‘हिम्मत होती तो न्याय दिलाते’ पूजा पाल का नाम ले योगी ने सपा को घेरा

योगी ने दावा किया कि 2017 के बाद उनकी सरकार ने उत्तर प्रदेश में संगठित अपराध और माफिया नेटवर्क के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के तहत अभियान तेज किया, साथ ही पुराने लंबित मामलों की सुनवाई और कार्रवाई को भी रफ्तार दी गई।

विधानसभा में योगी का वार
विधानसभा में योगी का वार: पूजा पाल के नाम पर सपा घिरी
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar25 Dec 2025 01:14 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी को कठघरे में खड़ा करते हुए तीखे शब्दों में हमला बोला। सदन में सपा विधायक पूजा पाल का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि “न्याय का मतलब क्या होता है, यह मामला सबके सामने है पूजा पाल आपकी ही पार्टी से चुनकर आईं, फिर भी आप उन्हें न्याय नहीं दिला सके। वजह साफ थी हिम्मत नहीं थी और माफिया के आगे झुकना आपकी मजबूरी बन गया था।” मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता महिलाओं-बेटियों की सुरक्षा और हर नागरिक को भरोसे का माहौल देना है। उन्होंने दो टूक कहा कि “बेटी किसी भी पक्ष की हो, उसके साथ अन्याय नहीं होगा न्याय हर हाल में मिलेगा,” और दावा किया कि उनकी सरकार ने कानून-व्यवस्था पर ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाते हुए सख्त कार्रवाई और स्पष्ट प्रशासनिक दिशा के जरिए प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया है।

कौन हैं पूजा पाल, जिनका जिक्र सदन में उठा?

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज की राजनीति में पूजा पाल लंबे समय से एक चर्चित चेहरा रही हैं। उनके पति राजू पाल जो बसपा विधायक थे की 2005 में हुई हत्या ने उत्तर प्रदेश की सियासत और कानून-व्यवस्था पर वर्षों तक सवाल खड़े किए। इस मामले में माफिया अतीक अहमद और उसके नेटवर्क पर गंभीर आरोप लगते रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में इसी संदर्भ को उठाते हुए सपा शासनकाल की कार्रवाई और कथित संरक्षण पर निशाना साधा और कहा कि जिस दौर में यह वारदात हुई, तब प्रदेश में सपा की सरकार थी, लेकिन पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाने के लिए वैसी सख्ती नहीं दिखी जैसी दिखनी चाहिए थी। उन्होंने आरोप लगाया कि तब अपराधियों पर शिकंजा ढीला रहा और ‘गुंडे-माफिया’ व्यवस्था पर हावी होते गए। योगी ने दावा किया कि 2017 के बाद उनकी सरकार ने उत्तर प्रदेश में संगठित अपराध और माफिया नेटवर्क के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के तहत अभियान तेज किया, साथ ही पुराने लंबित मामलों की सुनवाई और कार्रवाई को भी रफ्तार दी गई।

उमेश पाल हत्याकांड और घटनाक्रम

इसी सिलसिले में बहस के दौरान 2023 में राजू पाल हत्याकांड के प्रमुख गवाह उमेश पाल की हत्या का संदर्भ भी सामने आया। सरकार का कहना है कि इस वारदात में भी उसी आपराधिक नेटवर्क के तार जुड़े मिले, जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सार्वजनिक मंचों से माफिया के खिलाफ ‘कठोरतम कार्रवाई’ का संदेश दोहराया था। आगे घटनाक्रम तेजी से बदला पुलिस कार्रवाई में अतीक अहमद के बेटे असद अहमद के झांसी में मारे जाने की घटना हुई, और फिर 15 अप्रैल 2023 को प्रयागराज में पुलिस कस्टडी के दौरान अतीक अहमद तथा उसके भाई की हत्या ने पूरे उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था और सुरक्षा व्यवस्था पर देशभर की नजरें टिकाकर रख दीं। इन घटनाओं की गूंज यूपी की राजनीति से निकलकर राष्ट्रीय बहस का हिस्सा बन गई।

