Saturday, 5 October 2024

Shraddha Narendra Pandey : 5 साल की मेहनत के बाद बनी थी IPS… जानिए कुछ अनसुने किस्से

  Shraddha Narendra Pandey  उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था को बेहतर करने के लिए योगी सरकार लगातार प्रयासरत है। यही वजह…

Shraddha Narendra Pandey : 5 साल की मेहनत के बाद बनी थी IPS… जानिए कुछ अनसुने किस्से

 

Shraddha Narendra Pandey  उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था को बेहतर करने के लिए योगी सरकार लगातार प्रयासरत है। यही वजह है प्रदेश के प्रमुख जिलों में तेज तर्रार आईपीएस अधिकारियों को जिम्मेदारी दी जा रही है। सोमवार को 8 आईपीएस अधिकारियों के तबादले किए हैं। इसमें 2017 बैच की IPS अफसर का नाम भी शामिल है। श्रद्धा नरेन्द्र पाण्डेय पुलिस अधीक्षक मुख्यालय पुलिस महानिदेशक लखनऊ में तैनात थीं जिन्हें अब प्रयागराज पुलिस कमिश्नरेट में उपायुक्त बनाया गया है। जोकि कई मायनों में अहम है। श्रद्धा यूपी के गौतमबुद्ध नगर में अपर पुलिस आयुक्त के अलावा पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक का कार्यभार संभाल चुकी हैं।

Shraddha Narendra Pandey :

 

अंग्रेजी-हिंदी बहस में महिला अफसर ने जीता था पुरुस्कार

आईपीएस श्रद्धा नरेन्द्र पाण्डेय एसवीपीएनपीए में अंग्रेजी बहस के लिए आशीष सिंघल मेमोरियल पुरस्कार की विजेता रह चुकी हैं। वहीं 15 अगस्त 2020 को डीजी कमेंडेशन डिस्क सिल्वर (DG COMMENDATION DISC SILVER) से भी सम्मनित किया गया। हालांकि नवंबर 2021 में उनके कैडर को उनकी शादी के आधार पर उत्तर प्रदेश से पश्चिम बंगाल स्थानांतरित कर दिया गया था। इस दौरान उन्होंने पुलिस सेवा के साथ-साथ मां का कर्तव्य भी बखूबी निभाया है। जिसकी लोगों ने खूब सराहना भी की। यातायात व्यवस्था से अलावा उन्हें वृक्षों से काफी प्रेम है। यही वजह है कि वो लोगों से यातायात नियमों का पालन और वृक्ष लगाने की अपील करती रहती हैं। वहीं अब योगी सरकार ने उन्हें प्रयागराज शहर में अहम जिम्मेदारी दी है।

दृष्टि दोष की वजह मेडिकल नहीं निकाल पाई थी श्रद्धा

महाराष्ट्र में 1 जून 1986 को जन्मी श्रद्धा नरेन्द्र पाण्डेय ने 2011 में संयुक्त रक्षा सेवा परीक्षा (combined defense services exam) में अखिल भारतीय चौथी रैंक हासिल की। लेकिन दृष्टि में एक छोटे से दोष के कारण मेडिकल राउंड को पास नहीं कर सकीं। जिसके चलते उन्हें लंबे समय तक उदास रहना पड़ा। इसके बाद सिविल सर्विसेज में सफलता पाने के लिए 3 साल और आईपीएस तक पहुंचने में 2 साल का समय लगा। उनका मानना है कि सफलता पैसा और पहचान नहीं है बल्कि सफलता उत्साह है। उन्होंने जैव प्रौद्योगिकी में स्नातकोत्तर (M-TECH) किया हैं। पुलिस सेवा से पहले वह बीमा और ICLS में काम कर चुकी हैं।

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