देवउठनी एकादशी 2025:1 नवंबर से होगी विवाह सीजन की शुरुआत

देवउठनी एकादशी 2025:1 नवंबर से होगी विवाह सीजन की शुरुआत
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 12:55 AM
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भारत, जहां धार्मिक आस्था और परंपराओं का गहरा महत्व है वहां हर शुभ कार्य का आरंभ किसी विशेष मुहूर्त और अनुष्ठान के साथ होता है। ऐसे ही पवित्र अवसरों में से एक है देवउठनी एकादशी, जिसे हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष देवउठनी एकादशी का आरंभ 1 नवंबर 2025 को सुबह 9:11 बजे होगा और तिथि का समापन 2 नवंबर 2025 को सुबह 7:31 बजे होगा। इसलिए पंचांग के अनुसार यह पर्व 1 नवंबर को ही मनाया जाएगा। Devuthani Ekadashi जैसे-जैसे सर्दी का मौसम बढ़ता है वैवाहिक उत्सव की तैयारियां भी जोरों पर होती हैं। देवउठनी एकादशी से फिर से शहनाइयों की मधुर गूंज सुनाई देगी और विवाह जैसे मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी।

देवउठनी एकादशी का इतिहास और महत्व

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु चार महीने के शयनकाल (संवत्सर की देवशयनी एकादशी से) योगनिद्रा में चले जाते हैं। इस अवधि में कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृहप्रवेश या नई शुरुआत नहीं की जाती। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु पुनः जागते हैं और इसी के साथ शुभ कार्यों की शुरुआत संभव होती है। इस दिन तुलसी विवाह का विशेष महत्व है। भगवान विष्णु और तुलसी माता का पवित्र मिलन वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों में इसे देवोत्थान एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, घरों में दीपक जलाते हैं और भजन-कीर्तन में संलग्न होते हैं।

इस वर्ष के शुभ विवाह मुहूर्त

देवउठनी एकादशी के बाद नवविवाहितों के लिए कई शुभ तिथियां बन रही हैं। नवंबर 2025 में 2, 3, 8, 12, 13, 16, 17, 18, 21, 22, 23, 25 और 30 तारीखें विवाह के लिए अनुकूल मानी गई हैं। वहीं दिसंबर में 4, 5 और 6 तारीखें विशेष रूप से शुभ हैं। पंडितों के अनुसार, इस बार ग्रह-नक्षत्रों का संयोग अत्यंत शुभ है जिससे नवविवाहित जोड़ों के जीवन में स्थिरता, सौभाग्य और खुशहाली बनी रहेगी।

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शहरों में शादी सीजन की हलचल

शहरों और कस्बों में अब विवाह सीजन की रौनक दिखाई देने लगी है। वेडिंग हॉल, कैटरर्स, बैंड-बाजा, डेकोरेटर्स और मेकअप आर्टिस्ट की बुकिंग जोर-शोर से हो रही है। शॉपिंग मार्केट्स में भीड़ उमड़ रही है और पारंपरिक परिधान, ज्वेलरी और गिफ्ट्स की खरीदारी जोरों पर है।पुलिस प्रशासन ने भी ट्रैफिक और सुरक्षा के लिए विशेष तैयारियां शुरू कर दी हैं, ताकि विवाह पर्व सुरक्षित और व्यवस्थित रूप से मनाया जा सके।

खुशियों का उत्सव

देवउठनी एकादशी केवल धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह खुशियों का उत्सव है। यह दिन नए रिश्तों की शुरुआत और जीवन में नई उमंग का प्रतीक है। जैसे ही विष्णु भगवान की निद्रा समाप्त होती है, पूरे देश में मांगलिक कार्यों का शुभ समय आरंभ होता है और शहनाइयों की मधुर गूंज हर ओर प्रसन्नता का संदेश देती है। Devuthani Ekadashi
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गूगल मैप को टक्कर देगा भारत का ‘नाविक’, सरकार ला रही नया नियम

गूगल मैप को टक्कर देगा भारत का ‘नाविक’, सरकार ला रही नया नियम
locationभारत
userचेतना मंच
calendar26 Oct 2025 03:10 PM
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भारत सरकार अब एक बड़ा तकनीकी बदलाव करने जा रही है। जल्द ही देश में बनने वाले हर मोबाइल फोन में देसी नेविगेशन सिस्टम ‘नाविक’ (NaVIC) इनबिल्ट दिखाई देगा। इसका मकसद है भारतीय यूजर्स का डेटा देश के भीतर ही सुरक्षित रखना और विदेशी कंपनियों पर निर्भरता कम करना। NaVIC App सूत्रों के मुताबिक, सरकार इस दिशा में नियम बनाने पर विचार कर रही है जिसके तहत मोबाइल फोन कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके डिवाइस में ‘नाविक’ ऐप पहले से इंस्टॉल हो। यह या तो गूगल मैप के साथ एक विकल्प के रूप में उपलब्ध होगा या फिर पूरी तरह से स्वतंत्र नेविगेशन सिस्टम के रूप में काम करेगा।

क्यों जरूरी है ‘नाविक’?

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि सरकार की सबसे बड़ी चिंता है भारतीय डेटा का देश से बाहर जाना। अभी ज्यादातर ऐप्स जिनमें गूगल मैप भी शामिल है, अपने सर्वर भारत के बाहर रखते हैं। ऐसे में भारतीय नागरिकों का लोकेशन और नेविगेशन डेटा विदेशी सर्वर पर स्टोर होता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा और डेटा गोपनीयता दोनों के लिए खतरा बन सकता है। इसी वजह से सरकार चाहती है कि भारतीय तकनीक पर आधारित ऐप्स और सिस्टम्स को बढ़ावा दिया जाए। ‘नाविक’ इसी दिशा में एक अहम कदम है।

क्या है ‘नाविक’?