पूजा पाल की प्रतिक्रिया और सपा का फैसला

अतीक अहमद और उसके भाई की मौत के बाद सियासी हलकों में हलचल तब और तेज हो गई, जब पूजा पाल का एक बयान और उनकी मुख्यमंत्री से मुलाकात चर्चा का केंद्र बनी। पूजा पाल ने सार्वजनिक रूप से कहा कि “इस सरकार में मुझे न्याय मिला है,” जिसे उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़े संकेत के तौर पर देखा गया। इस बयान के बाद राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ीं और समाजवादी पार्टी ने कड़ा रुख अपनाते हुए उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया। इस पूरे घटनाक्रम ने यूपी की सियासत में कानून-व्यवस्था, न्याय और राजनीतिक जवाबदेही को लेकर नई बहस छेड़ दी।

योगी का अंतिम संदेश

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सदन में पूर्ववर्ती सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि उस दौर में उत्तर प्रदेश में व्यापारी वर्ग से लेकर महिलाएं-बेटियां तक खुद को असुरक्षित महसूस करती थीं। उन्होंने दावा किया कि उनकी सरकार ने कानून-व्यवस्था को सिर्फ नारा नहीं, प्राथमिक एजेंडा बनाया और प्रशासन को ‘सख्ती के साथ जवाबदेही’ की दिशा में आगे बढ़ाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि “जनता ने फर्क देखा है इसीलिए समर्थन मिला, और आगे भी मिलता रहेगा,” तथा यह भी जोड़ा कि सुरक्षा का भरोसा कायम करना ही प्रदेश में विकास और सामाजिक स्थिरता की सबसे मजबूत बुनियाद है। UP News

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सीएम योगी की सुरक्षा पर सख्ती: हर जिले में बनेगी समर्पित ट्रेनिंग टीम

नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी होगी कि कार्यक्रम से पहले रूट और स्थल का आकलन, कार्यक्रम के दौरान तैनाती और समन्वय, और कार्यक्रम के बाद भीड़ व यातायात की सुरक्षित निकासी तक हर स्तर पर निगरानी रखे ताकि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री की सुरक्षा व्यवस्था एक ही मानक पर, एक ही सख्ती के साथ लागू हो सके।

सीएम योगी की सुरक्षा पर सख्ती
सीएम योगी की सुरक्षा पर सख्ती
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar25 Dec 2025 12:50 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में सामने आई हालिया सुरक्षा चूक के बाद उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सुरक्षा को लेकर पुलिस मुख्यालय ने सख्ती का बड़ा कदम उठाया है। प्रदेशभर में अब नई, कड़ी और एकरूप (स्टैंडर्ड) सुरक्षा व्यवस्था लागू करने का निर्णय लिया गया है। इस संबंध में मुख्यालय ने सभी जिलों के एसएसपी और एसपी को पत्र भेजकर साफ निर्देश दिए हैं कि मुख्यमंत्री के दौरे, जनसभाओं, कार्यक्रमों और आवागमन के दौरान सामान्य सुरक्षा घेरे के साथ-साथ विशेष रूप से प्रशिक्षित, समर्पित टीम की तैनाती हर हाल में सुनिश्चित की जाए। संकेत साफ हैं उत्तर प्रदेश में अब वीआईपी सुरक्षा को लेकर ‘जीरो-लैप्स’ नीति पर अमल होगा और कहीं भी छोटी-सी चूक पर भी जवाबदेही तय की जाएगी।

