उत्तर प्रदेश में खाप का सख्त फरमान : स्मार्टफोन-हाफ पैंट पर लगी रोक
मैरिज होम में होने वाले भव्य आयोजनों और खर्चीले समारोहों पर सवाल उठाते हुए सादगी अपनाने की सलाह दी गई। खाप चौधरियों का दावा है कि ये फैसले समाज, संस्कृति और उत्तर प्रदेश की नई पीढ़ी को “गलत दिशा” में जाने से रोकने के लिए जरूरी कदम हैं।

UP News : उत्तर प्रदेश के पश्चिमी इलाके में खाप पंचायतों के फैसले अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्से में सामाजिक अनुशासन और परंपराओं को लेकर एक बार फिर खाप पंचायत का सख्त रुख सामने आया है। इसी कड़ी में बागपत जिले के बड़ौत में हुई खाप पंचायत ने “समाज सुधार” के नाम पर कुछ सख्त घोषणाएं कर दीं, जिनकी चर्चा अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश से निकलकर प्रदेश और देश की सुर्खियों तक पहुंच गई है। पंचायत ने 18 वर्ष से कम उम्र के लड़कों को स्मार्टफोन देने पर रोक लगाने का ऐलान किया, वहीं हाफ पैंट पहनकर सार्वजनिक स्थानों पर निकलने को भी अनुचित बताते हुए उस पर पाबंदी की बात कही। केवल इतना ही नहीं, उत्तर प्रदेश में शादी-ब्याह के नाम पर बढ़ते दिखावे और फिजूलखर्च पर भी पंचायत ने तीखी नाराजगी जताई है। मैरिज होम में होने वाले भव्य आयोजनों और खर्चीले समारोहों पर सवाल उठाते हुए सादगी अपनाने की सलाह दी गई। खाप चौधरियों का दावा है कि ये फैसले समाज, संस्कृति और उत्तर प्रदेश की नई पीढ़ी को गलत दिशा में जाने से रोकने के लिए जरूरी कदम हैं।
इस बार ‘नियम’ लड़कियों नहीं, लड़कों के लिए
उत्तर प्रदेश में खाप पंचायतों को लेकर लंबे समय से यह बहस चलती रही है कि सामाजिक मर्यादा के नाम पर नियमों की सख्ती अक्सर लड़कियों के हिस्से ही ज्यादा आती है। लेकिन बागपत के बड़ौत में हुई इस पंचायत ने इस बार चर्चा का रुख बदल दिया। खाप चौधरी सुभाष के नेतृत्व में हुई बैठक में साफ संदेश दिया गया कि अनुशासन और मर्यादा के नियम अब सिर्फ लड़कियों तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि उत्तर प्रदेश की नई पीढ़ी के लड़कों पर भी उसी तरह लागू होंगे। पंचायत का तर्क है कि अगर समाज में सुधार की बात है तो तराजू दोनों तरफ बराबर होना चाहिए।
नाबालिग लड़कों को स्मार्टफोन देने पर ‘ब्रेक’
पंचायत की बैठक में दो फैसले सबसे ज्यादा चर्चा का केंद्र बने। पहला 18 वर्ष से कम उम्र के लड़कों को स्मार्टफोन न देने का आह्वान, और दूसरा हाफ पैंट पहनकर सार्वजनिक जगहों पर निकलने पर सख्ती। खाप चौधरियों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में नई पीढ़ी पर मोबाइल और सोशल मीडिया का असर बेहद तेजी से बढ़ा है, जो बच्चों की पढ़ाई, व्यवहार और संस्कारों को प्रभावित कर रहा है। उनका तर्क है कि कम उम्र में स्मार्टफोन की आदत बच्चों को जिम्मेदारियों से दूर कर रही है। वहीं, हाफ पैंट पहनकर गलियों और बाजारों में घूमने को पंचायत ने सामाजिक संस्कृति के खिलाफ बताते हुए कहा कि यह परंपरागत सामाजिक मर्यादाओं से मेल नहीं खाता।
शादियों में सादगी की सलाह