‘नाविक’ यानी Navigation with Indian Constellation भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित एक स्वदेशी सैटेलाइट-आधारित नेविगेशन सिस्टम है। यह अमेरिका के GPS (Global Positioning System) की तरह काम करता है और भारत के साथ-साथ इसके आसपास के 1,500 किलोमीटर क्षेत्र में बेहद सटीक लोकेशन जानकारी प्रदान करता है।

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डेटा सुरक्षा पर सरकार का फोकस

सरकार डेटा सुरक्षा को लेकर कई स्तरों पर काम कर रही है।  सभी सर्वर और चिप्स को अब भारत में निर्मित करने की दिशा में नियम बनाए जा रहे हैं। CCTV कैमरों में लगने वाले चिप्स भी भारतीय निर्माण के होंगे। सरकारी मंत्रालयों के ईमेल और डॉक्यूमेंट शेयरिंग सिस्टम को विदेशी सॉफ्टवेयर से हटाकर भारतीय कंपनी Zoho के प्लेटफॉर्म पर स्थानांतरित किया जा चुका है। इसके साथ ही हर सरकारी डेटा का सुरक्षा ऑडिट भी जारी है।

रेलवे और अन्य सेवाओं में भी होगा ‘नाविक’

‘नाविक’ को केवल मोबाइल ऐप तक सीमित नहीं रखा जाएगा। जानकारी के अनुसार, भारतीय रेलवे भी अपने नेविगेशन सिस्टम में ‘नाविक’ को जोड़ने की तैयारी में है। इसके लिए MapmyIndia (मैपल) के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) पर जल्द हस्ताक्षर हो सकते हैं। NaVIC App
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हर घर में गूंज रहे छठ पूजा के ये फेमस गीत

हर घर में गूंज रहे छठ पूजा के ये फेमस गीत
locationभारत
userचेतना मंच
calendar26 Oct 2025 01:00 PM
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आस्था और भक्ति का महापर्व छठ पूजा आज से पूरे देश में शुरू हो चुका है। बिहार से लेकर दिल्ली तक घाटों पर सूरज देव की आराधना का नजारा देखने को मिल रहा है। हर घर में पूजा की तैयारियों के साथ-साथ छठ गीतों की मधुर गूंज भी सुनाई दे रही है। दीपावली के बाद जब भक्ति की लहरें फिर उठती हैं तो हवा में बस एक ही धुन तैरती है “उग हे सूरज देव।” Chhath Puja  छठ गीतों को दिग्गज गायिकाओं ने और भी पावन बना दिया है। शारदा सिन्हा, अनुराधा पौडवाल, मालिनी अवस्थी और कल्पना पटोवर जैसी कलाकारों की आवाजें इस पर्व की पहचान बन चुकी हैं। भोर की लालिमा में जब घाटों पर महिलाएं आरती की थाल सजाती हैं, तो हर स्वर में भक्ति, श्रद्धा और संगीत का संगम झलकता है।

“हो दीनानाथ” छठ की अमर धुन

बिहार की कोकिला शारदा सिन्हा का गीत “हो दीनानाथ” जो साल 1986 में रिकॉर्ड हुआ था आज भी हर घाट और घर में गूंजता है। शारदा सिन्हा की आवाज में जब “उग हे सूरज देव” की पुकार उठती है तो श्रद्धालुओं के मन में भक्ति की लहर दौड़ जाती है। यह गीत YouTube पर 5.5 करोड़ से अधिक बार सुना जा चुका है जो इसकी लोकप्रियता का स्पष्ट प्रमाण है।

लोकगीतों में छिपी आस्था

छठ सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि एक भावनात्मक यात्रा है। सुबह की ठंडी हवा, घाटों पर जाती महिलाएं और बैकग्राउंड में बजते छठ गीत ये दृश्य हर श्रद्धालु के दिल में बस जाते हैं। अनुराधा पौडवाल का गीत “छठी मईया घर हमार” और कल्पना पटोवर का “कांच ही बांस के बहंगिया” सालों से लोकप्रिय हैं और YouTube व लोक चैनलों पर लाखों बार सुने जा चुके हैं।

छठ गीतों के बिना पर्व अधूरा

चार दिन चलने वाले इस महापर्व में हर रस्म चाहे नहाय-खाय हो या संध्या अर्घ्य गीतों के बिना अधूरी लगती है। इन गीतों में मां की ममता, सूरज देव की उपासना और जीवन के संघर्ष की मिठास झलकती है। यही कारण है कि छठ गीत सिर्फ धुन नहीं बल्कि पीढ़ियों से जुड़ी एक अमूल्य परंपरा बन गए हैं।

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भक्ति और लोक संस्कृति का संगम

छठ पूजा के गीत न केवल धार्मिक हैं बल्कि यह लोक संस्कृति का भी प्रतीक हैं। घाटों पर जब महिलाएं एक सुर में गाती हैं “उग हे सूरज देव, भइल भोर”, तो दृश्य किसी दिव्य लोक जैसा प्रतीत होता है। यही छठ पूजा की असली खूबसूरती है जहां सूरज देव को अर्घ्य देने के साथ संगीत की लहरें भी समर्पित होती हैं। आज, 25 अक्टूबर से घाटों पर भक्ति का समुंदर उमड़ा है और हर गली में यही आवाज गूंज रही है। छठ पूजा में गीतों के बिना माहौल की कल्पना करना संभव नहीं। Chhath Puja