हर जिले में ‘सीएम सिक्योरिटी’ की 10 सदस्यीय स्पेशल टीम

नई व्यवस्था के तहत उत्तर प्रदेश के हर जिले में मुख्यमंत्री की सुरक्षा के लिए 10 सदस्यीय स्पेशल टीम बनाई जाएगी, जो सिर्फ वीआईपी मूवमेंट और कार्यक्रमों की सुरक्षा पर फोकस करेगी। इस टीम में एक सीओ, एक इंस्पेक्टर, दो सब-इंस्पेक्टर समेत चयनित पुलिसकर्मी शामिल होंगे। अधिकारियों का कहना है कि टीम को इस तरह तैयार रखा जाएगा कि किसी भी संदिग्ध स्थिति, भीड़ के दबाव या आपात घटना पर तुरंत और निर्णायक कार्रवाई हो सके और सुरक्षा प्रोटोकॉल में जरा-सी भी ढिलाई अब स्वीकार नहीं होगी। इसके साथ ही, हर जिले में एक सीओ को “मुख्यमंत्री सुरक्षा” का नोडल अधिकारी नामित किया जाएगा, जो पूरे सुरक्षा तंत्र की कमान संभालेगा। नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी होगी कि कार्यक्रम से पहले रूट और स्थल का आकलन, कार्यक्रम के दौरान तैनाती और समन्वय, और कार्यक्रम के बाद भीड़ व यातायात की सुरक्षित निकासी तक हर स्तर पर निगरानी रखे ताकि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री की सुरक्षा व्यवस्था एक ही मानक पर, एक ही सख्ती के साथ लागू हो सके।

‘प्रो-लेवल’ ट्रेनिंग: तैनाती से पहले पूरी तैयारी

पुलिस मुख्यालय ने साफ कर दिया है कि उत्तर प्रदेश में गठित होने वाली इस विशेष सुरक्षा टीम को केवल तैनात नहीं किया जाएगा, बल्कि उसे विशेष प्रशिक्षण देकर ‘प्रो-लेवल’ तैयार किया जाएगा। ट्रेनिंग मॉड्यूल में वीआईपी सुरक्षा की बारीकियाँ, भीड़ नियंत्रण की रणनीति, खतरे के संकेतों की पहचान, रूट सेफ्टी, त्वरित प्रतिक्रिया (क्विक रिस्पॉन्स) और आधुनिक सुरक्षा तकनीकों का अभ्यास शामिल होगा। मुख्यालय का आकलन है कि जब टीम समर्पित भी होगी और प्रशिक्षित भी, तो वीआईपी मूवमेंट के दौरान होने वाली छोटी-सी चूक भी समय रहते पकड़ी जा सकेगी और सुरक्षा व्यवस्था रिएक्टिव नहीं, प्री-एम्प्टिव तरीके से काम करेगी।

सुरक्षा में चूक हुई तो जिम्मेदारी तय

सूत्रों के अनुसार, गोरखपुर में हाल के दिनों में सामने आए सुरक्षा प्रकरणों को गंभीर चेतावनी मानते हुए यह फैसला लिया गया है। उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय ने खासतौर पर मुख्यमंत्री के गृह जनपद गोरखपुर समेत संवेदनशील जिलों में इस नई व्यवस्था को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए हैं। अधिकारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री के किसी भी दौरे से पहले स्पेशल टीम फुल अलर्ट मोड में सक्रिय कर दी जाएगी और कार्यक्रम के समापन तक तैनाती एक पल के लिए भी ढीली नहीं होगी। इसके साथ ही, खुफिया इनपुट के आधार पर टीम को मौके के हिसाब से अतिरिक्त दिशा-निर्देश दिए जाएंगे, ताकि संभावित जोखिम को पहले ही भांपकर रोका जा सके। मुख्यालय ने दो टूक कहा है कि सुरक्षा में जरा-सी भी लापरवाही या चूक सामने आने पर सीधे जिम्मेदारी तय होगी और संबंधित अफसरों पर कार्रवाई की जाएगी। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक, कई जिलों में टीम गठन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जबकि कुछ जगहों पर इसे अंतिम रूप देकर जल्द ही मैदान में उतारने की तैयारी है।