उत्तर प्रदेश में शादी-ब्याह अब कई इलाकों में रिश्तों का उत्सव कम और “दिखावे की प्रतियोगिता” ज्यादा बनता जा रहा है। इसी बढ़ते सामाजिक दबाव और अनियंत्रित खर्च पर खाप पंचायत ने कड़ा ऐतराज जताया है। पंचायत ने मैरिज होम में होने वाले बड़े-बड़े आयोजनों और भव्य समारोहों पर सवाल उठाते हुए सलाह दी कि विवाह कार्यक्रम गांव या घर में ही सादगी से किए जाएं, ताकि परिवार कर्ज और फिजूलखर्च के बोझ से बच सके। साथ ही, पंचायत ने समय के साथ चलते हुए एक व्यावहारिक रास्ता भी सुझाया। निमंत्रण और सूचना व्हाट्सएप जैसे डिजिटल माध्यम से साझा की जा सकती है, जिससे खर्च भी घटेगा और समय की बचत भी होगी।
उत्तर प्रदेश में फैसले को ‘मॉडल’ बनाने की तैयारी
खाप पंचायत का दावा है कि बागपत के बड़ौत में लिए गए फैसले सिर्फ पश्चिमी उत्तर प्रदेश की चौपालों तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि इन्हें पूरे उत्तर प्रदेश में “सामाजिक मुहिम” की तरह आगे बढ़ाने की तैयारी है। पंचायत के मुताबिक, अन्य जिलों की पंचायतों और खाप प्रतिनिधियों से संवाद कर इस एजेंडे को विस्तार दिया जाएगा। नेताओं ने यह भी संकेत दिया कि इस दिशा में राजस्थान की कुछ पंचायतों के फैसलों से प्रेरणा ली गई है। खाप चौधरी ब्रजपाल सिंह का कहना है कि नाबालिग लड़कों को स्मार्टफोन न देने और हाफ पैंट पर रोक जैसे निर्णयों को प्रदेश स्तर पर प्रभावी बनाने के लिए संगठित प्रयास किए जाएंगे। वहीं खाप चौधरी ओमपाल सिंह ने तर्क दिया कि जब उत्तर प्रदेश के समाज में लड़के-लड़कियां बराबर माने जाते हैं, तो नियम और जिम्मेदारियां भी दोनों पर समान रूप से लागू होनी चाहिए,यही उनके मुताबिक सुधार का मूल आधार है। UP News
UP News : उत्तर प्रदेश के पश्चिमी इलाके में खाप पंचायतों के फैसले अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्से में सामाजिक अनुशासन और परंपराओं को लेकर एक बार फिर खाप पंचायत का सख्त रुख सामने आया है। इसी कड़ी में बागपत जिले के बड़ौत में हुई खाप पंचायत ने “समाज सुधार” के नाम पर कुछ सख्त घोषणाएं कर दीं, जिनकी चर्चा अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश से निकलकर प्रदेश और देश की सुर्खियों तक पहुंच गई है। पंचायत ने 18 वर्ष से कम उम्र के लड़कों को स्मार्टफोन देने पर रोक लगाने का ऐलान किया, वहीं हाफ पैंट पहनकर सार्वजनिक स्थानों पर निकलने को भी अनुचित बताते हुए उस पर पाबंदी की बात कही। केवल इतना ही नहीं, उत्तर प्रदेश में शादी-ब्याह के नाम पर बढ़ते दिखावे और फिजूलखर्च पर भी पंचायत ने तीखी नाराजगी जताई है। मैरिज होम में होने वाले भव्य आयोजनों और खर्चीले समारोहों पर सवाल उठाते हुए सादगी अपनाने की सलाह दी गई। खाप चौधरियों का दावा है कि ये फैसले समाज, संस्कृति और उत्तर प्रदेश की नई पीढ़ी को गलत दिशा में जाने से रोकने के लिए जरूरी कदम हैं।
इस बार ‘नियम’ लड़कियों नहीं, लड़कों के लिए
