कायस्थ समाज ने की भगवान श्री चित्रगुप्त व कलम दवात की पूजा

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Uttar Pradesh News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 11:04 PM
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Uttar Pradesh News ग्रेटर नोएडा : बुधवार को यमद्वितीया के दिन कायस्थ समाज के लोगों ने अपने कुलदेवता भगवान श्री चित्रगुप्त जी व कलम दवात की पूजा अर्चना माता वैष्णों देवी मंदिर नवादा निकट मिहिर भोज सिटी पार्क में की।

मंदिर के पुजारी ने विधि विधान से पूजन करवाया

मंदिर के पुजारी पंडित रामदेव शास्त्री, पंडित रवि मिश्रा,  पंडित सुभाष  ने विधि विधान से पूजा व हवन कराया। महिला मंडली द्वारा प्रस्तुत भजन कीर्तन कार्यक्रम में महिलाओं ने “जय चित्रगुप्त यमेश तव शरणागतम शरणागतम” व भगवान श्री चित्रगुप्त की स्तुति की। विनय एवं टीम ने भजन संध्या की प्रस्तुति देकर माहौल  को भक्तिमय बना दिया।

भव्य आरती व विशाल भंडारे का आयोजन किया गया

भगवान श्री चित्रगुप्त जी की भव्य आरती व विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। सभी समाज के लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। गौरतलब है कि भगवान श्री चित्रगुप्त यमराज के दरबार में सभी प्राणियों के पाप पूण्य का लेखा जोखा रखते हैं। यमद्वितीया के दिन कायस्थ समाज के लोग कलम दवात की पूजा के साथ अपने कुल देवता भगवान श्री चित्रगुप्त की पूजा अर्चना करते हैं। Uttar Pradesh News in hindi

इस मौके पर यह लोग रहे मौजूद

इस मौके पर संजय श्रीवास्त, राजेश माथुर, अनिल श्रीवास्तव, राज श्रीवास्तव, विश्वन्धु निगम , धर्मेन्द्र बच्चन, अरविंद श्रीवास्तव, एडवोकेट, शैलेन्द्र श्रीवास्तव, अरविंद श्रीवास्तव, रोहित प्रियदर्शन, राघवेंद्र श्रीवास्तव, सुधीर सक्सेना , सुजाता सिन्हा, प्रीति बच्चन, रेखा श्रीवास्तव, अनिता श्रीवास्तव, अर्चना श्रीवास्तव समस्त चित्रांश परिवार मौजूद रहे।

खाना बनाते समय फटा सिलेंडर, महिला का क्‍या हुआ हाल

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शिक्षकों के लिए बड़ी खबर.. अब मन चाहे स्कूलों में करवा सकेंगे स्थानांतरण

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Uttar Pradesh News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 02:06 AM
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Uttar Pradesh News परिषदीय विद्यालय/उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों के लिए एक नई और अच्छी खबर है। परिषदीय विद्यालयों के शिक्षक अब अपनी पसंद के स्कूलों में स्थानांतरण करवा सकेंगे । वह भी बिना किसी सिफारिश के अपनी क्षमता के आधार पर अब अपना स्थानांतरण करने का आवेदन कर सकेंगे। लेकिन आपको उसके लिए एक छोटी सी परीक्षा देनी होगी। जानिए स्कूलों में अपने मनचाहे स्तांनांतरण कराने के लिए क्या है नया तरीका।

मन चाहे स्कूलों में स्थानांतरण के लिए देना होगा कंपोजिट आधारित सीबी टेस्ट

उत्तर प्रदेश सरकार शिक्षकों के लिए यह अच्छी खबर लेकर आई है कि वह अपने मनचाहे स्कूल में अपनी योग्यता के आधार पर ट्रांसफर करवा सकते हैं। इसके लिए उन्हें किसी के सामने सिफारिश लगाने या प्रार्थना करने की जरूरत नहीं। परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को कंप्यूटर आधारित टेस्ट देकर वह अपने मनचाहे ट्रांसफर के लिए आवेदन कर सकते हैं और यही नहीं इसी टेस्ट के आधार पर अभ्युदय स्कूलों में उनका चयन भी हो सकेगा। आपकी क्षमता के आधार पर आपको स्कूलों में स्थानांतरण मिल सकेगा।

प्रदेश के सभी जिलों में किया जाएगा कंपोजिट आधारित टेस्ट सीटीबी का आयोजन

प्रदेश के सभी जिलों में सीटीबी टेस्ट का आयोजन किया जाएगा। शिक्षा निदेशक विजय करण के मुताबिक इस व्यवस्था की पूरी तैयारी कर ली गई है और अगले महीने से ही यह टेस्ट लागू करने की तैयारी चल रही है इसकी शुरुआत अभ्युदय कंपोजिट स्कूलों से की जाएगी। Uttar Pradesh News in hindi

शिक्षकों में प्रतिस्पर्धा से बढ़ेगा शिक्षा की गुणवत्ता

महानिदेशक के अनुसार ऐसे परीक्षा आयोजित करने से और उनको प्रशिक्षित करने से शिक्षकों में प्रति स्पर्धा बढ़ेगी और वह मनचाहे स्कूलों में भर्ती के लिए अपने आप को अपडेट रखेंगे और उनकी शिक्षा का स्‍तर बेहतर हो सकेगा।