गोरखपुर में सामने आए हालिया सुरक्षा प्रकरण

उत्तर प्रदेश में हालिया घटनाओं ने मुख्यमंत्री की सुरक्षा व्यवस्था पर प्रशासन का फोकस और तेज कर दिया है। 4 दिसंबर को मुख्यमंत्री एक कार्यक्रम से लौट रहे थे, तभी असुरन के पास उनके काफिले के आगे एक प्राइवेट बस आ जाने से सुरक्षा प्रोटोकॉल पर सवाल उठे जिसके बाद संबंधित थानेदार और चौकी इंचार्ज को हटाया गया। वहीं 20 दिसंबर को गोरखनाथ क्षेत्र में नए पुल के लोकार्पण के दौरान कार्यक्रम स्थल के पास गाय के पहुंचने की घटना सामने आई, जिस पर नगर निगम के एक सुपरवाइजर को निलंबित किया गया। इन दोनों प्रकरणों को पुलिस मुख्यालय ने चेतावनी नहीं, सबक की तरह लिया है। संकेत साफ है कि अब मुख्यमंत्री की सुरक्षा में “जीरो-एरर” नीति के तहत काम होगा और सुरक्षा प्रबंधों को जिलेवार अलग-अलग अंदाज में नहीं, बल्कि एक समान, पेशेवर और प्रशिक्षण-आधारित ढांचे में ढालकर हर स्तर पर जवाबदेही तय की जाएगी। UP News

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उत्तर प्रदेश में पीएम आवास योजना में गड़बड़ी, CAG ने उठाए गंभीर सवाल

सीएजी ने इसे डेटा की अशुद्धि या आंकड़ों में गड़बड़ी की ओर संकेत माना है। दिलचस्प यह भी कि ग्राम्य विकास विभाग ने अक्टूबर 2023 में स्वीकार किया था कि कई पात्र लाभार्थी गलती से स्थायी प्रतीक्षा सूची से बाहर हो गए थे।

उत्तर प्रदेश में PMAY-G पर CAG का बड़ा खुलासा
उत्तर प्रदेश में PMAY-G पर CAG का बड़ा खुलासा
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar25 Dec 2025 10:06 AM
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UP News : उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के क्रियान्वयन को लेकर सीएजी (CAG) की ताजा रिपोर्ट ने सिस्टम पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में योजना का लाभ सैकड़ों अपात्र लोगों तक पहुंच गया और मकान निर्माण के नाम पर करोड़ों रुपये जारी कर दिए गए। मामला यहीं नहीं रुका साइबर धोखाधड़ी के चलते 159 लाभार्थियों की 86.20 लाख रुपये की राशि उनके खातों में पहुंचने से पहले ही दूसरे बैंक खातों में ट्रांसफर होने की बात सामने आई है। विधानमंडल में बुधवार को पेश इस रिपोर्ट ने संकेत दिए हैं कि पात्रता जांच, सत्यापन और भुगतान सुरक्षा तीनों स्तरों पर उत्तर प्रदेश में निगरानी व्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत है।

2016-17 से 2022-23 तक का ऑडिट

सीएजी (CAG) की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के तहत कच्चे या जर्जर मकान में रहने वाले परिवारों को अपनी जमीन पर पक्का घर बनाने के लिए 1.20 लाख रुपये की सहायता तीन किस्तों में दी जाती है। रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2016-17 से 2022-23 के बीच उत्तर प्रदेश में 34.71 लाख आवास स्वीकृत किए गए, जिनमें से 34.18 लाख (98.48%) का निर्माण मार्च 2024 तक पूरा होना दर्शाया गया है। हालांकि, आंकड़ों की इस चमक के बीच लाभार्थी सूची को लेकर सीएजी ने गंभीर सवाल उठाए हैं। जांच में दर्ज है कि मई 2016 में 14.47 लाख लाभार्थियों की अंतिम सूची प्रकाशित हुई थी। इसके बाद केंद्र की सलाह पर दोबारा सर्वे कराया गया और आवास प्लस सर्वे के आधार पर मार्च 2024 तक पात्र परिवारों की संख्या 33.64 लाख तक पहुंच गई। लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक, इस बढ़ी हुई संख्या में से केवल 22.29 लाख परिवारों को ही सूची में अतिरिक्त रूप से शामिल किया गया, जबकि एक बड़ा हिस्सा स्थायी प्रतीक्षा सूची से बाहर रह गया। सीएजी ने इसे डेटा की अशुद्धि या आंकड़ों में गड़बड़ी की ओर संकेत माना है। दिलचस्प यह भी कि ग्राम्य विकास विभाग ने अक्टूबर 2023 में स्वीकार किया था कि कई पात्र लाभार्थी गलती से स्थायी प्रतीक्षा सूची से बाहर हो गए थे।

