देवउठनी एकादशी 2025:1 नवंबर से होगी विवाह सीजन की शुरुआत

देवउठनी एकादशी का इतिहास और महत्व
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु चार महीने के शयनकाल (संवत्सर की देवशयनी एकादशी से) योगनिद्रा में चले जाते हैं। इस अवधि में कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृहप्रवेश या नई शुरुआत नहीं की जाती। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु पुनः जागते हैं और इसी के साथ शुभ कार्यों की शुरुआत संभव होती है। इस दिन तुलसी विवाह का विशेष महत्व है। भगवान विष्णु और तुलसी माता का पवित्र मिलन वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों में इसे देवोत्थान एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, घरों में दीपक जलाते हैं और भजन-कीर्तन में संलग्न होते हैं।इस वर्ष के शुभ विवाह मुहूर्त
देवउठनी एकादशी के बाद नवविवाहितों के लिए कई शुभ तिथियां बन रही हैं। नवंबर 2025 में 2, 3, 8, 12, 13, 16, 17, 18, 21, 22, 23, 25 और 30 तारीखें विवाह के लिए अनुकूल मानी गई हैं। वहीं दिसंबर में 4, 5 और 6 तारीखें विशेष रूप से शुभ हैं। पंडितों के अनुसार, इस बार ग्रह-नक्षत्रों का संयोग अत्यंत शुभ है जिससे नवविवाहित जोड़ों के जीवन में स्थिरता, सौभाग्य और खुशहाली बनी रहेगी।यह भी पढ़ें: एक साथ क्यों होती है सूर्य देव-छठी मैया की पूजा? छिपा है बड़ा शास्त्रीय रहस्य
शहरों में शादी सीजन की हलचल
शहरों और कस्बों में अब विवाह सीजन की रौनक दिखाई देने लगी है। वेडिंग हॉल, कैटरर्स, बैंड-बाजा, डेकोरेटर्स और मेकअप आर्टिस्ट की बुकिंग जोर-शोर से हो रही है। शॉपिंग मार्केट्स में भीड़ उमड़ रही है और पारंपरिक परिधान, ज्वेलरी और गिफ्ट्स की खरीदारी जोरों पर है।पुलिस प्रशासन ने भी ट्रैफिक और सुरक्षा के लिए विशेष तैयारियां शुरू कर दी हैं, ताकि विवाह पर्व सुरक्षित और व्यवस्थित रूप से मनाया जा सके।खुशियों का उत्सव
देवउठनी एकादशी केवल धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह खुशियों का उत्सव है। यह दिन नए रिश्तों की शुरुआत और जीवन में नई उमंग का प्रतीक है। जैसे ही विष्णु भगवान की निद्रा समाप्त होती है, पूरे देश में मांगलिक कार्यों का शुभ समय आरंभ होता है और शहनाइयों की मधुर गूंज हर ओर प्रसन्नता का संदेश देती है। Devuthani Ekadashiअगली खबर पढ़ें
देवउठनी एकादशी का इतिहास और महत्व
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु चार महीने के शयनकाल (संवत्सर की देवशयनी एकादशी से) योगनिद्रा में चले जाते हैं। इस अवधि में कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृहप्रवेश या नई शुरुआत नहीं की जाती। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु पुनः जागते हैं और इसी के साथ शुभ कार्यों की शुरुआत संभव होती है। इस दिन तुलसी विवाह का विशेष महत्व है। भगवान विष्णु और तुलसी माता का पवित्र मिलन वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों में इसे देवोत्थान एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, घरों में दीपक जलाते हैं और भजन-कीर्तन में संलग्न होते हैं।इस वर्ष के शुभ विवाह मुहूर्त
देवउठनी एकादशी के बाद नवविवाहितों के लिए कई शुभ तिथियां बन रही हैं। नवंबर 2025 में 2, 3, 8, 12, 13, 16, 17, 18, 21, 22, 23, 25 और 30 तारीखें विवाह के लिए अनुकूल मानी गई हैं। वहीं दिसंबर में 4, 5 और 6 तारीखें विशेष रूप से शुभ हैं। पंडितों के अनुसार, इस बार ग्रह-नक्षत्रों का संयोग अत्यंत शुभ है जिससे नवविवाहित जोड़ों के जीवन में स्थिरता, सौभाग्य और खुशहाली बनी रहेगी।यह भी पढ़ें: एक साथ क्यों होती है सूर्य देव-छठी मैया की पूजा? छिपा है बड़ा शास्त्रीय रहस्य
शहरों में शादी सीजन की हलचल
शहरों और कस्बों में अब विवाह सीजन की रौनक दिखाई देने लगी है। वेडिंग हॉल, कैटरर्स, बैंड-बाजा, डेकोरेटर्स और मेकअप आर्टिस्ट की बुकिंग जोर-शोर से हो रही है। शॉपिंग मार्केट्स में भीड़ उमड़ रही है और पारंपरिक परिधान, ज्वेलरी और गिफ्ट्स की खरीदारी जोरों पर है।पुलिस प्रशासन ने भी ट्रैफिक और सुरक्षा के लिए विशेष तैयारियां शुरू कर दी हैं, ताकि विवाह पर्व सुरक्षित और व्यवस्थित रूप से मनाया जा सके।खुशियों का उत्सव
देवउठनी एकादशी केवल धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह खुशियों का उत्सव है। यह दिन नए रिश्तों की शुरुआत और जीवन में नई उमंग का प्रतीक है। जैसे ही विष्णु भगवान की निद्रा समाप्त होती है, पूरे देश में मांगलिक कार्यों का शुभ समय आरंभ होता है और शहनाइयों की मधुर गूंज हर ओर प्रसन्नता का संदेश देती है। Devuthani Ekadashiसंबंधित खबरें
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