हर जिले में खोले जाएंगे अभ्युदय कंपोजिट विद्यालय

शिक्षा के क्षेत्र में नए-नए आयाम जोड़े जा रहे हैं ताकि शिक्षा का स्‍तर बेहतर हो सके। सरकार सभी जिलों में एक-एक अभ्युदय कंपोजिट विद्यालय खोलने जा रही है। कंप्यूटर आधारित परीक्षा के आधार पर शिक्षक अभ्युदय कंपोजिट विद्यालय में चयन के लिए भी चुने जाएंगे और दूसरी तरफ परिषद विद्यालयों में मनचाहे स्थानांतरण करने की सुविधा भी पा सकेंगे। अंतरण प्रतिवर्ष कंपोजिट आधारित परीक्षा के आधार पर हो सकेंगे। इस परीक्षा के तहत बेसिक शिक्षा विद्यालय स्तर पर शिक्षकों का कौशल बढ़ाने के लिए उन्हें प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। प्रस्तुति मीना कौशिक

खाना बनाते समय फटा सिलेंडर, महिला का क्‍या हुआ हाल

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बुलंदशहर के शाहजहाँ फैजुल क़ादरी ने पत्नी की याद में बनवा दिया ताजमहल

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Taj Mahal of Bulandshahr
locationभारत
userचेतना मंच
calendar15 Nov 2023 11:45 PM
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Taj Mahal of Bulandshahr आपने आगरा का ताजमहल तो देखा ही होगा, लेकिन आगरा के ताजमहल की तरह बुलंदशहर में भी ताजमहल है। आज हम इस कहानी को आपको इसलिए बता रहे हैं क्योंकि नवंबर के महीने में साल 2018 में इस ताजमहल को बनाने वाले शाहजहाँ कि एक्सीडेंट के बाद मौत हो गई। इसके बाद से ही ताज महल वीरान पड़ा है और इसका काम भी रुक गया है। ये ताजमहल आगरा वाले ताजमहल जितना ख़ूबसूरत बेशक़ न हो लेकिन प्रेम उतना ही मौजूद है इस बुलंदशहर के ताजमहल में।

पत्नी की मोहब्बत में बना दिया ताज महल

बुलंदशहर ज़िले के डिबाई तहसील के गाँव सेराकला में भी एक ताज महल मौजूद है। ये आगरा जितना ख़ूबसूरत तो नहीं लेकिन प्रेम, मोहब्बत की गवाही देता है। यह इमारत पूरी नहीं हो पाई लेकिन जब तक इसे बनाने वाले फैजुल क़ादरी ज़िंदा थे उन्होंने अपनी पाई पाई इसमें लगा दी। इस पूरी कहानी की शुरुआत साल 2011 में हुई। साल 2011 में इलाक़े के रहने वाले क़ादरी साहब की पत्नी का इंतकाल हो गया। फैजुल क़ादरी पोस्ट ऑफ़िस के पूर्व कर्मचारी थे। उन्होंने अपनी पत्नी के इंतकाल के बाद अपनी पत्नी की याद में ताजमहल की तर्ज़ पर मक़बरा बनवाने की ठानी। इसके लिए वह कुछ मज़दूरों को आगरा के ताजमहल का दौरा भी करा कर लाए। क़ादरी साहब ने अपनी पेंशन और अपनी ज़मीन के टुकड़े को बेच कर इस ताजमहल के निर्माण को शुरू कराया। धीरे धीरे काम आगे बढ़ा और ताज महल बनकर तैयार हो गया। धीरे धीरे ये कहानी ना सिर्फ़ शहर बल्कि दूर दराज़ इलाकों तक भी पहुँच गई कि कैसे क़ादरी साहब अपनी बेग़म की याद में ताजमहल का निर्माण करा रहे, लेकिन नियति को कुछ और ही मंज़ूर था। 2018 का साल आया और क़ादरी साहब का देहांत हो गया। Taj Mahal of Bulandshahr news in hindi

तमन्‍ना अधूरी ही रह गई

नियति के आगे किसी की नहीं चलती है। और कादरी साहब भी नियति के शिकार हो गए। दरअसल उन्हें एक बाइक सवार ने टक्कर मार दी। उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन वह बच नहीं सके। नवंबर 2018 में उनका निधन हुआ। तबसे ताजमहल ऐसी स्थिति में है। जब क़ादरी जीवित थे उस वक़्त के लोग बताते हैं कि वह अक्सर इस ताजमहल के पास आकर अपना पूरा पूरा दिन बिताया करते थे। क़ादरी साहब की दरियादिली इतनी थी के अपनी पत्नी के मक़बरे के नज़दीक एक राजकीय बालिका इंटर कॉलेज है, जिसकी ज़मीन क़ादरी साहब ने सरकार को दी ताकि इस कॉलेज का निर्माण हो सके। इसके पीछे सोच ये थी के गाँव की बच्चियां दूर दराज़ इलाक़े में पढ़ने जाती हैं उनकी सुरक्षा और सम्मान के लिए इस कॉलेज के निर्माण की पहल की गई।

आख़िरी वक़्त में सिर्फ़ ताजमहल के लिए सोचते थे

क़ादरी साहब के परिवार वालों का कहना है कि वह अपने आख़िरी समय में भी ताजमहल के बारे में ही सोचते रहे। नवंबर 2018 में भी जिस दिन उनका देहांत हुआ उस दिन वे अपने ताजमहल के लिए पत्थर लेने जा रहे थे लेकिन उनका एक्सीडेंट हो गया जिस कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया और क़ादरी साहब ने दम तोड़ दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ जब शुरुआती दौर में क़ादरी साहब इस मक़बरे को बनवा रहे थे तो लोग उनके ऊपर तरह तरह के क़सीदे किया करते थे लेकिन वो अपने काम पर अटल रहे। आज यह ताज महल बनकर तैयार है जिसे उनके प्रेम के प्रतीक के तौर पर याद किया जाता है।

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