किस्तों की धीमी रफ्तार ने बढ़ाई ग्रामीण आवास योजना की चिंता

सीएजी (CAG) की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश सरकार ने 2017 से 2023 के बीच प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण पर कुल 40,231 करोड़ रुपये खर्च किए। इसमें 37,984 करोड़ रुपये सीधे मकान निर्माण पर और 157 करोड़ रुपये प्रशासनिक मद में व्यय होना दर्शाया गया है। रिपोर्ट ने यह भी रेखांकित किया कि प्रशासनिक मद में अपेक्षाकृत कम खर्च के चलते यूपी को केंद्र से 357 करोड़ रुपये कम प्राप्त हुए, जिससे योजना की संचालन-क्षमता पर असर पड़ने की आशंका जताई गई है। ऑडिट में भुगतान प्रक्रिया को लेकर भी गंभीर खामियां सामने आईं। रिपोर्ट के अनुसार, 79% लाभार्थियों को पहली किस्त जारी करने में 7 कार्य दिवस से अधिक की देरी हुई। वहीं अगस्त 2024 तक 11,031 लाभार्थियों के मामलों में 20.18 करोड़ रुपये की सहायता राशि जारी नहीं होने पर सीएजी ने आपत्ति दर्ज की है। यानी, जिनके लिए घर “सपने” की तरह था, उनके लिए किस्तों की देरी और अटकी रकम योजना की रफ्तार पर बड़ा सवाल बनकर खड़ी हो गई है।

साइबर ठगी का बड़ा केस

रिपोर्ट में एक और चौंकाने वाली चूक उजागर हुई है। सीएजी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में 159 लाभार्थियों की कुल 86.20 लाख रुपये की सहायता राशि साइबर धोखाधड़ी के कारण उनके खातों में पहुंचने के बजाय दूसरे बैंक खातों में ट्रांसफर हो गई। यह मामला सिर्फ ठगी का नहीं, बल्कि संकेत है कि योजना से जुड़े भुगतान तंत्र, बैंकिंग सत्यापन और डेटा-सुरक्षा की परतों में कहीं न कहीं बड़ी कमजोरी मौजूद है। ऐसे में जरूरत है कि यूपी में लाभार्थी सत्यापन से लेकर डिजिटल ट्रांजैक्शन तक, हर चरण पर कड़ी निगरानी और तकनीकी सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए ताकि “घर की पहली ईंट” रखने से पहले ही किस्तें लीक न हों।

