Uttar Pradesh: विधानसभा समितियों का गठन न होने पर सपा ने उठाए सवाल

Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश की 18वीं विधानसभा के गठन के करीब नौ माह बीत जाने के बावजूद विधानसभा की समितियों का गठन न किये जाने का मामला उठाते हुए समाजवादी पार्टी ने मंगलवार को सदन में कहा कि इस वर्ष सदन का तीसरा सत्र चल रहा है लेकिन अब तक समितियों का गठन नहीं किया गया है, इससे लोकतांत्रिक प्रणाली कमजोर होगी। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने व्यवस्था देते हुए संसदीय कार्य मंत्री को जिम्मेदारी दी कि वह एक सप्ताह के अंदर समितियों का गठन करें।
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उल्लेखनीय है कि विधानसभा में लोक लेखा समिति, याचिका समिति, प्राकलन समिति, विशेषाधिकार समिति, नियम समिति, कार्य मंत्रणा समिति, पंचायती राज समिति, आश्वासन समिति जैसी संसदीय समितियों का गठन किया जाता है।
संसदीय समितियां सदन की आंख और कान का कार्य करती हैं और उन्हीं के माध्यम से सदन सत्र में न रहते हुए भी निरंतर कार्य करता रहता है।
विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को दोपहर बाद सपा के मुख्य सचेतक मनोज पांडेय, वरिष्ठ सदस्य माता प्रसाद पांडेय और लालजी वर्मा ने नियम 300 के तहत यह मामला उठाया और अध्यक्ष से समितियों के गठन की मांग की।
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि व्यस्तता की वजह से समितियों का गठन नहीं हो सका लेकिन जल्द ही समितियों का गठन कर दिया जाएगा।
मनोज पांडेय ने अपनी मांग पर बल देते हुए कहा कि यह व्यवस्था है कि जब विधानसभा का गठन होगा तो पहले ही सत्र के प्रारंभ होने पर समितियों का गठन किया जाएगा लेकिन नौ माह में भी समितियों का गठन नहीं हो सका।
लालजी वर्मा ने कहा कि यह संविधान और हमारी नियमावली के अनुसार बहुत महत्वपूर्ण है और लोकसभा तथा सभी राज्यों की विधानसभा में समितियों का गठन होता है लेकिन कोई ऐसा दृष्टांत नहीं है कि कहीं इतने समय तक समितियों का गठन न हुआ हो।
वर्मा ने कहा कि समितियों का गठन न होने से लोकतांत्रिक प्रणाली कमजोर होगी। उन्होंने कहा कि पहले ही सत्र में आपको सर्वसम्मति से अधिकृत किया गया लेकिन समितियों का गठन नहीं हो सका। माता प्रसाद पांडेय ने कहा कि समितियों का गठन नहीं होगा तो विकास का कार्य प्रभावित होगा।
यह समितियां सरकार के अधीन नहीं, अध्यक्ष जी आपके अधीन है, और आप अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए इन समितियों का गठन कर दें।
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि वास्तव में समितियों का गठन जरूरी है, लेकिन संबंधित नाम नहीं मिल सके। उन्होंने व्यवस्था देते हुए संसदीय कार्य मंत्री को जिम्मेदारी दी कि एक सप्ताह के अंदर समितियों के गठन की प्रक्रिया पूरी कर दें।
इसके अलावा नियम 300 के तहत रविदास मेहरोत्रा ने विधानसभा उपाध्यक्ष के निर्वाचन का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि नियमावली में स्पष्ट रूप से विधानसभा उपाध्यक्ष के चुनाव की व्यवस्था है, लेकिन नौ माह बाद भी चुनाव की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई। उन्होंने अध्यक्ष से इसकी व्यवस्था देने की मांग की। अध्यक्ष ने कहा कि इस पर बैठ कर विचार विमर्श किया जाएगा।
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देश-दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश की 18वीं विधानसभा के गठन के करीब नौ माह बीत जाने के बावजूद विधानसभा की समितियों का गठन न किये जाने का मामला उठाते हुए समाजवादी पार्टी ने मंगलवार को सदन में कहा कि इस वर्ष सदन का तीसरा सत्र चल रहा है लेकिन अब तक समितियों का गठन नहीं किया गया है, इससे लोकतांत्रिक प्रणाली कमजोर होगी। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने व्यवस्था देते हुए संसदीय कार्य मंत्री को जिम्मेदारी दी कि वह एक सप्ताह के अंदर समितियों का गठन करें।
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उल्लेखनीय है कि विधानसभा में लोक लेखा समिति, याचिका समिति, प्राकलन समिति, विशेषाधिकार समिति, नियम समिति, कार्य मंत्रणा समिति, पंचायती राज समिति, आश्वासन समिति जैसी संसदीय समितियों का गठन किया जाता है।
संसदीय समितियां सदन की आंख और कान का कार्य करती हैं और उन्हीं के माध्यम से सदन सत्र में न रहते हुए भी निरंतर कार्य करता रहता है।
विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को दोपहर बाद सपा के मुख्य सचेतक मनोज पांडेय, वरिष्ठ सदस्य माता प्रसाद पांडेय और लालजी वर्मा ने नियम 300 के तहत यह मामला उठाया और अध्यक्ष से समितियों के गठन की मांग की।
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि व्यस्तता की वजह से समितियों का गठन नहीं हो सका लेकिन जल्द ही समितियों का गठन कर दिया जाएगा।
मनोज पांडेय ने अपनी मांग पर बल देते हुए कहा कि यह व्यवस्था है कि जब विधानसभा का गठन होगा तो पहले ही सत्र के प्रारंभ होने पर समितियों का गठन किया जाएगा लेकिन नौ माह में भी समितियों का गठन नहीं हो सका।
लालजी वर्मा ने कहा कि यह संविधान और हमारी नियमावली के अनुसार बहुत महत्वपूर्ण है और लोकसभा तथा सभी राज्यों की विधानसभा में समितियों का गठन होता है लेकिन कोई ऐसा दृष्टांत नहीं है कि कहीं इतने समय तक समितियों का गठन न हुआ हो।
वर्मा ने कहा कि समितियों का गठन न होने से लोकतांत्रिक प्रणाली कमजोर होगी। उन्होंने कहा कि पहले ही सत्र में आपको सर्वसम्मति से अधिकृत किया गया लेकिन समितियों का गठन नहीं हो सका। माता प्रसाद पांडेय ने कहा कि समितियों का गठन नहीं होगा तो विकास का कार्य प्रभावित होगा।
यह समितियां सरकार के अधीन नहीं, अध्यक्ष जी आपके अधीन है, और आप अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए इन समितियों का गठन कर दें।
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि वास्तव में समितियों का गठन जरूरी है, लेकिन संबंधित नाम नहीं मिल सके। उन्होंने व्यवस्था देते हुए संसदीय कार्य मंत्री को जिम्मेदारी दी कि एक सप्ताह के अंदर समितियों के गठन की प्रक्रिया पूरी कर दें।
इसके अलावा नियम 300 के तहत रविदास मेहरोत्रा ने विधानसभा उपाध्यक्ष के निर्वाचन का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि नियमावली में स्पष्ट रूप से विधानसभा उपाध्यक्ष के चुनाव की व्यवस्था है, लेकिन नौ माह बाद भी चुनाव की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई। उन्होंने अध्यक्ष से इसकी व्यवस्था देने की मांग की। अध्यक्ष ने कहा कि इस पर बैठ कर विचार विमर्श किया जाएगा।






