो तथा उनका अपना शासन हो। मालवीय जी देशभक्ति को धर्म का ही एक अंग मानते थे। वे धार्मिक संकीर्णता एवं साम्प्रदायिकता के घोर विरोधी थे। वे देश की प्रगति एवं उत्थान के लिए सर्वस्व त्याग एवं समर्पण की भावना के पोषक थे।
सन् 1902 में संयुक्त प्रांत (उत्तर प्रदेश) एसेम्बली के चुनाव में मालवीय जी सदस्य निर्वाचित हुए। अपनी सूझ-बूझ, लगन और निष्ठा के कारण उन्हें यहाँ भी पर्याप्त सम्मान मिला। सन् 1910 से 1920 तक वे केंद्रीय एसेंबली के सदस्य भी रहे। 1931 ई0 में लंदन में आयोजित द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया। यहाँ उन्होंने खुलकर भारतीय पक्ष को सम्मेलन में प्रस्तुत किया। उन्होंने सम्मेलन में सांप्रदायिकता का विरोध किया और सामाजिक सद्भाव तथा समरसता पर जोर दिया। मालवीय जी देश से निरक्षरता को दूर करने और शिक्षा के व्यापक प्रसार को देश की उन्नति के लिए आधारशिला मानते थे। अत: उन्होंने शिक्षा पर विशेष बल दिया। वे स्त्री शिक्षा के प्रबल समर्थक थे। शिक्षा संबंधी अपनी धारणा को साकार करने के लिए उन्होंने एक महान विश्वविद्यालय की स्थापना की योजना बनाई। इसके लिए उन्होंने देशवासियों से धन माँगा।
सन् 1902 में संयुक्त प्रांत (उत्तर प्रदेश) एसेम्बली के चुनाव में मालवीय जी सदस्य निर्वाचित हुए। अपनी सूझ-बूझ, लगन और निष्ठा के कारण उन्हें यहाँ भी पर्याप्त सम्मान मिला। सन् 1910 से 1920 तक वे केंद्रीय एसेंबली के सदस्य भी रहे। 1931 ई0 में लंदन में आयोजित द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया। यहाँ उन्होंने खुलकर भारतीय पक्ष को सम्मेलन में प्रस्तुत किया। उन्होंने सम्मेलन में सांप्रदायिकता का विरोध किया और सामाजिक सद्भाव तथा समरसता पर जोर दिया। मालवीय जी देश से निरक्षरता को दूर करने और शिक्षा के व्यापक प्रसार को देश की उन्नति के लिए आधारशिला मानते थे। अत: उन्होंने शिक्षा पर विशेष बल दिया। वे स्त्री शिक्षा के प्रबल समर्थक थे। शिक्षा संबंधी अपनी धारणा को साकार करने के लिए उन्होंने एक महान विश्वविद्यालय की स्थापना की योजना बनाई। इसके लिए उन्होंने देशवासियों से धन माँगा।
अपनी सामथ्र्य के अनुसार लोगों ने इस पुण्य कार्य में सहयोग किया। तत्कालीन काशी नरेश ने विश्वविद्यालय के लिए पर्याप्त धन तथा भूमि दी। अपनी ईमानदारी, लगन एवं परिश्रम के कारण उन्हें इस कार्य में सफलता मिली। सन् 1916 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी) की स्थापना की गई। यह विश्वविद्यालय आज भी भारत के विश्वविद्यालयों में प्रमुख है। जितने विषयों के अध्ययन की यहाँ व्यवस्था है उतनी एक साथ शायद ही कहीं हो। वे राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रबल समर्थक थे। उनका मानना था कि बिना हिंदी ज्ञान के देश की उन्नति संभव नहीं है। पूरे जीवन अथक परिश्रम करने वाला भारत माँ का यह सपूत 1946 ई0 में सदा के लिए सो गया। अपनी कीर्ति के रूप में मालवीय जी भारतीयों के मन में आज भी जीवित हैं।
राष्ट्रीय पक्षी दिवस के जनक का जन्मदिन है
12 नवंबर का इतिहास महान घटनाओं से भरा पड़ा है। आज का इतिहास बताता है कि आज ही के दिन भारत देश के सुप्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी सालिम अली का जन्म हुआ और उनके जन्म दिवस को ‘राष्ट्रीय पक्षी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। आज ही के दिन 1930 में संवैधानिक सुधारों पर चर्चा के लिए लंदन में पहले गोलमेज सम्मेलन की शुरुआत हुई। इसमें भारतीय और ब्रिटिश प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया लेकिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का कोई सदस्य शामिल नहीं हुआ था। 2021 में 12 नवंबर को ही भारत के नेतृत्व वाले अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र कार्यढांचा सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी) ने ग्लासगो में सीओपी26 जलवायु शिखर सम्मेलन में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जिसमें वैश्विक प्रयासों के अनुरूप महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई के कार्यान्वयन में देशों को सहयोग और समर्थन करने के लिए सहमति बनी।
आज का इतिहास कुछ इस प्रकार है
आज ही के दिन 12 नवंबर 1781 को अंग्रेजों ने नागपट्टनम पर कब्जा किया।
