Saturday, 18 May 2024

उत्तर प्रदेश की इस पहलवान महिला से थर्र-थर्र कांपते बड़े-बड़े पुरुष पहलवान

Hamida Banu : कहते हैं “अगर किसी चीज को शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात तुम्हें उससे मिलाने में लग…

उत्तर प्रदेश की इस पहलवान महिला से थर्र-थर्र कांपते बड़े-बड़े पुरुष पहलवान

Hamida Banu : कहते हैं “अगर किसी चीज को शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात तुम्हें उससे मिलाने में लग जाती है।” भारत देश के हर शहर की एक अलग ही कहानी है। कोई अपने अलग अंदाज से लोगों के दिल में छाप छोड़ जाता है तो कोई अपनी कड़ी मेहनत से लोगों को प्रेरित कर जाता है। भारत देश से ऐसी कई महिलाएं निकली जो लाख कठिनाइयों के बाद भी हार ना मानकर पूरी दुनिया में अपने नाम का चमक बिखेर एक सितारा बन गई। इन्हीं महिलाओं से एक है उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले की रेसलर हमीदा बानो (Hamida Banu)। 1940 से 1950 के दशक में पुरुषों को मात देने वाली हमीदा बानो ने पहलवानी में खूब नाम कमाया था। ये वो दौर था जब उत्तर प्रदेश की हमीदा बानो पुरुषों को ओपन चैलेंज देती थी।

Hamida Banu

उत्तर प्रदेश की पहली महिला रेसलर हमीदा बानो (Wrestler Hamida Banu) को याद करने के लिए गूगल ने डूडल का सहारा लिया और उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में जन्मी ऐसी खतरनाक महिला की याद दिलाई जो किसी भी पुरुष से कुश्ती में नहीं हारी। 1940 से 1950 के दौर में हमीदा बानो का नाम सुनते ही पुरुषों के पसीने छूटने लगते थे। जब उत्तर प्रदेश की हमीदा बानो आखड़े में उतरती थी तो कोई पुरूष उनके सामने नहीं टिक पाता था। हमीदा बानो ने अपनी मेहनत और लगन से लोगों के दिल में एक अलग ही छाप छोड़ी है जिसे भुला पाना सचमुच नामुमकिन है।

 

शादी के लिए रखे थी धाकड़ शर्त

उत्तर प्रदेश की हमीदा बानो (Hamida Banu) ने बचपन से ही कुश्ती में अपनी दिलचस्पी रखी थी, लेकिन बदलते वक्त के साथ जब हमीदा बानो ने अपने घरवालों से अपनी दिलचस्पी की बात की तो उनके घरवालों ने उन्हें खूब खरी-खोटी सुनाई। जिसके बाद Hamida Banu ने बगावत कर मिर्जापुर से अलीगढ़ की ओर अपना रुख मोड़ा और अलीगढ़ में सलाम पहलवान से कुश्ती के दांव-पेंच सीखकर मुकाबले में उतरने लगी। साल 1954 ने दस्तक दे दी थी और ये वो दौर था जब उत्तर प्रदेश की हमीदा बानो ने भरी महफिल में इस बात का ऐलान किया, कि हमीदा उस पुरुष से शादी कर लेंगी जो उन्हें कुश्ती में हराएगा। हमीदा बानो का ऐलान सुनकर लोग दंग रह गए थे और तमाम पुरुष पहलवान कड़ी मेहनत करने में जुट चुके थे। लेकिन हमीदा बानो के धाकड़ शर्त को कोई मर्द पूरा ना कर सका। वहीं अपने इस ऐलान के बाद से हमीदा बानो दुनियाभर में मशहूर हो गई थी।

तगड़ी थी Hamida Banu की डाइट

उत्तर प्रदेश की हमीदा बानो भारत की ऐसी पहली महिला रेसलर थी जिन्होंने कई बड़े-बड़े पहलवानों को धूल चटाया था। रिपोर्ट के अनुसार हमीदा बानो की डाइट काफी तगड़ी थी। हमीदा रोजाना 6 लीटर दूध, सवा दो लीटर फलों का जूस, एक किलो मटन, 450 ग्राम मक्खन, 6 अंडे, लगभग एक किलो बादाम, 2 बड़ी रोटियां और 2 प्लेट बिरयानी खाती थीं। दिन के 24 घंटों में वह 9 घंटे सोती थीं और 6 घंटे एक्सरसाइज किया करती थीं। उन दिनों हमीदा की तुलना अमेरिका की मशहूर पहलवान अमेजॉन से हुई थी जिसके बाद उन्हें ‘अलीगढ़ की अमेजॉन’ के नाम से पुकारा जाने लगा।

Hamida Banu की मौत

उत्तर प्रदेश की हमीदा बानो ने साल 1954 रूस की पहलवान वेरा चिस्टिलीन (रूस की फीमेल बियर) को एक मिनट के अंदर ही हरा दिया था। वेरा चिस्टिलीन को हराने के बाद Hamida Banu ने भारत से बाहर यूरोप जाकर कुश्ती लड़ने का ऐलान किया। हमीदा का ये प्लान उनके कोच सलाम पहलवान को बिल्कुल भी पसंद नहीं आया। जिसके बाद उन्होंने हमीदा की पिटाई करके उनके हाथ-पैर तोड़ दिए। कई सालों तक हमीदा लाठी के सहारे चलती रही, लेकिन एक दिन Hamida Banu ने कुश्ती छोड़ने का फैसला लेते हुए कुश्ती को हमेशा के लिए अलविदा कहकर एक गुमनाम जिंदगी जीने लगी। आर्थिक तंगी के चलते हमीदा बानो सड़क किनारे खाने का सामान बेचने लगी थी। साल 1986 में उत्तर प्रदेश की Hamida Banu की गुमनामी में मौत हो गई।

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