Jyoti Maurya: पिछले कुछ दिनों से Jyoti Maurya और आलोक मौर्या देश भर में चर्चा का विषय बने हुए हैं। इनकी कहानी को लोग चटकारे लेकर पढ़ रहे हैं। उस पर तरह-तरह के कमेंट कर रहे हैं। इस घटना को कई लोगों ने अपने मनोरंजन का विषय बना रहे हैं। लेकिन समस्या ये है कि इस पर संजीदगी से विचार करने वालों की कमी है। बात यहीं खत्म नहीं होती, दुर्भाग्य ये है कि एक ज्योति मौर्या के कारण ये लोग उन सभी विवाहित स्त्रियों को इसमें लपेट रहे हैं, जिन्होंने शादी के बाद भी पढ़ने की और जीवन में कुछ करने की अपनी इच्छा को जीवित रखा है, उसे मरने नहीं दिया है। वो अपने लिए, अपने परिवार के लिए और देश के लिए कुछ करना चाहती हैं।
Jyoti Maurya: क्या एक ज्योति मौर्या के लिए, सारी महिलाओं को दोषी ठहराना सही है?
ज्योति मौर्या केस के बाद इनमें से काफी सारी महिलाओं के सामने एक विकट स्थिति उत्पन्न हुई थी, इनमें से कई के परिवार के मन में जो सन्देह उपजा, उसमें इन लोगों की टीका टिप्पणी ने आग में घी डालने का काम किया है। इसलिए ये विचारणीय प्रश्न है कि क्या एक घटना के कारण सारी महिलाओं को सन्देह की दृष्टि से देखना उचित है? ये सोच रखना कि सारी महिलाएं ही ऐसा करेंगी, कहाँ तक सही है?
औरतों की पढ़ाई रुकी ,इस बात में कितनी सच्चाई
Jyoti Maurya-आलोक मौर्या केस में दोनों ही पक्षों ने अपने-अपने तर्क दिए हैं। दोनों ही पक्ष खुद को सही और दूसरे को दोषी ठहरा रहे हैं। दोनों में से कौन सही है? ये तो वक्त बताएगा। फिर भी मान लिया जाए कि ज्योति मौर्या दोषी हैं, तो भी क्या एक ज्योति मौर्या के लिए सभी महिलाओं को सन्देह की दृष्टि से देखना सही होगा? ये मान लेना सारी महिलाएं ही ऐसा करेंगी, क्या सही है?हमारे समाज में आए दिन अन्याय होते रहते हैं।उनके विरूद्ध आवाज उठाने को गलत नहीं ठहराया जा सकता। लेकिन एक व्यक्ति के दोष के लिए पूरे समुदाय को दोषी ठहरा देना भी गलत है। उससे भी गलत है भ्रामक प्रचार करना। पिछले कुछ दिनों से ऐसी अफवाहें फैलाई जा रही हैं कि आईएस (IAS) और पीसीएस (PCS) की तैयारी कर रही सैकड़ों विवाहिताओं के पतियों और परिजनों ने उन्हें कोचिंग छुड़वा कर, ये कहते हुए कि हमें नहीं बनना हीरा ठाकुर, घर वापस बुला लिया है।
कोचिंग संस्थानों ने इससे इन्कार किया
हमें इस तरह की चीजों से बचना होगा। हमें समझना होगा कि किसी एक घटना को आधार बनाकर सभी महिलाओं को कटघरे में खड़ा करना सही नहीं है। देश और समाज की तरक्की के लिए महिलाओं का सहयोग भी बेहद जरूरी है। अगर कोई विवाहित महिला आगे बढ़ने का हौसला दिखा रही है तो उसे प्रोत्साहन देने की जरूरत है, न कि उसके हौसलों के पर कतरने की। अगर आप प्रोत्साहित नहीं कर सकते, तो किसी एक घटना के कारण कम से कम उनके पर भी न कतरे।
Jyoti Maurya: क्या एक Jyoti Maurya के कारण सभी महिलाओं को कटघरे में खड़ा करना सही है? आपकी इस विषय में क्या राय है? क्या आप हमारी बात से सहमत हैं? आप हमारे कमेंट बॉक्स में जाकर बता सकते हैं।
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