यूपी के अन्य विभाग भी CAG की रडार पर

सीएजी (CAG) की रिपोर्ट ने उत्तर प्रदेश के कई विभागों के वित्तीय अनुशासन और बजट प्रबंधन पर भी तीखे सवाल खड़े किए हैं। समाज कल्याण विभाग के मामले में रिपोर्ट कहती है कि मूल बजट से 342 करोड़ रुपये बचने के बावजूद वित्त विभाग को सिर्फ 40 करोड़ ही लौटाए गए, जबकि शेष करीब 302 करोड़ रुपये का स्पष्ट हिसाब सामने नहीं आ सका। इतना ही नहीं, 115 करोड़ रुपये का अनुपूरक अनुदान भी रिपोर्ट के मुताबिक अनावश्यक साबित हुआ। वहीं कुछ योजनाओं में केंद्रांश समय पर न मिलने के कारण करीब 19 करोड़ रुपये वापस करने की नौबत आ गई यानी पैसा उपलब्ध होने और सही समय पर मिलने के बीच समन्वय की कमी उजागर हुई है। रिपोर्ट में उच्च शिक्षा और आबकारी विभाग भी सीएजी की आपत्ति के दायरे में आए हैं। उच्च शिक्षा विभाग में 957 करोड़ रुपये की बचत के बावजूद राशि वापस न करने पर सवाल उठे हैं, साथ ही 3.92 करोड़ का अनुपूरक अनुदान भी “फिजूल” बताया गया है। इसी तरह, आबकारी विभाग में 195 करोड़ रुपये बचने के बावजूद कोई रकम लौटाई नहीं गई और ऊपर से 50 करोड़ का अनुपूरक अनुदान भी अनावश्यक माना गया। वहीं व्यावसायिक शिक्षा विभाग की तस्वीर भी चिंताजनक बताई गई है रिपोर्ट के अनुसार मूल बजट की 402.24 करोड़ रुपये की राशि वित्त विभाग को लौटाई नहीं गई, इसके बावजूद जुलाई 2024 में 300 करोड़ का अनुपूरक अनुदान लेना भी औचित्यहीन ठहराया गया। सीएजी ने यह भी संकेत दिया कि कई योजनाओं में खर्च की रफ्तार बेहद धीमी रही—जैसे दस्तकार प्रशिक्षण योजना, मेगा राजकीय ITI और मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना में बजट उपयोग का स्तर काफी कम दर्शाया गया। कुल मिलाकर, रिपोर्ट ने उत्तर प्रदेश में बजट “बचत” और “अनुदान” के बीच चल रही गणना की गड़बड़ी पर स्पष्ट सवालिया निशान लगा दिया है।

वितरण कंपनियों की वित्तीय कमजोरी पर उठे सवाल

सीएजी (CAG) की रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश की बिजली से जुड़ी प्रमुख योजनाओं दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना और सौभाग्य योजना के प्रबंधन पर भी सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्तीय प्रबंधन की कमजोरियों के चलते बिजली वितरण कंपनियां 20,026.61 करोड़ रुपये के ऋण को अनुदान में परिवर्तित नहीं कर सकीं, जिससे योजनाओं के वित्तीय संतुलन पर दबाव बढ़ा। सीएजी ने टैक्स क्लेम की प्रक्रिया में भी खामियां गिनाईं। जीएसटी/राज्य कर दावों में त्रुटियों के कारण 2.90 करोड़ रुपये से अधिक की जीएसटी प्रतिपूर्ति और 4.21 करोड़ रुपये की बकाया प्रतिपूर्ति हासिल नहीं हो सकी। वहीं, लागू ब्याज दरों के सत्यापन में कमी के चलते आरईसी (REC) ऋणों पर 7.19 करोड़ रुपये का अधिक ब्याज भुगतान दर्ज किया गया है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि कुछ मामलों में गलत जीएसटी लगाना, जरूरत से ज्यादा ऋण लेना, और परियोजनाओं के क्रियान्वयन में 29 से 49 महीने तक की देरी जैसे मुद्दे सामने आए। कुल मिलाकर, सीएजी की टिप्पणी यह संकेत देती है कि उत्तर प्रदेश में “घर-घर बिजली” के लक्ष्य से जुड़ी योजनाओं में कागजी दावों के साथ-साथ वित्तीय अनुशासन और निगरानी तंत्र को भी मजबूत करने की जरूरत है।

लेखापरीक्षा के बाद वसूली

सीएजी (CAG) की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में विद्युत सुरक्षा निरीक्षण शुल्क को लेकर लेखापरीक्षा में खामियां पकड़े जाने के बाद दो बिजली वितरण कंपनियों ने 5.97 करोड़ रुपये की वसूली जरूर कर ली। लेकिन रिपोर्ट ने यह भी साफ किया है कि सुधार की यह कार्रवाई अधूरी रही क्योंकि कुछ मदों में अतिरिक्त भुगतान की स्थिति अब भी बनी हुई है। यानी ऑडिट की आपत्ति सामने आने पर रकम वापस लेने की पहल तो हुई, पर भुगतान प्रक्रिया की निगरानी और शुल्क निर्धारण की पारदर्शिता पर सवाल अभी भी कायम हैं। UP News

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