बांके बिहारी केस में SC ने अपनाई कृष्णनीति, सरकार को दे डाली बड़ी नसीहत

बांके बिहारी केस में SC ने अपनाई कृष्णनीति, सरकार को दे डाली बड़ी नसीहत
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 04:33 AM
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उत्तर प्रदेश के वृंदावन स्थित ऐतिहासिक श्री बांके बिहारी मंदिर को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के अध्यादेश पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गहरी आपत्ति जताई। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मंदिर के प्रबंधन और इसके विकास से जुड़े मामलों में उत्तर प्रदेश सरकार ने न केवल हितधारकों को नजरअंदाज किया बल्कि अदालत की प्रक्रिया को भी दरकिनार करने की कोशिश की। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि अध्यादेश की वैधता पर जब तक हाई कोर्ट फैसला नहीं देता, तब तक मंदिर का प्रशासन एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली समिति के अधीन रहेगा। साथ ही मंदिर में पूजा-अनुष्ठान पूर्ववत् जारी रहेंगे।  Uttar Pradesh Samachar

भगवान कृष्ण थे पहले मध्यस्थ : सुप्रीम कोर्ट

कोर्ट ने यह भी कहा कि विवाद के समाधान के लिए मध्यस्थता की कोशिश की जानी चाहिए। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने टिप्पणी करते हुए कहा, "भगवान श्रीकृष्ण पहले मध्यस्थ थे, हम भी इस परंपरा का अनुसरण करें। शीर्ष अदालत ने यूपी सरकार की उस कार्रवाई की कड़ी निंदा की जिसमें उसने बिना किसी सार्वजनिक सूचना के, मंदिर से जुड़े विवाद में एकतरफा कदम उठाया। अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांगते हुए सवाल किया कि जब मंदिर के मौजूदा प्रबंधन को सुना ही नहीं गया, तो यह निर्णय किस आधार पर लिया गया?

बिना जानकारी के लिया गया निर्णय

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया कि राज्य सरकार ने 15 मई को कोर्ट से एक आदेश हासिल किया, जिसका मूल रूप से बांके बिहारी मंदिर से प्रत्यक्ष संबंध नहीं था। उन्होंने आरोप लगाया कि इस आदेश का इस्तेमाल अब एक व्यापक अध्यादेश को वैध ठहराने के लिए किया जा रहा है। दीवान ने यह भी तर्क दिया कि मंदिर एक निजी संपत्ति है और इसमें बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के सरकारी हस्तक्षेप न केवल अनुचित है, बल्कि असंवैधानिक भी है।

यह पहला अवसर नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यूपी सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। मई में हुई सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना ने भी सरकार की मंशा पर सवाल उठाया था और कहा था कि यह मामला दो निजी पक्षों के बीच का है, जिसे सरकार ने 'हाईजैक' कर लिया।

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जनहित में मध्यस्थता करें, पीठ पीछे न जाएं

अदालत ने यह भी कहा कि स्वर्ण मंदिर जैसे उदाहरणों से भी सीख ली जा सकती है, जहां बातचीत के जरिए व्यवस्थाएं बनाई गईं। पीठ ने तीखा सवाल पूछा, "क्या आपको लगता है कि अगर आप मंदिर प्रबंधन से बात करते तो वे इंकार कर देते? आप बिना सूचना के पीठ पीछे कोर्ट क्यों गए ?  सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को याद दिलाया कि विकास के नाम पर मंदिर की संपत्ति पर कोई अवैध दावा नहीं किया जा सकता। पीठ ने कहा-  मंदिर का धन मंदिर के विकास में लगे, न कि निजी हितों में। धार्मिक पर्यटन जरूरी है, पर व्यवस्था का अनुभव भी उतना ही जरूरी है ।

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट ऑर्डिनेंस, 2025 की वैधता को चुनौती दी जा सकती है, लेकिन तब तक एक संतुलित अंतरिम व्यवस्था बनाई जाएगी। इसके तहत एक रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक समिति मंदिर का प्रबंधन संभालेगी, जिसमें मुख्य हितधारकों को भी प्रतिनिधित्व मिलेगा।  Uttar Pradesh Samachar

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उत्तर प्रदेश में बाढ़ का कहर ! 21 जिले जलमग्न

उत्तर प्रदेश में बाढ़ का कहर ! 21 जिले जलमग्न
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 04:13 AM
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उत्तर प्रदेश इस समय एक गंभीर प्राकृतिक आपदा से गुजर रहा है। उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बाढ़ का पानी जिंदगी पर भारी पड़ रहा है। लगातार हो रही बारिश और नदियों के विकराल रूप ने हालात को चिंताजनक बना दिया है। हालात को काबू में लाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद मोर्चा संभाला है और हर स्तर पर राहत कार्य तेज कर दिए गए हैं।  Uttar Pradesh Samachar

राहत और बचाव कार्यों में जुटा प्रशासन

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 38,615 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है, जबकि 1.72 लाख से अधिक लोगों को राहत सहायता प्रदान की गई है। भोजन और आश्रय की व्यवस्था युद्धस्तर पर की जा रही है। NDRF की 14, SDRF की 15 और PAC की 48 टीमों समेत कुल 77 टीमें बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव कार्य में सक्रिय हैं। ज़िला प्रशासन पल-पल की निगरानी कर रहा है और ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार पेट्रोलिंग की जा रही है।