आज ही के दिन 12 नवंबर 1847 को ब्रिटेन के चिकित्सक सर जेम्स यंग सिंपसन ने बेहोशी की दवा के रूप में पहली बार क्लोरोफार्म का प्रयोग किया।
आज ही के दिन 12 नवंबर 1896 को भारतीय पक्षी विज्ञानी और प्रकृतिवादी सालिम अली का जन्म।
आज ही के दिन 12 नवंबर 1918 को ऑस्ट्रिया एक गणतंत्र बना।
आज ही के दिन 12 नवंबर1930 को लंदन में भारत में संवैधानिक सुधारों पर चर्चा के लिए पहले गोलमेज सम्मेलन की शुरुआत।
आज ही के दिन 12 नवंबर 1936 को केरल के मंदिर सभी हिंदुओं के लिए खुले।
आज ही के दिन 12 नवंबर 1946 को स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद और समाज सुधारक मदनमोहन मालवीय का निधन।
आज ही के दिन 12 नवंबर 1969 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को कांग्रेस से निष्कासित किया गया।
आज ही के दिन 12 नवंबर 1974 को दक्षिण अफ्रीका नस्लीय नीतियों के कारण संयुक्त राष्ट्र महासभा से निलंबित।
आज ही के दिन 12 नवंबर 1984 को ब्रिटेन ने एक पाउंड का नोट बंद किया, सिक्के चालू किए।
आज ही के दिन 12 नवंबर 1990 को जापान में सम्राट आकिहितो का परम्परानुसार राज्याभिषेक।
आज ही के दिन 12 नवंबर 2001 को न्यूयॉर्क में अमेरिकी एयरलाइंस का विमान एयरबस ए-300 दुर्घटनाग्रस्त, 260 यात्रियों की मौत।
आज ही के दिन 12 नवंबर 2008 को देश का पहला मानव रहित अंतरिक्ष यान चंद्रयान-1 चन्द्रमा की अन्तिम कक्षा में स्थापित।
आज ही के दिन 12 नवंबर 2009 को भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार के ‘अतुल्य भारत’ अभियान को ‘‘वल्र्ड ट्रेवल अवार्ड-2009’’ से नवाजा गया।
आज ही के दिन 12 नवंबर 2021 को भारत के नेतृत्व वाले अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र कार्यढांचा सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी) ने ग्लासगो में सीओपी26 जलवायु शिखर सम्मेलन में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जिसमें वैश्विक प्रयासों के अनुरूप महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई के कार्यान्वयन में देशों को सहयोग और समर्थन करने के लिए सहमति बनी।
आज ही के दिन 12 नवंबर 1847 को ब्रिटेन के चिकित्सक सर जेम्स यंग सिंपसन ने बेहोशी की दवा के रूप में पहली बार क्लोरोफार्म का प्रयोग किया।
आज ही के दिन 12 नवंबर 1896 को भारतीय पक्षी विज्ञानी और प्रकृतिवादी सालिम अली का जन्म।
आज ही के दिन 12 नवंबर 1918 को ऑस्ट्रिया एक गणतंत्र बना।
आज ही के दिन 12 नवंबर1930 को लंदन में भारत में संवैधानिक सुधारों पर चर्चा के लिए पहले गोलमेज सम्मेलन की शुरुआत।
आज ही के दिन 12 नवंबर 1936 को केरल के मंदिर सभी हिंदुओं के लिए खुले।
आज ही के दिन 12 नवंबर 1946 को स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद और समाज सुधारक मदनमोहन मालवीय का निधन।
आज ही के दिन 12 नवंबर 1969 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को कांग्रेस से निष्कासित किया गया।
आज ही के दिन 12 नवंबर 1974 को दक्षिण अफ्रीका नस्लीय नीतियों के कारण संयुक्त राष्ट्र महासभा से निलंबित।
आज ही के दिन 12 नवंबर 1984 को ब्रिटेन ने एक पाउंड का नोट बंद किया, सिक्के चालू किए।
आज ही के दिन 12 नवंबर 1990 को जापान में सम्राट आकिहितो का परम्परानुसार राज्याभिषेक।
आज ही के दिन 12 नवंबर 2001 को न्यूयॉर्क में अमेरिकी एयरलाइंस का विमान एयरबस ए-300 दुर्घटनाग्रस्त, 260 यात्रियों की मौत।
आज ही के दिन 12 नवंबर 2008 को देश का पहला मानव रहित अंतरिक्ष यान चंद्रयान-1 चन्द्रमा की अन्तिम कक्षा में स्थापित।
आज ही के दिन 12 नवंबर 2009 को भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार के ‘अतुल्य भारत’ अभियान को ‘‘वल्र्ड ट्रेवल अवार्ड-2009’’ से नवाजा गया।
आज ही के दिन 12 नवंबर 2021 को भारत के नेतृत्व वाले अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र कार्यढांचा सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी) ने ग्लासगो में सीओपी26 जलवायु शिखर सम्मेलन में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जिसमें वैश्विक प्रयासों के अनुरूप महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई के कार्यान्वयन में देशों को सहयोग और समर्थन करने के लिए सहमति बनी।