उत्तर प्रदेश में खाप पंचायतों को लेकर लंबे समय से यह बहस चलती रही है कि सामाजिक मर्यादा के नाम पर नियमों की सख्ती अक्सर लड़कियों के हिस्से ही ज्यादा आती है। लेकिन बागपत के बड़ौत में हुई इस पंचायत ने इस बार चर्चा का रुख बदल दिया। खाप चौधरी सुभाष के नेतृत्व में हुई बैठक में साफ संदेश दिया गया कि अनुशासन और मर्यादा के नियम अब सिर्फ लड़कियों तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि उत्तर प्रदेश की नई पीढ़ी के लड़कों पर भी उसी तरह लागू होंगे। पंचायत का तर्क है कि अगर समाज में सुधार की बात है तो तराजू दोनों तरफ बराबर होना चाहिए।
नाबालिग लड़कों को स्मार्टफोन देने पर ‘ब्रेक’
पंचायत की बैठक में दो फैसले सबसे ज्यादा चर्चा का केंद्र बने। पहला 18 वर्ष से कम उम्र के लड़कों को स्मार्टफोन न देने का आह्वान, और दूसरा हाफ पैंट पहनकर सार्वजनिक जगहों पर निकलने पर सख्ती। खाप चौधरियों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में नई पीढ़ी पर मोबाइल और सोशल मीडिया का असर बेहद तेजी से बढ़ा है, जो बच्चों की पढ़ाई, व्यवहार और संस्कारों को प्रभावित कर रहा है। उनका तर्क है कि कम उम्र में स्मार्टफोन की आदत बच्चों को जिम्मेदारियों से दूर कर रही है। वहीं, हाफ पैंट पहनकर गलियों और बाजारों में घूमने को पंचायत ने सामाजिक संस्कृति के खिलाफ बताते हुए कहा कि यह परंपरागत सामाजिक मर्यादाओं से मेल नहीं खाता।
शादियों में सादगी की सलाह
उत्तर प्रदेश में शादी-ब्याह अब कई इलाकों में रिश्तों का उत्सव कम और “दिखावे की प्रतियोगिता” ज्यादा बनता जा रहा है। इसी बढ़ते सामाजिक दबाव और अनियंत्रित खर्च पर खाप पंचायत ने कड़ा ऐतराज जताया है। पंचायत ने मैरिज होम में होने वाले बड़े-बड़े आयोजनों और भव्य समारोहों पर सवाल उठाते हुए सलाह दी कि विवाह कार्यक्रम गांव या घर में ही सादगी से किए जाएं, ताकि परिवार कर्ज और फिजूलखर्च के बोझ से बच सके। साथ ही, पंचायत ने समय के साथ चलते हुए एक व्यावहारिक रास्ता भी सुझाया। निमंत्रण और सूचना व्हाट्सएप जैसे डिजिटल माध्यम से साझा की जा सकती है, जिससे खर्च भी घटेगा और समय की बचत भी होगी।
उत्तर प्रदेश में फैसले को ‘मॉडल’ बनाने की तैयारी
खाप पंचायत का दावा है कि बागपत के बड़ौत में लिए गए फैसले सिर्फ पश्चिमी उत्तर प्रदेश की चौपालों तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि इन्हें पूरे उत्तर प्रदेश में “सामाजिक मुहिम” की तरह आगे बढ़ाने की तैयारी है। पंचायत के मुताबिक, अन्य जिलों की पंचायतों और खाप प्रतिनिधियों से संवाद कर इस एजेंडे को विस्तार दिया जाएगा। नेताओं ने यह भी संकेत दिया कि इस दिशा में राजस्थान की कुछ पंचायतों के फैसलों से प्रेरणा ली गई है। खाप चौधरी ब्रजपाल सिंह का कहना है कि नाबालिग लड़कों को स्मार्टफोन न देने और हाफ पैंट पर रोक जैसे निर्णयों को प्रदेश स्तर पर प्रभावी बनाने के लिए संगठित प्रयास किए जाएंगे। वहीं खाप चौधरी ओमपाल सिंह ने तर्क दिया कि जब उत्तर प्रदेश के समाज में लड़के-लड़कियां बराबर माने जाते हैं, तो नियम और जिम्मेदारियां भी दोनों पर समान रूप से लागू होनी चाहिए,यही उनके मुताबिक सुधार का मूल आधार है। UP News