नदियों का उफान बना तबाही का कारण

जौनपुर में गोमती नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जिससे कई मंदिर जलमग्न हो गए हैं। गाजीपुर में गंगा के बढ़ते जलस्तर ने गांवों को डुबो दिया है। बांदा जिले में यमुना और केन नदी का पानी घरों में घुस गया है, जिससे लोग सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं। प्रयागराज के निचले इलाके भी बाढ़ की चपेट में हैं, जहां गंगा का उफान लगातार जारी है। बाढ़ प्रभावित 21 जिलों में कानपुर नगर, लखीमपुर खीरी, आगरा, औरैया, चित्रकूट, बलिया, बांदा, गाज़ीपुर, मीरजापुर, प्रयागराज, वाराणसी, चंदौली, जालौन, कानपुर देहात, हमीरपुर, इटावा, फतेहपुर, भदोही, फर्रुखाबाद और कासगंज प्रमुख हैं।

इन सभी इलाकों में तेज़ी से राहत शिविर बनाए गए हैं और बाढ़ पीड़ितों को भोजन, चिकित्सा और आवश्यक सुविधाएं दी जा रही हैं। बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों से 20 हज़ार से अधिक मवेशियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। अब तक 1.20 लाख से अधिक फूड पैकेट और 1.63 लाख से ज्यादा लंच पैकेट वितरित किए जा चुके हैं। साथ ही 39 से अधिक लंगर केंद्र बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए चालू किए गए हैं।

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मुख्यमंत्री ने दिए सख्त निर्देश

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी ज़िलाधिकारियों और विभागीय अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि बाढ़ पीड़ितों की हर संभव मदद प्राथमिकता के आधार पर की जाए। आपदा प्रबंधन विभाग लगातार निगरानी में जुटा हुआ है और स्थिति पर मुख्यमंत्री स्वयं नजर रखे हुए हैं।  Uttar Pradesh Samachar

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यूपी के इस शहर को मिलेगा जाम से छुटकारा : बनेंगे दो फ्लाईओवर, लाखों लोगों को राहत

यूपी के इस शहर को मिलेगा जाम से छुटकारा : बनेंगे दो फ्लाईओवर, लाखों लोगों को राहत
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 04:42 AM
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Uttar Pradesh Samachar : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने एक और शहर को महाजाम से निजात दिलाने की तैयारी कर ली है। बार-बार की ट्रैफिक समस्या से जूझ रहे इस शहर को अब जल्द ही दो नए फ्लाईओवर का तोहफा मिलने जा रहा है। करीब 113 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले ये पुल शहरवासियों के लिए राहत की सांस लेकर आएंगे। इस शहर के लोग पिछले काफी समय से जाम से जुझते रहे हैं। अब जाकर योगी सरकार ने उन्हें इससे निजात दिलाने के लिए कमर कर ली है।

बुढ़ाना रोड और धीमानपुरा बनेंगे बिना रुकावट के रास्ते

उत्तर प्रदेश के शामली जिला में मेरठ-करनाल हाईवे पर स्थित बुढ़ाना रोड और धीमानपुरा रेलवे फाटक जाम की मुख्य वजह हैं। रोजाना हजारों वाहन सुबह-शाम फाटक बंद होने के कारण घंटों फंसे रहते हैं। यही वजह है कि यहां पुल की मांग लंबे समय से उठती रही है। अब लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने इस दिशा में ठोस कदम उठाया है। विभाग ने दोनों स्थानों पर अंडरपास युक्त उपरिगामी पुल बनाने का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेज दिया है।

कितनी होगी लागत, क्या है योजना?

बुढ़ाना रोड फ्लाईओवर की अनुमानित लागत 77.12 करोड़ है। धीमानपुरा पुल की लागत 52 करोड़ है। इस तरह इसकी कुल अनुमानित लागत 130.11 करोड़ रुपये है। इन दोनों पुलों की लंबाई होगी 700 मीटर और चौड़ाई 10 मीटर होगी। इसकी निर्माण अवधि लगभग दो वर्ष रखी गई है।

2025-26 की कार्ययोजना में शामिल

पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के अनुसार, ये दोनों परियोजनाएं 2025-26 की कार्य योजना में शामिल कर शासन को भेजी जा चुकी हैं। अब बस सरकार की स्वीकृति और बजट आवंटन का इंतजार है। मंजूरी मिलते ही कार्य आरंभ कर दिया जाएगा। इन पुलों के बन जाने से न केवल ट्रैफिक समस्या खत्म होगी, बल्कि शामली के हजारों लोगों को समय की बचत, निर्बाध आवाजाही और बेहतर जीवन गुणवत्ता का लाभ मिलेगा। यह कदम न सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूती देगा, बल्कि स्थानीय व्यापार और रोजमर्रा की जिंदगी को भी आसान बनाएगा। Uttar Pradesh Samachar