Sambhal Violence : उत्तर प्रदेश के संभल जिले में 24 नवंबर को शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण के दौरान हुए बवाल के बाद पत्थरबाजों और उपद्रवियों की तलाश जोरों पर हो रही है। इसके साथ ही हिंसा करने वालों पर यूपी सरकार सख्ती बरतेगी। पत्थरबाजों और उपद्रवियों के पोस्टर सार्वजनिक रूप से लगाए जायेंगे। साथ ही नुकसान की भरपाई भी आरोपियों से की जाएगी। पुलिस ने 74 फरार दंगाईयों की पहचान कर ली है।
पुलिस का दावा है कि पत्थरबाजों में 14 साल से लेकर 74 साल के लोग शामिल थे। संभल पुलिस ने गिरफ्तार पत्थरबाजों की तस्वीर भी जारी की है। जिनमें 14 से लेकर 16 साल तक के नाबालिग बच्चे भी शामिल है। गिरफ्तार दंगाईयों में तीन महिलाएं भी शामिल हैं जिन्हें गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने 75 फरार आरोपियों की पहचान कर ली है। पुलिस का कहना है कि, जरूरी हुआ तो उपद्रवियों पर इनाम भी घोषित हो सकता है। संभल हिंसा के गुनहगार किसी भी सूरत में बच नहीं पाएंगे।
यूपी सरकार जारी कर चुकी है अध्यादेश
बता दें कि यूपी की योगी सरकार पहले ही उपद्रव करने वालों के खिलाफ नुकसान की वसूली और पोस्टर का अध्यादेश जारी कर चुकी है। कमिश्नर ने बताया कि सर्वे से एक दिन पहले जिला प्रशासन ने जामा मस्जिद कमेटी को नोटिस दिया था। जब सर्वे टीम पहुंची तो संभल विधायक इकबाल महमूद का बेटा सुहेल इकबाल भी जामा मस्जिद पहुंच गया। उसने सर्वे टीम के साथ शामिल होने की बात कही।
टीम ने उसे साथ शामिल करने से मना कर दिया। इसके बाद ही भीड़ जुटी और बवाल हुआ। उपद्रव में शामिल लोगों के फोटो शीघ्र ही मीडिया में भी जारी किए जाएंगे, जिससे उन्हें पकडऩे में आसानी होगी। पुलिस ने पथराव करने वाले सैकड़ों आरोपियों को चिह्नित कर लिया है और गिरफ्तारी के लिए ताबड़तोड़ दबिश दी जा रही है।
संभल शहर के अलावा आसपास के कस्बों और गांवों में भी बवालियों को ढूंढा जा रहा है। दर्जनों लोगों को पुलिस ने हिरासत में भी लिया है। उनसे अलग-अलग थानों में पूछताछ करके अन्य आरोपियों के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। पुलिस ने गिरफ्तार 21 आरोपियों की तस्वीर जारी की है जिसमें दो महिलाएं भी हैं। पुलिस ने संभल हिंसा में अब तक 12 एफआईआर दर्ज की हैं।
बरेली जोन के एडीजी रमित शर्मा और डीआईजी मुनिराज जी ने मंगलवार सुबह पुलिस फोर्स के साथ शहर में पैदल मार्च किया। इस दौरान उन्होंने व्यापारियों से बातचीत की और कहा कि दुकानें खोलें और व्यापार करें। हालांकि, शहर के अधिकांश बाजारों में दुकानें खुलने के बावजूद सन्नाटा पसरा रहा। शहर की जामा मस्जिद के आसपास की दुकानें नहीं खुलीं। बवाल के बाद से भागे सैकड़ों लोगों के घरों पर अब भी ताले लटके हैं। पूरा इलाका पुलिस छावनी बना है।
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